अल-वारिस का रूट है و-ر-س- - यानी वारिस, उत्तराधिकारी, किसी इंसान के खत्म होने के बाद उसकी हर चीज़ का मालिक होना। अल्लाह, अल्-अव्वल है, जो सबसे पहला है, और सारी दुनिया के हर मखलूक के फना होने के बाद बाकी रहने वाला है। हर चीज़ जो हमारी मिल्कियत में है, वो अल्लाह की अता की हुई अमानत है, और हमारे बाद उसकी हर अमानत का वारिस अल्लाह है। उसके ही पास हर चीज़ लौटना है।
अल-वारिस الْوَارِثُ
अल्लाह ﷻ नाम सर्वशक्तिमान, सारी क़ायनात बनाने वाले ख़ालिक का वो नाम है, जो कि सिर्फ उस ही के लिए है और इस नाम के अलावा भी कई और नाम अल्लाह के हैं जो हमे अल्लाह की खूबियों से वाकिफ़ करवाते हैं। अल्लाह ﷻ के ही लिए हैं खूबसूरत सिफाती नाम। इन को असमा-उल-हुस्ना कहा जाता है। ये नाम हमें अल्लाह की खूबियाँ बताते हैं। अल्लाह के खूबसूरत नामों में से एक नाम है अल-वारिस।
अल-वारिस का रूट है و-ر-س- - यानी वारिस, उत्तराधिकारी, किसी इंसान के खत्म होने के बाद उसकी हर चीज़ का मालिक होना, The Heir, The Inheritor of All. विरासत पाने का क्या मतलब है? यह आम तौर पर पैसे, संपत्ति, या कुछ भौतिक चीज़ों का एक इंसान के मरने के बाद, उससे दूसरे के पास जाने को कहते है। यह आम तौर पर परिवार में गुजरने वाले माता-पिता से उनके पास जो भी धन था उनके औलाद और दूसरे वारिसों में तकसीम होता है। यानी वारिस वो जो बाकी हो, दूसरे के फना होने के बाद। अल्लाह ﷻ फरमाता है-
हर चीज़ जो इस ज़मीन पर है ख़त्म हो जाने वाली है, और सिर्फ़ तेरे रब की जलील व करीम ज़ात ही बाक़ी रहने वाली है।
कुर’आन 55:26-27
हक़ीक़त ये है के अल्लाह अज़ल से अबद तक है, ना उससे पहले कोई है, ना उसके बाद कोई और, सब चीज़ों को पैदा करने वाला भी वही है, सबका मालिक भी वही है, और सब चीज़ों को पैदा करने के बाद इंसानो की मिल्कियत में देने वाला भी वही।
जब इंसान दुनिया में आता है तो खाली हाथ आता है, जब बड़ा होता है तो कुछ कमाता है, कुछ जोड़ता है, कुछ माँ बाप से मिलता है, इंसान कुछ सम्पत्ति का मालिक बन जाता है। फिर आखिरकार वो दुनिया को अलविदा कह देता है, और जो कुछ उसने जोड़ा, सब कुछ अपने पीछे छोड़ जाता है। जो कुछ इंसान अपने पीछे छोड़ जाता है, वो उसके बाद वालों के हिस्से में आता है, ये उसके वारिस कहलाते हैं। फिर वो वारिस भी चले जाते हैं, और उनके बाद के वारिस आ जाते हैं। इस तरह ये सिलसिला चलता रहेगा। यहाँ तक कि सारे वारिस खत्म हो जाएंगे सिर्फ अल्लाह ही बाकी रहेगा। अल्लाह ही हक़ीक़ी वारिस है, जिसको ना मौत आएगी, और हमेशा हमेशा के लिए बाकी है।
अल्लाह, अल्-अव्वल है, जो सबसे पहला है, और सारी दुनिया के हर मखलूक के फना होने के बाद बाकी रहने वाला है। हर चीज़ जो हमारी मिल्कियत में है, वो अल्लाह की अता की हुई अमानत है, और हमारे बाद उसकी हर अमानत का वारिस अल्लाह है। उसके ही पास हर चीज़ लौटना है।
सब के बाद मौजूद रहने वाला, अल्लाह वो है के जो अपनी मखलूक को फना करने के बाद भी बाकी रहने वाला है, और हर फना होने वाली मखलूक को अल्लाह ही सामने पेश होना है, अल्लाह ने बंदो को जो कुछ दिया है वो अल्लाह ता’अला की अमानते है। अल्लाह ﷻ फरमाता है-
