अल हादी का रुट है ه-د-ي है। जिसका मतलब है हिदायत या सही रास्ता दिखाना, right guidance. अल हादी अपने बन्दों को नेक और सीधी राह की तरफ रहनुमाई करने वाला और उन्हें सही मक़ाम तक पहुंचने वाला, नरमी के साथ भलाई के रस्ते की रहनुमाई करने वाला, हिदायत का तोहफा देने वाला।
अल हादी ٱلْهَادِي
अल हादी का रुट है ه-د-ي है। जिसका मतलब है हिदायत या सही रास्ता दिखाना, right guidance. अल हादी जो मुहब्बत के साथ सही रास्ता दिखाता है और भटकने से बचाता है उनको जो उसके दिखाए हुए रास्ते पर चलते हैं वो क़ामयाबी हासिल करते हैं और भटकते नहीं। अल हादी मोमिनो को वो रास्ता दिखता है वो हिदायत देता है जिसमे उनके लिए खैर होती है, और उस रास्ते से बचाता है जिससे उन्हें नुक्सान हो।
अल हादी अपने बन्दों को नेक और सीधी राह की तरफ रहनुमाई करने वाला और उन्हें सही मक़ाम तक पहुंचने वाला, नरमी के साथ भलाई के रस्ते की रहनुमाई करने वाला, हिदायत का तोहफा देने वाला।
और तुम्हारे लिये तुम्हारा रब ही रहनुमाई और मदद को काफ़ी है।
25:31
अल हादी हर एक को सही और आसान रास्ता दिखाता है और हर एक की रहनुमाई करता है। मगर कुछ लोग हिदायत को क़ुबूल करते हैं कुछ भटकना पसंद करते हैं। जैसे हमारे माँ बाप बचपन से हमें अच्छा बुरा सही गलत सिखाते हैं। इसे तरबियत कहा जाता है। लेकिन एक ही माँ बाप की दो औलादों में फर्क होता है , एक नेक और दूसरा बुरा, तरबियत तो दोनों की एक सी हुई मगर एक ने उसपर अमल किया दूसरे ने उस सुना जाना और भुला दिया।
अरबी लफ्ज़ हिदायह (हिदायत) का भी यही रुट है जिसका मतलब होता है सही राह दिखाना। अल्लाह ने तमाम दुनिया के लोगों की हिदायत के लिए रहनुमाई के लिए २ तरीके फ़राहम किये हैं और हुकुम दिया है के हिदायत पकड़ो। पहला है क़ुरआन जो अल्लाह की तरफ से तमाम जहाँ के लोगों के लिए हिदायत का जरिया है और दूसरा है नबी करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की सीरत: हदीस और सुन्नत। उनकी ज़िन्दगी को अल्लाह तआला ने एक मिसाल और नमूना बना के हमारे सामने पेश किया। क्युकी इंसान की फितरत होती है जो काम उसे पसंद नहीं या हिदायत के होते हैं उन्हें करने में बहाने बनाता है के ये दीन तो मुश्किल है ये हम नहीं कर सकते। इसलिए अल्लाह तआला ने एक इंसान को सारी दुनिया के लोगों के लिए मिसाल बना के भेजा के जो कुछ अल्लाह का हुकुम और हिदायत है वो सब एक इंसान के लिए आसान और मुमकिन है और कामयाबी का रास्ता और जरिया है।
हक़ीक़त में तुम लोगों के लिये अल्लाह के रसूल में एक बेहतरीन उदाहरण है, हर उस आदमी के लिये जो अल्लाह और आख़िरी दिन की उम्मीद रखता हो और अल्लाह को बहुत ज़्यादा याद करे।
कुरआन 33:21
अल हादी क़ुरआन में हुकुम देता है के अल्लाह के रसूल की इताअत करना और उनकी बताई हुई तालीम पर अमल करना हमारे लिए कामयाबी का रास्ता है। अल्लाह फरमाता है -
ऐ नबी ! कहो कि “ऐ इंसानों ! मैं तुम सबकी तरफ़ उस ख़ुदा का पैग़म्बर हूँ जो ज़मीन और आसमानों की बादशाही का मालिक है, उसके सिवा कोई ख़ुदा नहीं है, वही ज़िन्दगी बख़्शता है और वही मौत देता है, तो ईमान लाओ अल्लाह और उसके भेजे हुए उम्मी नबी पर जो अल्लाह और उसके हुक्मों को मानता है, और पैरवी करो उसकी, उम्मीद है कि तुम सीधा रास्ता पा लोगे।”
कुरआन 7:158
