अक्सर हम कंफ्यूज होते है के क्या हमारा वुज़ू बाकि है या दोबारा करना पढ़ेगा, खासतौर पर सर्दियों में। कई दफ़ा शक की वजह से हम बेहतर समझते हैं के दोबारा कर लिया जाये कहीं हमारी नमाज़ क़ुबूल न हुई तो ? अगर हमे पता हो के किन चीज़ों से वुज़ू टूट जाता है और किन चीज़ों से नहीं टूटता तो हम कई वसवसों से बच सकते हैं, आइये जानते हैं -
Table Of Contents
2. वुज़ू की शर्तें
3. वुज़ू की फ़राइज़
4. वुज़ू की सुन्नतें
5. वुज़ू के बाद की दुआ
6. वुज़ू किन चीज़ों से टूट जाता है
7. किन चीज़ों से वुज़ू नहीं टूटता
वुज़ू की तारीफ
वुज़ू का शाब्दिक अर्थ - वुज़ू लफ्ज़ वज़ाअतुन से निकला है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है खूबसूरती या नज़ाफ़त।
वुज़ू का शरीयत में क्या मतलब है - अल्लाह की इबादत के ख़ातिर एक ख़ास अंदाज़ में जिस्म के ख़ास हिस्सों को पाक पानी से धोना।
वुज़ू की फ़ज़ीलत -
हज़रत अबू-हुरैरा (रज़ि०) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया : '' जब एक मुस्लिम ( या मोमिन ) बन्दा वुज़ू करता है। और अपना चेहरा धोता है। तो पानी ( या पानी के आख़िरी क़तरे ) के साथ उसके चेहरे से वो सारे गुनाह, जिन्हें उसने अपनी आँखों से देखते हुए किये थे, धुल जाते हैं और जब वो अपने हाथ धोता है। तो पानी (या पानी के आख़िरी क़तरे) के साथ वो सारे गुनाह, जो उसके हाथों ने पकड़ कर किये थे, धुल जाते हैं और जब वो अपने दोनों पाँव धोता है। तो पानी (या पानी के आख़िरी क़तरे) के साथ वो सभी गुनाह धुल जाते हैं जो उसके पैरों ने चल कर किये थे, यहाँ तक कि वो गुनाहों से पाक हो कर निकलता है।
मुस्लिम 244
नोट : सब गुनाहो से मुराद सगीरा गुनाह हैं, कबीरा गुनाह बगैर तौबा के माफ़ नहीं होंगे।
नियत की अहमियत -
अमल की सेहत, उसकी क़ुबूलियत और इस पर बदला मिलने के लिए नियत का होना शर्त है। नियत की जगह दिल है, ज़ुबान से अलफ़ाज़ अदा करने की ज़रूरत नहीं है। रसूलल्लाह सलल्लाहु अलैहिवस्सलम ने फ़रमाया -
إِنَّمَا الْأَعْمَالُ بِالنِّيَّاتِ ، وَإِنَّمَا لِكُلِّ امْرِئٍ مَا نَوَى ،
तमाम आमाल का दारोमदार नीयत पर है और हर अमल का नतीजा हर इन्सान को उसकी नीयत के मुताबिक़ ही मिलेगा।
- बुखारी 1
शरीयत में नियत का मतलब - अल्लाह की नज़दीकी हासिल करने के लिए इबादत की अदायगी का दिल में अहद करना या पक्का तय करना।
नियत की क़िस्म -
1. अमल की नियत - वुज़ू, रोज़ा या नमाज़ वगैरह की नियत करना।
2. जिसके लिए अमल किया जाये उसकी नियत - वुज़ू या ग़ुस्ल या नमाज़ वगैरह का मक़सद सिर्फ और सिर्फ अल्लाह की क़ुरबत हासिल करना ये नियत करना। दूसरी क़िस्म पहली क़िस्म से ज़्यादा अहम् है।
अमल की क़ुबूलियत की शर्तें -
1. अमल खालिस अल्लाह के लिए हो।
2. अमल नबी करीम ﷺ के तरीके पर हो।
