ताग़ूत का इनकार [पार्ट-3]
(यानि कुफ्र बित-तागूत)
ताग़ूत की पहचान
"अल्लाह के सिवा जिसकी इबादत की जाए, वो ताग़ूत कहलाता है।"
जिस किसी भी बातिल (ग़लत) माबूद की इबादत की जाए या जिसकी ऐसे कामों में इत्तिबा (फॉलो/पैरवी) की जाए जिनमें अल्लाह की नाफरमानी हो, या जिसकी इताअत हलाल और हराम कामों में इस तरह की जाए, जिसमें अल्लाह के फरामीन (यानि फ़रमान) की मुख़ालिफत हो, इसकी वजह से बंदा अपनी हुदूद (लिमिट्स) और (अल्लाह की ख़ालिस इबादत) से तजावुज़ (यानि आगे बढ़) कर जाए, वही चीज़ "ताग़ूत" है।
ताग़ूत तो बहुत सारे हैं मगर उनके सरबरा (हेड्स) पाँच (5) हैं:
1. इब्लीस (अल्लाह की लानत हो उस पर):
इब्लीस ने अल्लाह के सामने सीधे इंकार किया और आदम (अलैहिस्सलाम) को सजदा करने से मना कर दिया। वो इंसानों को गुमराही और अल्लाह की नाफरमानी की तरफ़ बुलाता है। इसलिए वो सबसे बड़ा ताग़ूत है, क्योंकि उसका काम ही लोगों को अल्लाह की इबादत से रोकना है।
उदाहरण: जब इब्लीस ने आदम और हव्वा को धोखा देकर जन्नत से निकलवाया और गुमराह किया।
2. ऐसा शख्स जिसकी इबादत की जाए और वो उस पर राज़ी हो:
जो शख्स अपनी इबादत करवाए और खुद को माबूद माने, वो ताग़ूत है, क्योंकि अल्लाह के सिवा किसी और की इबादत जायज़ नहीं।
उदाहरण: जैसे मिस्र का फिरऔन, जिसने खुद को लोगों का माबूद घोषित कर दिया और कहा कि लोग उसकी इबादत करें।
3. वो शख्स जो लोगों को अपनी इबादत के लिए दावत देता है:
जो व्यक्ति लोगों से कहे कि वो उसकी इबादत करें या खुद को अल्लाह जैसा माबूद माने, वो ताग़ूत है।
उदाहरण: नज़रान के राजा और अन्य वो शासक जो अपनी मूर्तियाँ बनवाकर लोगों को अपनी पूजा करने के लिए मजबूर करते थे या लोगों से अपने बनाए हुए कानून की पैरवी करने के लिए कहते है।
4. वो शख्स जो इल्म-ए-ग़ैब (अदृश्य ज्ञान) जानने का दावा करता हो:
इल्म-ए-ग़ैब सिर्फ़ अल्लाह के पास है। जो शख्स दावा करे कि उसे अल्लाह की तरह ग़ैब का इल्म है, वो अल्लाह की हुकूमत में साझेदारी का दावा कर रहा है, इसलिए ताग़ूत है।
उदाहरण: ज्योतिषी, भविष्यवक्ता, या कोई तांत्रिक जो दावा करता है कि वो भविष्य देख सकता है या ग़ैब की बातें जानता है।
5. जो अल्लाह की नाज़िल की गई शरीअत के ख़िलाफ़ फ़ैसला करे:
अल्लाह ने जो शरीअत और क़ानून उतारे हैं, वो इंसान के लिए अंतिम फैसले हैं। जो शख्स अल्लाह के क़ानून की जगह अपने क़ानून या दूसरे क़ानून लागू करे, वो ताग़ूत है, क्योंकि वो अल्लाह की हुकूमत को नकार रहा है।
उदाहरण: कोई ऐसा शासक या न्यायाधीश जो शरीअत के ख़िलाफ़ फ़ैसले करता हो और अल्लाह के हुक्म की जगह इंसानी क़ानून लागू करता हो, जैसे वो देश जहां शरीअत की जगह मानव-निर्मित क़ानून लागू होते हैं।
- मुवाहिद
0 टिप्पणियाँ
कृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।