Chand Aur Suraj Grahan (Salat ul-Khusuf Aur Salat ul-Kusuf)


Chand Aur Suraj Grahan (Salat ul-Khusuf Aur Salat Ul-Kusuf)


चाँद (सलात उल खुसुफ़) और सूरज ग्रहण (सलात उल कुसुफ़) की नमाजें


सूरज और चांद अल्लाह की निशानियां में से दो निशानियां हैं। ये किसीकी मौत या पैदाइश से इनमे ग्रहण नहीं लगता। अल्लाह ताला उनके जरिए अपने बंदों में खौफ़ फैलाता है। इसलिए जब तुम उनको अंधेरे में देखो तो अल्लाह को याद करो, उसकी बढ़ाई बयान करो, नमाज पढ़ो, सदका करो, उससे दुआ करो और उससे अस्तगफार करो। [सहीह बुखारी-1044]

जिस दिन (29 सौव्वाल 10 हिजरी/ 27 जनवरी 632 ईसवीं) आप (ﷺ) के बेटे इब्राहिम (رَضِيَ ٱللَّٰهُ عَنْهُ) का इंतकाल हुआ उसी दिन सूरज ग्रहण लगा। आप (ﷺ) ने नमाज़ अदा की और फारिग होते ही ग्रहण खत्म हो गया। लोगों से मुखातिब होकर इसकी वजह बताया और उनकी जाहिलाना सोच को गलत ठहराया। यह अल्फाज आप (ﷺ) ने उसी वक्त कहें। क्योंकि लोग यह समझ रहे थे कि इब्राहिम (رَضِيَ ٱللَّٰهُ عَنْهُ) की वफात की वजह से यह वाक्या पेश आया।



Table Of Content

1. कुसुफ या सूरज ग्रहण (Solar Eclipse)
2. खुसुफ या चांद ग्रहण (Lunar Eclipse)
3. ग्रहण के दौरान क्या करें?
4. सूरज और चांद ग्रहण की नमाज़
   4.4. नमाज़ का वक्त
   4.5. नमाज़ की लंबाई
   4.6. नमाज़ मे रकत, रुकु और सजदा
5. चांद और सूरज ग्रहण की नमाज के दोनों तरीके
6. सूरज ग्रहण पर रसूल अल्लाह (ﷺ) को क्या दिखाया गया?



अल्लाह इन दो निशानियां से अपने बंदों को डराता है और उन्हें कुछ चीजें याद दिलाता है जो कयामत के दिन होने वाली हैं, जब सूरज गोल होकर अपनी रोशनी खो देगा और गिरा दिया जाएगा, सितारे गिरा जाएंगे। 

"और चाँद बे-नूर हो जाएगा और चाँद-सूरज मिलाकर एक कर दिये जाएँगे।" [कुरान 75: 8-9] 

जिस तरह कयामत के रोज़ चांद बेनूर हो जाएगा उसी तरह ग्रहण पर भी होता है इसलिए चांद ग्रहण से मुसलमानों को होशियार रहना चाहिए। 

जब रसूल अल्लाह (ﷺ) के जमाने में ग्रहण लगा था उस दिन आप (ﷺ) गज़बनाक हालत में यह ख्याल करते हुए बाहर निकले कि कयामत शुरू हो गई है। जिस हद तक आप (ﷺ) ने क़यामत को ज़हन में रखा और उससे डरें उस हद तक हम गाफिल हो चुके हैं और ज्यादातर लोग ग्रहण को कुदरती वाक्य के अलावा कुछ नहीं समझते जिसे देखने के लिए वह खास किस्म के चश्मे लगाकर, कैमरे से तस्वीर लेते हैं। जब कैमरा नहीं था तब लोग पानी में इसकी तस्वीर देखते थे। 


1. कुसुफ या सूरज ग्रहण (Solar Eclipse)


जब चांद, सूरज और जमीन के दरमियान आ जाता है तो सूरज की रोशनी का थोड़ा हिस्सा या पूरा हिस्सा कट जाता है जिसे सूरज ग्रहण कहते हैं और सूरज ग्रहण के दौरान जो नमाज पढ़ने जाती हैं उसे सलात उल-कुसुफ (Solar eclipse prayer) कहा जाता है। और इस्लाम 


