Sare paigambar aur rasool kya paigham le kar aaye?

Sare paigambar aur rasool kya paigham le kar aaye?


सभी पैगंबरों का पैग़ाम: अल्लाह की इबादत

अल्लाह के जितने पैगम्बर भी दुनिया में आए क्या उन सब का पैगाम और दीन एक ही था? या सभी पैगम्बर अल्लाह की तरफ से अलग अलग पैगाम और दीन लेकर आए थे?

इस सवाल का अकल के मुताबिक जवाब यही हो सकता है कि जब इस दुनिया को बनाने वाला और चलाने वाला एक ही खुदा है और उसने सब इंसानों को भी एक ही मकसद के तहत बनाया है। और उस खुदा ने जिस मकसद के तहत इंसानों को बनाया है उसी मकसद को बताने लिए (या याददिहानी के लिए) उसने इंसानों में से ही अपने पैगंबरों को चुनकर भेजा। और वो सभी पैगम्बर इंसानों को एक ही पैगाम की तरफ बुलाते थे। 

हम, अल्लाह के सच्चे पैगम्बर को भी इसी बात से पहचान सकते है कि जिस मकसद (हिदायत और रहनुमाई) की तरफ वो इंसानों को बुला रहा है वो अल्लाह की तरफ से पहले भी कभी आया है या नहीं? अगर वो किसी ऐसे मकसद की तरफ बुला रहा है जो पहले कभी किसी अल्लाह के पैगम्बर ने नहीं बताया हो तो वह अल्लाह का पैगम्बर नहीं हो सकता है क्योंकि अल्लाह ये हरगिज नहीं कर सकता की अपने सभी पैगंबरों को अलग अलग मकसद (हिदायत और रहनुमाई) बताकर भेजे।

अल्लाह ने इंसानों की हिदायत और रहनुमाई के लिए जितने भी पैगंबर इस दुनिया में भेजे है उन सबको एक ही दीन और एक ही मकसद देकर भेजा है। और उन सब की तालीम ये थी:

•सिर्फ अल्लाह की इबादत और बंदगी करो, और ताग़ूत (बढ़े हुए सरकश) की इबादत और बंदगी से बचो।

•अल्लाह के सभी पैगंबरों ने लोगों को सिर्फ एक खुदा की इबादत की तरफ बुलाया और उस एक खुदा को छोड़कर बाकी सब झूठे खुदाओ की इबादत से इंकार कराया।

• सभी पैगम्बर नेकी का हुक्म देते थे और बुराई से मना करते थे।

• सभी पैगंबरों का काम इंसानों को हिसाब किताब के दिन से खबरदार करना था। जिस दिन अल्लाह सब इंसानों को फिर से ज़िंदगी देकर उनसे इस दुनिया में किए गए कामों का हिसाब किताब करेगा और इंसानों के दरमियान अदल और इंसाफ के साथ फैसला करेगा।


इन्ही सभी बातों को अल्लाह ने अपने आखिरी संदेश कुरआन में जगह जगह सभी पैगंबरों के लिए बताया है कि अल्लाह ने सभी पैगंबरों को एक ही दीन और मकसद के साथ भेजा था।


وَلَقَدْ بَعَثْنَا فِى كُلِّ أُمَّةٍۢ رَّسُولًا أَنِ ٱعْبُدُوا۟ ٱللَّهَ وَٱجْتَنِبُوا۟ ٱلطَّـٰغُوتَ ۖ فَمِنْهُم مَّنْ هَدَى ٱللَّهُ وَمِنْهُم مَّنْ حَقَّتْ عَلَيْهِ ٱلضَّلَـٰلَةُ ۚ فَسِيرُوا۟ فِى ٱلْأَرْضِ فَٱنظُرُوا۟ كَيْفَ كَانَ عَـٰقِبَةُ ٱلْمُكَذِّبِينَ
"हमने हर उम्मत (समुदाय) में एक रसूल भेज दिया और उसके ज़रिए से सबको ख़बरदार कर दिया कि “अल्लाह की बन्दगी करो और ताग़ूत (बढ़े हुए सरकश) की बन्दगी से बचो। इसके बाद इनमें से किसी को अल्लाह ने सीधा रास्ता दिखाया और किसी पर गुमराही छा गई। फिर ज़रा ज़मीन में चल-फिरकर देख लो कि झुठलानेवालों का क्या अंजाम हो चुका है।" 
[कुरआन 16:36]


