फरिश्ते अल्-गैब की दुनिया का हिस्सा है हालांकि हम उन्हें देख नहीं सकते मगर वो हर पल हमारे साथ होते हैं। वो हमारी हर बात सुनते हैं, और हमारी हर हरकत उनकी निगाह में रहती है। यहाँ तक कि वो हमारे साथ ही रहते हैं, घूमते हैं, और जो कुछ हम करते हैं उसमे वो शामिल रहते हैं।
आइए फरिश्तों के की शानदार दुनिया के सफर पे चलें।
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तमाम तारीफ़ अल्लाह ही के लिये है जो आसमानों और ज़मीन का बनानेवाला और फ़रिश्तों को पैग़ाम पहुँचाने के लिये मुक़र्रर करनेवाला है। (ऐसे फ़रिश्ते) जिनके दो-दो और तीन-तीन और चार-चार बाज़ू हैं। वो अपनी मख़लूक़ की बनावट में, जैसा चाहता है, इज़ाफ़ा करता है। यक़ीनन अल्लाह हर चीज़ पर क़ुदरत रखता है।
कुर’आन 35:1
फरिश्तों पर ईमान, इस्लाम के अहमतरीन हिस्सों में से एक है। बल्कि ये ईमान के 6 अरकान में से एक है। लिहाज़ा फरिश्तों के वुजूद से इंकार कुफ्र के दायरे में आता है। फरिश्ते (angel) को अरबी में मलक (ملك) कहा जाता है और कई फरिश्तों (angels) के लिए अरबी अल्फाज़ मलाइका (ملاءكة) कहा जाता है। फरिश्ते अल्-गैब की दुनिया का हिस्सा है हालांकि हम उन्हें देख नहीं सकते मगर वो हर पल हमारे साथ होते हैं। वो हमारी हर बात सुनते हैं, और हमारी हर हरकत उनकी निगाह में रहती है। यहाँ तक कि वो हमारे साथ ही रहते हैं, घूमते हैं, और जो कुछ हम करते हैं उसमे वो शामिल रहते हैं।
आइए फरिश्तों के की शानदार दुनिया के सफर पे चलें। फरिश्तों में सबसे खास फरिश्ते हैं जिब्राईल अलैहिस्सलाम।
नूर से बने हुए
इंसान की तख्लीक मिट्टी से हुई है, वैसे ही फरिश्ते नूर यानी कि रोशनी के बने हुए हैं। ज्यादातर वो हमे दिखाई नहीं देते, मगर वो कभी-कभी हमें दिखाई दे सकते हैं। फरिश्ते अलग अलग रूप धारण कर सकते हैं, इंसान का भी।
फरिश्ते, इंसानो की तरह, खाते, सोते, थकते, बीमार होते या मरते नहीं हैं। उन्हें ना खाने की ज़रूरत ना पानी की, मगर वो रोशनी की रफ्तार से सफर करते हैं और उड़ते हैं। इस से ना वो थकते, ना कमज़ोर पड़ते ना ही मरते।
हम इंसान गुनाहो का पुतला है, गलतियां करता है। मगर फरिश्ते कभी कोई गलती नहीं करते। हम अपनी जिंदगी में मसरूफ होते हैं, पढ़ते हैं खेलते हैं काम करते हैं और कुछ वक़्त अल्लाह की इबादत करते हैं। मगर फरिश्ते, सारा वक्त अल्लाह की इबादत करते हैं और अल्लाह के हुक्म की पाबंदी करते हैं, 24x7।
दूसरे मजहब में अक्सर फरिश्तों को नन्हें बच्चे, खूबसूरत महिला जिनके पंख होते हैं, इस तरह की तस्वीरें बनाई जाती हैं। मगर इस्लाम हमें फरिश्तों की किसी भी तरह की तस्वीर बनाने की इजाज़त नहीं देता। क्योंकि हम उन्हें देख नहीं सकते, लिहाजा हम नहीं जानते वो कैसे दिखते हैं। इस्लाम में झूठ की कोई जगह नहीं है, इसलिए हमें कोई मनगढ़ंत तस्वीर नहीं बनाना चाहिए। कोई भी कलाकार उस खूबसूरती को कैनवास पे कैसे उतार सकता है जो अल्लाह ने फरिश्तों को दी है।
