Jibreel Alaihissalam | Ruh ul Quddus | Holy Spirit

holy spirit in islam angel gabriel


जिब्राईल  अलैहिस्सलाम 

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जिब्राईल अलैहिस्सलाम (gabriel) इस्लाम में बहुत ऊंचा मक़ाम रखते हैं। अल्लाह तआला जिब्राईल अलैहिस्सलाम को क़ुरआन में रूह उल क़ुद्दूस के नाम से पुकारा है। रूह उल क़ुद्दूस holy spirit. ये वो फ़रिश्ते हैं जो अल्लाह का पैगाम लेकर हम सबको गुमराही से निकालते हैं, और फरिश्तों में सबसे आला मक़ाम पर हैं। 
अल्लाह के हुकुम से जिब्राईल अलैहिस्सलाम ने हमारे नबी करीम और मुसलमानो की कदम कदम पे रक्षा की है। जब नबी करीम को मुश्रिकीन ऐ मक्का ने नुक्सान पहुंचने की कोशिश की तो जिब्राईल अलैहिसलाम ने उन्हें सुरक्षित रखा। जिब्राईल अमीन ने ही मुसलमानो को मक्काः से मदीना हिजरत के वक्त सुरक्षित पहुंचाया। और फ़रिश्तो की फ़ौज इनके नेतृत्व में ही मुसलमानो की मदद की मुशरीकीन ऐ मक्का के खिलाफ गज़वा ऐ बद्र, अल ख़ंदक़, हुनैन। 
आइशा रदिअल्लाहु अन्हा से रिवायत है के नबी करीम ने जिब्राईल अलैहिसलाम को उनके असली रूप में सिर्फ २ बार देखा था , जिसका इशारा क़ुरआन में है। पहली बार गार ऐ हिरा में, जब नबी करीम के लिए पहली बार अल्लाह का पैगाम लेकर आये थे और पहली कुछ आयात नाज़िल हुई थी। और दूसरा मौका था जब नबी करीम को मेराज के सफर पर लेकर गए थे। अल्लाह तआला सूरत उल नज्म में फरमाता है -

ये तो एक वहयि है जो उस पर नाज़िल की जाती है, शदीद कुव्वतो वाले ( जिब्राईल अलैहिसलाम ) ने  साहिब ऐ हिकमत है और वो बुलंद उफ़ुक़ (क्षितिज) पर था। ...... और एक बार फिर उसने उसको सिदरतुल मुंतहा पर देखा। 
क़ुरआन 53:4-14
 

जिब्राईल अलैहिसलाम का जिक्र कुरआन में कई दफा आया है, दूसरे फ़रिश्तो के साथ। हर फ़रिश्ते का एक ख़ास मक़ाम है। जिब्राईल  पैगम्बर फरिश्ता भी कहा जाता है क्युकी अल्लाह का पैगाम हमारे नबी तक पहुंचते रहे। 
जब नबी करीम गार ऐ हिरा में इबादत में मशगूल थे, अल्लाह का पहला पैगाम उनके लिए नाज़िल हुआ। 
जिब्राईल अलैहिसलाम ने नबी करीम को हुकुम दिया इक़रा (पढ़ो) तो नबी करीम का जवाब था मैं पढ़ नहीं सकता, क्युकी वो उम्मी (illiterate) थे। जिब्राईल अलैहिसलाम ने उन्हें ज़ोर से पकड़ा और भीचा फिर छोड़ दिया। फिर दोबारा फ़रमाया पढ़ो, दोबारा यही हुआ, तीसरी बार कहा पढ़ो और ये आयतें नाज़िल हुई :

إِقْرَأْ بِاسْمِ رَبِّكَ الَّذِي خَلَقَ {1}
 خَلَقَ الْإِنْسَانَ مِنْ عَلَقٍ {2}
 إِقْرَأْ وَرَبُّكَ الْأَكْرَمُ {3}
 أَلَّذِي عَلَّمَ بِالْقَلَمِ {4} 
عَلَّمَ الْإِنْسَانَ مَا لَمْ يَعْلَمْ {5   

पढ़ो ! अपने रब के नाम के साथ , जिसने पैदा किया तुम्हे, जमे हुए खून के लोथड़े से इंसान की तख़लीक़ की। पढ़ो और तुम्हारा रब  है जिसने क़लम की जरिये वो इल्म सिखाया, जो वो जानता न था। 
क़ुरआन 96:1-5

