अर-रउफ़ - ٱلْرَّؤُفُ
अल्लाह ﷻ नाम सर्वशक्तिमान, सारी क़ायनात बनाने वाले ख़ालिक का वो नाम है, जो कि सिर्फ उस ही के लिए है और इस नाम के अलावा भी कई और नाम अल्लाह के हैं जो हमे अल्लाह की खूबियों से वाकिफ़ करवाते हैं। अल्लाह ﷻ के ही लिए हैं खूबसूरत सिफाती नाम। इन को असमा-उल-हुस्ना कहा जाता है। ये नाम हमें अल्लाह की खूबियाँ बताते हैं। अल्लाह के खूबसूरत नामों में से एक नाम है अर-रउफ़।
अर-रउफ़, इसके रुट है ر أ ف जिसका मतलब है - शफ़क़त और रहमत, बहुत ज़्यादा दया और कृपा। अर रउफ़ का मतलब है बहुत ज़्यादा शफकत करने वाला और बहुत ज़्यादा रहम करने वाला। अर रउफ़, अत्यंत दयावान, अल्लाह का ये नाम क़ुरआन में 11 बार ज़िक्र हुआ है। अल्लाह की रहमत और शफकत के लिये अर रउफ नाम से पुकारा जाये।
अर-रउफ़- अल्लाह सुब्हान व तआला के नाम अर रहमान और अर रहीम से मिलता है। शिद्दत के साथ रहमत और शफ़क़त करने वाला। अर-रउफ़, वो ज़ात जो बेहतरीन हिकमत के साथ मुहब्बत और शफकत से फैसले करता है, जिसकी क़द्र पूरी तरह इन्साफ के साथ फैसले करता है।
मिसाल के तौर पर एक बाप को लें, खुद दिन भर कमाने वाला, थकने वाला, खुद पर खर्च न करने वाला लेकिन अपनी औलादो की बेहतरीन तरबियत करने वाला, खर्च करने वाला, ज़िम्मेदार। तो ज़रा सोचें ये शफ़क़त जिस रब ने दी वो खुद किस क़दर का शफ़क़त और रहमत का मालिक होगा।
वो रब जिसकी रहमत और मेहरबानी अपनी मखलूक के लिए न कभी कम होती न ख़तम होती। वो बेइंतेहा मेहरबानी करने वाला अज़ीम उस शान शहंशाह है जो अपने बन्दों की दुआओ को कभी रद्द नहीं करता। वो न सिर्फ दुआ क़ुबूल करता है बल्कि उसे बेहतरीन वक़्त में क़ुबूल करता है , और अगर कोई दुआ क़ुबूल न करे तो उसके बदले वो उससे भी बेहतर चीज़ अता करता है।
वो ज़ात जो अपनी हर मखलूक को हर तरह की खैर देने पर क़ादिर हो। गौर करें, क्या इस दुनिया का हर फर्द अल्लाह अज़वजल की इबादत करता है? अल्लाह पर भरोसा करता है ? अल्लाह से मांगता है ?
एक अल्लाह पे ईमान लाने वालों के अलावा दुनिया में एक बड़ी तादाद है जो किसी मिटटी या पत्थर की गुड़िया से, तो कोई किसी कब्र से , कोई किसी नेक इंसान कोई किसी पैगम्बर से अपनी हाजत को पूरा करने के दुआ मांगते हैं। आपने कभी देखा के अल्लाह सुब्हान व तआला ने सिर्फ ईमान वालो को ही नेमतें दी हो और जो अल्लाह के वजूद का इंकार करे या शिर्क करे उसको सजा दे दी हो ?