चूँकि फरिश्ते अपनी शक़्ल और आकार बदल सकते हैं, उन्हें किसी एक रूप पहचानना मुमकिन नहीं। जैसे जिब्राईल अलैहिस्सलाम जब पहली बार नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सामने आए थे उन्होंने सारा आसमान ढक लिया था, मगर जब ईसा अलै. की माँ मरियम अलै. के सामने आए तो आम आदमी की कद काठी के नज़र आए।
कुछ धर्म ग्रंथ ये दावा करते हैं के फरिश्ते गुनाह करतें हैं और बुरे काम करते हैं। ये दावा सच से कोसों दूर है।
कुरआन और सुन्नत से हमें मालूम होता है, फरिश्ते ग़लती और नाफ़रमानी से पाक हैं, उन्हें अल्लाह ﷻ ने नफ़्सानी ख्वाहिश (free will) नहीं दी। हालांकि फरिश्ते गुनाहों और ग़लती से पाक हैं, मगर वो दिव्य नहीं हैं। फरिश्ते अल्लाह के सच्चे और फरमाबरदार सेवक हैं।
फरिश्तों का मक़सद
अल्लाह ﷻ ने फरिश्तों को एक ख़ास मक़सद से बनाया है। वो मक़सद है अल्लाह की इबादत करना और अल्लाह के हुकुम की तामील करना।
रात-दिन उसकी तस्बीह (महिमागान) करते रहते हैं, दम नहीं लेते।
कुर’आन 21:20
हमें फरिश्तों से सीखना चाहिए के ज्यादा से अल्लाह की इबादत और हम्द ओ सना की जाए।
अल्लाह ने फरिश्तों की जिम्मेदारी में कई काम दे रखें हैं इस सारी सृष्टि का निज़ाम चलाने के लिए, उनमें से कुछ हैं-
इंसानो का ख़्याल रखना, अल्लाह की हुकुम की तामील करना, दुनिया और आखिरत में अल्लाह के आदेशों को मानना और पालन करना।
फरिश्ते (उनके काम) और इंसान
हमें ज़िंदगी मिलने के समय से लेकर हमारी मौत तक, और मौत के बाद भी फरिश्ते हमारे आसपास रहते हैं।
वो हमारा ख़्याल रखते हैं, सारी जिंदगी।
अल्लाह ﷻ इंसान से मुहब्बत करने वाला, और आदम की औलाद को इज़्ज़त बख्शने वाला है। अल्लाह ﷻ हम को खुश और सुरक्षित रखना चाहता है। लिहाज़ा हर इंसान के लिए उसने फरिश्ते मुक़र्रर कर दिए हैं। जो हमारी सुरक्षा करते हैं और हमारी हर अच्छी-बुरी बात और हरकत को लिखते हैं। अल्लाह ﷻ ने हमें इस बात की ख़बर दी ताकि हम जाने के हर बात लिखी जा रही है और हम चौकन्ने रहे और अच्छे कर्म करें। ताकि हम जन्नत जाने के क़ाबिल बन सकें।
फरिश्तों से हमारा रूहानी रिश्ता हमारी पैदाइश के दिन से भी पहले से शुरू हो जाता है। तबसे, जब हम अपनी माँ के पेट में एक खून का थक्का होते हैं। फरिश्ते ही अल्लाह के हुकुम से रूह, जान फ़ूकने आते हैं आइए नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से जाने इस को-
तुम्हारी पैदाइश की तैयारी तुम्हारी माँ के पेट में चालीस दिन ( नुत्फे के सूरत में) की जाती है और इतने ही दिनों एक पस्ता ख़ून की सूरत लिए रहता है और फिर उतने ही दिनों तक एक मजगा ए गोश्त बना रहता है। उसके बाद अल्लाह एक फरिश्ता भेजता है और उसे चार चीजें लिखने का आदेश देता है। उससे कहा जाता है- इसके अमल, इसका रिज्क, इसके मुद्दत ए ज़िंदगी (जीवन की अवधि) और ये के वह बुरा है या अच्छा है, लिख ले। अब इस नुत्फे में रूह डाली जाती है।
सही बुखारी 3208
कुछ अहम सबक
○ रूह डालने वाले फरिश्ते, माँ के पेट में गर्भ में रूह डालते हैं तब बच्चे में जान आती है, माँ के पेट के भीतर।
