Khulasa e Qur'an - surah 21 | surah al anbiya

Khulasa e Qur'an - surah | quran tafsir

खुलासा ए क़ुरआन - सूरह (021) अल अंबिया 


بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ


सूरह (021) अल अंबिया 


(i) नबी के विषय में सभी क़ौमों के एतेराज़ एक जैसे थे

● यह तो हमारे जैसा ही एक इंसान है। 
● जादूगर है। ● इसकी बातें तो उलझे हुए सपने हैं। 
● उसने ख़ुद यह बातें घड़ ली हैं। 
● कोई निशानी ले आए। 

(3 से 5)


(ii) बिग बैंग थ्योरी और क़ुरआन

‘‘क्या वह लोग जिन्होंने (नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पुष्टि से) इंकार कर दिया है ध्यान नहीं करते कि यह सब आकाश और धरती परस्पर मिले हुए थे फिर हम ने उन्हें अलग किया‘‘। (आयत 30 )

(इस क़ुरआनी आयत और ‘‘बिग बैंग‘‘ के बीच आश्चर्यजनक समानता से इंकार संभव ही नहीं! यह कैसे संभव है कि एक किताब जो आज से 1440 वर्ष पहले अरब के रेगिस्तानों में नाज़िल हुई अपने अन्दर ऐसे असाधारण वैज्ञानिक यथार्थ समाए हुए है।


(iii) तौहीद

तौहीद पर छह दलाएल का ज़िक्र किया गया है-

◆ आसमान और ज़मीन को अलग किया। 
◆ तमाम जीव पानी से बनाये। 
◆ ज़मीन में पहाड़ जमा दिए ताकि लोगोँ के बोझ से ज़मीन हिलने न लगे। 
◆ ज़मीन में चौड़े रास्ते बनाये ताकि लोग उनपर चलें। 
◆ आसमान को महफ़ूज़ छत बनाया। 
◆ रात और दिन, सूरज और चांद का निज़ाम बनाया, हर एक अपने अपने मदार (axis) पर बहुत तेज़ गति से घूम रहे हैं। न इनमें टकराव होता है और न गडमड ही होते हैं। 

(30 से 33)


(iv) क़यामत

● सूरह का आरम्भ ही हुआ है कि हिसाब व किताब का वक़्त क़रीब आ गया है लेकिन लोग हैं कि इस दिल दहला देने वाले दिन से ग़ाफ़िल हो रहे हैं (आयत 01)

● जैसे किसी रजिस्टर के पन्ने को खोला जाता है और फिर लपेट कर रोल कर दिया जाता है ऐसे ही क़यामत के दिन अल्लाह आसमान को लपेट कर अपनी मुट्ठी में ले लेगा। और इंसान दोबारा उठाये जाएंगे। (आयत 104)

● याजूज माजूज का निकलना क़यामत की दस बड़ी निशानियों में से एक है। यह ज़ुल क़रनैनन की दीवार के पीछे बंद हैं जिसका बयान सूरह अल कहफ़ आयत 94 और 95 में हो चुका है। क़यामत के क़रीब याजूज माजूज खोल दिये जायेंगे,और वह बुलंदी से उतर रहे होंगे। वह दुनिया पर इस तरह टूट पड़ेंगे जैसे कोई शिकारी दरिंदा अचानक पिंजरे या बन्धन से आज़ाद कर दिया गया हो। (आयत 96)

● मुशरेकीन और उनके बनाये हुए बुत जहन्नम का ईंधन बनेंगे। (आयत 98)


(v) रिसालत

रिसालत के संदर्भ में सत्तरह अंबिया अलैहिमुस्सलाम का ज़िक्र आया है। 

(1) मूसा अलैहिस्सलाम
(2) हारून अलैहिस्सलाम
(3) इब्राहीम अलैहिस्सलाम
(4) लूत अलैहिस्सलाम
(5) इस्हाक़ अलैहिस्सलाम
(6) याक़ूब अलैहिस्सलाम
(7) नूह अलैहिस्सलाम
(8) दाऊद अलैहिस्सलाम
(9) सुलैमान अलैहिस्सलाम
(10) अय्यूब अलैहिस्सलाम
(11) इस्माईल अलैहिस्सलाम
(12) इदरीस अलैहिस्सलाम
(13) ज़ुल किफ़ल अलैहिस्सलाम
(14) यूनुस अलैहिस्सलाम
(15) ज़करिया अलैहिस्सलाम
(16) यहया अलैहिस्सलाम
(17) ईसा अलैहिस्सलाम

इन सत्तरह में कुछ अंबिया अलैहिमुस्सलाम के वाक़िआत थोड़े विस्तार से बयान हुए हैं और बाक़ी का संक्षिप्त (मुख़्तसर) ज़िक्र है।


(vi) मोअजिज़ात (miracle)

● इब्राहीम अलैहिस्सलाम के लिए आग ठंडी और सलामती बन गयी। (69)

● पहाड़ और परिंदे दाऊद अलैहिस्सलाम के साथ तस्बीह बयान करते थे, उनके हाथ में आते ही लोहा नरम हो जाता था। (79)

● तेज़ हवा सुलैमान अलैहिस्सलाम के हुक्म से चलती थी, जिन्नात पर उनका कंट्रोल था। (81)


(vii) मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम सबके लिए

अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम तमाम दुनिया के लिए रहमत हैं (وَمَا أَرْسَلْنَاكَ إِلَّا رَحْمَةً لِّلْعَالَمِينَ) यह प्रमाण है कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पूरे संसार के लिए नबी बना कर भेजे गए थे। (107)


(viii) कुछ अहम बातें

● आसमान, ज़मीन और उनके दरमियान की चीज़ो को खिलवाड़ के लिए नहीं बनाया गया है। (16)

● जो ख़ुदाई का दावा करेगा उसका ठिकाना जहन्नम है। (29)

● मौत सभी को आनी है। (36)

● इंसान बहुत जल्दबाज़ी मचाता है। (37)

● ज़मीन प्रत्येक दिशा से घटती चली जा रही है। (44)


आसिम अकरम (अबु अदीम) फ़लाही

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