ईमान क्या हैं?
अल्लाह को एक मानना और उस ज़माने के नबी पर ईमान लाना ईमान है और इस उम्मत के लिए बाकि नबियों पर भी ईमान लाने क़ा हुक्म है। ईमान अल्लाह की तरफ से सबसे बड़ी नेअमत हैं। अगर किसी को अल्लाह ने माल और औलाद की नेअमतो से नवाज़ा हैं मगर वो इंसान अपनी ग़फ़लत और हटधर्मी की वजह से ईमान की नेअमत से मेहरूम हैं तो बेशक़ उसने जो कुछ पाया दुनियां में पाया आखिरत में उसका कोई हिस्सा नहीं।
अल्लाह किसी पर भी ज़र्रा बराबर भी ज़ुल्म नहीं करता ,ज़ब अल्लाह आखिरत में सबको एक - एक नेकी का बदला देगा तो वो कैसे नाइंसाफी कर सकता हैं ? क्या सोचने की बात नहीं हैं ?
इस उम्मत का ईमान और इत्ताआत ( फरमाबरदरी)
"لَا إِلَٰهَ إِلَّا ٱللَّٰهُ مُحَمَّدٌ رَسُولُ ٱللَّٰهِ"
"La ilaha illallah Muhammadur rasulullah"
"नहीं हैं कोई माबूद सिवाए अल्लाह के ,और रसूल (ﷺ) अल्लाह के रसूल हैं।"
हम दिल से क़बूल करते हुए ज़ुबान से कलमा पढ़ते हैं। दिल और ज़ुबान भी हमारे गवाह बन जाते हैं कि अब कलमा पढ़ने के बाद ये फर्ज़ हो गया कि अल्लाह और उस के रसूल (ﷺ) की फरमाबरदरी भी की जाये।
वजह ये है कि ईमान बिना नेक अमल के मुकम्मल नहीं हैं क्योंकि अगर ईमान लाने वाले के नेक अमल नहीं होंगे तो उसका ईमान भी कमज़ोर और कलमा भी कमज़ोर ।
नेक अमल सिर्फ अल्लाह के लिए होते हैं। सहीह बुखारी की रिवायत हैं:
"सारे आमाल का दारोमदार नियत पर हैं"। [सहीह बुखारी 54]
नेक अमल के लिए क़ुरआन को समझने और रसूल (ﷺ) की ज़िन्दगी भी पढ़नी होंगी। क्योकि नबी मुहम्मद (ﷺ) क़ुरआन की तरबियत हैं।
आयशा (رَضِيَ ٱللَّٰهُ عَنْهَا) ने कहा: "रसूल (ﷺ) का अख़लाक़ (आपकी सीरत व किरदार क़ुरान क़ुरान का अमली नमूना था।" [सहीह मुस्लिम 746]
अल्लाह ताआला का इरशाद है;
"यक़ीनन तुम लोगो के लिए अल्लाह के रसूल में बेहतरीन नमूना हैं ,उन लोगो के लिए जो अल्लाह और क़यामत के उम्मीदवार हो और कसरत से ( बहुत ज़्यादा ) अल्लाह का ज़िक्र करते हो .." [सूरह अहज़ाब :21]
ज़िक्र में क़ुरआन समझना , नमाज़ , तस्बीहात , हर महफ़िल में अल्लाह की बाते और नसीहत भी शामिल हैं। हमारे लिए ईमान की मज़बूती अल्लाह और उसके रसूल की फ़रमाबरदरी में ही हैं। अल्लाह ने जन्नत की बशारत उन लोगो को दी जो ईमान लाये और नेक अमल करते हैं। क़ुरआन में ऐसी आयते हमें बार बार मिलती हैं । अल्लाह ताआला निहायत मेहरबान और प्यारा है। अल्लाह ने हर तरह से अपने बन्दों के लिए क़ुरआन में मिसालें बयान की है ..क्यो कि अल्लाह चाहता है कि जन्नत परहेज़गारो यानी मुत्तक़ियों से भर जाये।
आपकी दीनी बहन
तबस्सुम शहज़ाद
वजह ये है कि ईमान बिना नेक अमल के मुकम्मल नहीं हैं क्योंकि अगर ईमान लाने वाले के नेक अमल नहीं होंगे तो उसका ईमान भी कमज़ोर और कलमा भी कमज़ोर ।
नेक आमाल क्या है?
नेक अमल सिर्फ अल्लाह के लिए होते हैं। सहीह बुखारी की रिवायत हैं:
"सारे आमाल का दारोमदार नियत पर हैं"। [सहीह बुखारी 54]
नेक अमल के लिए क़ुरआन को समझने और रसूल (ﷺ) की ज़िन्दगी भी पढ़नी होंगी। क्योकि नबी मुहम्मद (ﷺ) क़ुरआन की तरबियत हैं।
आयशा (رَضِيَ ٱللَّٰهُ عَنْهَا) ने कहा: "रसूल (ﷺ) का अख़लाक़ (आपकी सीरत व किरदार क़ुरान क़ुरान का अमली नमूना था।" [सहीह मुस्लिम 746]
अल्लाह ताआला का इरशाद है;
"यक़ीनन तुम लोगो के लिए अल्लाह के रसूल में बेहतरीन नमूना हैं ,उन लोगो के लिए जो अल्लाह और क़यामत के उम्मीदवार हो और कसरत से ( बहुत ज़्यादा ) अल्लाह का ज़िक्र करते हो .." [सूरह अहज़ाब :21]
ज़िक्र में क़ुरआन समझना , नमाज़ , तस्बीहात , हर महफ़िल में अल्लाह की बाते और नसीहत भी शामिल हैं। हमारे लिए ईमान की मज़बूती अल्लाह और उसके रसूल की फ़रमाबरदरी में ही हैं। अल्लाह ने जन्नत की बशारत उन लोगो को दी जो ईमान लाये और नेक अमल करते हैं। क़ुरआन में ऐसी आयते हमें बार बार मिलती हैं । अल्लाह ताआला निहायत मेहरबान और प्यारा है। अल्लाह ने हर तरह से अपने बन्दों के लिए क़ुरआन में मिसालें बयान की है ..क्यो कि अल्लाह चाहता है कि जन्नत परहेज़गारो यानी मुत्तक़ियों से भर जाये।
तबस्सुम शहज़ाद
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