Wuzu Mein Waswase | Wuzu Mein Hone Wali Galtiyan

अक्सर हम कंफ्यूज होते है के क्या हमारा वुज़ू बाकि है या दोबारा करना पढ़ेगा, खासतौर पर सर्दियों में। कई दफ़ा शक की वजह से हम बेहतर समझते हैं के दोबारा कर लिया जाये कहीं हमारी नमाज़ क़ुबूल न हुई तो ? अगर हमे पता हो के किन चीज़ों से वुज़ू टूट जाता है और किन चीज़ों से नहीं टूटता तो हम कई वसवसों से बच सकते हैं, आइये जानते हैं -

wuzu ki fazilat, aur niyat ki ahmiyat, wuzu me farz aur sunnat me fark. wuzu kisse toot jata hai aur kisse nahi tootta

Table Of Contents 


वुज़ू की तारीफ 

वुज़ू का शाब्दिक अर्थ - वुज़ू लफ्ज़ वज़ाअतुन से निकला है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है खूबसूरती या नज़ाफ़त। 

वुज़ू का शरीयत में क्या मतलब है - अल्लाह की इबादत के ख़ातिर एक ख़ास अंदाज़ में जिस्म के ख़ास हिस्सों को पाक पानी से धोना। 


वुज़ू की फ़ज़ीलत -

हज़रत अबू-हुरैरा (रज़ि०) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया : '' जब एक मुस्लिम ( या मोमिन ) बन्दा वुज़ू करता है। और अपना चेहरा धोता है। तो पानी ( या पानी के आख़िरी क़तरे ) के साथ  उसके चेहरे से वो सारे गुनाह, जिन्हें  उसने अपनी आँखों से देखते हुए किये थे, धुल जाते हैं और जब वो अपने हाथ धोता है। तो पानी (या पानी के आख़िरी क़तरे) के साथ वो सारे गुनाह, जो  उसके हाथों ने पकड़ कर किये थे, धुल जाते हैं और जब वो अपने दोनों पाँव धोता है। तो पानी (या पानी के आख़िरी क़तरे) के साथ वो सभी गुनाह धुल जाते हैं जो  उसके पैरों ने चल कर किये थे, यहाँ तक कि वो गुनाहों से पाक हो कर निकलता है।

मुस्लिम 244

नोट : सब गुनाहो से मुराद सगीरा गुनाह हैं, कबीरा गुनाह बगैर तौबा के माफ़ नहीं होंगे। 

नियत की अहमियत -

अमल की सेहत, उसकी क़ुबूलियत और इस पर बदला मिलने के लिए नियत का होना शर्त है।  नियत की जगह दिल है, ज़ुबान से अलफ़ाज़ अदा करने की ज़रूरत नहीं है। रसूलल्लाह सलल्लाहु अलैहिवस्सलम ने फ़रमाया -

إِنَّمَا الْأَعْمَالُ بِالنِّيَّاتِ ، وَإِنَّمَا لِكُلِّ امْرِئٍ مَا نَوَى ،

तमाम आमाल का दारोमदार नीयत पर है और हर अमल का नतीजा हर इन्सान को उसकी नीयत के मुताबिक़ ही मिलेगा। 

- बुखारी 1 

शरीयत में नियत का मतलब - अल्लाह की नज़दीकी हासिल करने के लिए इबादत की अदायगी का दिल में अहद करना या पक्का तय करना। 


नियत की क़िस्म -

1. अमल की नियत - वुज़ू, रोज़ा या नमाज़ वगैरह की नियत करना। 

2. जिसके लिए अमल किया जाये उसकी नियत - वुज़ू या ग़ुस्ल या नमाज़ वगैरह का मक़सद सिर्फ और सिर्फ अल्लाह की क़ुरबत हासिल करना ये नियत करना। दूसरी क़िस्म पहली क़िस्म से ज़्यादा अहम् है।  


अमल की क़ुबूलियत की शर्तें -

1. अमल खालिस अल्लाह के लिए हो। 

2. अमल नबी करीम ﷺ के तरीके पर हो। 


इख़्लास -बंदा का अमल ज़ाहिर और बातिन एक जैसा हो और सिर्फ अल्लाह के लिए हो उस अमल का कोई और मक़सद न हो। जब बाँदा इखलास से अल्लाह की इबादत करता है तो अल्लाह सुब्हान व तआला बन्दे का दिल ज़िंदा कर देता है और उसको अपनी तरफ खींच लेता है। फिर वो नेक कामो से मुहब्बत करने और बुरे कामो से नफरत करने लगता है। बर खिलाफ इसके जिसमे इखलास न हो तो तो उसके दिल में दिरहम और दीनार की तरफ माइल कर देता है। 