ये पहली वह्यी (पैगाम ) था जो अल्लाह ताला की तरफ से नबी करीम पर नाज़िल कि गयी। तब नबी करीम की उम्र  40 साल थी।  अगले 23 साल तक जिब्राईल अलैहिसलाम क़ुरआन यानि अल्लाह का पैगाम  तक पहुंचाते रहे।  वक्त के साथ जिब्राईल अलैहिसलाम वह्यी लेकर आते रहे , और  कुछ आयत उतरती रही। रमज़ान में जिब्राईल अलैहिस्सलाम  जो नाज़िल हो चुकी क़ुरआन की आयतें है उनका दौरा करते रहे। 
हिजरत के 11 वे साल में, जब आप 63 साल के थे पूरा क़ुरआन मुकम्मल और क़ुरआन का दौरा जिब्राईल अलैहिस्सलाम ने नबी करीम को दो बार कराया। ये नबी करीम की ज़िन्दगी आखरी साल था। 

अल इस्रा वल मेराज का सफर 

एक रात जिब्राईल अलैहिस्सलाम ने आकर नबी करीम को नीद से जगाया और उनका हाथ थाम के उन्हें मक्काः मुकर्रमा की मस्जिद लेकर गए। वहां उनका इंतज़ार एक बिलकुल सफ़ेद जानवर कर रहा था जो दिखने में घोड़े से मिलता जुलता था और उसका नाम बुर्राक़ था।  नबी करीम जिब्राईल अलहिस्लाम के साथ उसपे सवार होकर पलक झपकते ही जेरूसेलम पहुंच गए।  फिर जिब्राईल अलैहिस्सलाम नबी करीम को मेराज के सफर पे ले गए।  सात आसमान का सफर हैरान करने वाला था। नबी करीम को पहली बार गैब की दुनिया देखने का मौका मिला। 
नबी करीम ने इस मौके पर फ़रिश्तो को, पिछले रसूल और नबियों को, जन्नत और कई और मोजज़ात को देखा।  इस मौके पर अल्लाह की तरफ से उन्हें उम्मत के लिए नमाज़ का तोहफा मिला। आइये हदीस देखें मेराज का सफर कैसा था -

अनस बिन मालिक रदिअल्लाहु अन्हु ने वो वाक़िआ बयान किया जिस रात रसूलुल्लाह (सल्ल०) को मस्जिद काबा से मेराज के लिये ले जाया गया कि वह्य आने से पहले आपके पास फ़रिश्ते आए। नबी (सल्ल०) मस्जिद अल-हराम में सोए हुए थे। उनमें से एक ने पूछा कि वो कौन हैं? दूसरे ने जवाब दिया कि वो उनमें सबसे बेहतर हैं। तीसरे ने कहा कि उनमें जो सबसे बेहतर हैं उन्हें ले लो। उस रात को बस इतना ही वाक़िआ पेश आया और नबी (सल्ल०) ने उसके बाद उन्हें नहीं देखा यहाँ तक कि वो दूसरी रात आए जबकि आपका दिल देख रहा था। और आपकी आँखें सो रही थीं लेकिन दिल नहीं सो रहा था। नबियों का यही हाल होता है। उनकी आँखें सोती हैं लेकिन उनके दिल नहीं सोते। चुनांचे उन्होंने आपसे बात नहीं की। बल्कि आपको उठाकर ज़मज़म के कूँए के पास लाए। यहाँ जिबरील (अलैहि०) ने आपका काम सँभाला और आपके गले से दिल के नीचे तक सीना चाक किया और सीने और पेट को पाक करके ज़मज़म के पानी से उसे अपने हाथ से धोया यहाँ तक कि आपका पेट साफ़ हो गया। फिर आपके पास सोने का थाल लाया गया जिसमें सोने का एक बर्तन ईमान और हिकमत से भरा हुआ था। उससे आपके सीने और हलक़ की रगों को सिया और उसे बराबर कर दिया। फिर आपको लेकर आसमानी दुनिया पर चढ़े और उसके दरवाज़ों में से एक दरवाज़े पर दस्तक दी। 

आसमानवालों ने उनसे पूछा: आप कौन हैं? 
उन्होंने कहा: जिबरील। 
उन्होंने पूछा: और आपके साथ कौन है? 
जवाब दिया: मेरे साथ मुहम्मद (सल्ल०) हैं। 
पूछा: क्या उन्हें बुलाया गया है? 
जवाब दिया: हाँ। 
आसमानवालों ने कहा: ख़ूब अच्छे आए और अपने ही लोगों में आए हो। 

