अर रशीद, इसके रूट है- ر-ش-د , जिसका मतलब है राह दिखाने वाला, सीधे रास्ते पे चलाने वाला, रहनुमाई करने वाला, The Guide, Infallible Teacher. अर रशीद, वो ज़ात जिसने मखलूक की रहनुमाई उसके फायदेमंद चीज़ की तरफ़ की।
अर रशीद- ٱلْرَّشِيدُ
अल्लाह ﷻ नाम सर्वशक्तिमान, सारी क़ायनात बनाने वाले ख़ालिक का वो नाम है, जो कि सिर्फ उस ही के लिए है और इस नाम के अलावा भी कई और नाम अल्लाह के हैं जो हमे अल्लाह की खूबियों से वाकिफ़ करवाते हैं। अल्लाह ﷻ के ही लिए हैं खूबसूरत सिफाती नाम। इन को असमा-उल-हुस्ना कहा जाता है। ये नाम हमें अल्लाह की खूबियाँ बताते हैं। अल्लाह के खूबसूरत नामों में से एक नाम है अर रशीद।
अर रशीद, इसके रूट है- ر-ش-د , जिसका मतलब है राह दिखाने वाला, सीधे रास्ते पे चलाने वाला, रहनुमाई करने वाला, The Guide, Infallible Teacher. अर रशीद, वो ज़ात जिसने मखलूक की रहनुमाई उसके फायदेमंद चीज़ की तरफ़ की। अल्लाह के 99 नाम में से 81 नाम कुर’आन में मौजूद है। बाकी 18 में अलग अलग स्कॉलर की अलग अलग राय है। अर रशीद, उन 18 नाम में से है जो कुछ स्कॉलर की लिस्ट में नहीं है हालांकि इब्न अरबी र.अलै., इमाम बेहक़ी र.अलै., इमाम ग़जाली र.अलै. की लिस्ट में ये नाम शामिल है, मगर इब्न ए वज़ीर, इब्न हज्म की लिस्ट में नहीं है।
राशिद उस इंसान को कहा जाता है जो इल्म रखता हो और सही दिशा मे बढ़ रहा हो या जिसके अंदर सच्चा ईमान हो। मुर्शिद, अरबी मे गुरु को कहा जाता है जो समान रूट से बना है - ر-ش-د, गुरु का काम होता है गाइड करना।
दीन के मामले में कोई ज़ोर-ज़बरदस्ती नहीं है। सही रास्ता ग़लत ख़यालात से अलग छाँटकर रख दिया गया है। अब जो कोई ताग़ूत का इनकार करके अल्लाह पर ईमान ले आया, उसने एक ऐसा मज़बूत सहारा थाम लिया जो कभी टूटने वाला नहीं और अल्लाह सब कुछ सुनने वाला और जानने वाला है।
कुर’आन 2:256
इस आयत में लफ्ज़ रुश्दी, हिदायत, सीधे रास्ते, सच के लिए इस्तेमाल हुआ है। जब भी कोई राह सुझाई ना दे, अल हादी, अर रशीद के नाम से अल्लाह से हिदायत मांगें। इसी तरह - ر-ش-د, इस आयत में भी आया है-
और ये कि "हम में से कुछ मुस्लिम (अल्लाह के इताअत गुज़ार) हैं और कुछ हक़ से मुन्हरिफ़ (फिरे हुए), तो जिन्होंने इस्लाम (इताअत का रास्ता) इख़्तियार कर लिया उन्होंने नजात की राह ढूँढ ली।
कुर’आन 72:14
रोज़ाना हर नमाज़ में कई दफा अल्लाह से मदद मांगते हैं, और कई दफा पुकारते हैं-
हम तेरी ही इबादत करते हैं और तुझी से मदद माँगते हैं। हमें सीधा रास्ता दिखा।
कुरआन 4-5
अल्लाह ने इंसान को कमजोर बनाया है, उसकी नफ़्स उसके साथ हर वक्त साथ-साथ होती है। कभी इधर कभी उधर, किसी वसवसे से भटक जाए। हम सबको बार बार भटकने के बावजूद बार बार सीधा रास्ता दिखाने वाला, अर रशीद।
हमे हर पल हर लम्हा आजमाया जा रहा है, ये दुनिया एक आजमाइश ही की जगह है। ईमान वालों के लिए ये आजमाइश कोई आसान राह नहीं। वो अर रशीद है, जो मुस्तकिल हमें सीधी राह दिखाता है, हमारी और हमारे ईमान की हिफाज़त करता है।
जिस तरह खाना, पीना, सोना इंसान की रोज़ की ज़रूरत है, उसी तरह हिदायत की भी इंसान को मुस्तकिल ज़रूरत है। अर रशीद, वो हस्ती है जो हमे बार बार डगमगाने से बचाता है।
