95. Al Badi - अल्-बदी- Asma ul husna - 99 Names Of Allah

अल्-बदी का रूट  ب-د-ع से है यानी बेमिसाल चीज़ को इजाद करने वाला। अल् बदी, वो हस्ती जो बग़ैर किसी नमूने के बग़ैर किसी उदाहरण के बगैर किसी रोल मॉडल के बिल्कुल नए सिरे से चीज़ बनाने और इजाद करने वाला। यानी किसी की कॉपी ना करे बल्कि बिना किसी के मदद और किसी उदाहरण को देखे इजाद करने वाला।


95. Al Badi - अल्-बदी- Asma ul husna - 99 Names Of Allah

अल्-बदी ٱلْبَدِيعُ 

अल्-बदी का रूट  ب-د-ع से है यानी बेमिसाल चीज़ को इजाद करने वाला। अल्लाह वो है के जो खुद बे-मिसाल है और अपनी तमाम मखलूक को अपने इल्म वा कुदरत के मुताबिक बगैर किसी नमूने और मिसाल के पैदा करने वाला है। The Incomparable Originator.

आप इस लफ्ज़ को बिद्दत के लफ्ज़ में पहचानते है। बिद्दत यानी नया काम जो अल्लाह के रसूल ने ना किया हो। 

अल् बदी, वो हस्ती जो बग़ैर किसी नमूने के बग़ैर किसी उदाहरण के बगैर किसी रोल मॉडल के बिल्कुल नए सिरे से चीज़ बनाने और इजाद करने वाला। यानी किसी की कॉपी ना करे बल्कि बिना किसी के मदद और किसी उदाहरण को देखे इजाद करने वाला। 

अल बदी- वो रचनाकार जो ऐसी रचना करे जो उससे पहले कभी न की गयी हो। ऐसी नयी चीज़ शुरू करने वाला जो उससे पहले कभी न शुरू की गयी हो। अल बदी जो हर चीज़ के शुरू होने से पहले से मौजूद है और हर चीज़ के वजूद में आने का ज़िम्मेदार है। उसके हुकुम के बिना कोई चीज़ भी वजूद में आ नहीं सकती। अल बदी ऐसी रचना ऐसी तख़लीक़ करने वाला जिसका कोई दूसरा उदहारण कोई दूसरी मिसाल होना मुमकिन नहीं। उसकी रचना अद्भुत और अद्वितीय है। उसकी रचना का कोई सानी नहीं। अल बदी ही मूल है उसके पहले कुछ भी नहीं। हमेशा से मौजूद। और अल बदी ही अल बाक़ी है जो हमेशा हमेशा रहेगा। 

वो आसमानो और जमीं को ईजाद करने वाला (पहली बार पैदा करने वाला) है और जिस बात का फैसला वो कर लेता है उसके लिए बस ये हुकुम देता है की "हो जा" और वो हो जाता है। 

क़ुरआन 2:117 

अल्लाह की सिफ़ात और अल्लाह के गुण जैसे गुण किसी दूसरे में मौजूद नहीं। कोई दूसरा अल बदी के बराबर का नहीं और कोई दूसरा अल बदी के जैसी रचना नहीं कर सकता। किसी चीज़  किसी मटेरियल  रचना को अंजाम देने की शक्ति सिर्फ और सिर्फ अल बदी में ही है। 

अल बदी - वो अतुलनीय और अद्भुत रचनाकार बेजान से जानदार निकालने वाला। उसके जैसी रचना करना किसी और के लिए मुमकिन नहीं। सिर्फ एक अकेला पूरी सृष्टि का रचनाकार, जिसके सिवा किसी दूसरे के पास ऐसी  रचना करने की शक्ति नहीं। 

वो तो आसमानो और ज़मीं को ईजाद करने  वाला है उसका कोई बेटा कैसे हो सकता है ? जबकि उसका कोई जीवनसाथी नहीं।  उसने हर चीज़ को पैदा किया है और वो हर चीज़ का इल्म रखता है। 