आसमान वाले उससे ख़ुश हुए। उनमें से किसी को मालूम नहीं होता कि अल्लाह तआला ज़मीन में क्या करना चाहता है जब तक वो उन्हें बता न दे। 
नबी (सल्ल०) ने आसमानी दुनिया पर आदम (अलैहि०) को पाया। जिबरील (अलैहि०) ने आपसे कहा कि ये आपके बुज़ुर्गतरीन दादा आदम हैं, आप उन्हें सलाम कीजिये। आदम (अलैहि०) ने सलाम का जवाब दिया।
आपने आसमानी दुनिया में दो नहरें देखीं जो बह रही थीं। पूछा: ऐ जिबरील! ये नहरें कैसी हैं? 
जिबरील (अलैहि०) ने जवाब दिया कि ये नील और फ़रात का सरचश्मा है। 

फिर आप आसमान पर और चले तो देखा कि एक दूसरी नहर है जिसके ऊपर मोती और ज़बरजद का महल है। उसपर अपना हाथ मारा तो वो मुश्क है। पूछा: जिबरील! ये क्या है? 
जवाब दिया कि ये कौसर है जिसे अल्लाह ने आपके लिये महफ़ूज़ रखा है। 

फिर आप दूसरे आसमान पर चढ़े। फ़रिश्तों ने यहाँ भी वही सवाल किया जो पहले आसमान पर किया था। कौन हैं? कहा: जिबरील। पूछा: आपके साथ कौन हैं? कहा: मुहम्मद (सल्ल०)। पूछा: क्या उन्हें बुलाया गया है? उन्होंने कहा कि हाँ। फ़रिश्ते बोले: उन्हें मरहबा और ख़ुशख़बरी हो! फिर आपको लेकर तीसरे आसमान पर चढ़े और यहाँ भी वही सवाल किये जो पहले और दूसरे आसमान पर किये थे। फिर चौथे आसमान पर लेकर चढ़े और यहाँ भी वही सवाल किया। फिर पाँचवें आसमान पर आपको लेकर चढ़े और यहाँ भी वही सवाल किया। फिर छ्टे आसमान पर आपको लेकर चढ़े और यहाँ भी वही सवाल किया। फिर आपको लेकर सातवें आसमान पर चढ़े और यहाँ भी वही सवाल किया। 

हर आसमान पर नबी हैं जिनके नाम आपने लिये। मुझे ये याद है कि इदरीस (अलैहि०) दूसरे आसमान पर, हारून (अलैहि०) चौथे आसमान पर  और दूसरे नबी पाँचवें आसमान पर। जिनके नाम मुझे याद नहीं और इब्राहीम (अलैहि०) छ्टे आसमान पर और मूसा (अलैहि०) सातवें आसमान पर। ये उन्हें अल्लाह तआला ने बात करने के शर्फ़ की वजह से फ़ज़ीलत मिली थी। मूसा (अलैहि०) ने कहा: मेरे रब! मेरा ख़याल नहीं था कि किसी को मुझसे बढ़ाया जाएगा। 
फिर जिबरील (अलैहि०) उन्हें लेकर उससे भी ऊपर गए जिसका इल्म अल्लाह के सिवा और किसी को नहीं यहाँ तक कि आपको सिदरतुल-मुन्तहा पर लेकर आए और रब्बुल-इज़्ज़त अल्लाह तबारक व तआला से क़रीब हुए और इतने क़रीब जैसे कमान के दोनों किनारे या उससे भी क़रीब। फिर अल्लाह ने और दूसरी बातों के साथ आपकी उम्मत पर दिन और रात में पचास नमाज़ों की वह्य की। 

फिर आप उतरे और जब मूसा (अलैहि०) के पास पहुँचे तो उन्होंने आपको रोक लिया और पूछा: ऐ मुहम्मद! आपके रब ने आपसे क्या अहद लिया है? 
फ़रमाया कि मेरे रब ने मुझसे दिन और रात में पचास नमाज़ों का अहद लिया है। 
मूसा (अलैहि०) ने फ़रमाया कि आपकी उम्मत में इसकी ताक़त नहीं। वापस जाइये और अपनी और अपनी उम्मत की तरफ़ से कमी की दरख़ास्त कीजिये। 