إِذْ جَآءَتْهُمُ ٱلرُّسُلُ مِنۢ بَيْنِ أَيْدِيهِمْ وَمِنْ خَلْفِهِمْ أَلَّا تَعْبُدُوٓا۟ إِلَّا ٱللَّهَ ۖ قَالُوا۟ لَوْ شَآءَ رَبُّنَا لَأَنزَلَ مَلَـٰٓئِكَةًۭ فَإِنَّا بِمَآ أُرْسِلْتُم بِهِۦ كَـٰفِرُونَ
जब ख़ुदा के रसूल उनके पास आगे और पीछे, हर तरफ़ से आए और उन्हें समझाया कि अल्लाह के सिवा किसी की बन्दगी न करो तो उन्होंने कहा, “हमारा रब चाहता तो फ़रिश्ते भेजता, लिहाज़ा हम उस बात को नहीं मानते, जिसके लिये तुम भेजे गए हो।”
[कुरआन 41:14]


1. पैगम्बर नूह अलैहिस्सलाम के पैगाम के बारे में कुरान ने बताया:


لَقَدْ أَرْسَلْنَا نُوحًا إِلَىٰ قَوْمِهِۦ فَقَالَ يَـٰقَوْمِ ٱعْبُدُوا۟ ٱللَّهَ مَا لَكُم مِّنْ إِلَـٰهٍ غَيْرُهُۥٓ إِنِّىٓ أَخَافُ عَلَيْكُمْ عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيمٍۢ
"हमने नूह को उसकी क़ौम की तरफ़ भेजा। उसने कहा, “ऐ मेरी क़ौम के भाइयो! अल्लाह की बन्दगी करो, उसके सिवा तुम्हारा कोई ख़ुदा नहीं है। मैं तुम्हारे हक़ में एक हौलनाक दिन के अज़ाब से डरता हूँ।”
[कुरआन 7:59]


وَلَقَدْ أَرْسَلْنَا نُوحًا إِلَىٰ قَوْمِهِۦٓ إِنِّى لَكُمْ نَذِيرٌۭ مُّبِينٌ -أَن لَّا تَعْبُدُوٓا۟ إِلَّا ٱللَّهَ ۖ إِنِّىٓ أَخَافُ عَلَيْكُمْ عَذَابَ يَوْمٍ أَلِيمٍۢ
[और ऐसे ही हालत थे जब] हमने नूह को उसकी क़ौम की तरफ़ भेजा था। [उसने कहा,] “मैं तुम लोगों को साफ़-साफ़ ख़बरदार करता हूँ कि अल्लाह के सिवा किसी की बन्दगी न करो, वरना मुझे डर है कि तुमपर एक दिन दर्दनाक अज़ाब आएगा।” 
[कुरआन 11:25-26]


فَإِن تَوَلَّيْتُمْ فَمَا سَأَلْتُكُم مِّنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِىَ إِلَّا عَلَى ٱللَّهِ ۖ وَأُمِرْتُ أَنْ أَكُونَ مِنَ ٱلْمُسْلِمِينَ
"तुमने मेरी नसीहत से मुँह मोड़ा (तो मेरा क्या नुक़सान किया), मैं तुमसे किसी बदले का तलबगार न था, मेरा बदला तो अल्लाह के ज़िम्मे है। और मुझे हुक्म दिया गया है कि (चाहे कोई माने या न माने) मैं ख़ुद अल्लाह का फ़रमाँबरदार बनकर रहूँ।”
[कुरआन 10:72]


2. पैगम्बर हूद अलैहिस्सलाम के पैगाम के बारे में कुरान ने बताया:

وَإِلَىٰ عَادٍ أَخَاهُمْ هُودًۭا ۗ قَالَ يَـٰقَوْمِ ٱعْبُدُوا۟ ٱللَّهَ مَا لَكُم مِّنْ إِلَـٰهٍ غَيْرُهُۥٓ ۚ أَفَلَا تَتَّقُونَ 
और आद की तरफ़ हमने उनके भाई हूद को भेजा। उसने कहा, “ऐ मेरी क़ौम के भाइयो ! अल्लाह की बन्दगी करो, उसके सिवा तुम्हारा कोई ख़ुदा नहीं है। फिर क्या तुम ग़लत रविश से नहीं बचोगे?”
[कुरआन 7:65]


