96. Al Baqi - अल- बाक़ी- Asma ul husna - 99 Names Of Allah

अल- बाक़ी का रूट है ب-ق-ي – जो हमेशा से रहा है और जो कभी नहीं मिटेगा। अल्लाह अज़ल से अबद तक है, ना उससे पहले कोई है, ना उसके बाद कोई और ये नाम अल्लाह के शाश्वत, अंतहीन और चिरस्थायी होने का प्रतीक है। वह हमेशा के लिए रहेगा और समय से अप्रभावित रहेगा। अल्लाह वो है की जो हमेशा बाकी रहने वाला है, कभी खतम न होगा और अपनी मखलूक में से जिसे चाहे बाकी रखने वाला है। 


Al Baqi - अल- बाक़ी اَلْبَاقِي - Asma ul husna - 99 Names Of Allah


अल- बाक़ी اَلْبَاقِي

अल- बाक़ी का रूट है ب-ق-ي – जो हमेशा से रहा है और जो कभी नहीं मिटेगा। अल- बाक़ी - वह है जिसके अस्तित्व की न शुरुआत है और न कोई अंत। ये नाम अल्लाह के शाश्वत, अंतहीन और चिरस्थायी होने का प्रतीक है। वह हमेशा के लिए रहेगा और समय से अप्रभावित रहेगा। अल्लाह वो है की जो हमेशा बाकी रहने वाला है, कभी खतम न होगा और अपनी मखलूक में से जिसे चाहे बाकी रखने वाला है।

अल्लाह के 99 नाम में से 81 नाम कुर’आन में मौजूद है। बाकी 18 में अलग अलग स्कॉलर की अलग अलग राय है। अल- बाक़ी, उन 18 नाम में से है जो कुछ स्कॉलर की लिस्ट में नहीं है हालांकि इब्न अरबी र.अलै., इमाम बेहक़ी र.अलै., इमाम ग़जाली र.अलै. की लिस्ट में ये नाम शामिल है, मगर इब्न ए वज़ीर, इब्न हज्म की लिस्ट में नहीं है।

अल बाक़ी, वो जो बाकी हो, दूसरे के फना होने के बाद। अल्लाह ﷻ फरमाता है- 

हर चीज़ जो इस ज़मीन पर है ख़त्म हो जाने वाली है, और सिर्फ़ तेरे रब की जलील व करीम ज़ात ही बाक़ी रहने वाली है।

कुर’आन 55:26-27

हक़ीक़त ये है के अल्लाह अज़ल से अबद तक है, ना उससे पहले कोई है, ना उसके बाद कोई और, सब चीज़ों को पैदा करने वाला भी वही है, सबका मालिक भी वही है, सबके ख़त्म हो जाने के बाद सिर्फ़ अल्लाह ही की ज़ात बाक़ी रहेगी।

जब सारे इंसान खत्म हो जाएंगे सिर्फ अल्लाह ही बाकी रहेगा। अल्लाह ही हक़ीक़ी वारिस है, जिसको ना मौत आएगी, और हमेशा हमेशा के लिए बाकी है। 

अल्लाह, अल्-अव्वल है, जो सबसे पहला है, और सारी दुनिया के हर मखलूक के फना होने के बाद बाकी रहने वाला है। सब के बाद मौजूद रहने वाला, अल्लाह वो है के जो अपनी मखलूक को फना करने के बाद भी बाकी रहने वाला है, और हर फना होने वाली मखलूक को अल्लाह ही सामने पेश होना है, अल्लाह ने बंदो को जो कुछ दिया है वो अल्लाह ता’अला की अमानत है।

मसलन, हमारे सामने बच्चे वुजूद में आते हैं, और बहुत से इंसान इस दुनिया से विदा हो जाते हैं। घर बनते हैं, बिगड़ते हैं, चीज़ें आती है कुछ मुद्दत हम उससे फ़ायदा उठाते है, फिर खत्म हो जाती हैं, खाना, फ्रूट्स, खिलौने, कपड़े हमें मिलते हैं खत्म हो जाता है। यानी हर चीज़ जो दुनिया में मौजूद है, एक मुद्दत के लिए है। अपनी मुद्दत पूरी करके, सब को खत्म हो जाना है। हर किसी किसी के ज़िंदगी की मुद्दत के फैसले करने वाला, अल् बाक़ी। 