अल्लाह के ख़ज़ाने हर एक के लिए खुले हुए हैं। हर एक को हवा, पानी, खाना, सेहत, माल, बीवी बच्चे तमाम नेमतों से नवाज़ता है। लेकिन इंसान हर बार उसकी नाशुक्री करता जाता है। मगर फिर भी इंसान की नाफरमानी और नाशुक्री के बाद भी अल्लाह सुब्हान तआला उनको मुहलत देता है, तौबा करने की , पश्चाताप की, अपनी गलती का इकरार करने की और उस गलती को छोड़ने की और दोबारा न दुहराने की।
अब्दुल्लाह रज़िअल्लाहु अन्हु से रिवायत है :
मैं रसूलुल्लाह ﷺ की ख़िदमत में आपके मर्ज़ के ज़माने में हाज़िर हुआ नबी करीम ﷺउस वक़्त बड़े तेज़ बुख़ार में थे। मैंने कहा : (या रसूलुल्लाह! ) आप को बड़ा तेज़ बुख़ार है। मैंने ये भी कहा कि ये बुख़ार आप को इसलिये इतना तेज़ है कि आपका सवाब भी दोगुना है आप ﷺ ने फ़रमाया कि हाँ जो मुसलमान किसी भी तकलीफ़ में गिरफ़्तार होता है तो अल्लाह तआला उसकी वजह से उसके गुनाह इस तरह झाड़ देता है जैसे पेड़ के पत्ते झड़ जाते हैं।
बुखारी 5647
यानि अगर किसी को होती है तो उसके साथ बहुत सारी खैर छुपी होती है। और बहुत सी परेशानियां गुनाहो से माफ़ी का जरिया भी होती है , रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया:-
जिस मुसलमान को भी कोई कलबी अज़ीयत, जिस्मानी तकलीफ और बीमारी, कोई रंज, गम और दुख पहुँचता है, यहां तक कि उसे अगर एक कांटा भी चुभ जाता है। (और उस पर वह सबर करता है) तो ख़ुदा उसके गुनाहों को माफ फरमा देता है।
बुख़ारी 5641
अर रहीम और अर रऊफ में फ़र्क ये है के रहम अल्लाह सुब्हान व तआला किसी मुसीबत आने के बाद करता है और रअफ़ अल्लाह सुब्हान व तआला मुसीबत के पहले करता है और बहुत सारी मुसीबत को हम पर आने से रोकता है। जो गलतियां या हमारी कोई हरकत हमारे लिए ही नुक्सान देह होती है उससे भी आगाह करता है। क़ुरआन के ज़रिये हर बुरी और गलत काम से रोकने भी की। ताकि इंसान दुनिया के साथ साथ आख़िरत में भी कामयाब हो।
وَٱلَّذِينَ جَآءُو مِنۢ بَعْدِهِمْ يَقُولُونَ رَبَّنَا ٱغْفِرْ لَنَا وَلِإِخْوَٰنِنَا ٱلَّذِينَ سَبَقُونَا بِٱلْإِيمَـٰنِ وَلَا تَجْعَلْ فِى قُلُوبِنَا غِلًّۭا لِّلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ رَبَّنَآ إِنَّكَ رَءُوفٌۭ رَّحِيمٌ
(और वो उन लोगों के लिये भी है) जो इन अगलों के बाद आए हैं, जो कहते हैं कि "ऐ हमारे रब! हमें और हमारे उन सब भाइयों को बख़्श दे जो हम से पहले ईमान लाए हैं और हमारे दिलों में अहले-ईमान के लिये कोई बुग्ज़ न रख़, ऐ हमारे रब! तू बड़ा मेहरबान और रहीम है।"
क़ुरआन 59:10
هُوَ ٱلَّذِى يُنَزِّلُ عَلَىٰ عَبْدِهِۦٓ ءَايَـٰتٍۭ بَيِّنَـٰتٍۢ لِّيُخْرِجَكُم مِّنَ ٱلظُّلُمَـٰتِ إِلَى ٱلنُّورِ ۚ وَإِنَّ ٱللَّهَ بِكُمْ لَرَءُوفٌۭ رَّحِيمٌۭ
वो अल्लाह ही तो है जो अपने बन्दे पर साफ़-साफ़ आयतें नाज़िल कर रहा है ताकि तुम्हें तारीकियों से निकालकर रौशनी में ले आए, और हक़ीक़त ये है कि अल्लाह तुम पर बहुत ही शफ़ीक़ और मेहरबान है।
क़ुरआन 57:9
وَلَوْلَا فَضْلُ ٱللَّهِ عَلَيْكُمْ وَرَحْمَتُهُۥ وَأَنَّ ٱللَّهَ رَءُوفٌۭ رَّحِيمٌۭ
अगर अल्लाह की मेहरबानी और उसका रहम व करम तुमपर न होता और ये बात न होती कि अल्लाह बड़ा मेहरबान और रहम करनेवाला है (तो ये चीज़ जो अभी तुम्हारे अन्दर फैलाई गई थी, बहुत बुरे नतीजे दिखा देती)।
क़ुरआन 24:20
एक मोमिन अल्लाह की इस सिफ़ात बहुत फायदा होता है, वो जनता है की अल्लाह सुब्हान व तआला उसपे बेहतरीन मेहरबान हैं और कोई उस पर नहीं आ सकती मगर सिर्फ अल्लाह ही के हुकुम से और अल्लाह का कोई काम हिकमत से खाली नहीं है, मोमिन जानता है के मुश्किल और आज़माइश आती है तो कोई उसमे भी खैर और बेहतरी ही है। और ईमान का ये तक़ाज़ा है के मोमिन सब्र करता है जिसके अल्लाह सुब्हान व तआला उसे नवाज़ता है।
और सब्र से न सिर्फ उसकी आख़िरत बल्कि उसकी दुनिया में भी ज़िन्दगी में आसानिया आती हैं और डिप्रेशन और दिमागी परेशानियों उसे राहत मिलती है। अल्लाह सुब्हान व तआला अपनी शफकत और रहमत से हमें बहुत सारी मुश्किलात से बचाते हैं और परेशानियों में रहनुमाई भी करते हैं।
मालिक अल मुल्क Asma ul Husna मालिक अल मुल्क
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