क़ुरआन 6:101 

हम कोई भी काम करना शुरू करते हैं तो किसी ना किसी से इंस्पायर होते हैं। कोई मशहूर चित्रकार है तो किसी इंसान का या किसी कुदरत का चित्र बनाता है, कोई लेखक है तो किसी ना किसी किरदार की ज़िंदगी से मुतासिर होता है। यहाँ तक के कोई साइंसदान कोई नयी इजाद करता है तो वो भी कहीं किसी ना किसी से मुतासिर होता है। जैसे परिंदों से मुतासिर होकर हवाई जहाज़ इजाद किया गया, आसमानी बिजली को देखकर बल्ब और चांद को देखकर सैटेलाइट। इंसान कोई छोटा या बड़ा काम करे, किसी ना किसी से आईडिया लेता है, चाहे उसे कॉपी कहे या इंसपीरेशन। कोई भी invention जो हम देखते हैं या सुनते हैं असल में invention नहीं बल्कि डिस्कवरी होती है। क्योंकि उसे स्क्रैच से नहीं बनाया जाता। किसी भी चीज़ को बनाने के लिए तमाम चीज़ें अल्लाह ने बनाई हैं इंसान सिर्फ अलग अलग चीज़ों को मिक्स एंड मैच करता है। सोलर एनर्जी, बिजली, हाइड्रो पावर, विंड एनर्जी, लोहा, तांबा हर चीज़ जो दुनिया में मौजूद है, कोई भी इंसान ने खुद नहीं बनाई।

तो फिर किसने बनाया ये सब? 

अल् बदी, वो ज़ात जिसे किसी मटेरियल किसी सामान किसी चीज़ की ज़रूरत नहीं, ना किसी मिसाल की ज़रूरत, ना किसी की मदद की ज़रूरत है, वो बेमिसाल तख्लीक करता है। 

अल् बदी ने अपने हर मखलूक को बिल्कुल स्क्रैच से, अदम से बनाया है। आज इंसान जो कुछ तरक्की कर रहा है, वो सब अल् बदी की ही तरफ से है। अगर हमारे दिमाग़ में कोई भी नया ख़याल, कोई आइडिया आए तो समझ जाया करें ये अल् बदी की तरफ़ से है। क्यूंकि इंसान की सोच महदूद है, सीमित है। अगर कोई नया काम इंसान करना चाहे, जैसे कि कोई इजाद ही साइंसदान करना चाहे तो वो अपनी ज़िंदगी में नहीं कर सकता जब तक वो पुराने साइंसदान के उससे पहले के अधूरे काम और शोध की मदद ना ले। यानी कोई भी नया invention या खोज करने के लिए सैकड़ों सालों की पुराना अलग अलग लोगों का शोध पढ़ना पढ़ेगा तब जाकर कोई चीज़ तैयार कर पाएगा इंसान। और बाज दफा कई लोगों की टीम मिलकर एक ही आइडिया पर काम करती है, थिंक टैंक काम करते हैं। तब भी उसमें कुछ कमी होती हैं। iteration मेथड होता है, एक खाका बनाया, फिर उसको implement करके देखा। फिर दोबारा उसे ठीक किया उसकी कमी दूर की, फिर टेस्ट किया दोबारा सुधार किया। इस तरह कोई नयी डिज़ाइन बनाई जाती है। 