2. खुसुफ या चांद ग्रहण (Lunar Eclipse)


जब जमीन चांद और सूरज के दरमियान आ जाती है तब चांद को सूरज से मिलने वाली रोशनी का थोड़ा हिस्सा या पूरा हिस्सा कट जाता है जिसे चांद ग्रहण कहते हैं और चांद ग्रहण के दौरान जो नमाज पढ़ी जाती है उसे सलात उल-खुसुफ (Lunar eclipse prayer) कहा जाता है। 


3. ग्रहण के दौरान क्या करें? 


  • अल्लाह को पुकारें 
  • अल्लाह की बढ़ाई करें
  • नमाज़ पढ़ें 
  • दुआ करें
  • सदका दें

यह हो सकता है कि मुसलमान की नमाज की वजह से अल्लाह ताला का उन बुराइयों से बचाव है जो सिर्फ अल्लाह ही को मालूम है। मुसलमान पर लाज़िम है कि वह अल्लाह ताला के हुक्म की तामील करें, शरियत के मुताबिक अमल करें, हिकमत पर यकीन रखें क्योंकि वह सब कुछ जानने वाला हिकमतवाला है। 


4. सूरज और चांद ग्रहण की नमाज़


4.1. ग्रहण की नमाज़ के लिए अज़ान


नमाज के लिए कोई अज़ान नहीं है लेकिन इसका ऐलान किया जाए जैसा कि कहा गया है "अस सलातुल जामिया" के साथ करना चाहिए।


4.2. नमाज़ बा-जमात अदा करना 


जब रसूल अल्लाह (ﷺ) के जमाने में ग्रहण लगा था तो उन्होंने किसी एक को हुक्म दिया "अल सलातुल जामिया" (नमाज शुरू होने वाली है) कहो। और आप (ﷺ) ने इमामत की। सलातुल कुसुफ और खुसुफ (सूरज और चाँद ग्रहण की नमाज़े) मर्द और औरत दोनों के लिए सुन्नत मोअक्कदा (तस्दीक शुदा सुन्नत) है। 

  • इमाम अबू हनीफ़ा (رَحِمَهُ ٱللَّٰهُ) इसे वाजिब (पढ़ें तो सवाब ना पढ़ें तो गुनाह भी नहीं) कहां है। 
  • इमाम मलिक (رَحِمَهُ ٱللَّٰهُ) ने इसे नमाज़ ए जुम्मा (जुम्मा की नमाज) के बराबर क़रार दिया है। 

बेहतर है कि इसे मस्जिद में बा-जमात अदा किया जाए। अगर जमात में नहीं पहुंच सकते तो अकेले नमाज़ पढ़ सकते हैं। औरतें मस्जिद मे जमात से भी पढ़ सकती हैं और घर में भी। 


4.3. नमाज़ के बाद खुत्बा 


नमाज़ के बाद रसूल अल्लाह (ﷺ) ने खुत्बा दिया। 

इमाम शाफ़ई (رَحِمَهُ ٱللَّٰهُ) और हदीस के दूसरे इमामों के नज़दीक खुत्बा मुस्तहिब (क़ाबिल-ए-क़ुबूल) है। 

हनफ़ी उलमा का मनना है कि खुत्बा ग्रहण की नमाज़ का हिस्सा नहीं है। वे पैगंबर की नसीहत को एक आम नसीहत समझते हैं न कि रस्मी खुत्बा के तौर पे। और अगर खुत्बा दिया जाये, तो ख़ुत्बे में अल्लाह की हम्द (तारीफ), शहादत की गवाही और जन्नत और जहन्नुम के बारे में बताया जाये।  

4.4. नमाज़ का वक्त


इसका वक्त सूरज ग्रहण के शुरू होने से ख़त्म होने तक है। नमाज़  ग्रहण के दौरान शुरू होनी चाहिए और ख़त्म होने तक नमाज़ मुकम्मल अदा कर लें। ग्रहण के बाद, नमाज़ का वक़्त और ज़रुरत दोनों ख़तम हो जाते हैं इसलिए ग्रहण के बाद नमाज़ पढ़ते रहना बातिल है।