वुज़ू की शर्तें -

इन में से एक भी शर्त अगर पूरी न हो तो वुज़ू बातिल होगा , सही न होगा -
1. इस्लाम - वुज़ू करने वाला मुस्लिम हो 
2. अक़ल - वुज़ू करने वाले की ज़हनी हालत दुरुस्त हो 
3. तमीज़ - इतनी उम्र हो के तमीज करना सीख गया हो 
4. नियत - वुज़ू की नियत हो (गर्मी की वजह से या गन्दगी साफ़ करने के लिए हाथ मुँह धो लिया तो वो वुज़ू नहीं है )
5. पाक पानी - नापाक पानी से वुज़ू नहीं होगा 
6. जायज़ पानी - किसी की मिलकियत का हड़पा हुआ या छीने हुए पानी से वुज़ू न होगा 
7. इस्तिंजा - इस्तिन्जे की हालत में होना
8. चमड़ी तक पानी - कोई चीज़ चमड़ी तक पानी पहुंचने में रुकावट हो तो उसे हटाना जैसे नेल पोलिश, मिटटी, पेंट , आटा वगैरह। 

वुज़ू की फ़राइज़ -

वुज़ू के वो एहकाम जिनके रह जाने से वुज़ू बातिल होगा पूरा न होगा उन्हें फ़र्ज़ एहकाम कहते हैं -

1. चेहरा - पेशानी पर जहाँ से बाल शुरू होते है वहां से थोड़ी के नीचे तक और एक कान की जड़ से दूसरे कान की जड़ तक धोना। इसी में नाक में पानी डालना और कुल्ली करना भी है क्युकी नाक और मुँह चेहरे का हिस्सा हैं। 
2. हाथ - दोनों हाथो को कुहनियों तक धोना। 
3. सर - पेशानी से लेकर गुद्दी तक और कानो  का मसह करना (कान सर का हिस्सा है )
4. पैर - दोनों पैरों को टख़नो तक 
5. तरतीब - वुज़ू की तरतीब का ख्याल रखना जैसी क़ुरआन में बयां की गयी है। 
6. वक़्फ़ा - जिस्म के अंगो को वुज़ू के लिए धोते वक़्त बीच में बहुत लम्बा वक़्फ़ा या ब्रेक नहीं लेना, लगातार धोना है। 

अल्लाह सुब्हान व तआला फरमाता है -

ऐ लोगो जो ईमान लाए हो, जब तुम नमाज़ के लिये उठो तो चाहिए कि अपने मुँह और हाथ कुहनियों तक धो लो, सरों पर हाथ फेर लो और पाँव टख़नों तक धो लिया करो।

क़ुरआन 5:6


अगर वक़्त या पानी की कमी हो या कोई और मसला हो तो सिर्फ ये फ़र्ज़ वुज़ू करने से भी वुज़ू हो जायेगा और नमाज़ क़ाबिल ए क़ुबूल होगी। मगर अगर कोई मुश्किल या परेशानी न हो तो नबी करीम  ﷺ की सुन्नतों पे अमल किया जाये और नेकियों में इज़ाफ़ा करना चाहिए। छोटे छोटे अमल बहुत बड़ी बड़ी नेकियों का बाईस इसलिए किसी भी नेकी को हक़ीर न  समझें। 


वुज़ू की सुन्नतें और मुस्तहबात  -

1. बिस्मिल्लाह कहना
2. मिस्वाक करना 
3. दोनों हथेलियों को 3 बार धोना, उँगलियों में खिलाल करना
4. एक हथेली से आधा पानी मुँह में और बचा हुआ नाक में डालना
5. चेहरा 3 मर्तबा धोना 
6. घनी दाढ़ी में खिलाल करना
7. दाहिने आज़ा (अंग) पहले धोना  
8. 2 या 3 मर्तबा धोना
9. वुज़ू के बाद दुआ पढ़ना
10. वुज़ू के बाद 2 रकअत नफ़िल नमाज़ पढ़ना (सलात उल वुज़ू )

रिफरेन्स

नोट - पानी का इस्तेमाल कम से कम और हर हिस्से को तर करना दोनों ही ज़रूरी हैं। 


वुज़ू के बाद की दुआ -

 रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया जिसने वुज़ू किया और दुआ पढ़ी -

أَشْهَدُ أَنْ لَا إِلَهَ إِلَّا اللهُ وَحْدَهُ لَا شَرِيكَ لَهُ وَأَشْهَدُ أَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُهُ وَرَسُولُهُ

मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं। वो अकेला है,  उसका कोई शरीक नहीं और मैं गवाही देता हूँ कि मुहम्मद ﷺ  उसके बन्दे और  उसके रसूल हैं।"
सही मुस्लिम 234