अल्-बाक़ी, वो जो हमेशा बाक़ी रहे, और वक्त का उसपर कोई असर ना हो, timeless। यानी अल्लाह हमेशा हमेशा अपनी असल हालत में बाक़ी रहने वाला है। उस पर समय निष्प्रभावी है। यकीनन अल्लाह ही ने वक्त बनाया है। बाक़ी- फानी (नश्वर, खत्म होने वाला) का विलोम है। अल् बाक़ी ﷻ को बाक़ी रहने के लिए किसी की ज़रूरत नहीं, और बाक़ी सबके वुजूद को अल्लाह की ज़रूरत है। अल्-बाक़ी, खुद भी बाक़ी रहता है और वो ज़ात है के जिसे चाहे फ़ना करे और जिसे चाहे बाक़ी रखे। कितनी किताबें उसने मिटा दी, मगर कुर’आन को बाक़ी रखा। अगर कोई घर है और उसको चलाने वाला कोई नहीं, तो क्या वो घर बाक़ी रहेगा? आहिस्ता आहिस्ता खत्म हो जाएगा। अल् बाक़ी, दुनिया को मुद्दत तक बाक़ी रखने वाला और जन्नत और जहन्नुम को हमेशा बाक़ी रखने वाला। अल्लाह ﷻ सबसे पहला और सबसे आखिरी है,  यानी हमेशा से था और हमेशा हमेशा रहेगा,  मगर जन्नत और जहन्नुम हमेशा से नहीं थे,  उन्हें अल्लाह ने बनाया है,  और उन्हें हमेशा बाक़ी रखने वाला अल् बाक़ी। अल् बाक़ी, वो सिफत अल्लाह की जो हर हमेशा हमेशा बाक़ी और मौजूद है।

अल् बाकी, वो ज़ात जिसकी ना कोई  इब्तेदा हो ना कोई इन्तेहा हो। वो हमेशा से था, है और रहेगा। वो ही अव्वल है वो ही आखिर है। 

वही ज़िन्दा है। उसके सिवा कोई माबूद नहीं।

कुर’आन 40:65

पहाड़ को dynamite से उड़ाया जा सकता है, सूरज भी scientific रिसर्च के अनुसार अपने अंत की तरफ़ बढ़ रहा, दरिया रहते हैं, खुश्क हो जाते हैं, हर चीज़ एक मुद्दत के लिए होती है, मुद्दत पूरी करके खत्म हो जाने वाली है। पेड़, पौधे, जानवर, परिंदे, इंसान सब नश्वर हैं, बस अल् बाक़ी है जो ना थकता, ना सोता, ना उसकी ताकत कम होती, ना किसी तरह का बदलाव उसकी किसी गुण में किसी सिफात में आता। हर चीज़ कमजोर पैदा होती है, फिर उसमे ताकत बढ़ती है, धीरे धीरे वो अपने बेहतरीन ताकत और रूप को धारण कर लेती है, फिर उसका क्षीण होना शुरू होता है, समय के साथ उसका प्रभाव, उसकी क्षमता कम होती है, और वो कमजोर हो जाता है। अल् बाक़ी, वो जिसपे समय कोई असर नहीं करता। वो सदा से ही एक सा है, उसकी ताकत अनंत काल से एक सी है। अल्लाह चिरस्थाई, शास्वत, निरंतर, सतत, नित्य, कभी नष्ट ना होने वाला, संपूर्ण, अजर और अमर है, Timeless, dateless, Immortal. 

