भरोसे का क़त्ल- ज़िना
एक ऐसा गुनाह जो सिर्फ जिस्म नहीं, ज़िंदगियाँ भी तबाह कर देता है…
अल्लाह तआला ने फ़रमाया:
“ज़िना करने वाली और ज़िना करने वाले तुम में से हर एक को सौ कोड़े मारो...” (सूरह अन-नूर 24:2)
इस्लाम ने ज़िना को सिर्फ एक निजी गुनाह नहीं, समाज और इंसानियत के लिए एक बड़ा फसाद करार दिया है। इसीलिए शरीअत ने इसकी सज़ा इतनी सख़्त और ibratnaak रखी है कि कोई इस हराम काम के बारे में सोचने से भी कांप जाए:
- अविवाहित के लिए: 100 कोड़े
- विवाहित के लिए: पत्थर मारकर मौत (रज्म)
आज की कुछ असल घटनाएं, जो बताती हैं कि ज़िना का अंजाम कितना भयानक होता है:
1. सोनम रघुवंशी केस (Meghalaya, May 2025)
12 दिन की शादी के बाद सोनम ने अपने प्रेमी राज कुशवाहा के साथ मिलकर अपने शौहर राजा रघुवंशी की हत्या की।
एक नहीं, चार बार योजना बनाई — आख़िरकार पहाड़ी से धक्का देकर जान ले ली।
- शादी का रिश्ता — कुर्बान
- एक इंसान की जान — ख़त्म
- खुद की ज़िंदगी — जेल में बर्बाद
2. मुस्कान रस्तोगी केस (Meerut, March 2025)
मुस्कान रस्तोगी ने अपने आशिक साहिल शुक्ला के साथ मिलकर अपने पति सौरभ राजपूत की हत्या कर दी।
शव के 15 टुकड़े किए और सीमेंट से भरे ड्रम में छुपा दिया।
लड़की जेल में है, गर्भवती भी, परिवार ने उससे रिश्ता तोड़ दिया।
सबक क्या है?
इस्लाम ने ज़िना को हराम सिर्फ इसलिए नहीं कहा कि वो 'पाप' है बल्कि इसलिए कि यह
- भरोसे को तोड़ता है।
- रिश्तों को बर्बाद करता है।
- हत्या, फरेब, धोखा, जेल, शर्मिंदगी जैसी सैंकड़ों बरबादियां साथ लाता है।
जब दिल, नफ्स और हवस पर काबू नहीं रखा जाता, तो अंजाम ऐसा होता है:
- कोई मौत के घाट उतरता है।
- कोई उम्रभर जेल में सड़ता है।
- और कोई समाज में सिर झुकाकर जीता है।
जो गुनाह की हद पार करता है, शरीअत उसकी रूह तक हिला देती है।
अपने घर, बहन-बेटियों, बेटों को समझाइए हर मोहब्बत हक़ नहीं होती, और रिश्ता निकाह के बग़ैर जायज़ नहीं होता।
दुआ करें:
"ए अल्लाह! हमें और हमारी नस्लों को ज़िना और हराम रिश्तों से महफूज़ रख। हमें ईमान, हया और निकाह के पाक रास्ते पर कायम रख! आमीन!
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