खुलासा ए क़ुरआन - सूरह (052) अत तूर
सूरह (052) अत तूर
(i) आख़िरत
आख़िरत की शहादत देने वाले कुछ तथ्यों (हक़ाएक़ व आसार) की क़सम खा कर पूरे ज़ोर के साथ यह यक़ीन दिलाया गया है क़यामत आ कर रहेगी और जब पेश आयेगी तो झुठलाने वालों का अंजाम जहन्नम होगा और तक़वा इख़्तियार करने वाले जन्नत के हक़दार होंगे। (1 से 20)
(ii) बैतूल मामूर (आबाद घर)
इस से मुराद दुनिया का ख़ाना ए काबा भी है जो हज्ज, उमरा और ज़्यारत करने वालों से आबाद रहता है। और सातवें आसमान का वह काबा भी है जिस से मेअराज में अल्लाह के रसूल सल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इब्राहीम अलैहिस्सलाम को टेक लगाए हुए देखा था, उस की शान यह है कि प्रतिदिन सत्तर हजार फ़रिश्ते तवाफ़ के लिए दाख़िल होते हैं फिर कभी उनका नंबर दोबारा नहीं आता। (आयत 4, सहीह मुस्लिम 411)
(iii) क़ुरैश का रवैया और नबी को तसल्ली व नसीहत
नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को क़ुरैश कभी काहिन, कभी मजनूं और कभी शायर कह कर लोगों को आप के ख़िलाफ़ भड़काते थे। और आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को बिन बुलाई आफ़त समझते थे चुनाँचे उनको जवाब देते हुए फ़रमाया गया कि आप अपने रब के फ़ज़ल से काहिन, मजनूं और शायर नहीं हैं, आप तो उनकी बातों पर सब्र करें और सुबह- शाम और रात में अल्लाह की प्रशंसा करते रहें। (29, 30 व 48, 49)
(iv) कुफ़्फ़ार को चैलेंज
काफ़िर कहते थे कि इस क़ुरआन को आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ख़ुद ही घड़ लिया है तो क़ुरआन ने चैलेंज किया कि
فَلۡيَأۡتُواْ بِحَدِيثٖ مِّثۡلِهِۦٓ إِن كَانُواْ صَٰدِقِينَ
"अगर वह अपनी बात में सच्चे हैं ज़रा वह भी ऐसा ही कोई कलाम बना लाएं" (35)
आसिम अकरम (अबु अदीम) फ़लाही
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