मुर्तद होने वाली लड़कियों की हकीकत
कान खोलकर सुन लीजिए मुर्तद और बदकार बनने वाली हज़ार लाखों मुस्लिम लड़कियों का ताल्लुक काफिराना शिरकिया दज्जाली निज़ामे तालीम तरबियत सोहबत सेक्युलरिज्म से है यानी एक बात साफ़ है कि जो भी लड़की इरतिदाद और बदकारी के अंधेरों में गुम हुई है उसकी बुनियादी वजह दज्जाली निज़ामे तालीम तरबियत माहौल सोहबत ही है बावजूद उसके उसी गलाज़त मे अहकामात ए रसूल को क़त्ल कर जाने की होड़ मची हुई है तो इन लड़कियों का क्या कुसूर है जो सरेराह अपनी इज़्ज़त नीलाम कर रही हैं उन्हें इज़्ज़त ओ आबरु और ईमान और इस्लाम से क्या मतलब?
जिससे उनका मतलब रखा गया है और जिस मतलब के रास्ते पर उन्हें डाला गया है वो उस उसे करके दिखा रही हैं।
ये क़ौमी मसला है इसीलिए क़ौमी बाहमी इत्तिफ़ाक़ से कोई क़ानून ही इसमें बहुत हद तक असरंदाज़ होगा वरना बेदीन ग़ाफ़िल दय्यूसीयत की बीमारी में जकड़ा मुस्लिम समाज का हर घर अपने दीनदार तस्व्वुर कर अमली तौर पर खिलाफ़ ए दीन दज्जाली निज़ामे तालीम में अपनी लड़कियों को यूं ही काफ़िरों के पंजे हवस तक रसाई देता रहेगा।
नक़ाब और हिजाब में लड़कियों की करतूतों से साबित हो रहा है कि इनके घरों के मर्द वो जानवर हैं जो सिर्फ दुनिया में पेट भरने आये हैं। उन्हें अपने मुल्क में इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ उरूज को पहुँची हुई। शैतानियत और दज्जाली साज़िशों की कोई भनक और अहसास तक नही है बस हराम से पेट भर रहे हैं और उसी खिलाफ ए इस्लाम ज़िन्दगी की अय्याशियों में उनकी औरतें लड़कियां काफ़िरों के बिस्तर लुकमा ए हवस बनकर जन्नत हासिल कर रही हैं और क्यों न करें आख़िर सब कुछ तो दुनिया ही है और गुज़री हुई नस्लों ने इसी पर मेहनत की है जिसका नतीजा आज इस तरह से मन्ज़रे आम पर है।
फरमाने रसूल के मुताबिक क़ुरआन ओ सुन्नत को मजबूती से थामे रहने वाले मुसलमानों का दज्जाल भी कुछ बाल बाका नही कर पाएगा बल्कि वो उसके खिलाफ़ उठ खड़े होंगे और एक फरमान के मुताबिक हर बच्चा नेक फ़ितरत ए सलीमा पर पैदा होता है। उसके बाद उसके मां बाप उसे अपनी परवरिश से यहूदी ईसाई और मजूसी बना देते हैं।
लेकिन भारत के पांचवी नस्ल के मुसलमानों के मुताबिक अगर उनकी लडकिया दज्जाली निज़ामे तालीम की गलाज़त और बुतपरस्तों के सोहबत को अगर नही अख्तियार करेगी तो दुनिया में इस तरह से कैसे ज़लील ओ रुसवा और बाज़ारू बनकर कामयाबी हासिल करेंगी। तब शैतानों का सरदार कान में चुपके से कहता है ये और मुसलमानों की लड़कियां हैं तुम तो दीनदार हो तुम्हारी लड़कियां तो अफगानिस्तान की मुजाहिदीन की माँ बहन बेटी से बढ़कर तक़वा परहेज़गार हैं। इन्हें दज्जाली निज़ामे तालीम में पूरी आवारगी और आज़ादी के साथ बुतपरस्त बलात्कारियों को पूजने वाले दज्जाली पैरोकार की सोहबत में भेजिए तभी तो बरेली के इंफोर्टिस कॉलेज की आफरीन खान तो लखनऊ की एमिटी यूनिवर्सिटी की उर्फी जावेद और उन जैसी हज़ारो बदकार और मुर्तद के ओहदों पर फ़ाइज़ होंगी नाम रोशन होगा।
आपका दीनी भाई
मंसूर अदब पहसवी
अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी
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