अल बदी, बिन किसी सैंपल के अभूतपूर्व और अनोखी चीज़ों का निर्माण करता है। परिंदों को देख कर इंसान हवाई जहाज़ बनाता है, और अल्लाह बिना किसी मिसाल के एक से एक खूबसूरत परिंदे बनाता है, और 2-4 नहीं करोड़ों परिंदे बनाता है, हर एक खूबसूरत और दूसरों से बिल्कुल अलग। जितने तरह के परिंदों की स्पीशीज़ अल बदी ने बनाई हैं उन सबको जानने और समझने में ही एक इंसान के पसीने छूट जाते हैं। कोई zoology की परिक्षा में 100 में से 100 नहीं लाता। सोचें- कुछ इंसान परिंदों के बारे में गहराई से शिक्षा हासिल करते है कुछ जानवरों के बारे में कुछ वनस्पति तो कुछ समुंदर के जीव के बारे में, कुछ लोग खगोल और अंतरिक्ष के ज्ञानी होते हैं तो कुछ जीव के शारिरीक संरचना को स्टडी करते हैं। यानी एक इंसान किसी एक विषय का ज्ञाता होता है वो भी कुछ ही लोग। सोचें वो सर्वज्ञानी जो इन सबको बनाने वाला और सबको जानने वाला अल् बदी कितना बेहतरीन तख्लीक करने वाला है, जिसे ना किसी मदद की ज़रूरत न किसी मिसाल की ना किसी मटेरियल की ना किसी की इजाज़त की। 

अगर हमें कोई चीज़ बनानी होती है तो हम हर चीज़ के लिए मुहताज होते हैं। हमें ईंट, पत्थर, गारा, लोहा, लकड़ी और कई चीज़ें चाहिए होती हैं लेकिन अल् बदी किसी चीज़ का मुहताज नहीं। एक बूंद से पूरा का पूरा आदमी बना देता है। उसे किसी माद्दे यानी मटेरियल की भी ज़रूरत नहीं। और तो और इंसान जो बनाता है उसका मटेरियल बनाने वाला भी वही है। और जो कुछ आज तक हमे आइडियाज नए कुछ बनाने के वो सब अल् बदी की ही तरफ़ से हैं।

उसे ना कोई वर्कशाप, ना कोई समय की कैद, ना कोई फैक्ट्री, ना कोई औजार की ज़रूरत है। अल् बदी बेनियाज़ है सब पर पूरी पूरी कुदरत रखने वाला है। वो हर लिहाज़ से आज़ाद और हर बंधन और नियम से मुक्त। उसने इस दुनिया को बनाया और इस पूरी क़ायनात को नियमों में बांध दिया। और वो नियम इंसान के ही लिए फायदेमंद हैं। उन्हीं नियम को समझकर इंसान नयी नयी चीज़ें खोजता है।  न हमारा रब ये नियम बनता न ही इंसान कोई एक भी मशीन बना पाता। फ्रिक्शन न हो तो कोई गाड़ी न चले, सौर्य ऊर्जा न हो तो सोलर बैटरी न चले। बिजली न को धातु में रास्ता देता है और लड़की प्लास्टिक में उसका गुज़र नहीं। अगर ये नियम हमारे रब ने न बनाये होते तो दुनिया में कोई एक भी इलेक्ट्रॉनिक मशीन और इलेक्ट्रिक मशीन का बनना मुमकिन नहीं था। 

अल बदी अजूबा इ रोज़गार और बाकमाल मुजिद। गौर करें। अल बदी ने एक चाँद बनाया मगर हर दिन उसकी एक नयी सूरत और एक नया रूप बनाया। चाँद के हर रो मुख्तलिफ शकल होती है। और आस्मां को देखें। हर पल उसकी सूरत बदलती रहती है। सूरज तो एक बनाया मगर दिन के हर हिस्से में उसका नज़ारा बिलकुल अलग बिलकुल जुदा नज़र आता है।  हवा तो हवा है मगर क्या आपने अल बदी के कमाल पर गौर किया , कभी ठंडी कभी गरम , कभी तेज़ कभी नरम , कभी तूफ़ान बन के आ जाती है लेकिन उसके बिना रहना भी मुमकिन नहीं। यानि हवा को ही ज़िन्दगी का जरिया बनाया और हवा ही को मौत का जरिया भी बनाया।  अल्लाहुअक्बर। 