इमाम अबू हनीफा और अहमद (رَحِمَهُ ٱللَّٰهُ) का क़ौल है कि ग्रहण की नमाज़ मकरूह वक़्त में नहीं पढ़नी चाहिए।

वही दूसरे इमामों का कहना है कि इस वक़्त ग्रहण की नमाज़ पढ़ना अफ़ज़ल है।

वल्लाहु आलम 


4.5. नमाज़ की लंबाई


ग्रहण की नमाज़ रोज़ाना की नमाज़ से लंबी होनी चाहिए। आप (ﷺ) ने इस दौरान जो नमाज़ पढ़ते वो बहोत लंबी होती। ग्रहण के शुरू होते ही शुरू करते और ग्रहण खत्म होते ही खत्म हो जाती। इसमे कुरान की चार सूरतें पढ़ते जिनमे से पहली और सबसे लंबी सूरत "सूरह बक़रह" होती।

नोट: आप अपनी ताकत के हिसाब से पढ़ें पर रोज़ाना की नमाज़ से लंबी रखें बाकी वक्त मे दुआ करें, ज़िक्र करें, कुरान की तिलावत और सदका दें। 


4.6. नमाज़ मे रकत, रुकु और सजदा


ग्रहण की नमाज़ में सिर्फ जो दो रकत हैं। ये दो रकात नमाज दो तरीके से पढ़ी जा सकती है-

पहला तरीका- सबसे ज़्यादा सही अहदीस से मालूम होता है कि हर रकत में दो कि़याम, कुरान की तिलावत की दो सूरतें, दो रुकु और चार सजदे। जैसे की रोज़ाना की नमाज पढ़ी जाती है। [इमाम हनीफ़ा (رَحِمَهُ ٱللَّٰهُ) का क़ौल] 

दूसरा तरीका- कुछ सही अहदीस में हर रकत मे रुक की तादाद तीन, चार, छः या इससे ज़्यादा बयान की गई है। [इमाम मालिक, शाफ़ई, अहमद (رَحِمَهُ ٱللَّٰهُ) और दूसरे उलेमा का क़ौल] 


5. चाँद और सूरज ग्रहण की नमाज के दोनों तरीके 



दो रुकू के साथ सूरज (सलात उल कुसुफ़) और चाँद (सलात उल खुसुफ़) ग्रहण की नमाज़

चार रुकू के साथ सूरज (सलात उल कुसुफ़) और चाँद (सलात उल खुसुफ़) ग्रहण की नमाज़


पहली रकत


पहली रकत

1. क़ियाम

1. क़ियाम

2. तक़बीर (अल्लाहु अकबर)

2. तक़बीर (अल्लाहु अकबर)

3. दुआ इस्तिफताह (सना)

3. दुआ इस्तिफताह (सना)

4. सूरह  फातिहा

4. सूरह  फातिहा

5. कोई सूरह

5. कोई लंबी सूरह

6. तक़बीर (अल्लाहु अकबर)

6. तक़बीर (अल्लाहु अकबर)

7. रुकू

7. लंबा रुकू

8. समी अल्लाह हू लिमन हमीदह

8. समी अल्लाह हू लिमन हमीदह

9. रब्बना लकल हम्द

9. दोबारा खड़े होकर सूरह फातिहा (सजदे किये बिना)

10. तक़बीर (अल्लाहु अकबर)

10. लंबी सूरह (पहली सूरह से छोटी)

11. दो सजदे

11. दोबारा लंबा रुकू (पहले रुकू से छोटा)

 

12. समी अल्लाह हू लिमन हमीदह

 

13. रब्बना लकल हम्द

 

14. दो लंबे सजदे      


दूसरी रकत


दूसरी रकत

पहली रकत का तरीका दोहराएं

पहली रकत का तरीका दोहराएं

तशाह-हुड (अत्तय्यात)                                   

तशाह-हुड (अत्तय्यात)

दरूद 

दरूद 

दरूद के बाद की दुआ 

दरूद के बाद की दुआ 

सलाम 

सलाम 


नोट: दूसरा तरीका सुन्नत से साबित है अगर आप इस  तरीके से नहीं पढ़ सकते तो पहला आसान तरीका अपनाये बस ख्याल रहे आपकी नमाज़ रोज़ाना की नमाज़ से लंबी हो।  


6. सूरज ग्रहण पर रसूल अल्लाह (ﷺ) को क्या दिखाया गया?


