Sajda E Sahu ka sahi Tareeka | Namaz Mein Galti Hone Par Kya Karein?

sajda e sahu ka tareeka


 सजदा ऐ सहुव का बयान

सहुव का मतलब होता हैं भूलना या ग़लती करना

नमाज़ मे सजदा ऐ सहुव उमूमन इन मक़ामात पर होता हैं :-

  1. नमाज़ मे इज़ाफ़ा सादिर हो जाना
  2. नमाज़ मे कमी वक़ु हो जाना
  3. नमाज़ी का शक मे पड़ जाना


नमाज़ मे इज़ाफे कि मिसाल

नमाज़ मे इज़ाफे कि मिसाल ये हैं इंसान नमाज़ मे रुकू या सजदा या क़ियाम या क़ादा का इज़ाफ़ा कर दे


नमाज़ मे कमी कि मिसाल

नमाज़ मे कमी कि मिसाल ये हैं  नमाज़ के किसी रुकन को कम कर दे या वाजिबात मे किसी वाज़िब मे नुक़्स वआके हो जाए


नमाज़ मे शक कि मिसाल

नमाज़ मे शक कि मिसाल ये हैं कि नमाज़ी इस शक मे मुबतिला हो जाये कि उसने तीन रकात पढ़ी या चार


अगर कोई इंसान जानबूझकर नमाज़ मे रुकू या सजदा या क़ियाम या क़ादा का इज़ाफ़ा कर दे तो इसकी नमाज़ बातिल हो जाएगी क्यूंकि इसने नमाज़ को उस तरह अदा नहीं किया जिस तरह अल्लाह तआला ने और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इसे अदा करने का हुक्म दिया था और नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया हैं :-

जिस शख्स ने कोई ऐसा अमल किया जिसके बारे मे हमारा अम्र (हुक्म )ना हो वो अमल मरदूद हैं

[सहीह मुस्लिम ]


अगर भूल कर इज़ाफ़ा हो जाए तो इसकी नमाज़ बातिल नहीं होगी अलबत्ता सलाम के बाद सजदा ऐ सहुव करना होगा


सजदा ऐ सहुव का तरीक़ा

सजदा ऐ सहुव (नमाज़ मे भूल चूक के सजदे ) के तीन तरीके साबित हैं :-


पहला तरीक़ा

नमाज़ मुकम्मल करें, फिर सलाम फेरने से पहले दो सजदे कर लें फिर नमाज़ का सलाम फेर दें

खुलासा

 यानि अत्तेहियात पढ़े फिर दुरुद पढ़े फिर दुआ पढ़े फिर सलाम फेरने से पहले दो सजदे (सजदा ऐ सहुव) करें फिर सलाम फेर दे

(सहीह बुखारी जिल्द 1 सफा 174 हदीस 1230 सहीह मुस्लिम जिल्द 1 सफा 211 हदीस 580)



दूसरा तरीक़ा

सलाम के बाद दो सजदे करें फिर सलाम फेरे

खुलासा

यानी अत्तेहियात पढ़े दुरुद पढ़े दुआ पढ़े सलाम भी फेर ले उसके बाद दो सजदे करें फिर सलाम फेरे

[ सहीह बुखारी जिल्द 1 सफा 58 हदीस 701 सहीह मुस्लिम जिल्द 1 सफा 214 हदीस 574]



तीसरा तरीक़ा

नमाज़ मुकम्मल करें सलाम के बाद दो सजदे करें फिर तशहहुद पढ़े फिर सलाम फेरे

खुलासा

यानी अत्तेहियात पढ़े फिर दुरुद पढ़े

फिर दुआ फिर सलाम फेर दे फिर दो सजदे (सजदा ऐ सहुव ) करें फिर अत्तेहियात पढ़े फिर सलाम फेर दे

[ सुनन अबू दाऊद 1039 तिरमिज़ी 390 सहीह सनद ]


इस हदीस को इमाम तिरमिज़ी ने हसन गरीब कहा इमाम इब्ने खुज़ेमा (1072) ने सहीह और इमाम इब्ने हिब्बान (2670,,2672) इमाम हाकिम (1/323)ने बुखारी व मुस्लिम कि शर्त पर सहीह कहा हैं हाफ़िज़ ज़हबी ने इसमें मवाफिक़त कि हैं


ग़ैर साबित तरीक़ा

आज हम कुछ लोगो को देखते हैं वो सजदा ऐ सहुव इस तरह करती हैं /करते हैं कि अत्तेहियात पढ़ते हैं दुरुद पढ़ते हैं दुआ पढ़ते हैं सलाम से पहले एक सीधी तरफ (Right Side)सलाम फेरते हैं फिर सजदा ऐ सहुव करते हैं

ये तरीक़ा ना नबी से साबित हैं ना सहाबा से साबित

बल्कि एक ताबई जिनका नाम इब्राहिम नखी रहिमाउल्लाह हैं से साबित हैं  कि वो सजदा ऐ सहुव मे एक तरफ सलाम फेरते थे

लेकिन जो अमल नबी अलैहिस्सलाम सहाबा के खिलाफ कोई ताबई करें वो हमारे लिए हुज्जत नहीं क्यूंकि ये नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और सहाबा कि मुख़ालीफत हैं


इलज़ामी जवाब

अगर कोई शख्स सजदा ऐ सहुव मे एक तरफ सलाम फेरने कि दलील इब्राहिम नखी से लेता हैं तो उसी हदीस को अगर पूरा पढ़ ले तो जवाब मिल जायेगा क्यूंकि इब्राहिम नखी सजदा ऐ सहुव और जनाज़े कि नमाज़ मे एक तरफ सलाम फेरते हैं

अब ज़रा हमें बताएं क्या बाज़ लोग जनाज़े कि नमाज़ मे एक तरफ सलाम फेरते हैं या दोनों तरफ? ज़ाहिर हैं दोनों तरफ ही फेरते हैं लेकिन उनसे सवाल हैं इब्राहीम नखी का अमल सिर्फ अपने मतलब का ले लिया यानी सजदा ऐ सहुव का लेकिन जनाज़े मे उनका तरीक़ा छोड़ दिया?

अल्लाह हम सबको सही दीन पर चलने की हिदायत दे। 

दुआओ मे याद रखे

आपका दीनी भाई

मुहम्मद

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