अल बदी ने हर चीज़ एक ख़ास मक़सद से पैदा की, कोई एक ज़र्रा भी बेमकसद नहीं। चींटी को देखें तो उनका कोलोनिज़ेशन कांसेप्ट आज भी वैज्ञानिको को हैरान कर रहा है। किस तरह एक चींटी की हुकूमत में सारी चींटियां न सिर्फ काम करती है मगर उनका आपसी तालमेल गज़ब का होता है। अल्लाह ने इस छोटी सी मखलूक को इतनी एहमियत और इज़्ज़त बख्शी की क़ुरान की एक सूरत इनके नाम पर उतार दी। शहद की मख्खी की बनावट देखें। वो शहद बनती है किस क़दर मीठा और मेडिकल साइंस से साबित शिफा देने वाला। वो शहद जो साडी बड़ी से बड़ी फैक्ट्री में बनाना मुमकिन नहीं।  ऊँट में कितनी बेहतरीन कारीगरी की है हमारे रब ने के उसको विज्ञानं खुद रेगिस्तान का जहाज़ कहता है।  कभी गौर किया है ऊँट की बनावट पे ? उसको एक नहीं तीन तीन पलकें दी, और अंदरूनी पालक पारदर्शी होती है।  यानि तेज़ रेतीली आंधी में अगर अपनी एक पालक बंद कर ले तब भी वो देख सकता है। अल्लाहुअक्बर। उसका कूबड़ महीनो का खाना पानी जमा कर के रख सकता है। उसके पंजे गद्देदार और फार गर्मी से बचने वाला होता है। ऐसी कोई मखलूक अल्लाह ने नहीं बनायीं जिसमे आप देखें और आपको अल्लाह की बेहतरीन कारसाज़ होने का एह्सास न हो।  

और अल बदी ने आस्मां को छत और ज़मीन को फर्श बनाया। न कोई खम्बे न पिलर न कोई बुनियाद, करोडो साल से वैसा का वैसा। आज विज्ञान के जानने वाले जरूर ये जानते हैं के हमारी ज़मीं के चारो और एक वातावरण है जो हमारी जमीं को न जाने कितनी चीज़ों से बचाये हुए है। नुकसानदायक रेडिएशन्स को ओजोन की एक परत हमारी धरती तक आने से रोकती है। और भी बहुत सारी नुकसानदायक चीज़ों को हम तक पहुंचने नहीं देता। और करोडो करोडो गृह उपग्रह और खगोलीय पिंड से हमारी छत को सजा दिया। आज इंसान इंटेलीजेंट वस्तुओ को बनाना चाहता है और बना भी रहा है, जो खुद बा खुद जब ज़रूरत हो लाइट जल जाये जब ज़रूरत न हो बंद हो जाये। और अल बदी ने सूरज को वो रौशन चिराग बना दिया के साडी दुनोइया को बिना किसी फर्क के रोशनी दे रहा है, किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं और बिलकुल ज़रूरत के मुताबिक नपी तुली। जितना ज़रूरत है तब रौशनी होती है और फिर रात हो जाती है।  न सिर्फ इंसान बल्कि जानवर परिंदे और पेड़ पौधों को भी बिलकुल हिसाब से खाना पानी रौशनी गर्मी और सर्दी देने वाला अल बदी। 

और इस सबसे बढ़कर अल बदी ने इंसान को बनाया। इंसान को अल बदी ने इन सबसे बढ़कर बनाया। ये सारी चीज़ें अल बदी के बनाये हुए नियमो को तोड़ नहीं सकती। ये सूरज कभी अल बदी के हुकुम के खिलाफ रुक कर आराम नहीं कर सकता। ये जानवर कभी अल बदी के हुकुम के खिलाफ अपनी मर्ज़ी से कोई काम नहीं कर सकते, ये चाँद तारे अपनी मर्ज़ी से कहीं भी घूमने फिरने नहीं जा सकते न छुट्टी कर सकते। ये सब अल्लाह की हुकुम की तकमील बिना थके बिना रुके कर रहे हैं। मगर इंसान को अल्लाह ने इन सबसे बढ़कर एक कमाल दिया है वो है उसकी अक़्ल। इंसान को अपनी मर्ज़ी दी है अल्लाह ने। और इस जहाँ के तमाम करिश्मे उसकी निशानियों के तौर पर वाज़ेह कर दिए। अगर कोई भी हिदायत के लिए बुलाने वाला न भी हो तो भी जो अक़्ल अल्लाह ने अता की है अगर इंसान उसका इस्तेमाल करे तो वो खुद देख सकता है और जान सकता है के ये सरे करिश्मे किसके हैं और वो खुद बा खुद सजदे में गिर जाये। 

