Ghair Muslims ke Islam par Etiraazat ke Jawab (Question No. 2)

Muslim peshaab karne ke baad paani se kyun dhota hai?


ग़ैर-मुसलमानों के इस्लाम पर एतराज़ात के जवाब


सवाल नंबर - 2

मुस्लिम पेशाब करने के बाद पानी से क्यों धोता है?

क्या औरत भी पेशाब करने के बाद पानी से धोती है?

अगर मर्द को पानी नहीं मिलता है तो ईंट, मिट्टी से भी पेशाब साफ़ करता है, क्या औरतें भी ईंट, मिट्टी से पेशाब साफ़ करती है?


इस्लामी दृष्टिकोण नुक़्ता ए नज़र  से (क़ुरआन व हदीस की रौशनी में)


क़ुरआन से दलील:

"فِيهِ رِجَالٌ يُحِبُّونَ أَن يَتَطَهَّرُوا ۚ وَاللَّهُ يُحِبُّ الْمُطَّهِّرِينَ"

"उस (क़ुबा की मस्जिद) में ऐसे लोग हैं जो पाकी (साफ़-सुथराई) को पसंद करते हैं। और अल्लाह पाक लोगों से मोहब्बत करता है।" [सूरह अत-तौबा 9:108]

हज़रत इब्न अब्बास (रज़ि.) और दूसरे सहाबा कहते हैं कि हम पेशाब और पखाना करने के बाद पानी से धोते थे, इस वजह से अल्लाह ने हमारी तारीफ़ की है। (तफ़सीर इब्न कसीर)


हदीस से दलील:

i. पानी से धोने का हुक्म: रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया, "पानी से इस्तिंजा (धोना) करो, क्योंकि यह पाक करने वाला है।" [अबू दाऊद: 44, हसन हदीस]

ii. अगर पानी न मिले तो मिट्टी या पत्थर (तीन टुकड़े) से सफाई करना: रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया, "जब तुम में से कोई टॉयलेट जाये तो कम से कम तीन पत्थरों से इस्तिंजा करे, यही उसके लिए काफ़ी है।"[सहीह मुस्लिम: 262]


1. क्या महिलाएं भी मिट्टी/पत्थर का उपयोग कर सकती हैं?

जी हाँ इस्लाम में महिला व पुरुष दोनों के लिए बराबर हुक्म है। हदीसों में सहाबियात (महिलाओं) के लिए भी यही तरीका बताया गया। अगर पानी ना मिले तो वो भी मिट्टी, पत्थर या टिशू से इस्तिंजा कर सकती हैं।


2. पेशाब के छींटों से बचने का आदेश

रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया, "अधिकतर कब्र का अज़ाब पेशाब की छींटों की लापरवाही की वजह से होता है।" [सहीह बुखारी: 216]

इसलिए मुसलमान पेशाब के बाद पानी से धोते हैं ताकि नजासत (गंदगी) न बचे।


3. साइंटिफिक (वैज्ञानिक) जवाब

i. पानी से धोने से बैक्टीरिया खत्म होते हैं: सिर्फ टिशू या कपड़ा इस्तेमाल करने से शरीर पर गुप्त बैक्टीरिया रह जाते हैं जो स्किन इन्फेक्शन, खुजली, बदबू और यूरिनरी इन्फेक्शन का कारण बनते हैं। पानी से धोने पर ये बैक्टीरिया अच्छी तरह साफ़ हो जाते हैं।

ii. यूरिन के एसिड कण हटते हैं: यूरिन में यूरिया व अन्य केमिकल्स होते हैं। टिशू से ये पूरी तरह साफ नहीं होते, जिससे एलर्जी, दाने, खुजली, बदबू होती है।

iii. यूरिन इंफेक्शन का खतरा कम: यूरोलॉजिस्ट मानते हैं कि पानी से गुप्त अंग धोने पर UTI (Urinary Tract Infection) का खतरा कम होता है।

(स्रोत: WHO, Mayo Clinic Reports)


4. बदबू और शर्मिंदगी से बचाव

पानी से धुलने वाले व्यक्ति में पसीने या पेशाब की बदबू कम होती है, जिससे वह दूसरों के बीच शर्मिंदा नहीं होता।


5. इल्ज़ामी (Counter Question) जवाब

अगर कोई हिंदू या अन्य गैर-मुस्लिम पूछे "आप लोग पेशाब के बाद पानी से क्यों धोते हो?"

तो आप विनम्रता से पूछ सकते हैं: 

  • क्या आप अपने पेशाब के छींटे से कपड़े गंदे रखना पसंद करते हो?"
  • क्या सिर्फ टिशू से आपके अंग शत-प्रतिशत साफ हो जाते हैं?"
  • क्या डॉक्टर ये सलाह देते हैं कि सिर्फ रगड़ने से सफाई हो जाती है या धोने से?"
  • क्या आप खाना खाने से पहले सिर्फ कपड़ा मलते हो या हाथ धोते हो?"

अगर हाथ धोने से सफाई होती है, तो पेशाब के बाद पानी से धोना भी तो साफ-सुथराई है।

यदि पानी न हो तो?

इस्लाम ने यह सहूलियत दी है कि मिट्टी, पत्थर या टिशू पेपर से भी साफ किया जा सकता है।

हदीस: कम से कम तीन टुकड़े पत्थर/टिशू के लिए कहे गए हैं। महिला व पुरुष  दोनों के लिए यही हुक्म है


नतीजा:

  • पानी से धोना इस्लाम में पाकी (हाइजीन) का अहम हिस्सा है।
  • इससे शरीर, कपड़े, मस्जिद, क़ुरआन आदि नजासत से सुरक्षित रहते हैं।
  • वैज्ञानिक दृष्टि से भी ये तरीका बीमारियों से बचाता है।
  • इस्लाम में सफाई आधा ईमान है (हदीस: صحيح مسلم 223)।
  • इस्लामी दृष्टिकोण: क़ुरआन व हदीस से हुक्म पानी से धोना ज़रूरी
  • सहूलियत: पानी न मिले तो मिट्टी, पत्थर या टिशू से भी कर सकते हैं
  • महिलाओं के लिए: वही हुक्म वो भी ये कर सकती हैं
  • वैज्ञानिक कारण: बैक्टीरिया खत्म, इन्फेक्शन से बचाव, कोई बदबू नहीं
  • इल्ज़ामी जवाब: "क्या हाथ धोने बिना साबुन से साफ़ हो जाते हैं?

मुहम्मद रज़ा

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

क्या आपको कोई संदेह/doubt/शक है? हमारे साथ व्हाट्सएप पर चैट करें।
अस्सलामु अलैकुम, हम आपकी किस तरह से मदद कर सकते हैं? ...
चैट शुरू करने के लिए यहाँ क्लिक करें।...