○ हर बच्चा अपनी पैदाइश से पहले ही 4 चीज़ें लिखा के लाता है-
-दौलत (रिज्क)
- जीवन अवधि
- आमाल
- जन्नत या जहन्नुम
○ हमारी जिंदगी की मुद्दत और हमारा माल (रिज्क) का फ़ैसला अल्लाह ﷻ हमारे पैदा होने से पहले कर देता है।
○ हमारे अच्छे और बुरे आमाल और अल्लाह की रहमत, हमारे जन्नत या जहन्नुम में जाने का कारण हैं, ये हम हमारी मर्जी से करते हैं।
○ चूंकि अल्लाह ﷻ अल्-अलीम है, जो हमारे भूतकाल, भविष्यकाल और वर्तमान सबकुछ जानने वाला है, तो वो पहले से ही जनता है हम क्या काम करने वाले हैं और क्या फैसले लेने वाले हैं। अल्लाह जानता है जो अमल हम करेंगे अपनी ज़िंदगी में, हमारी पैदाइश से पहले। चूँकि अल्लाह को पहले से हर बात का इल्म है, हमारे हर फैसले और अमल का, वो ये भी पहले से ही जानता है के हम जन्नत जाने लायक अमल करेंगे या जहन्नुम जाने वाले।
कुर’आन में कम से कम तीन आयात में हमें इस बात की तस्दीक मिलती है के अल्लाह हर इंसान की हिफाज़त के लिए फरिश्ते मुक़र्रर कर रखें हैं। अल्लाह ﷻ फरमाता है-
हर आदमी के आगे और पीछे उसके मुक़र्रर किये हुए निगराँ लगे हुए हैं, जो अल्लाह के हुक्म से उसकी देखभाल कर रहे हैं।
कुर’आन 13:11
ये फरिश्ते इंसान के सामने और पीछे की तरफ मुक़र्रर हैं। जो बुरे जिन्न और श्यातीन के हमलों और नुकसान से हिफाज़त करते हैं। अल्लाह के हुकुम से ही किसी भी इंसान को नुकसान पहुंचता है और उसमे अल्लाह की हिकमत होती है। कई मुसीबतें इंसान की अपनी गलतियों की सज़ा होती है, कुछ मुसीबतें इंसान के ईमान और सब्र की आजमाइश के लिए आती है या अल्लाह उनके बदले में उन्हें बेहतरीन अजर देना चाहते हैं।
सुरह इंफितार में अल्लाह ﷻ फरमाता है
हालाँकि तुमपर निगराँ मुक़र्रर हैं, ऐसे मुअज़्ज़ज़ कातिब, जो तुम्हारे हर फ़ैल को जानते हैं।
कुर’आन 82:10-12
और सुरह काफ़ में फरमाता है
दो कातिब उसके दाएँ और बाएँ बैठे हर चीज़ लिख रहे हैं। कोई लफ़्ज़ उसकी ज़बान से नहीं निकलता जिसे महफ़ूज़ करने के लिये एक हाज़िर-बाश निगराँ मौजूद न हो।
कुरआन 50:17-18
इन आयात से वाजेह हो जाता है, के हमारा हर अच्छा-बुरा अमल हर बात लिखी जा रही है। इसकी अगली आयत में इनका नाम “रकीब” और “अतीद” आया है, जो हर वक़्त हम पे नज़र रखे हुए हैं और लिखने को तैयार रहते हैं। जब हम कोई अच्छी बात कहते या करते हैं तो वो बात फौरन लिख ली जाती है, हर एक नेक काम के बदले क़यामत में हमे 10 हस्नात या नेकी मिलेंगी, और एक मुस्लिम गुनाह करता है तो उसे सिर्फ एक बदी मिलती है। ये एक छोटी सी निशानी है अल्लाह के बेशुमार रहमत की-
जो अल्लाह के पास नेकी लेकर आएगा उसके लिये दस गुना अज्र है और जो बदी लेकर आएगा उसको उतना ही बदला दिया जाएगा जितना उसने क़ुसूर किया है, और किसी पर ज़ुल्म न किया जाएगा।
कुरआन 6:160
जब मोमिन को मदद की ज़रूरत होती है तो अल्लाह फरिश्तों को उनकी मदद का हुकुम देते हैं। कुर’आन और हदीस से मालूम होता है कई जंग में मुसलमानो की मदद के लिए अल्लाह ने फरिश्तों की फौज भेजी। जंग ए बद्र, अल् खंदक और हूनैन की जंग में अल्लाह ने गैब से फरिश्तों की फौज भेजी और उन्होंने मुसलमानो की मदद की। सूरत उल् अन्फाल में अल्लाह ﷻ जंग ए बद्र का बयान फरमाता है-