وَإِلَىٰ عَادٍ أَخَاهُمْ هُودًۭا ۚ قَالَ يَـٰقَوْمِ ٱعْبُدُوا۟ ٱللَّهَ مَا لَكُم مِّنْ إِلَـٰهٍ غَيْرُهُۥٓ ۖ إِنْ أَنتُمْ إِلَّا مُفْتَرُونَ
और आद की तरफ़ हमने उनके भाई हूद को भेजा। उसने कहा, “ऐ मेरे क़ौमी भाइयो! अल्लाह की बन्दगी करो। तुम्हारा कोई ख़ुदा उसके सिवा नहीं है। तुमने सिर्फ़ झूठ गढ़ रखे हैं।"
[कुरआन 11:50]


3. पैगम्बर सालेह अलैहिस्सलाम के पैगाम के बारे में कुरान ने बताया:

وَإِلَىٰ ثَمُودَ أَخَاهُمْ صَـٰلِحًۭا ۗ قَالَ يَـٰقَوْمِ ٱعْبُدُوا۟ ٱللَّهَ مَا لَكُم مِّنْ إِلَـٰهٍ غَيْرُهُۥ ۖ قَدْ جَآءَتْكُم بَيِّنَةٌۭ مِّن رَّبِّكُمْ ۖ
और समूद की तरफ़ हमने उनके भाई सालेह को भेजा। उसने कहा, “ऐ मेरी क़ौम के भाइयो ! अल्लाह की बन्दगी करो, उसके सिवा तुम्हारा कोई ख़ुदा नहीं है। तुम्हारे पास तुम्हारे रब की खुली दलील आ गई है।"
[कुरआन 7:73]


 وَإِلَىٰ ثَمُودَ أَخَاهُمْ صَـٰلِحًۭا ۚ قَالَ يَـٰقَوْمِ ٱعْبُدُوا۟ ٱللَّهَ مَا لَكُم مِّنْ إِلَـٰهٍ غَيْرُهُۥ ۖ هُوَ أَنشَأَكُم مِّنَ ٱلْأَرْضِ وَٱسْتَعْمَرَكُمْ فِيهَا فَٱسْتَغْفِرُوهُ ثُمَّ تُوبُوٓا۟ إِلَيْهِ ۚ إِنَّ رَبِّى قَرِيبٌۭ مُّجِيبٌۭ
और समूद की तरफ़ हमने उनके भाई सालेह को भेजा। उसने कहा, “ऐ मेरी क़ौम के लोगो ! अल्लाह की बन्दगी करो। उसके सिवा तुम्हारा कोई ख़ुदा नहीं है। वही है जिसने तुमको ज़मीन से पैदा किया है और यहाँ तुमको बसाया है, इसलिये तुम उससे माफ़ी चाहो और उसकी तरफ़ पलट आओ, यक़ीनन मेरा रब क़रीब है और वो दुआओं का जवाब देनेवाला है।”
[कुरआन 11:61]


4. पैगम्बर शुऐब अलैहिस्सलाम के पैगाम के बारे में कुरान ने बताया:

 وَإِلَىٰ مَدْيَنَ أَخَاهُمْ شُعَيْبًۭا ۚ قَالَ يَـٰقَوْمِ ٱعْبُدُوا۟ ٱللَّهَ مَا لَكُم مِّنْ إِلَـٰهٍ غَيْرُهُۥ ۖ وَلَا تَنقُصُوا۟ ٱلْمِكْيَالَ وَٱلْمِيزَانَ ۚ إِنِّىٓ أَرَىٰكُم بِخَيْرٍۢ وَإِنِّىٓ أَخَافُ عَلَيْكُمْ عَذَابَ يَوْمٍۢ مُّحِيطٍۢ
और मद्यनवालों की तरफ़ हमने उनके भाई शुऐब को भेजा। उसने कहा, “ऐ मेरी क़ौम के लोगो! अल्लाह की बन्दगी करो, उसके सिवा तुम्हारा कोई ख़ुदा नहीं है। और नाप-तौल में कमी न किया करो। आज मैं तुमको अच्छे हाल में देख रहा हूँ, मगर मुझे डर है कि कल तुमपर ऐसा दिन आएगा जिसका अज़ाब सबको घेर लेगा।"
[कुरआन 11:84]


