Gairullah se dua karne walon ke sawalon ke jawab

 

Gairullah se dua karne walon ke sawalon ke jawab


गैरुल्लाह से दुआ करने वालों के चंद सुवालों के जवाब


1. जैसे छत पर चढ़ने के लिए सीढ़ी चाहिए उसी तरह अल्लाह की कुर्ब हासिल करने के लिए औलिया का वसीला चाहिए!

जवाब: अल्लाह पाक क़ुरान पाक में सुरह बकरा में आयत नंबर 186 में फरमाता है-

وَ اِذَا سَاَلَکَ عِبَادِیۡ عَنِّیۡ فَاِنِّیۡ قَرِیۡبٌ ؕ اُجِیۡبُ دَعۡوَۃَ الدَّاعِ اِذَا دَعَانِ ۙ فَلۡیَسۡتَجِیۡبُوۡا لِیۡ وَ لۡیُؤۡمِنُوۡا بِیۡ لَعَلَّہُمۡ یَرۡشُدُوۡنَ

"और ऐ नबी! मेरे बन्दे अगर तुमसे मेरे बारे में पूछें तो उन्हें बता दो कि मैं उनसे क़रीब ही हूँ। पुकारनेवाला जब मुझे पुकारता है, मैं उसकी पुकार सुनता और जवाब देता हूँ, तो उन्हें चाहिये कि मेरी पुकार पर लब्बैक [हम हाज़िर हैं] कहें और मुझपर ईमान लाएँ। ये बात तुम उन्हें सुना दो शायद कि वो सीधा रास्ता पा लें।"

नोट: जब अल्लाह आपके बिल्कुल क़रीब है तो ये सीढ़ी वाला एग्जांपल देना जाहिलियत है आप अल्लाह से मदद तलब करें क्योंकि वो आपके क़रीब है।

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2. अल्लाह वलियों को ताक़त अता करता है हम उन्हें अताई मानकर दुआ करते हैं!

जवाब: अल्लाह पाक क़ुरान पाक में सुरह माईदा में आयत नंबर 75 ता 76 में फरमाता है-

مَا الۡمَسِیۡحُ ابۡنُ مَرۡیَمَ اِلَّا رَسُوۡلٌ ۚ قَدۡ خَلَتۡ مِنۡ قَبۡلِہِ الرُّسُلُ ؕ وَ اُمُّہٗ صِدِّیۡقَۃٌ ؕ کَانَا یَاۡکُلٰنِ الطَّعَامَ ؕ اُنۡظُرۡ کَیۡفَ نُبَیِّنُ لَہُمُ الۡاٰیٰتِ ثُمَّ انۡظُرۡ اَنّٰی یُؤۡفَکُوۡنَ 

 قُلۡ اَتَعۡبُدُوۡنَ مِنۡ دُوۡنِ اللّٰہِ مَا لَا یَمۡلِکُ لَکُمۡ ضَرًّا وَّ لَا نَفۡعًا ؕ وَ اللّٰہُ ہُوَ السَّمِیۡعُ الۡعَلِیۡمُ 

"मरयम का बेटा मसीह इसके सिवा कुछ नहीं कि बस एक रसूल था, उससे पहले और भी बहुतसे रसूल गुज़र चुके थे, उसकी माँ एक हक़परस्त (सत्यवती) औरत थी और वो दोनों खाना खाते थे। देखो, हम किस तरह उनके सामने हक़ीक़त की निशानियाँ वाज़ेह करते हैं, फिर देखो ये किधर उलटे फिरे जाते हैं।इनसे कहो : क्या तुम अल्लाह को छोड़कर उसकी परस्तिश करते हो जो न तुम्हारे लिये नुक़सान का इख़्तियार रखता है और न फ़ायदे का? हालाँकि सबकी सुननेवाला और सब कुछ जाननेवाला तो अल्लाह ही है।"

नोट: जब ईसा अलैहिस्सलाम नुकसान और फायदे का इख्तियार नहीं रखते तो आपके औलिया कैसे इख्तियार रख सकते हैं।

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3. वली भी मुश्किल कुशा होते हैं!

जवाब: अल्लाह पाक क़ुरान पाक में सुरह नमल में आयत नंबर 62 में फरमाता है-

اَمَّنۡ یُّجِیۡبُ الۡمُضۡطَرَّ اِذَا دَعَاہُ وَ یَکۡشِفُ السُّوۡٓءَ وَ یَجۡعَلُکُمۡ خُلَفَآءَ الۡاَرۡضِ ؕ ءَ اِلٰہٌ مَّعَ اللّٰہِ ؕ قَلِیۡلًا مَّا تَذَکَّرُوۡنَ 

"कौन है जो बेक़रार की दुआ सुनता है जबकि वो उसे पुकारे और कौन उसकी तकलीफ़ दूर करता है? और (कौन है जो) तुम्हें ज़मीन का ख़लीफ़ा बनाता है? क्या अल्लाह के साथ कोई और ख़ुदा भी (ये काम करनेवाला) है? तुम लोग कम ही सोचते हो।"

नोट: इस आयत से वाज़े हुआ की अल्लाह के अलावा कोई मुश्किल कुशा नहीं है।

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4. दुआ इबादत थोड़ी है!!!