अर रशीद, वो हस्ती जिसने बन्दे की रहनुमाई उसके फायदे की तरफ़ की, बन्दे को खुद नहीं पता होता उसके लिए क्या बेहतर है। इंसान कितनी प्लानिंग करता है, नयी नयी चीज़ें निकालता है, कभी उसके प्लान क़ामयाब होते हैं, कभी नहीं होते। अर रशीद, उसके फायदेमंद प्लान को क़ामयाब करने वाला और उसको नुकसान से बचाने वाला। कई बार नुकसान भी होता है, तो वो नुकसान जो हमे नुकसान लगता है वो अर रशीद की हिकमत है, के उस नुकसान ही में हमारी बेहतरी होती है, जो हम नहीं जानते।
अर रशीद, जो इंसान, जानवर, परिंदे, मछली, पेड़, हवा, पानी, सूरज, चांद, धरती , क़ायनात के हर ज़र्रे को उसकी राह दिखाने और उसपे चलाने वाला। मछली के बच्चों को पैदा होते ही तैरना सिखाने वाला, और जानवरों को पैदा होते ही चलना सिखाने वाला। समुन्दर से पानी को आसमान का रास्ता दिखाने वाला, और बादलों को ज़मीं के ऊपर पहुंच कर बरसात करने का रास्ता दिखाने वाला-
और वो अल्लाह ही है जो हवाओं को अपनी रहमत के आगे-आगे ख़ुश-ख़बरी लिये हुए भेजता है, फिर जब वो पानी से लदे हुए बादल उठा लेती हैं तो उन्हें किसी मुर्दा ज़मीन की तरफ़ चला देता है और वहाँ पानी बरसाकर [उसी मरी हुई ज़मीन से] तरह-तरह के फल निकाल लाता है।
कुर’आन 7:57
जी, हर एक को सही और मुफीद राह पर चलाने वाला। और अर रशीद, हर मोमिन को नेकी, और जन्नत की तरफ़ जाने की राह दिखाने वाला। हम कोई नेकी भी करने की कुव्वत नहीं रखते अगर अल्लाह हमे वो राह ना दिखाता।
अर रशीद, हर काम, हर राह, हर रहनुमाई करता है बिना किसी की सलाह या मदद के। अर रशीद, वो ज़ात है, जो बंदों में से जिसे चाहता है नेकी की राह पे ले जाता है, और जिसे चाहते है खुद से दूर कर देता है।
अर रशीद की किसी तदबीर में कोई गलती नहीं होती, अर रशीद गुमराह जिन्हें करता है वो हिकमत से भरा फैसला होता है। और हिदायत मांगने वालों को मिलती है। अगर किसी को भूख ही ना लगी हो, फिर चाहे 56 भोग उसके सामने रख दिए जाए, कोई फ़ायदा नहीं। उसी तरह जब तक हम हिदायत मांगेंगे नहीं, अल्लाह हमे हिदायत नहीं देगा। हिदायत मांगिये और बार बार मांगिये। अल्लाह सब सुनने वाला और कुबूल करने वाला है।
ये अल्लाह की निशानियों में से एक है, जिसको अल्लाह रास्ता दिखाए वही रास्ता पानेवाला है और जिसे अल्लाह भटका दे, उसके लिये तुम कोई रास्ता दिखानेवाला सरपरस्त नहीं पा सकते।
कुर’आन 18:17
बेशक मेरा रब सीधी राह पर है।
कुर’आन 11:56
नबियों को रास्ता दिखाने वाला-
उससे भी पहले हमने इब्राहीम को उसकी समझ बूझ दी थी।
कुरआन 21:51
इब्राहिम अलै. के आसपास कुफ्र और शिर्क, बुत परस्ती फैली थी। उस माहौल में अल्लाह तआला उनको हक्क का रास्ता दिखाया। अल्लाहूअकबर। अल्लाह हर एक को सही और सीधा रास्ता बताता है।
हिदायत का ज़रिया भी कुछ ना कुछ होता है, जैसे किसी को कोई बात सुनकर या किसी के नेक अमल देख कर, किसी को कोई दोस्त, उस्ताद, माँ बाप, तो किसी को कहीं किसी किताब से, किसी को जिंदगी की दुख तकलीफ़ से हिदायत मिलती है। हिदायत का ज़रिया कोई भी हो लेकिन हर इंसान के अंदर ख़ैर और रुश्द अल्लाह ﷻ ने बनाई है। जब कोई भी मामलात होते हैं, अल्लाह की हिदायत और रहनुमाई हर वक्त साथ होती है, जब भी कोई गलत काम इंसान करता है उसको अल्लाह की दी हुई ख़ैर बताती है के ये ग़लत है। फिर इंसान जिसे हिदायत पकड़ना होती है वो ग़लत काम से रुक जाता है और पछताता है और जिसे हिदायत से मुह मोड़ना होता है वो शर को चुन लेता है।
ये पूरी क़ायनात अर रशीद की रहनुमाई पे अपना काम कर रहा है। अर रशीद, ने जानवरों को सही रास्ता दिखाता है। अपने खाने का रास्ता ढूंढ लेते हैं, झुंड का रास्ता ढूँढ लेते हैं, अपनी जान बचाने का रास्ता ढूंढते लेते हैं। परिंदे अपने घोंसले के रास्ते पे चलते पहुंचे जाते।