وَإِلَىٰ مَدْيَنَ أَخَاهُمْ شُعَيْبًۭا ۗ قَالَ يَـٰقَوْمِ ٱعْبُدُوا۟ ٱللَّهَ مَا لَكُم مِّنْ إِلَـٰهٍ غَيْرُهُۥ ۖ قَدْ جَآءَتْكُم بَيِّنَةٌۭ مِّن رَّبِّكُمْ ۖ فَأَوْفُوا۟ ٱلْكَيْلَ وَٱلْمِيزَانَ وَلَا تَبْخَسُوا۟ ٱلنَّاسَ أَشْيَآءَهُمْ وَلَا تُفْسِدُوا۟ فِى ٱلْأَرْضِ بَعْدَ إِصْلَـٰحِهَا ۚ ذَٰلِكُمْ خَيْرٌۭ لَّكُمْ إِن كُنتُم مُّؤْمِنِينَ
और मदयनवालों की तरफ़ हमने उनके भाई शुऐब को भेजा। उसने कहा, “ऐ क़ौम के भाइयो ! अल्लाह की बन्दगी करो, उसके सिवा तुम्हारा कोई ख़ुदा नहीं है, तुम्हारे पास तुम्हारे रब की साफ़ रहनुमाई आ गई है, इसलिये नाप और तौल पूरे करो लोगों को उनकी चीज़ों में घाटा न दो, और ज़मीन में बिगाड़ न पैदा करो जबकि उसका सुधार हो चुका है। इसी में तुम्हारी भलाई है अगर तुम वाक़ई ईमानवाले हो।"
[कुरआन 7:85]


5. पैगम्बर यूसुफ अलैहिस्सलाम के पैगाम के बारे में कुरान ने बताया:

وَٱتَّبَعْتُ مِلَّةَ ءَابَآءِىٓ إِبْرَٰهِيمَ وَإِسْحَـٰقَ وَيَعْقُوبَ ۚ مَا كَانَ لَنَآ أَن نُّشْرِكَ بِٱللَّهِ مِن شَىْءٍۢ ۚ ذَٰلِكَ مِن فَضْلِ ٱللَّهِ عَلَيْنَا وَعَلَى ٱلنَّاسِ وَلَـٰكِنَّ أَكْثَرَ ٱلنَّاسِ لَا يَشْكُرُونَ 
(यूसुफ ने कहा) अपने बुज़ुर्गों, इबराहीम, इसहाक़ और याक़ूब का तरीक़ा अपनाया है। हमारा ये काम नहीं है कि अल्लाह के साथ किसी को शरीक ठहराएँ। हक़ीक़त में ये अल्लाह की मेहरबानी है हमपर और तमाम इनसानों पर [कि उसने अपने सिवा किसी का बन्दा हमें नहीं बनाया], मगर ज़्यादातर लोग शुक्र नहीं करते।

يَـٰصَـٰحِبَىِ ٱلسِّجْنِ ءَأَرْبَابٌۭ مُّتَفَرِّقُونَ خَيْرٌ أَمِ ٱللَّهُ ٱلْوَٰحِدُ ٱلْقَهَّارُ
ऐ जेल के साथियों! तुम ख़ुद ही सोचो कि बहुत-से अलग-अलग रब बेहतर हैं या वो एक अल्लाह, जो सबपर ग़ालिब है?

[कुरआन 12:38-39]


तमाम पैगंबरों के बारे में अल्लाह ने कहा:

أَلَمْ يَأْتِكُمْ نَبَؤُا۟ ٱلَّذِينَ مِن قَبْلِكُمْ قَوْمِ نُوحٍۢ وَعَادٍۢ وَثَمُودَ ۛ وَٱلَّذِينَ مِنۢ بَعْدِهِمْ ۛ لَا يَعْلَمُهُمْ إِلَّا ٱللَّهُ ۚ جَآءَتْهُمْ رُسُلُهُم بِٱلْبَيِّنَـٰتِ فَرَدُّوٓا۟ أَيْدِيَهُمْ فِىٓ أَفْوَٰهِهِمْ وَقَالُوٓا۟ إِنَّا كَفَرْنَا بِمَآ أُرْسِلْتُم بِهِۦ وَإِنَّا لَفِى شَكٍّۢ مِّمَّا تَدْعُونَنَآ إِلَيْهِ مُرِيبٍۢ
क्या तुम्हें उन क़ौमों के हालात नहीं पहुँचे जो तुमसे पहले गुज़र चुकी हैं? नूह की क़ौम, आद, समूद और उनके बाद आनेवाली बहुत-सी क़ौमें जिनकी गिनती अल्लाह ही को मालूम है? उनके रसूल जब उनके पास साफ़-साफ़ बातें और खुली-खुली निशानियाँ लिये हुए आए तो उन्होंने अपने मुँह में हाथ दबा लिये और कहा कि “जिस पैग़ाम के साथ तुम भेजे गए हो, हम उसको नहीं मानते और जिस चीज़ की तरफ़ तुम हमें बुलाते हो, उसकी तरफ़ से हम सख़्त उलझन भरे शक में पड़े हुए हैं।”