जवाब: नबी करीम ﷺ ने फरमाया: الدُّعَاءُ هُوَ الْعِبَادَةُ

दुआ ही इबादत है फिर आप ﷺ ने सुरह मोमिन की आयत नंबर 60 तिलवात की,

وَ قَالَ رَبُّکُمُ ادۡعُوۡنِیۡۤ اَسۡتَجِبۡ لَکُمۡ ؕ اِنَّ الَّذِیۡنَ یَسۡتَکۡبِرُوۡنَ عَنۡ عِبَادَتِیۡ سَیَدۡخُلُوۡنَ جَہَنَّمَ دٰخِرِیۡنَ 

तुम्हारा रब कहता है, “मुझे पुकारो, मैं तुम्हारी दुआएँ क़बूल करूँगा, जो लोग घमण्ड में आकर मेरी इबादत से मुँह मोड़ते हैं, ज़रूर वो बेइज़्ज़त और रुसवा होकर जहन्नम में दाख़िल होंगे।”

[तिरमिजी: 3372]

नोट: हम 5 वक्त के नमाज़ों हर रकात में अल्लाह से एक अज़ीम वादा लेते हैं

اِیَّاکَ نَعۡبُدُ وَ اِیَّاکَ نَسۡتَعِیۡنُ

हम तेरी ही इबादत करते हैं और तुझी से (गैयब) मदद माँगते हैं।

...फिर भी हमारा दिल कैसे गवारा करता है की हम अल्लाह को छोड़ कर दूसरों से दुआ करें या उससे गैयब में मदद तलब करें।

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5. हम औलिया को अपना कारसाज़ समझते हैं!

जवाब: अल्लाह पाक क़ुरान पाक में सुरह बनी इसराइल में आयत नंबर 56 ता 57 में फरमाता है-

قُلِ ادۡعُوا الَّذِیۡنَ زَعَمۡتُمۡ مِّنۡ دُوۡنِہٖ فَلَا یَمۡلِکُوۡنَ کَشۡفَ الضُّرِّ عَنۡکُمۡ وَ لَا تَحۡوِیۡلًا ﴿۵۶﴾اُولٰٓئِکَ الَّذِیۡنَ یَدۡعُوۡنَ یَبۡتَغُوۡنَ اِلٰی رَبِّہِمُ الۡوَسِیۡلَۃَ اَیُّہُمۡ اَقۡرَبُ وَ یَرۡجُوۡنَ رَحۡمَتَہٗ وَ یَخَافُوۡنَ عَذَابَہٗ ؕ اِنَّ عَذَابَ رَبِّکَ کَانَ مَحۡذُوۡرًا 

"इनसे कहो, पुकार देखो उन माबूदों को जिनको तुम अल्लाह के सिवा (अपना कारसाज़) समझते हो, वो किसी तकलीफ़ को तुमसे न हटा सकते हैं, न बदल सकते हैं। जिनको ये लोग पुकारते हैं, वो तो ख़ुद अपने रब के हुज़ूर पहुँच हासिल करने का ज़रिआ तलाश कर रहे हैं कि कौन उससे ज़्यादा क़रीब हो जाए और वो उसकी रहमत के उम्मीदवार और उसके अज़ाब से डरे हुए हैं। हक़ीक़त ये है कि तेरे रब का अज़ाब है ही डरने के लायक़।"

नोट: अल्लाह के अलावा को कारसाज़ नहीं है।

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अल्लाह हमें शिर्क और बिदात से बचाए

आमीन


आपका दीनी भाई
मुहम्मद अज़ीम

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5 टिप्पणियाँ

  1. सबसे पहले अल्लाह ने दुनिया में किसको और क्यों भेजा, फिर उनकी दुआ कैसे क़बूल हुई?

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  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  3. Fatiya ki daleel Qur'an hadees se nahi milti, ye ek gair sharai amal hai isse bacha jaye... Nabi kareem (ﷺ) farmaya, aye Ayesha jo mere iss deen mein aisi cheez dakhil kare jo mere is hukm mein na ho wo amal radd hai. [Sahih Bukhari 2697]

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  4. Sabse pehle ALLAH ne duniya mein Adam as ko bheja. aur bhejne ka maqsad tha insani nizam ko aage badhana. Unki dua apne zulmon ka iqraar karne ke baad hui, ALLAH ne unhe kuch kalimaat sikhaye jinse unhon ne ALLAH se maafi mangi....

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