क्या ज़मीन साकिन (स्थिर) है
एक क़ुरआनी आयत - 35:41 का मुकद्दमा
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~ اِنَّ اللّٰہَ یُمۡسِکُ السَّمٰوٰتِ وَ الۡاَرۡضَ اَنۡ تَزُوۡلَا ۬ ۚ وَ لَئِنۡ زَالَتَاۤ اِنۡ اَمۡسَکَہُمَا مِنۡ اَحَدٍ مِّنۡۢ بَعۡدِہٖ ؕ اِنَّہٗ کَانَ حَلِیۡمًا غَفُوۡرًا.
" यक़ीनन अल्लाह तआला पकड़े हुए है आसमानों को और जमीनों को कि वों अपनी जगह से ना टले। और अगर वों टल जाये तो अल्लाह के बाद, कोई दूसरा उन्हें थामने वाला नहीं। बेशक अल्लाह बड़ा बुर्द बार और बख्शने वाला है।"
क़ुरआन 35:41
इस आयत को पेश करके क़ुरआनी लिट्रेचर और फ़हम से बेखबर (नावाकिफ) कुछ लोग ये मुगालता फैला रहे है कि देखो इस आयत में अल्लाह पाक बयान कर रहा है कि उसनें आसमानों और जमीनों [यानी इस प्लेनेट जिसे धरती कहा जाता है।] को पकड़ रखा है यानी दुनियाँ साकिन (स्थिर) है। और साइंस कहती है कि दुनियाँ घूम रही है।
अब किसे सही मानें?
क़ुरआन को या साइंस को?
A-ये मुगालता पैदा होता है आयत में आये लफ्ज़ - یُمۡسِکُ से। जिसका अमूमन मायना पकड़ने का होता है।
लेकिन पकड़ने का इकलौता मतलब - [हाथों से पकड़ कर बेबस कर देना या जाम कर देना] - ही नहीं होता है। बल्कि पकड़ी हुई चीज़े भी चलायमान (movable) हो सकती है।
★ आइये दों क़ुरआनी आयतों से इस नुक्ते को समझने की कोशिश करते है-
1- "क्या इन लोगों ने कभी परिन्दों को नहीं देखा कि आसमान की बुलंदियों में किस तरह सधे हुए (उड़ रहे) हैं? अल्लाह के सिवाय किसने इनको पकड़ रखा है? इसमें बहुत-सी निशानियाँ हैं उन लोगों के लिये जो ईमान लाते हैं।"
क़ुरआन 16:79
2- "क्या ये लोग अपने ऊपर उड़ने वाले परिन्दों को पर फैलाए और सुकेड़ते नहीं देखते ? रहमान के सिवाय कोई नहीं जो इन्हें पकड़े हुए हो। वही हर चीज़ का निगेहबान है।"
क़ुरआन 67:19
दोंनो आयतों में साफ दिख रहा है कि परिंदे हवा में उड़ भी रहे है और अल्लाह ने उन्हें पकड़ भी रखा है।
Q - ये विरोधाभास (contradiction) क्यों हो रहा है?
A- हमारी ना समझी, ला-इल्मी या कम इल्मी की वजह से ... क्योंकि हम مۡسِکُ का मायना सिर्फ हाथों से पकड़ कर बेबस कर देना या फ्रीज़ कर देना ले रहे है। जबकि आयात का मफ़हूम ये है कि -
"अल्लाह ने इन परिंदों को हवा में उड़ते हुए अपने नियंत्रण (कब्ज़ा ऐ कुदरत) में लिया हुआ है। तभी तो वो सधे हुए अंदाज़ में परवाज़ कर रहे है और जमीन पर गिर भी नहीं रहे है।"
★ आइये एक दुनियाबी मिसाल से भी हम इस नुक्ते को समझने की कोशिश करते है...【मैंने कार ड्राइव करते वक़्त, कार के स्टेयरिंग को अपने हाथों से पकड़ रखा है।】
कार का स्टेयरिंग मैंने पकड़ रखा है मगर कार चल रही है।
यहाँ कार का स्टेयरिंग पकड़ने का मक़सद कार को जाम करना नहीं बल्कि कार कंट्रोल करने से है। यानी वाक़्य का सही मफ़हूम हुआ - 【कार मेरे नियंत्रण (control) में है।】
★ लिट्रेचर का उसूल है कि इसमें लफ्ज़ का तर्जुमा नहीं बल्कि सेंस (उसमें मौजूद मफ़हूम) का तर्जुमा किया जाता है। मसलन - अगर मैं कहूँ कि-【मेरा सिर भारी हो रहा है।】- तो इसे इंग्लिश में कैसे ट्रांसलेट करेंगे...?
