Paki Nisf (aadha/half) Iman Hai

 
cleaniness is half of the faith

पाकी आधा ईमान है 

इस्लाम में पाकी, जिसे स्वच्छता कहा जाता है, का बहुत ही आला मयार है।  सारी दुनिया के मुसलमान स्वच्छता को बहुत ज़्यादा तरजीह देते हैं क्युकी इस्लाम में पाकी पर बहुत ज़्यादा ज़ोर दिया गया है।  

आम तौर पर सभी सभ्यताएं स्वच्छता को एक शिष्टाचार मानते हैं मगर इस्लाम इसे ज़रूरी क़रार देता है। न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक स्वच्छता भी बहुत ज़रूरी है। आइये जानते हैं इस्लाम का वो ज़रूरी हिस्सा जिसके बिना हमारी नमाज़ (इबादत) क़ाबिल ए क़ुबूल नहीं। 


तहारत 

तहारत लफ्ज़ का रुट है -ﻃ ﻬ ﺮ- जिसका मतलब है सफ़ाई, सुथराइ, स्वच्छता।  तहारत का लुग़वी (dictionary) मतलब होता है पाकी हासिल करना। ज़ाहिरी और बातिनी गन्दगी से खुद को पाक करना। 

शरई मायने है नापाकी को ख़तम करना और गन्दगी को ज़ाइल करना। 


नजासत और तहारत 

नजासत यानि नापाकी या गन्दगी। 

इस्लाम में दो तरह की नजासत का ज़िक्र है -

ऐन नजिस - जो अपनी असल हालत में भी नापाक है और पाक नहीं किया जा सकता 

नजिस - जो किसी वजह से नापाक हुआ है और पाक किया जा सकता है। 

इसको एक मिसाल  समझें - जैसे खून ऐन नजिस है और दूध पाक है, और दूध में खून गिरता है तो दूध खून मिलने की वजह से नजिस माना जायेगा। ऐन नजिस की जमा है ऐन नजिसाह। 


तहारत नजासत का  विलोम या उल्टा है जिसका मतलब है पाकी सफ़ाई। 

ताहिर - पाक         नजिस - नापाक 


तहारत की क़िस्मे 

Fiqh masail taharat ke hindi me


1. ज़ाहिरी तहारत - वो गन्दगी जो हमें नज़र आ रही होता है उसको पाक करना। 

            लिबास की पाकी         जिस्म की पाकी         इबादत की जगह की पाकी 

2. बातिनी तहारत - दिल को गन्दगी से पाक करना। 

बातिनी नजिस- कुफ़्र, शिर्क़, ग़ुरूर ओ तकब्बुर, खुद पसंदी, क़ीना, हसद, निफ़ाक़, रियाकारी आदि इन सब से  दिल को पाक साफ़ करना ही बातिनी तहारत है। 

बातिनी तहारत हासिल करने के लिए अल्लाह से ताल्लुक़ का मज़बूत होना ज़रूरी है।  इंसान के दिल को पाक करने के लिए तौहीद और अल्लाह की तरफ रुजू करना। बातिनी तहारत हासिल करने का जरिया और कसरत से  ज़िक्र और इस्तगफार। 

जब इंसान का ज़ाहिरी हिस्सा पानी से पाक हो जाता है और बातिनी हिस्सा ईमान और तौहीद से पाक होता है तब उसकी इबादत में चुस्ती और क़ाबिलियत पैदा होती है। तब इंसान अल्लाह की इबादत के लिए बेहतरीन तरीके से तैयार हो जाता है जब उसका जिस्म पाक हो, कपडे पाक हो, जगह पाक हो और दिल भी हर तरह के पाक हो। यही अल्लाह की इबादत करने के लिए है। जगत् के पालनहार के सामने सद्गुण और कठोर आचरण होते हैं, इसलिए पाकी को आधा ईमान माना जाता है। पाक साफ रहने से इंसान अल्लाह और उसके बन्दों का प्यारा हो जाता है। रसूल अल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया -

पाकीज़गी आधा ईमान है।

सही मुस्लिम 223 

पाकी को निस्फ़ ईमान कहा है, इसमें पाक जिस्म के साथ सारी बुराइयों से शिर्क और कुफ़्र से दिल का पाक होना ज़रूरी है।   

 

अल्लाह पाक साफ़ रहने वालों को पसंद करता है 

क़ुरआन 2:222 


नजासत दाखिल होने का जरिया 

जिन चीज़ों से नजासत दाखिल होती है 

1. बदन -

अंदरूनी (पेशाब, पाखाना, पसीना ) 

बाहरी (धुल , गर्द, ग़ुबार )

 2. रूह

अंदरूनी (हसद, रिया वगैरह )

बाहरी ( खारजी गुनाहो से जैसे ज़ुल्म )


तहारत हासिल करने का जरिया 

taharat hasil karne ka zariya - pani aur mitti


जिन चीज़ों से तहारत हासिल की जा सकती है वो हैं - पाक पानी और पाक मिटटी 

पानी की दो किस्मे हैं पाक पानी और नापाक पानी -

पाक पानी - जो अपनी असल हालत में  बरक़रार हो - जैसे बारिश, समुन्दर , ज़मीं के अंदर का , बर्फ  पिघलने का। इन से वुज़ू करना  जायज़ है चाहे उनका मज़ा कैसा भी हो। 

और हमने आसमान से पाक करने वाला पानी उतारा 

क़ुरआन 8:11 


नजिस पानी - जिसका रंग, मज़ा या फिर बू नजिस की वजह से बदल गया हो वो नजिस पानी है और ऐसा पानी तहारत के लिए जायज़ नहीं। पानी को दोबारा पाक होने के लिए ज़रूरी है या वो खुद बा खुद अपनी असली हालत में आ जाये या फिर उसे कोई तदबीर  करके उसकी असल हालत में लाया जाये (प्रोसेसिंग)  


paani ki qisme paak pani aur napak pani

मिट्टी - इसमें मिटटी, रेत, पत्थर , गर्द ओ गुबार सब दाखिल है। इसमें शर्त ये है के पानी मौजूद न हो या पानी के इस्तेमाल से मर्ज़ में इज़ाफ़ा होने खतरा हो। 


और अगर कभी ऐसा हो कि तुम बीमार हो या सफ़र में हो, या तुममें से कोई शख़्स ज़रूरत पूरी  [ पाख़ाना-पेशाब] करके आए या तुमने औरतों को हाथ लगाया हो और फिर जब तुम पानी न पाओ तो पाक मिटटी से तयम्मुम करो। 
क़ुरआन 4:43 


नजासत के अक़्साम  और अहकाम -

इस्लाम में जो ऐन नजिस बयां हैं -

1. आदमी और जानवर दोनों में -
पेशाब , पख़ाना, वदी, मज़ी, मनी, ख़ून (बहता खून और हैज़ निफ़ास दोनों ), मुर्दार (टिड्डी या मछली के अलावा )

2. जानवर 
कुत्ता, ख़िन्ज़ीर 

3. इंसान 
क़ाफ़िर 

4. तरल पदार्थ 
 नशे वाली कोई भी पेय 


मुसलमान को हमेशा ही पाक साफ़ रहना चाहिए मगर कुछ चीज़ों के लिए तहारत पाकी शर्त है यानि ज़रूरी है।  नमाज़ के लिए तहारत शर्त है यानि बिना तहारत और वुज़ू के नमाज़ मुअकम्मल नहीं होगी - तो नमाज़ के पहले इंसान को पाक साफ़ होना चाहिए और ये अपने आप को चाहिए। अगर जूतों में नजासत रगड़कर  अच्छे से साफ़ कर लें। इस्लाम एक ऐसा दीन है जिसमे ज़िन्दगी गुज़ारने के लिए एक एक बात बता दी गयी है जिससे फायदा पहुंचे। साफ़ सफाई और इस्लाम का एक बहुत ही अहम् हिस्सा है। 

वुज़ू , तयम्मुम और ग़ुस्ल का तरीका जानने के लिए इन लिंक पर क्लिक करें। 


- आपकी दीनी बहन 
फिज़ा खान 



  

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