ज़मीन और आसमानों की मीरास (विरासत) अल्लाह ही के लिये है, और तुम जो कुछ करते हो अल्लाह उसे जानता है।
कुर’आन 3:180
अल-वारिस ﷻ, हर एक के फना होने के, ख़त्म होने के बाद, क़यामत में फरमाएगा-
वो दिन जबकि सब लोग बेपर्दा होंगे, अल्लाह से उनकी कोई बात भी छिपी हुई न होगी। (उस दिन पुकारकर पूछा जाएगा) “आज बादशाही किसकी है?” (सारा जहाँ पुकार उठेगा) “अकेले अल्लाह की जो सबपर हावी है।”
कुरआन 40:16
अल्लाह ही ने दुनिया की सारी चीज़ें हमारे फायदे के लिए हमें अता की हैं, और ये सारी चीजें जिन्हें आज हम हक से अपनी मिल्कियत समझ रहे हैं, अल्लाह ﷻ को ही विरासत हो जानी है। इंसान खुद को जिन असबाब-सामान का मालिक समझता है, जो अल्लाह ने दी हैं, सब खत्म हो जाएगा। और इंसान भी। असबाब-सामान और इंसान, सब अल्लाह ही पर निर्भर है। अल्लाह जिसे जो चाहता देता है और अल्लाह ﷻ ही सबका असली वारिस और मालिक है। अल्लाह ﷻ फरमाता है-
ज़िन्दगी और मौत हम देते हैं और हम ही सबके वारिस होने वाले हैं।
कुर’आन 15:23
जो कुछ अल्लाह के बनाए हुए मखलूक की सम्पत्ति है सब कुछ अल्लाह के पास वापस जाएगा, और इस मिल्कियत में अल्लाह के सिवा किसी का हक नहीं, ना अल्लाह का कोई साझी। अल्लाह ﷻ फरमाता है-
और हम ये इरादा रखते थे कि मेहरबानी करें उन लोगों पर जो ज़मीन में रुसवा करके रखे गए थे और उन्हें पेशवा बना दें और उन्हीं को वारिस बनाएँ।
कुरआन 28:5
बहुत से लोग इस गलतफहमी में रहते के ये माल दौलत शौक़त इज़्ज़त घर दुकान कपड़े, ये सब कुछ उनका अपना है, और ये अल्लाह की नेमते जो उन्हें दी गई है, वो उसके मालिक है, उनके सामने सच्चाई क़यामत दिन आएगी। हकीकत ये है अल्लाह ही जिसे चाहे वारिस बना दे, और जब चाहे सब कुछ छीन ले।
एक अमीर आदमी की मय्यत में एक दोस्त ने दूसरे से पूछा “ये कितना कुछ छोड़ के गया होगा?”
तो दूसरे ने जवाब दिया “सब कुछ”
यहाँ समझने वाली बात है के हम अपने साथ एक तिनका भी नहीं ले जा सकते। और जो कुछ हमने कमाया, सब कुछ पीछे छोड़ कर आगे बढ़ जाने वाले हैं। यानी हर चीज़ अल्लाह ही की है, हमारी कभी थी ही नहीं। अपनी और अपने परिवार के लिए आजीविका का खयाल रखना और मेहनत करना जरूरी है, मगर सिर्फ़ पैसा कमाने के लिए जीना गलत है। खुश रहना और अल्लाह ﷻ के दी हुयी सहूलियत का फ़ायदा उठाना अच्छा है। लेकिन सिर्फ़ ख्वाहिशों के पीछे भागना, हलाल हराम का फर्क़ भूल जाना, अल्लाह ﷻ के हुकुम को नजर अंदाज करना गलत है। अल्लाह ﷻ फरमाता है-
और कितनी ही ऐसी बस्तियाँ हम तबाह कर चुके हैं, जिनके लोग अपनी दौलतमन्दी और ख़ुशहाली पर इतरा गए थे। सो देख लो, वो उनके घर पड़े हुए हैं जिनमें उनके बाद कम ही कोई बसा है, आख़िरकार हम ही वारिस होकर रहे।
कुर’आन 28:58
ये आयत हमे याद दिलाती है के हर चीज़ ख़तम होने वाली है, शहर के शहर तबाह हो जाएंगे। ये अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं के तबाह हुए शहरों में भी वो लोग रहते होंगे जो दुनिया के साज ओ सामान होड़ में लगे होंगे जब वो शहर खुशहाल रहा होगा। वो सब अपनी दुनिया की होड़ मे लगे होंगे इस बात से बेख़बर के सब कुछ आखिर अल्लाह ही का है। और वारिस बनाने वाला भी अल्लाह ही है। जब फिरौन के ज़ुल्म के इन्तेहा हुई, तो मूसा अलै. ने अपने रब से दुआ की