अगर हम तर्जुमा करते है कि -
My head is getting heaviness. - तो ये गलत होंगा और हम हँसी के पात्र बन जायेंगे।
लिहाज़ा हम तर्जुमा करेंगे -
I am feeling headache. - ये सही तर्जुमा है क्योंकि इससे कर्ता के जज़्बातों की वज़ाहत हो रही है। कि वो कहना क्या चाह रहा है?
बिल्कुल यहीं उसलूब बहुत सी क़ुरआनी आयतों में देखने को मिलता है जैसे अगर 35:41 के अंदर मौजूद मफ़हूम (sense) को समझा जाये तो वों होंगा।
【(यानी) यक़ीनन ये आसमान और जमीन अल्लाह के कंट्रोल में है और जिस मक़सद के लिये इनकी तख़लीक़ हुई है ये अल्लाह के हुक्म से, उसके प्रति समर्पित है। और इनमें अल्लाह के हुक्म को टालने की इस्तेताअत नहीं है।】
क़ुरआन ने दिगर आयतों में लफ्ज़ مۡسِکُ का मायना- पकड़ना, थामना, कंट्रोल करना, सहारा देना या रोके रखना भी बयान किया है। और ये सारे मफ़हूम आयत के पशेमंज़र के ऐतबार से तय किये जाते है कि कहाँ पे कौन सा मायना लेना है।
क़ुरआनी आयतों को समझने के लिये लफ्जी मायनों के साथ-साथ, उसके पशेमंज़र से निकले मफ़हूम, उनमें निहित भावों (मौजूद जज़्बातों) को समझने की सलाहियत की भी जरूरत होती है। जो बहुत तजुर्बे और गहरी गौरोंफिक्र से हासिल होती है।
★ अभी भी हो सकता है कि कोई जिद्दी घोड़ा मेरे निकाले आयत के मफ़हूम से इत्तेफाक ना करें तो उसके लिये पेश ऐ खिदमत है एक और क़ुरआनी आयत जो मेरे पेश करदा मफ़हूम को सपोर्ट करती है...
"क्या तुम देखते नहीं हो कि उसने वो सब कुछ तुम्हारे काम में लगा रखा है जो ज़मीन में है, और उसी ने नाव को क़ायदे का पाबन्द बनाया है कि वो उसके हुक्म से समुन्दर में चलती है, और वही आसमान को इस तरह थामे हुए है कि उसकी इजाज़त के बिना वो ज़मीन पर नहीं गिर सकता? सच तो ये है कि अल्लाह लोगों के लिये बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है।"
क़ुरआन 22:65
इस आयत में जमीन वा आसमान को कैसे थाम रखा है, या कैसे अपने काम मे लगाया हुआ है, या कैसे सधा रखा है, या कैसे अपने नियंत्रण में रखा है, - ये देखने को मिल रहा है।
अल्लाह से दुआँ गों हूँ कि वों इन ना-समझ उम्मतियों को क़ुरआन सही आलिमों से सीखने और समझने की तौफ़ीक़ दे। ताकि अनजाने में वों किसी ऐसे फ़ितने को ना जन्म दे बैठे जो आखरत में इनके लिये वबाल ऐ जान बन जाये। अल्लाह इस हरकत से अपनी पनाह में रखे।
आमीन या रब्बुल आलमीन
मुहम्मद रज़ा
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