हर इंसान चाहे अपने लिए जो राह चुने, चाहे नेकी की या बदी की, अर रशीद उसको उसकी पसंद की राह दिखाता जाता है और उसकी राह आसान बनाता जाता है। और ये दुनिया आराम के लिए नहीं बल्कि आजमाइश के लिए है। और हर इंसान को अपने रब से मुलाकात करना ही है। और अगर हम बुराई का ग़लत रास्ता चुन लेते हैं तो आखिरत में बुरा ठिकाना है।
बहुत ही पाक और बरतर है वो जिसके हाथ में कायनात की सल्तनत है, और वो हर चीज़ पर क़ुदरत रखता है। जिसने मौत और ज़िन्दगी को बनाया ताकि तुम लोगों को आज़मा कर देखे कि तुममें से कौन बेहतर अमल करनेवाला है, और वो ज़बरदस्त भी है और दरगुज़र करनेवाला भी।
कुर’आन 67:1-2
अल्लाह ने हमे बनाया है इसलिए है के देखें कि कौनसा रास्ता हम चुनते हैं नेकी का या बदी का। और हमारा हर एक कदम अपने रब की तरफ़ बढ़ने वाला कदम है। हर पल गुजरने के साथ अपने अपने रब से मुलाकात के करीब होते जा रहे हैं। और हमारा रब हर मौके पर हमारे लिए तौबा के दरवाज़े खुले रखता है, हमारे अंदर सही और गलत को समझने की सलाहीयत देने वाला- अर रशीद।
फिर उस के दिल मे डाली उस की बुराई और उस की अच्छाई (परहेज़गारी)
क़ुरआन 91:8
अल्लाह ने इंसान के अंदर अच्छाई और बुराई दोनों के रुझानात और मैलानात रख दिए है जिसको हर शख्स अपने अंदर महसूस करता है। हर इंसान के अचेतन (sub concious) में अल्लाह ने ये तसव्वुरात रख दिए है कि अख़लाक़ में कोई चीज़ भलाई है और कोई चीज़ बुराई। अच्छे अख़लाक़ व आमाल और बुरे अख़लाक़ व आमाल बराबर नही है। बदकिरदारी एक बुरी चीज है और बुराइयों से बचना एक अच्छी चीज है। ये तसव्वुरात इंसान के लिए अज़नबी नही है। बल्कि उसकी फितरत उसको पहचानती है और खालिक (creator) ने बुरे और भले की तमीज़ उसको पैदाइशी तौर पर उसको अता कर दी है।
यही बात सूरह वलद में फरमाई गई है कि;
और हमने इनको (इंसानों को) अच्छाई और बुराई के दोनों नुमाया रास्ते दिखा दिए।
क़ुरआन 90:10
इसी को सूरह दहर मे इस तरह बयान किया गया है कि;
हमने इसको (इंसान को) रास्ता दिखा दिया चाहे शुक्र करने वाला बने या नाशुक्रा।
क़ुरआन 71:3
और इसी बात को सूरह कियामा में इस तरह बयान किया गया है कि
इंसान के अंदर एक नफसे-लव्वामा (जमीर) मौजूद है जो बुराई करने पर उसे मलामत करता है।
क़ुरआन 75:2
और हर इंसान चाहे कितनी ही मआजरतें (बहाने) पेश करे मगर वो अपने आपको ख़ूब जानता है कि वो क्या है।
क़ुरआन 75:14-15
अल्लाह ने ही इंसान के अंदर अच्छाई और बुराई का फ़र्क़ रखा है। ये फ़र्क़ और अहसास एक आलमगीर हकीकत है जिसकी बिनाह पर दुनिया मे कभी कोई इंसानी समाज अच्छाई और बुराई के तसव्वुरात से खाली नही रहा है, और कोई ऐसा समाज न तारीख में कभी पाया गया है न अब पाया जाता है जिसके निज़ाम में भलाई और बुराई पर इनाम या सज़ा की कोई न कोई सूरत इख्तियार न की गई हो। इस चीज़ का हर जमाने, हर जगह और तहजीब व संस्कृति के हर मरहले में पाया जाना इसके फ़ितरी होने का वाज़ेह सबूत है और मज़ीद ये इस बात का सबूत भी है कि एक खालिक (creator) ने इसे इंसान की फितरत मे फिट किया है, क्योंकि जिन हिस्सों में इंसान बना है और जिन कानूनों के तहत दुनिया का माददी निज़ाम चल रहा है उनके अंदर कही अख़लाक़ के माखज (resourse) की निशानदेही नही की जा सकती।
अल वारिस Asma ul Husna अस सबूर
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