इख़्लास -बंदा का अमल ज़ाहिर और बातिन एक जैसा हो और सिर्फ अल्लाह के लिए हो उस अमल का कोई और मक़सद न हो। जब बाँदा इखलास से अल्लाह की इबादत करता है तो अल्लाह सुब्हान व तआला बन्दे का दिल ज़िंदा कर देता है और उसको अपनी तरफ खींच लेता है। फिर वो नेक कामो से मुहब्बत करने और बुरे कामो से नफरत करने लगता है। बर खिलाफ इसके जिसमे इखलास न हो तो तो उसके दिल में दिरहम और दीनार की तरफ माइल कर देता है।
वुज़ू की शर्तें -
वुज़ू की फ़राइज़ -
वुज़ू के वो एहकाम जिनके रह जाने से वुज़ू बातिल होगा पूरा न होगा उन्हें फ़र्ज़ एहकाम कहते हैं -
2. हाथ - दोनों हाथो को कुहनियों तक धोना।
3. सर - पेशानी से लेकर गुद्दी तक और कानो का मसह करना (कान सर का हिस्सा है )
4. पैर - दोनों पैरों को टख़नो तक
5. तरतीब - वुज़ू की तरतीब का ख्याल रखना जैसी क़ुरआन में बयां की गयी है।
6. वक़्फ़ा - जिस्म के अंगो को वुज़ू के लिए धोते वक़्त बीच में बहुत लम्बा वक़्फ़ा या ब्रेक नहीं लेना, लगातार धोना है।
अल्लाह सुब्हान व तआला फरमाता है -
ऐ लोगो जो ईमान लाए हो, जब तुम नमाज़ के लिये उठो तो चाहिए कि अपने मुँह और हाथ कुहनियों तक धो लो, सरों पर हाथ फेर लो और पाँव टख़नों तक धो लिया करो।
क़ुरआन 5:6
अगर वक़्त या पानी की कमी हो या कोई और मसला हो तो सिर्फ ये फ़र्ज़ वुज़ू करने से भी वुज़ू हो जायेगा और नमाज़ क़ाबिल ए क़ुबूल होगी। मगर अगर कोई मुश्किल या परेशानी न हो तो नबी करीम ﷺ की सुन्नतों पे अमल किया जाये और नेकियों में इज़ाफ़ा करना चाहिए। छोटे छोटे अमल बहुत बड़ी बड़ी नेकियों का बाईस इसलिए किसी भी नेकी को हक़ीर न समझें।
वुज़ू की सुन्नतें और मुस्तहबात -
2. मिस्वाक करना
3. दोनों हथेलियों को 3 बार धोना, उँगलियों में खिलाल करना
4. एक हथेली से आधा पानी मुँह में और बचा हुआ नाक में डालना
5. चेहरा 3 मर्तबा धोना
6. घनी दाढ़ी में खिलाल करना
7. दाहिने आज़ा (अंग) पहले धोना
8. 2 या 3 मर्तबा धोना
9. वुज़ू के बाद दुआ पढ़ना
10. वुज़ू के बाद 2 रकअत नफ़िल नमाज़ पढ़ना (सलात उल वुज़ू )
नोट - पानी का इस्तेमाल कम से कम और हर हिस्से को तर करना दोनों ही ज़रूरी हैं।
वुज़ू के बाद की दुआ -
वुज़ू में होने वाली गलतियां
2. वुज़ू के पहले इस्तिंजा को वाजिब समझना
3. बिस्मिल्लाह के साथ अर रहमान निर रहीम का इज़ाफ़ा करना
4. कानो के मसह के लिए नया पानी लेना
5. गर्दन का मसह करना
6. वुज़ू से फ़ारिग़ होके आसमान की तरफ देखना और ऊँगली उठाना (अबू दावूद 31 ज़ईफ़ )
7. वुज़ू के दौरान आज़ा धोते हुए या मसह करते हुए जितनी दुआएं मशहूर हैं कोई भी नबी करीम ﷺ से साबित नहीं है
8. ज़रूरत से ज़्यादा पानी बहाना
वुज़ू किन चीज़ों से टूट जाता है -
वुज़ू मुस्तहब होने की सूरत -
किन चीज़ों से वुज़ू नहीं टूटता -
2 टिप्पणियाँ
subhan allah alhamdulillah behetreen ilm zazak Allah khair ❣️❣️😍
जवाब देंहटाएंwa anti fa jazakiLLAHi khair
जवाब देंहटाएंकृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।