सूरज ग्रहण पर रसूल अल्लाह (ﷺ) जन्नत और जहन्नुम की एक झलक दिखाई गई। जब सूरज पूरा रोशन हो गया और आप (ﷺ) नमाज़ से फारिग हो गए तो मिंबर पर बैठ गए और (तक़रीर के दौरान मे) फ़रमाया के मुझे नमाज़ में हर वो चीज़ दिखी है जिसका तुमसे वादह किया गया है,उन्होंने इन चीज़ों का ज़िक्र किया:

A. जन्नत 

रसूल अल्लाह (ﷺ) के पास जन्नत लाई गई, उन्होंने (ﷺ) ने चाहा के वो उस फल को पकड़ लें फिर उन्हें (ﷺ) ये ज़ाहिर किया गया के वो ऐसा न करें। [मुसनद अहमद-2912, सहीह]
 
B. जहन्नुम में अज़ाब

1. जहन्नुम का एक हिस्सा दूसरे हिस्से को रेज़ा रेज़ा कर रहा है। [सहीह मुस्लिम-2091]

2. दोज़ख़ का हैबतनाक मंज़र जिसमे औरतों की तादाद ज़्यादा थी जो शौहर की नाफरमानी करती हैं और उनके अहसान का इंकार करती हैं। [सहीह बुखारी-5197]

3. इब्न लुहैय (जिसने सबसे पहले बुतों की नज़र की ऊंटनियां छोड़ी) को देखा वो आग में अपनी अंतड़ियाँ घसीट रहा था। [सहीह मुस्लिम-2091, 2100]

4. बिलाशुबा लोगों को क़ब्रों में फितना ए दज्जाल की तरह आज़माया जायेगा।  [नसाई-1476, सहीह]

5. बनु ददा के एक जूता चोर, जिसे एक दो-शाखा लकड़ी से आग में धकेला जा रहा था। [नसाई-1483, सहीह]

6. लाठी वाला आग में अपनी अंतड़ियाँ घसीट रहा था, वो लाठी से हाजियों की चोरी करता था। अगर उसकी चोरी का पता चल जाता तो वो कहता, "ये चीज़ तो मेरी लाठी के साथ वैसे ही लटक गई है।" और अगर पता न चलता तो वो उसको ले जाता। [मुसनद अहमद-2912,सहीह]

7. वो छड़ी वाला जो अपनी छड़ी से हाजियों का सामान चुराया करता था, वो आग में अपनी छड़ी के सहारे खड़ा कह रहा था, "ऐ लोगों, मैं हूँ छड़ी से चोरी करने वाला"। [नसाई-1483, सहीह]

8. बानी इस्राईल के हमीर क़ाबिले की एक स्याह रंग की तवील औरत जब एक बिल्ली की तरफ मुँह करती थी तो वो उसे (सामने की तरफ) नोचती थी और जब वो पीठ करती थी तो उसकी पीठ की तरफ नोचती क्यूंकि उस औरत ने उस बिल्ली को इतनी देर तक बाँध कर रखा के वो भूख और प्यास के मारे मर गई। [सहीह बुखारी-2364; मुस्लिम-2100; नसाई-1483 सहीह; मुसनद अहमद-2896 सहीह]


अल्लाह ताला से दुआ है कि वह हमें उन लोगों में से बनाए जो उससे डरते हैं और जो कयामत पर यकीन रखते हो और आखिरत की तैयारी में जुटे हैं।


By Islamic Theology


Reference: 
Sahih Bukhari-1046, 1063, 1065
Abu dawood-1190, 1178


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