Khulasa e Qur'an - surah 48 | surah al fath

Khulasa e Qur'an - surah | quran tafsir

खुलासा ए क़ुरआन - सूरह (048) अल फ़तह


بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ


सूरह (048) अल फ़तह 


(i) फ़तह ए मुबीन

जिसको फ़तह ए मुबीन क़रार दिया गया है उससे मुराद सुलह हुदैबिया है। इसमें कुफ़्फ़ार की तरफ़ से जितनी भी शर्तें रखी गई थीं सभी अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मंज़ूर कर लीं। बज़ाहिर ऐसा महसूस हो रहा था कि मुसलमानों को बहुत ज़्यादा दबाया गया है बल्कि इन शर्तों को मानने के लिए वह दिल से तैयार न थे लेकिन इताअते रसुल के आगे बेबस थे वह चार शर्तें यह थीं

◆ दस साल तक जंग बंद रहेगी, एक दूसरे के ख़िलाफ़ खुली छुपी कोई कार्यवाही नहीं होगी। 

◆ क़ुरैश का जो भी आदमी भागकर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास जाएगा उसे वापस कर दिया जाएगा लेकिन आप के साथियों में से जो क़ुरैश के पास चला जायेगा उसे वापस नहीं किया जायेगा। 

◆ अरब के क़बीलों में से जो क़बीला भी किसी एक का सहयोगी बन कर इस संधि में शामिल होना चाहेगा उसे इख़्तियार होगा। 

◆ अगले साल उमरे के लिए आकर तीन दिन मक्के में इस शर्त पर ठहरेंगे कि परतलों में सिर्फ़ एक तलवार हो, वापसी में किसी को भी अपने साथ न ले जा सकेंगे।

ज़ाहिर सी बात है ऐसी शर्तों पर कौन ख़ुश हो सकता था लेकिन अल्लाह ने इसे फ़तहे मुबीन क़रार दिया और हालात ऐसे पैदा कर दिए कि सिर्फ़ दो साल बाद मक्का मुसलमानों के क़ब्ज़े में था और कुफ़्फ़ारे मक्का उनके रहम व करम पर थे। (आयत 01)


(ii) मोमिन के चार काम

◆ अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान 

◆ उनका साथ देना। 

◆ अल्लाह की बड़ाई और रसूल की इज़्ज़त करना।

◆ तस्बीह बयान करना। (8, 9)


(iii) बैअते रिज़वां

हुदैबिया पर पड़ाव डालकर नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उस्मान रज़ी अल्लाहु अन्हु को मक्का में अपना दूत बनाकर भेजा ताकि क़ुरैश के सरदारों को पैग़ाम दें कि हम जंग के लिए नहीं बल्कि उमरे के मक़सद से क़ुरबानी के जानवरों के साथ आये हैं, मगर वह लोग न माने और उस्मान रज़ियल्लाहु अन्हु को रोक लिया। इसी बीच उनके क़त्ल की ख़बर उड़ गई और उनके वापस न आने से मुसलमानों को यक़ीन हो गया तो तमाम 1400 मुसलमानों ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के हाथ पर बैअत की कि "हम उस्मान के ख़ून का बदला लेंगे या फिर यहीं जामे शहादत नोश करेंगे"। अल्लाह तआला को यह बात बहुत पसंद आई और सभी को अपनी रज़ा की सर्टिफ़िकेट इनायत कर दिया: "जिस वक़्त मोमिनीन तुमसे दरख़्त के नीचे की बैअत कर रहे थे तो अल्लाह उनसे इस बात पर ज़रूर ख़ुश हुआ ग़रज़ जो कुछ उनके दिलों में था अल्लाह ने उसे देख लिया फिर उन पर तस्सली नाज़िल फ़रमाई और उन्हें उसके बदले में बहुत जल्द फ़तह इनायत की। (आयत18)


(iv) सहाबा की तारीफ़ 

◆ आपस मे रहीम और कुफ़्फ़ार पर सख़्त। 

◆ रुकूअ, सज्दा, और अल्लाह के फ़ज़ल व रज़ा की ख़्वाहिश, 

◆ पेशानी पर सज्दों के निशान उनकी पहचान (29)


आसिम अकरम (अबु अदीम) फ़लाही

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