लेकिन इंसान को जो अल बदी ने कमाल अता करा है उसको इंसान गलत तरीके से इस्तेमाल कर के नाफरमानी करने पर भी क़ादिर है। और कुफ्र शिर्क और गुनाह फसाद करने का भी इख्तियार है। ये सब जो इंसान को अख्तियार दिया है और चुनने का विकल्प, ये सब कुछ अल बदी का कमाल है। 


अच्छा, तो क्या इन्होंने कभी अपने ऊपर आसमान की तरफ़ नहीं देखा? किस तरह हमने इसे बनाया और सजाया, और इसमें कहीं कोई दरार नहीं है। और ज़मीन को हमने बिछाया और इसमें पहाड़ जमाए और उसके अन्दर हर तरह की ख़ुश मन्ज़र नबातात (पेड़-पौधे) उगा दीं। ये सारी चीज़ें आँखें खोलने वाली और सबक़ देनेवाली हैं, हर उस बन्दे के लिये जो (हक़ की तरफ़) पलटने वाला हो। और आसमान से हमने बरकत वाला पानी नाज़िल किया, फिर उससे बाग़ और फ़सल के ग़ल्ले और ऊँचे-ऊँचे खजूर के पेड़ पैदा कर दिये जिनपर पर फलों से लदे हुए गुच्छे एक के ऊपर एक लगते हैं। ये इन्तिज़ाम है बन्दों को रिज़्क़ देने का। इस पानी से हम एक मुर्दा ज़मीन को ज़िन्दगी बख़्श देते हैं। (मरे हुए इन्सानों का ज़मीन से) निकलना भी इसी तरह होगा।

क़ुरआन 50: 6 -11 

आज ये एहसास होने के बाद के अल बदी ने क्या कमाल की तख़लीक़ की है , क्या हमारा सर खुद बा खुद सजदे में नहीं झुक जाता ? क्या कोई है दूसरा जिसकी ऐसी तारीफ और बुज़ुर्गी हो ? क्या किसी और में ऐसी खूबी है ? अगर हमसे कोई एक नेमत छीन जाती है तो हम इस क़दर अफ़सोस में डूब जाते हैं के हमे याद ही नाहुई रहता के  पास अल्लाह की किस क़दर दुसरी नेमते मौजूद हैं। 

इस वजह से इंसान नाशुक्रा हो जाता है और अपने रब ऐ करीम की  कदर नहीं करंट जो करने का हमारे रब का हक़्क़ है।  हमेशा अल बदी की हिकमतो और  कारीगरी पर गौर और फ़िक्र करें और और शुक्र  तमाम नेमतों का जो अल बदी ने हमारे  हैं।  और इबादत करें उस रब की जैसा की इबादत करने का हक़्क़ है। जिक्र और शुक्र करते रहे और मांगे अल बदी से जो चाहे , वो दुआ क़ुबूल करने वाला और कारसाज़ है। 

अल हादि             Asma ul Husna            अल बाकी  

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

क्या आपको कोई संदेह/doubt/शक है? हमारे साथ व्हाट्सएप पर चैट करें।
अस्सलामु अलैकुम, हम आपकी किस तरह से मदद कर सकते हैं? ...
चैट शुरू करने के लिए यहाँ क्लिक करें।...