 قَالَتْ رُسُلُهُمْ أَفِى ٱللَّهِ شَكٌّۭ فَاطِرِ ٱلسَّمَـٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ ۖ يَدْعُوكُمْ لِيَغْفِرَ لَكُم مِّن ذُنُوبِكُمْ وَيُؤَخِّرَكُمْ إِلَىٰٓ أَجَلٍۢ مُّسَمًّۭى ۚ قَالُوٓا۟ إِنْ أَنتُمْ إِلَّا بَشَرٌۭ مِّثْلُنَا تُرِيدُونَ أَن تَصُدُّونَا عَمَّا كَانَ يَعْبُدُ ءَابَآؤُنَا فَأْتُونَا بِسُلْطَـٰنٍۢ مُّبِينٍۢ
उनके रसूलों ने कहा, “क्या अल्लाह के बारे में शक है जो आसमानों और ज़मीन का पैदा करनेवाला है? वो तुम्हें बुला रहा है ताकि तुम्हारे क़ुसूर माफ़ करे और तुम्हें एक तय की हुई मुद्दत तक मोहलत दे।” उन्होंने जवाब दिया, “तुम कुछ नहीं हो मगर वैसे ही इंसान जैसे हम हैं। तुम हमें उन हस्तियों की बन्दगी से रोकना चाहते हो जिनकी बन्दगी बाप-दादा से होती चली आ रही है। अच्छा तो लाओ खुली दलील।”

[कुरआन 14:9-10]


अल्लाह के आखिरी पैगम्बर मुहम्मद ﷺ का पैगाम

अल्लाह के आखिरी पैगम्बर मुहम्मद ﷺ का पैगाम भी वही था जो कि पिछले तमाम पैगंबरों का था।

- قُلْ أَفَغَيْرَ ٱللَّهِ تَأْمُرُوٓنِّىٓ أَعْبُدُ أَيُّهَا ٱلْجَـٰهِلُونَ 
(ऐ नबी) इनसे कहो, “फिर क्या ऐ जाहिलो, तुम अल्लाह के सिवा किसी और की बन्दगी करने के लिये मुझसे कहते हो?”

 وَلَقَدْ أُوحِىَ إِلَيْكَ وَإِلَى ٱلَّذِينَ مِن قَبْلِكَ لَئِنْ أَشْرَكْتَ لَيَحْبَطَنَّ عَمَلُكَ وَلَتَكُونَنَّ مِنَ ٱلْخَـٰسِرِينَ
(ये बात तुम्हें उनसे साफ़ कह देनी चाहिये, क्योंकि) "तुम्हारी तरफ़ और तुमसे पहले गुज़रे हुए तमाम नबियों की तरफ़ ये वही भेजी जा चुकी है कि अगर तुमने शिर्क किया तो तुम्हारा अमल बरबाद हो जाएगा और तुम घाटे में रहोगे।

بَلِ ٱللَّهَ فَٱعْبُدْ وَكُن مِّنَ ٱلشَّـٰكِرِينَ
इसलिये (ऐ नबी) तुम बस अल्लाह ही की बन्दगी करो और शुक्रगुज़ार बन्दों में से हो जाओ।"

[कुरआन 39:64-66]


أَتَىٰٓ أَمْرُ ٱللَّهِ فَلَا تَسْتَعْجِلُوهُ ۚ سُبْحَـٰنَهُۥ وَتَعَـٰلَىٰ عَمَّا يُشْرِكُونَ
आ गया अल्लाह का फ़ैसला, अब उसके लिये जल्दी न मचाओ। पाक है वो और बहुत ऊँचा है उस शिर्क से जो ये लोग कर रहे हैं। 

يُنَزِّلُ ٱلْمَلَـٰٓئِكَةَ بِٱلرُّوحِ مِنْ أَمْرِهِۦ عَلَىٰ مَن يَشَآءُ مِنْ عِبَادِهِۦٓ أَنْ أَنذِرُوٓا۟ أَنَّهُۥ لَآ إِلَـٰهَ إِلَّآ أَنَا۠ فَٱتَّقُونِ
वो इस रूह को अपने जिस बन्दे पर चाहता है अपने हुक्म से फ़रिश्तों के ज़रिए उतार देता है। (इस हिदायत के साथ कि लोगों को) “ख़बरदार कर दो, मेरे सिवा कोई तुम्हारा माबूद नहीं है, इसलिये तुम मुझी से डरो।”

[कुरआन 16:1-2]


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