“ऐ परवरदिगार, मुझे अकेला न छोड़, बेहतरीन वारिस तो तू ही है।”
कुर’आन 21:89
और हक़ीक़त यही है के दुनिया के ज़ालिम से छीन कर जिसे चाहे अल्लाह उस ज़मीन का वारिस बना दे, क्योंकि सारी ज़मीन तो अल्लाह की है। और अल्लाह के सामने कोई ताकत काम नहीं आने वाली। वो चाहे तो जालिमों से छीन कर मज़लूम को दे दे। और अल्लाह ने मूसा अलै. की दुआ कुबूल की और फिरौन को सारे लश्कर के साथ समुंदर में गर्क कर दिया।
तो हमे इस दौड़ में शामिल होने से बचना चाहिए के हम क्या छोड़ के जाने वाले हैं, बल्कि हमने अपनी आखिरत के लिए क्या कमाया। हमनें अपनी ज़िंदगी कहाँ खर्च की, अपनी सेहत, अपना माल, अपना वक्त किन कामों में लगाया। सदक़ा ए जारिया के पीछे यही कारण है। इस तरह हम अपनी ज़िंदगी के अच्छे कामों के वारिस बन सकते हैं। रसूलल्लाह ﷺ ने फरमाया:
जो किसी को इल्म सिखाता है उसको उसपर अमल करने वाले के बराबर सवाब मिलता है, और अमल करने वाले के सवाब में कोई कमी नहीं की जाती।
सुनन इब्न माजाह 240
किसी को सिखाने या पढ़ाने से हमे उसके सीखने और अमल करने वाले के बराबर नेकिया मिलेगी। फिर शिक्षक कौन बन सकता है? कोई भी। ज़रूरी नहीं आप इस पेशे में हो ही, किसी को कुछ भी अच्छी इल्म की बात सिखाई जा सकती है। हमारे बच्चे, घरवाले, रिश्तेदार, हमारे नीचे काम करने वाले, हमारे दोस्त। अपनी गलती भी बता सकते हैं। आपके अनुभव से कोई और शिक्षा ले और गलती करने से बच जाए।
और कुछ मिसाल सदक़ा ए जारिया की: पानी(वाटर कूलर, पियाउ, हैंडपंप, कुआ), पेड़ लगाना, मस्जिद की तामीर, कुर’आन का हदीया और ऐसी चीजों पर खर्च करना, जो इंसान की मौत के बाद भी उसकी नेकिया और सवाब में इजाफ़ा करती रहें।
हजरत अबू हुरैरा रजि अल्लाहु ताला अन्हू से रिवायत है की हुजूर अकरम सल्लल्लाहो वाले वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि जब इंसान मर जाता है तो उसके सब अमाल दुनियां में खत्म हो जाते हैं लेकिन तीन चीजों का नफा उसे कब्र में भी पहुंचता रहता है
* सदक़ा ए जारिया
* इल्म ऐसा इल्म जिससे लोग फायदा हासिल करते हो
* नेक औलाद जो उसके लिए दुआ करती है।
सुनन अन् नासाइ 3651
अपने लिए ऐसे मौके ढूँढ़ना चाहिए जो आपकी मौजूदगी के बगैर आपकी नेकी में इजाफ़ा करते रहें। सबसे आसान और बेहतरीन तरिके में से एक है नेक औलादें हो और उनकी बेहतरीन तरबीयत की जाए। आपकी तरबीयत आपकी औलादें उनकी औलादो तक पहुंचाये। पेड़ लगाना भी ऐसा सदक़ा है, उससे जानवर, परिंदे, कीड़े, इंसान जो भी फ़ायदा उठाएगा, उसके सवाब आपको मिलता रहेगा। अल्लाह ﷻ फरमाता है-
जो लोग अपने माल अल्लाह की राह में ख़र्च करते हैं, उनके ख़र्च की मिसाल ऐसी है जैसे एक दाना बोया जाए और उससे सात बालें निकलें और हर बाल में सौ दाने हों। इसी तरह अल्लाह जिसके अमल को चाहता है, बढ़ोतरी देता है। वो बड़ा खुले हाथ वाला भी है और सब कुछ जानने वाला भी।
कुर’आन 2:261
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