और वो वक़्त जबकि तुम्हारा रब फ़रिश्तों को इशारा कर रहा था कि “मैं तुम्हारे साथ हूँ, तुम ईमानवालों को जमाए रखो, मैं अभी इन काफ़िरों के दिलों में रौब डाले देता हूँ, तो तुम उनकी गर्दनों पर मारो और जोड़-जोड़ पर चोट लगाओ।”
कुर’आन 8:12
सूरत उल् अहजाब में अल्लाह ﷻ गज़वा ए खंदक का बयान फरमाता है-
ऐ लोगो! जो ईमान लाए हो, याद करो अल्लाह के उस एहसान को जो (अभी-अभी) उसने तुमपर किया है। जब लश्कर तुमपर चढ़ आए तो हमने उनपर एक सख़्त आँधी भेज दी और ऐसी फ़ौजें रवाना कीं जो तुमको नज़र न आती थीं। अल्लाह वो सब कुछ देख रहा था जो तुम लोग उस वक़्त कर रहे थे।
कुर’आन 33:9
सिर्फ जंग में नहीं मगर और मौकों पर भी अल्लाह मोमिन की मदद को फरिश्ते भेजता है। जैसा कि कुर’आन मे बयान है नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को हिजरत के वक़्त मुश्रिकिन ए मक्का से हिफाज़त के लिए अल्लाह ने फरिश्ते भेजे। जिस वजह से दुश्मन नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और सहाबा को ढूँढ नहीं पाए।
मलक उल् मौत, और उनके मददगार साथी फरिश्ते, इंसान की रूह कब्ज करने के लिए जिम्मेदार हैं। यही इंसान की मौत की वजह होती है और इसी वजह से इनको मौत का फरिश्ता भी कहा जाता है।
इनसे कहो, “मौत का वो फ़रिश्ता जो तुमपर मुक़र्रर किया गया है, तुमको पूरा का पूरा अपने क़ब्ज़े में ले लेगा और फिर तुम अपने रब की तरफ़ पलटा लाए जाओगे।
कुरआन 32:11
मौत एक दर्दनाक मौका होता है हर एक के लिए, मोमिन हो या काफ़िर। लेकिन काफ़िर/ गुनाहगार मुस्लिम के मुकाबले में नेक मोमिन की मौत आसान और शांति से होती है। नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मौत के वक़्त बहुत थोड़ी सी तकलीफ़ महसूस की। कुछ अहादीस के मुताबिक, मलक उल् मौत मोमिन और नेक लोगों की रूह बहुत आराम से आहिस्ता से कब्ज करता है, जैसे किसी ग्लास से बूंद बूंद पानी की धारा बह रही हो. मगर, हक़ का इन्कार करने वाले की रूह को दर्दनाक तरिके से चीर कर अलग किया जाता है। बहुत सी पुरानी किताबें मौत के फरिश्ते का नाम अजराईल या इज़राईल बताती हैं जिसका मतलब है अल्लाह के द्वारा मदद किया गया। मुस्लिम इस नाम को इस्तेमाल नहीं करते क्योंकि कुर’आन और हदीस में ये नाम मौजूद नहीं है।
जैसे ही किसी मुर्दा को कब्र में उतारा जाता है, दो फरिश्ते नीले-काले से रंग के उसके पास आते हैं और उसे जगाते हैं। फिर अल्लाह उसकी रूह वापस भेज देते हैं, अब रूह को जिस्म पे अख्तियार नहीं रहता।
नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया - फिर उसके पास दो फ़रिश्ते आते हैं , उसे बैठाते हैं और उससे पूछते है
■ तुम्हारा रब (माबूद) कौन हैं?
■तुम्हारा दीन क्या है?
■ये (रसूल) कौन है जो तुममें भेजे गये थे?
■ तुम्हें ये कहाँ से मालूम हुआ?