चुनांचे नबी (सल्ल०) जिबरील (अलैहि०) की तरफ़ मुतवज्जेह हुए और उन्होंने भी इशारा किया कि हाँ अगर चाहें तो बेहतर है। चुनांचे आप फिर उन्हें लेकर अल्लाह तआला की बारगाह में हाज़िर हुए और अपने मक़ाम पर खड़े होकर कहा: ऐ रब! हमसे कमी कर दे क्योंकि मेरी उम्मत इसकी ताक़त नहीं रखती। चुनांचे अल्लाह तआला ने दस नमाज़ों की कमी कर दी। 

फिर आप मूसा (अलैहि०) के पास आए तो उन्होंने आपको रोका। मूसा (अलैहि०) आपको इसी तरह बराबर अल्लाह रब्बुल-इज़्ज़त के पास वापस करते रहे। यहाँ तक कि पाँच नमाज़ें हो गईं। 

पाँच नमाज़ों पर भी उन्होंने नबी (सल्ल०) को रोका और कहा: ऐ मुहम्मद! मैंने अपनी क़ौम बनी-इसराईल का तजरिबा इससे कम पर किया है वो  कमज़ोर साबित हुए और उन्होंने छोड़ दिया। आपकी उम्मत तो जिस्म, दिल, बदन, नज़र और कान हर भरोसे से कमज़ोर है  आप वापस जाइये और अल्लाह रब्बुल-इज़्ज़त उसमें भी कमी कर देगा। हर मर्तबा नबी (सल्ल०) जिबरील (अलैहि०) की तरफ़ मुतवज्जेह होते थे ताकि उनसे मशवरा लें और जिबरील (अलैहि०) उसे नापसन्द नहीं करते थे। जब वो आपको पाँचवीं मर्तबा भी ले गए तो कहा: ऐ मेरे रब! मेरी उम्मत जिस्म, दिल, निगाह और बदन हर हैसियत से कमज़ोर है  इसलिये हमसे और कमी कर दे। 

अल्लाह तआला ने इसपर फ़रमाया कि वो क़ौल मेरे यहाँ बदला नहीं जाता जैसा कि मैंने तुमपर उम्मुल-किताब में फ़र्ज़ किया है। और फ़रमाया कि हर नेकी का सवाब दस गुना है इसलिये ये उम्मुल-किताब में पचास नमाज़ें हैं लेकिन तुमपर फ़र्ज़ पाँच ही हैं। 

चुनांचे आप मूसा (अलैहि०) के पास वापस आए और उन्होंने पूछा: क्या हुआ? आपने कहा कि हमसे ये कमी की कि हर नेकी के बदले दस का सवाब मिलेगा। मूसा (अलैहि०) ने कहा कि मैंने बनी-इसराईल को इससे कम पर आज़माया है और उन्होंने छोड़ दिया। इसलिये आप वापस जाइये और मज़ीद कमी कराइये। नबी (सल्ल०) ने इसपर कहा: ऐ मूसा! अल्लाह की क़सम! मुझे अपने रब से अब शर्म आती है क्योंकि बार-बार आ-जा चुका हूँ।

सहीह बुखारी 7517

क़ुरआन में ईसा अलैहिस्सलाम की विलादत का ज़िक्र है जिसमें जिब्राईल अलैहिस्सलाम ने मरियम अलैहिसलाम को ख़ुशख़बरी दी।  अल्लाह तआला फरमाता है -

और ऐ नबी! इस किताब में मरयम का हाल बयान करो, जबकि वो अपने लोगों से अलग होकर पूरब की तरफ़ कोने में बैठी थी और परदा डालकर उनसे छिप बैठी थी। इस हालत में हमने उसके पास अपनी रूह (यानी फ़रिश्ते) को भेजा और वो उसके सामने एक पूरे इन्सान की शक्ल में ज़ाहिर हो गया। मरयम यकायक बोल उठी कि “अगर तू अल्लाह से डरनेवाला कोई आदमी है तो मैं तुझसे रहमान की पनाह माँगती हूँ।”
उसने कहा, “मैं तो तेरे रब का भेजा हुआ हूँ और इसलिये भेजा गया हूँ कि तुझे एक पाकीज़ा लड़का दूँ।”