हर चीज़ हलाक होने वाली है सिवाय उस हस्ती के। हुकूमत उसी की है और उसी की तरफ़ तुम सब पलटाए जाने वाले हो।

कुर’आन 28:88

अल् बाक़ी के सिवा पैसा, हुस्न, कपड़े, इल्म, औलाद- हर चीज़ नश्वर है। जब हर चीज़ खत्म होनी है, तो ग़म किस बात का। किसी अजीज के मौत पर क्या मलाल, किसी मुसीबत पे क्या ग़म? जो दुनिया की चीज़ें हैं उनसे दिल लगाने से क्या फ़ायदा। माल दौलत सब खत्म होने वाला। साथ कुछ नहीं ले जा सकते।

पत्थर की मुहब्बत दिल को पत्थर कर देती है, मुर्दा चीज़ों की मुहब्बत दिल को मुर्दा कर देती है। हीरा कितना ही चमके मगर है तो पत्थर, सोना कितना ही हसीन हो है तो मुर्दा। बीमार हो,  ग़म में हो, अकेले हो तो सोना देख के खुशी होती है? 

सहाबा करीम खत्म होने वाली दुनियावी चीज़ों से दिल नहीं लगाया था, यही उनकी खुशी का राज है। हमारे लिए बहुत अहम सबक है, जो खुशी का राज है, इस दुनिया की नश्वर चीज़ों से दिल लगाने के जगह, अल् बाक़ी के करीब हो जाए, और उस ज़िंदगी से दिल लगाए जिसे हमेशा के लिए बाक़ी रखने का वादा है। 

जो कुछ तुम्हारे पास है वो ख़र्च हो जाने वाला है और जो कुछ अल्लाह के पास है वही बाक़ी रहनेवाला है, और हम ज़रूर सब्र से काम लेने वालों को उनके अज्र उनके बेहतरीन आमाल के मुताबिक़ देंगे।

कुरआन 16:96

हर चीज़, जो आज हमारे पास है, खुशी भी, ग़म भी, दोस्ती भी, दुश्मनी भी, प्यार भी, नफ़रत भी, सब कुछ ख़र्च हो जाने वाला है। और जो कुछ अल्लाह ﷻ के पास है वो बाक़ी रहने वाला है। जो हमे कुछ भी साथ ले जाना है तो उसे अपनी ज़िंदगी में अल्लाह के हवाले कर दें। माल अल्लाह ﷻ की राह में ख़र्च करने से पीछे ना हटे, कोई नेकी कमाने का मौका ना गंवाए, इल्म को बाटें, हक को बताएं, ज़ुल्म को रोके। और अल्लाह ﷻ का वादा, के जो कुछ अल्लाह के पास हम जमा करेंगे, बस वो आमाल बाक़ी रहेंगे। और हम दुनिया में सब्र से काम लेंगे तो अल्लाह ﷻ हमारे आमाल का पूरे इन्साफ़ से बदला देने वाला है। अल्लाह ﷻ, हर एक के फना होने के, ख़त्म होने के बाद, क़यामत में फरमाएगा-

वो दिन जबकि सब लोग बेपर्दा होंगे, अल्लाह से उनकी कोई बात भी छिपी हुई न होगी। (उस दिन पुकारकर पूछा जाएगा) “आज बादशाही किसकी है?” (सारा जहाँ पुकार उठेगा) “अकेले अल्लाह की जो सबपर हावी है।”

कुरआन 40:16

अल्लाह ही ने दुनिया की सारी चीज़ें हमारे फायदे के लिए हमें अता की हैं, और ये सारी चीजें जिन्हें आज हम हक से अपनी मिल्कियत समझ रहे हैं, सब फ़ना हो जानी है। इंसान खुद को जिन असबाब-सामान का मालिक समझता है, जो अल्लाह ने दी हैं, सब खत्म हो जाएगा। और इंसान भी। असबाब-सामान और इंसान, सब अल्लाह ही पर निर्भर है। अल्लाह जिसे जो चाहता देता है और अल्लाह ﷻ ही सबका असली मालिक है। अल्लाह ﷻ फरमाता है-

हम तो अपने रब पर ईमान ले आए, ताकि वो हमारी ग़लतियाँ माफ़ कर दे और उस जादूगरी से, जिसपर तूने हमें मजबूर किया था, माफ़ कर दे। अल्लाह ही अच्छा है और वही बाक़ी रहनेवाला है।

कुर’आन 20:73

और हमे नेकी का रास्ता दिखाने वाला, और नेकी को बाक़ी रखने वाला, अल् बाक़ी। 

इसके बरख़िलाफ़ जो लोग सीधा रास्ता अपनाते हैं, अल्लाह उनको सीधा रास्ता चलने के सिलसिले में तरक़्क़ी देता है, और बाक़ी रह जानेवाली नेकियाँ ही तेरे रब के नज़दीक बदले और अंजाम के एतिबार से बेहतर हैं।