(सुनन अबू दाऊद : 4753)
मोमिन सारे सवालों के सही जवाब देते हैं, उनका आगे का सफर कब्र में आसानी से गुज़रता है, वही काफ़िर जवाब नहीं जानते होंगे और उन्हें सज़ा मिलना कब्र से ही शुरू हो जाएगी।
फरिश्ते और आखिरत
इस जिंदगी में आमतौर पे फरिश्ते हम देख नहीं सकते, मगर आखिरत में ऐसा नहीं होगा। जैसे ही हमे दोबारा जिंदा किया जाएगा, हमे अपने आसपास फरिश्ते नजर आयेंगे। आइए जानते हैं तब फरिश्ते क्या करेंगे-
अल्लाह के हुकुम से इस्राफील अलै. सूर फ़ूकेगे, सारी क़ायनात में ज़लज़ला आ जाएगा और दुनिया तहस-नहस हो जाएगी। कुछ वक़्त बाद अल्लाह के हुकुम से दोबारा इस्राफील अलै. सूर फ़ूकेगे, जिस की दहाड़ से सारे इंसान मौत की नींद से दोबारा उठाये जायेंगे, क़यामत का आगाज होगा। सुरह ज़ुमूर में अल्लाह ﷻ फरमाता है
और उस दिन सूर (नरसिंघा) फूँका जाएगा और वो सब मरकर गिर जाएँगे जो आसमानों और ज़मीन में हैं सिवाय उनके जिन्हें अल्लाह ज़िन्दा रखना चाहे। फिर एक दूसरा सूर फूँका जाएगा और यकायक सबके-सब उठकर देखने लगेंगे।
कुर’आन 39:68
जब सारे इंसान दोबारा उठाए जाएंगे, एक बहुत बड़ी ज़मीन में इकठ्ठा होंगे अर्द उल् मशहर या हश्र का मैदान। सारे लोगों को फरिश्ते अल्लाह ﷻ के सामने हाज़िर करेंगे, जो हर एक की ज़िंदगी का हिसाब किताब शुरू करेगा। अल्लाह ﷻ अपने तख्त पर विराजमान होंगे जिन्हें 8 बड़े फरिश्ते ने उठाया हुआ होगा जिनका ज़िक्र हमलत उल् अर्श حملةالعرش के नाम से किया गया। अल्लाह ﷻ सूरत उल् हक्क में फरमाता है –
फ़रिश्ते उसके चारों तरफ़ होंगे और आठ फ़रिश्ते उस दिन तेरे रब का अर्श अपने ऊपर उठाए हुए होंगे। वो दिन होगा जब तुम लोग पेश किये जाओगे, तुम्हारा कोई राज़ भी छुपा न रह जाएगा।
कुर’आन 69:17-18
नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया य फरिश्ते इतने बड़े होंगे के इनके कान से गर्दन तक कि मुसाफत (distance) 700 बरस होगा। बदले के दिन यानी कि यौम उल् क़यामत 50,000 साल के बराबर होगा हर किसी को उसका नामा ए आमाल (record of deeds) दिया जाएगा। नेक लोगों को उनका नामा ए आमाल सीधे हाथ मे दिया जाएगा और बाकी लोगों को बाएं हाथ में दिया जाएगा। उसके बाद फरिश्ते एक एक करके उनके नाम पुकारेंगे जिनका हिसाब लिया जाएगा। जो मोमिन होंगे और उन्हें नेक अमल किए होंगे उन्हें बहुत आसान हिसाब लगेगा और फरिश्ते उनका जन्नत में स्वागत करेंगे। और काफ़िर और गुनाहगार मुस्लिम को घसीट कर जहन्नुम में डाला जाएगा।
कुछ फरिश्ते हैं जिन्हें जन्नत के 8 दरवाजों पर मुक़र्रर किया गया है। और कुछ को जन्नत में रहने वालों के इन्तेजाम और उनकी मदद के लिए रखा है। सुरह ज़ुमूर में अल्लाह ﷻफरमाता है –
और जो लोग अपने रब की नाफ़रमानी से बचते थे, उन्हें गरोह दर गरोह जन्नत की तरफ़ ले जाया जाएगा। यहाँ तक कि जब वो वहाँ पहुँचेंगे और उसके दरवाज़े पहले ही खोले जा चुके होंगे, तो उसके इन्तिज़ाम करनेवाले उनसे कहेंगे कि “सलाम हो तुमपर, बहुत अच्छे रहे, दाख़िल हो जाओ इसमें हमेशा के लिये।”
