खुलासा ए क़ुरआन - सूरह (019) मरयम
सूरह (019) मरयम
(i) अंबिया का ज़िक्र
(1) सूरह मरयम में कुल बारह अंबिया ए कराम का तज़किरा आया है।
(2) नूह
(3) इदरीस
(4) इब्राहीम
(5) इस्माईल
(6) इस्हाक़
(7) याक़ूब
(8) मूसा
(9) हारून
(10) ज़करिया
(11) यहया
(12) ईसा अलैहुमुस्सलाम
इनमें से तीन का ज़िक्र ज़रा तफ़सील से बयान हुआ है।
(1) यहया अलैहिस्सलाम का जन्म
ज़करिया अलैहिस्सलाम और उनकी बीवी के यहां बुढ़ापे में औलाद हुई और नाम यहया भी वही وحي के ज़रिए ही decide किया गया। यहया अलैहिस्सलाम नबी बनाये गए। इस वाक़िआ से यह सबक़ मिलता है कि इंसान को कभी मायूस नहीं होना चाहिए। अपने रब से हमेशा दुआ करते रहना चाहिए। (2 से 15)
(2) ईसा अलैहिस्सलाम का जन्म
अल्लाह ने ईसा को बेग़ैर बाप के पैदा किया, क़ौम ने इल्ज़ाम लगाया तो मां की गोद से ही ईसा का बात करना दूसरे मोअजिज़े (miracle) के तौर पर ज़ाहिर हुआ। वह बोल पड़े कि "मैं अल्लाह का बंदा हूं। अल्लाह ने मुझे किताब दी और नबी बनाया है, मुझे जीते जी नमाज़ और ज़कात अदा करने का आदेश दिया है और मुझे अपनी माता का फ़रमाबरदार भी बनाया है। (16 से 33)
(3) इब्राहीम अलैहिस्सलाम की अपने वालिद को दावत
ऐ मेरे प्यारे अब्बा जान, आप ऐसी चीज़ों को क्यों पूजते हैं जो न सुनते हैं, न देखते हैं, न कोई फ़ायदा पहुंचाते हैं। मेरे पास अल्लाह का दिया हुआ इल्म है जो आपके पास नहीं है इसलिए आप मेरी बात मान लें। शैतान के पीछे न चलें क्योंकि शैतान तो अपने रब का नाशुकरा है। मुझे इस बात का डर है कि कहीं आप पर अल्लाह का अज़ाब न आ जाय। इब्राहीम के बाप ने न सिर्फ़ यह कि उनकी बात न मानी बल्कि पत्थर मारने और देश निकाला देने की धमकी भी दी लेकिन इब्राहीम अलैहिस्सलाम इलाही मिशन पर जमे रहे और घर बार और वतन सब कुछ छोड़ना मंज़ूर कर लिया। (41 से 50)
(ii) मौत के बाद ज़िंदगी
जो लोग कहते हैं कि जब वह मर खप जाएंगे तो भला दोबारा कैसे ज़िंदा होंगे। अल्लाह तआला ने उसका जवाब देते हुए कहा है कि इंसान जब कुछ भी न था तब उसे पैदा कर दिया तो दोबारा पैदा करना कौन सी बड़ी और अनोखी बात है। हम ज़रूर इकट्ठा करेंगे और शैतान को भी हाज़िर करेंगे और बताएंगे कि जहन्नम का ज़्यादा मुस्तहिक़ कौन है। (66 से 74)
(iii) किसी को अल्लाह का बेटा कहना भयानक जुर्म है
लोग कहते हैं कि रहमान ने बेटा बनाया है उन्होंने ऐसा झूठ घड़ लिया है, क़रीब है कि आसमान गिर पड़े, ज़मीन फट जाए और पहाड़ टुकड़े टुकड़े होकर गिर पड़ें। (88 से 94)
(iv) कुछ अहम बातें
● मायूसी कुफ़्र है, औलाद और तमाम आवश्यकताओं के लिए केवल अल्लाह की तरफ़ पलटना चाहिए। (4)
● दावत का काम किसी भी समय रुकना नहीं चाहिए चाहे कितनी ही परेशानियों का सामना क्यों न करना पड़े।
● ईसा अलैहिस्सलाम अल्लाह के बंदे और रसूल हैं उनको अल्लाह ने बगैर बाप के पैदा किया। (30)
● इस समय दुनिया में जितने भी इंसान हैं सभी उनकी औलाद हैं जो नूह अलैहिस्सलाम की कश्ती (मनु की नौका) में सवार थे। (58)
● अक्सर ऐसा हुआ है कि नेके लोगों के बाद कुछ ऐसे अधम (नाहंजार) उठे जिन्होंने नमाज़ को छोड़ दिया और अपनी मनमानी की और गुमराही के दलदल में फंसते चले गए। (59)
● मौत के बाद जिंदगी अनिवार्य है जैसे अल्लाह ने इंसान को पहली बार पैदा किया है ऐसे ही मौत के बाद भी ला खड़ा करेगा। शिर्क करने और आख़िरत के इंकार के कारण ही बहुत सी प्रसिद्ध क़ौमें दुनिया से यूं मिट गई जैसे उनका कभी नामोनिशान ही न था। (67)
आसिम अकरम (अबु अदीम) फ़लाही
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