कुर’आन 19:76

अल्लाह हमे बाक़ी रहने वाली नेकीयों की तौफिक दे। और आखिरत को भी बाक़ी रखने वाला है अल्लाह। 

हालाँकि आख़िरत बेहतर है और बाक़ी रहनेवाली है।

कुर’आन 87:17

इस तरह हम हद से गुज़रनेवाले और अपने रब की आयतें न माननेवाले को (दुनिया में) बदला देते हैं, और आख़िरत का अज़ाब ज़्यादा सख़्त और ज़्यादा देर तक रहनेवाला है।

कुर’आन 20:127

यहाँ समझने वाली बात है के हम अपने साथ एक तिनका भी नहीं ले जा सकते। और जो कुछ हमने कमाया, सब कुछ पीछे छोड़ कर आगे बढ़ जाने वाले हैं। यानी हर चीज़ अल्लाह ही की है, हमारी कभी थी ही नहीं। अपनी और अपने परिवार के लिए आजीविका का खयाल रखना और मेहनत करना जरूरी है, मगर सिर्फ़ पैसा कमाने के लिए जीना गलत है। खुश रहना और अल्लाह ﷻ के दी हुयी सहूलियत का फ़ायदा उठाना अच्छा है। लेकिन सिर्फ़ ख्वाहिशों के पीछे भागना,  हलाल हराम का फर्क़ भूल जाना, अल्लाह ﷻ के हुकुम को नजर अंदाज करना गलत है।

तो हमे इस दौड़ में शामिल होने से बचना चाहिए के हम क्या छोड़ के जाने वाले हैं, बल्कि हमने अपनी आखिरत के लिए क्या कमाया। हमनें अपनी ज़िंदगी कहाँ खर्च की, अपनी सेहत, अपना माल, अपना वक्त किन कामों में लगाया। सदक़ा ए जारिया के पीछे यही कारण है। इस तरह हम अपनी ज़िंदगी के अच्छे कामों के मालिक बन सकते हैं। 

हज़रत आयशा से रिवायत है, सहाबा ने बकरी ज़िब्ह की,

रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया- इसमें से कुछ बाक़ी है? 

हज़रत आयशा ने कहा “दस्ती के सिवा कुछ नहीं बाक़ी।

रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया-“दस्ती के सिवा सब कुछ बाक़ी है ।

तीरमिजी 2470


अपने लिए ऐसे मौके ढूँढ़ना चाहिए जो आपकी मौजूदगी के बगैर आपकी नेकी में इजाफ़ा करते रहें। सबसे आसान और बेहतरीन तरिके में से एक है नेक औलादें हो और उनकी बेहतरीन तरबीयत की जाए। आपकी तरबीयत आपकी औलादें उनकी औलादो तक पहुंचाये। पेड़ लगाना भी ऐसा सदक़ा है, उससे जानवर,  परिंदे, कीड़े, इंसान जो भी फ़ायदा उठाएगा,  उसके सवाब आपको मिलता रहेगा।


कुछ मिसाल सदक़ा ए जारिया की:

इल्म सिखाना, पानी(वाटर कूलर, पियाउ, हैंडपंप, कुआ), पेड़ लगाना, मस्जिद की तामीर, कुर’आन का हदीया और ऐसी चीजों पर खर्च करना, जो इंसान की मौत के बाद भी उसकी नेकिया में इजाफ़ा होता रहा।


जो लोग अपने माल अल्लाह की राह में ख़र्च करते हैं, उनके ख़र्च की मिसाल ऐसी है जैसे एक दाना बोया जाए और उससे सात बालें निकलें और हर बाल में सौ दाने हों। इसी तरह अल्लाह जिसके अमल को चाहता है, बढ़ोतरी देता है। वो बड़ा खुले हाथ वाला भी है और सब कुछ जानने वाला भी।

कुर’आन 2:261


अल बदि'अ             Asma ul Husna            अल वारिस

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