कुर’आन 39:73
खाज़िन उल् जन्नत, जो जन्नत के दरोगा फरिश्तों का सरदार हैं उनका नाम रिदवान (अलै.) है।
जहन्नुम पर भी फरिश्ते मुक़र्रर हैं, खाज़िन-उन-नार, जहन्नुम के दरोगा के सरदार फरिश्ते मालिक (अलै.) हैं।
अल्लाह ﷻ फरमाता है-
रहे मुजरिम लोग, तो वो हमेशा जहन्नुम के अज़ाब में मुब्तला रहेंगे, कभी उनके अज़ाब में कमी न होगी और वो उसमें मायूस पड़े होंगे। उनपर हमने ज़ुल्म नहीं किया, बल्कि वो ख़ुद ही अपने ऊपर ज़ुल्म करते रहे। वो पुकारेंगे, “ऐ मालिक, तेरा रब हमारा काम ही तमाम कर दे तो अच्छा है।” वो जवाब देगा, “तुम यूँ ही पड़े रहोगे, हम तुम्हारे पास हक़ लेकर आए थे, मगर तुममें से ज़्यादातर को हक़ ही नागवार था।”
कुर’आन 43:74-78
मालिक अलै. के मातहत् 19 फरिश्ते हैं जो जहन्नुम के दरोगा हैं। और अनगिनत फरिश्ते इनके मातहत हैं जो गुनाहगारों को सज़ा देते हैं। अल्लाह ﷻ सूरत उल् मुदस्सर में फरमाता है-
और तुम क्या जानो कि क्या है वो दोज़ख़? न बाक़ी रखे न छोड़े। खाल झुलसा देनेवाली। उन्नीस कारकुन उस पर मुक़र्रर हैं।
कुर’आन 74:27-30
अल्लाह ﷻ के हुकुम को फरिश्ते बिना किसी सवाल के पलकें झपकते पूरा करते हैं। कुछ अदद उदाहरण-
क़ायनात के मुख्तलिफ काम
फरिश्ते अल्लाह ﷻ की हुकुम तामील करते हैं और क़ायनात का निज़ाम और इन्तेजाम करते हैं। अल्लाह ﷻ के हुकुम से मौसम, ग्रह, उपग्रह का निज़ाम चलाते हैं। मोमिन को नेक काम करने को उकसाते है और जन्नत में बुरे जिन्न दूर रखते हैं। सबसे ज़रूरी काम अल्लाह ﷻ के पैगाम, रसूल और नबी तक पहुंचाते है।
कितनी बार आपने सुना है मौसम के हाल (weather forecast) जो न्यूज में बताया गया, ग़लत निकला? कुछ समय पहले अमेरिका के मशहूर मीटरियोलॉजिस्ट ने अनुमानित किया था के चक्रवात रीटा ह्यूस्टन शहर से टकराएगा. डर फैल गया, पूरा शहर खाली कराया गया, क्योंकि इससे पहले कैटरीना चक्रवात की तबाही देखी जा चुकी थी।
मगर, ह्यूस्टन के बजाय चक्रवात रिटा ने दूसरी जगह चुनी और ह्यूस्टन को बख्श दिया। मीटरियोलॉजिस्ट विज्ञान और वेदर फ़ॉरकास्ट की समझ रखते हैं, मगर अल्लाह ही का फैसला आखिरी है ना सिर्फ़ मौसम बल्कि सृष्टि की हर चीज़ में।
अल्लाह ﷻ फरिश्ते मिकाईल अलै. को हुकुम देता मौसम की फेरबदल का, अल्लाह ﷻ की मर्ज़ी से वो बादलों को और हवा को चलाते हैं।
दुर्भाग्यवश आज हम weather forecast पे ज़्यादा भरोसा करते हैं, सच को स्वीकारने के बजाय।
जिब्राईल अलैहिस्सलाम सबसे ख़ास फरिश्ते हैं। इनका नाम रूह उल् कुद्दूस भी है। इनकी जिम्मेदारी अल्लाह ﷻ का पैगाम और इलहामी किताबों को रसूल और नबियों तक पहुंचाना है। जिब्राईल अलैहिस्सलाम ने कुर’आन को नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तक पहुंचाया।
जिब्राईल अलैहिस्सलाम के बारे मे और पढ़ें।
-फ़िज़ा ख़ान
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