वुज़ू में होने वाली गलतियां 

 1. अलफ़ाज़ के साथ नियत करना 
2. वुज़ू के पहले इस्तिंजा को वाजिब समझना 
3. बिस्मिल्लाह के साथ अर रहमान निर रहीम का इज़ाफ़ा करना 
4. कानो के मसह के लिए नया पानी लेना 
5. गर्दन का मसह करना 
6.  वुज़ू से फ़ारिग़ होके आसमान की तरफ देखना और ऊँगली उठाना (अबू दावूद 31 ज़ईफ़ )
7. वुज़ू के दौरान आज़ा धोते हुए या मसह करते हुए  जितनी दुआएं मशहूर हैं कोई भी नबी करीम ﷺ  से साबित नहीं है 
8. ज़रूरत से ज़्यादा पानी बहाना


वुज़ू किन चीज़ों से टूट जाता है -

1. पेशाब या पखाने के रस्ते से निकलने वाली चीज़ों से - पेशाब, पाखाना, हवा, मनी, मज़ी, ख़ून वगैरह (सही बुखारी 135, सही मुस्लिम 225 )
2.  बहुत गहरी नींद जिसमे होश बाकि न रहे ( इब्न ए माजाह 486 ) 
3. बिना किसी कपडे की आड़ के अपनी शर्मगाह छूने से (direct touch) (अबू दावूद 181 )
4. हर वो चीज़ जिससे ग़ुस्ल वाजिब हो जाता है - हैज़, निफ़ास, जनाबत 
5. अगर मुर्तद हो जाये 
6. ऊँट का गोश्त खाने से (सही मुस्लिम 360 )

वुज़ू मुस्तहब होने की सूरत -

मुस्तहब यानि वो सूरत जिसमे वुज़ू टूटा नहीं मगर फिर भी दोबारा वुज़ू कर लेना बेहतर है और न किया तो भी मसला नहीं है  

1. उलटी / कै के बाद 
2. मय्यत को उठा कर ले जाने के बाद 
3. हर हदस के बाद 
4. हर नमाज़ के  वुज़ू करना चाहे हदस लाहक़ न हुआ हो 
5. सोने के वक़्त वुज़ू करना सुन्नत है 


किन चीज़ों से वुज़ू नहीं टूटता -

1. बीमारी की वजह से बार बार पेशाब का कटरा टपकना या गस्ट्रीक पेशेंट का बीमारी की  वजह से बार बार हवा ख़ारिज होना - हर नमाज़ के वक्त नया वुज़ू करें फिर उसी वुज़ू से अगली नमाज़ के वक़्त तक क़ुरआन की तिलावत और नमाज़ अदा करें। 
2. इस्तेहाज़ा वाली औरत के लिए भी यही हुकुम है जिसको हैज़ के अलावा बीमारी की वजह से खून आ रहा हो। 
3. सिर्फ पेट में गुड़गुड़ होने से वुज़ू नहीं टूटता जब तक हवा ख़ारिज होने का एहसास न हो। 
4. ऊंटनी के दूध या उससे बनी चीज़ें खाने से वुज़ू नहीं टूटता। 
5. नकसीर (नाक के रस्ते ) पायरिया (मसूड़ों ) या जिस्म के किसी हिस्से  निकलने से वुज़ू नहीं टूटेगा (शर्मगाह के अलावा ) 
6. मामूली ऊँघ से वुज़ू नहीं टूटता। 
7. बीवी का बोसा लेने से वुज़ू और रोज़े पर असर नहीं होता (बगैर शहवत के )
8. कहकहा लगाने से वुज़ू नहीं टूटता (हदीस ज़ईफ़ है )
9. शर्मगाह पर नज़र पढ़ जाने से नहीं टूटता 
10. मर्दो का सोना, रेशम या अलकोहल छु लेने भर से वुज़ू नहीं टूटता 
11. औरत का सामने की शर्मगाह से हवा ख़ारिज होने से वुज़ू नहीं टूटता 
12. हैज़ के अय्याम के अलावा औरत की शर्मगाह से सफ़ेद ज़र्दी जैसी माईल होने से वुज़ू नहीं टूटेगा न कपडे नापाक होंगे  
13. जिस जानवर का गोश्त खाया जाता है उसका पेशाब, गोबर, मनी लग जाने से वुज़ू नहीं टूटेगा 
14. ज़िंदा दरिंदे, शिकारी परिंदे, गधा, घोडा, खच्चर पाक है इनको छूने से वुज़ू नहीं टूटेगा (इनकी लीद और खून नापाक है जिससे वुज़ू टूट जायेगा ) 
15. हदस लाहक़ होने पर दोबारा वुज़ू करे बिना नमाज़ पढ़ना और मुसहफ़ छूना मना है। 

- फिज़ा खान  

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