क़ुरआन 19:16-19

जिब्राईल अलैहिस्सलाम को क़ुरआन में 4 जगह रूह उल क़ुद्दूस के नाम से पुकारा गया है जिसका मतलब ही है holy spirit .  काफी लोगों को ये नहीं पता के हौली स्पिरिट एक इस्लामिक शब्द है और क़ुरआन में इसका ज़िक्र है। अल्लाह तआला ने जिब्राईल अलैहिसलाम को इस नाम से पुकारा है जो अल्लाह तआला का पैगाम रसूल और नबियों को पहुंचते हैं और अल्लाह के हुकुम पूरा करते हैं। 

इनसे कहो कि इसे तो ‘रूहुल-क़ुदुस’ (holy spirit) ने ठीक-ठीक मेरे रब की तरफ़ से थोड़ा-थोड़ा करके उतारा है ताकि ईमान लानेवालों के ईमान को मज़बूत करे और फ़रमाँबारदारों को ज़िन्दगी के मामलों में सीधी राह बताए और उन्हें कामयाबी और ख़ुशनसीबी की ख़ुशख़बरी दे।
क़ुरआन 16:102 

हमने मूसा को किताब दी, उसके बाद पे-दर-पे  [ लगातार] रसूल भेजे, आख़िर में मरयम के बेटे ईसा को रौशन निशानियाँ देकर भेजा और ‘रूहुल-क़ुदुस’  [holy spirit] से उसकी मदद की।  फिर ये तुम्हारा क्या ढंग है कि जब भी कोई रसूल तुम्हारे नफ़्स  [मन] की ख़ाहिशों के ख़िलाफ़ कोई चीज़ लेकर तुम्हारे पास आया तो तुमने उसके मुक़ाबले में सरकशी ही की; किसी को झुठलाया और किसी को क़त्ल कर डाला!

क़ुरआन 2:87

नबी करीम भी जिब्राईल अलैहिसलाम को  ‘रूहुल-क़ुदुस’  [holy spirit] के लक़ब से पुकारते थे। 

ईसाई धर्म में holy spirit एक बहुत मशहूर लफ्ज़ है। मगर, इसका मतलब इस्लामी फ़हम से बिलजुल जुदा है। ईसाई धर्म में trinity का अर्थ है :

"तीन दिव्य व्यक्तियों , पिता,  पुत्र और पवित्र आत्मा का मिलन, एक देवत्व (ईश्वरीय ) में ताकि तीनो पदार्थ के पदार्थ के रूप में एक ईशवरीय लेकिन तीन व्यक्ति।"

 इस परिभाषा के अनुसार ईश्वर के 3 हिस्से हैं -
  1. पिता, जो ईश्वर अर्श पर है 
  2. पुत्र, यानि जीसस (ईसा अ.)
  3. होली स्पिरिट, जिसे दुनिया में ईश्वरीय शक्तियां हासिल हैं 

ट्रिनिटी बयां करता है के ईश्वर 3 लोगों का संगम है पिता, पुत्र और holy spirit . लेकिन क़ुरआन साफ़ तौर पर ट्रिनिटी का इंकार करता है और और इस्लाम साफ़ तौर पे तौहीद की दावत देता है और एक वाहिद खुदा की गवाही देता है। क़ुरआन ने गवाही दी के जीसस क्राइस्ट यानि ईसा अलैहिस्सलाम अल्लाह के बेटे नहीं बल्कि एक रसूल हैं।  ऐसे ही जिब्राईल अलैहिस्सलाम भी ईश्वर नहीं है बल्कि फ़रिश्ते हैं जो अल्लाह के हुकुम के पाबंद हैं। 

निष्कर्ष 

फ़रिश्तो पर ईमान इस्लाम का बुनियादी हिस्सा है, इनका इंकार करना कुफ्र है।  जिब्राईल अलैहिस्सलाम फरिश्तों के सरदार हैं।  
अल्लाह तआला और नबी करीम ने बाज़ दफा जिब्राईल अलैहिसलाम और बाज़ दफा रुहुल क़ुद्दूस नाम से पुकारा है।  holy spirit रुहुल क़ुद्दूस का इंग्लिश तर्जुमा है। और क़ुरआन में इस अलफ़ाज़ का ट्रिनिटी से दूर दूर तक कोई नाता नहीं है।  ट्रिनिटी के अक़ीदे को क़ुरआन साफ़ और वाज़ेह अलफ़ाज़ में इंकार करता है।  

- फ़िज़ा खान 

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