हर नमाज़ में हम अल हादी से हिदायत मांगते है के या अल्लाह हमें सीधा रास्ता दिखा, उन लोगों का रास्ता जिन पर इनाम किया अल्लाह ने। न की उन लोगों का जिन पर गज़ब किया गया और न उन लोगों का जो गुमराह हुए। अल्लाह के रसूल की इताअत करना मोमिन के लिए ज़रूरी है। आज हम आस पास देखें तो ज़्यादातर लोग हमे गुनाहो और ज़ुल्म में मुब्तिला दिखते हैं, और जब उन्हें ज़ुल्म से या गुनाहो से रोका जाये तो कहते हैं के सब ही ऐसा करते हैं तो हम कोनसी नयी बात या अनोखी बात कर रहे हैं। लेकिन ये हमेशा याद रखें के नमरूद और फिरौन भी ऐसे ही सोचता था के हम कुछ गलत कर भी रहे हैं तो क्या फर्क पढता है। लेकिन अल्लाह ने क़यामत तक के लिए उन लोगों की जिंदगी को हिदायत का जरिया लोगों के लिए बनाया और मिसाल बनाया जो भले ही अपनी ज़िन्दगी में तमाम मुश्किलों का सामना करते रहे मगर अपने ईमान पर क़ायम रहे, इब्राहिम अलै. और मूसा अलै.,यक़ीनन गुनाह और ज़ुल्म हम वक़्ती फायदा दे सकते हैं लेकिन कभी भी ख़ुशी और इत्मीनान नहीं दे सकते। अल्लाह क़यामत में हिसाब लेने वाला है मगर दुनिया में भी अल्लाह गुनाहो को दूसरे के लिए इबरत कर ज़रिया बना देता है।
कुरआन की एक आयत में अल हादी ने वाज़ेह कर दिया के हमारे रसूल लोगों के लिए रहनुमाई और हिदायत का एक जरिया ज़रूर हैं मगर वो किसी को हिदायत देने पर क़ुदरत नहीं रखते, ये क़ुदरत और ताकत सिर्फ और सिर्फ अल्लाह ही के पास है।
ऐ नबी, तुम जिसे चाहो उसे हिदायत नहीं दे सकते, मगर अल्लाह जिसे चाहता है हिदायत देता है और वो उन लोगों को ख़ूब जानता है जो हिदायत क़बूल करनेवाले हैं।
कुरआन 28:56
अल्लाह दिलों के हाल जनता है और जिसे चाहता है चुन लेता है। हमारे रसूल हर एक को सही और गलत का फर्क बताते हैं मगर कुछ को अल्लाह हिदायत देता है और कुछ को भटका देता है। ये अल हादी का कमाल है। जिसका दिल नरम और खुला है, जो हिदायत को क़ुबूल करने वाला है उसे अल हादी सीधा रास्ता दिखता है और जिनके दिल में रोग है, बीमारी है, जो तकब्बुर और बदगुमानी में मुब्तिला हैं उनका अल हादी भटका देता है। अल्लाह त'आला फरमाता है-
इस तरह अल्लाह एक ही बात से बहुतों को गुमराही में डाल देता है और बहुतों को सीधा रास्ता दिखा देता है। और गुमराही में वो उन्हीं को डालता है जो फ़ासिक़ हैं।
क़ुरआन 2:25
हमारी रहनुमाई और हिदायत के लिए अल हादी-अर रशीद ने क़ुरआन और हदीस हमें अता की हैं जिसमे हमारी जिंदगी से जुड़े हर छोटे और बड़े हालात और उस वक़्त हमें क्या करना है की हिदायत दर्ज है। अल हादी ईमान वालो के दिलो को सही रास्ता दिखता है और दुनिया के मायाजाल और धोके से आज़ाद करता है।
अल हादी वो ज़ात है जो बचपन से लेकर बड़े होने तक और बड़े होने से लेकर मरने तक हर दिन कुछ न कुछ सिखाता है। ईमान वालों को सीधा रास्ता दिखने वाला , मार्गदर्शक, पथप्रदर्शक।
“हमारा रब वो है जिसने हर चीज़ को उसकी सही शक्ल दी, फिर उसको रास्ता बताया।”
कुरआन 20:50
इस आयत से हमे पता चलता है के अल हादी सिर्फ लोगों को ही सीधी राह नहीं दिखता बल्कि हर मखलूक को हर क्रिएशन को राह दिखता है। मछली को तैरना और परिंदो को उड़ना कोई एक्सपर्ट नहीं सिखाता। ये अल हादी का काम है। हर मखलूक अपनी ज़रूरत पूरी करने का रास्ता जानती है क्युकी अल हादी उसे राह दिखाता है। पैदा होते ही बच्चे को दूध पीना कौन सीखा देता है? मधुमख्खी को कौनसा इंजीनियर उसके छत्ते के लिए नख्शा बना कर देता है ? मधुमख्खी को कैसे पता चलता है के षट्कोण बनाने में स्पेस और मटेरियल कम लगेगा?
जिसने तक़दीर बनाई फिर राह दिखाई।
कुरआन 87:3
अल हादी हर चीज़ को राह दिखता है। हमारे जिस्म की संरचना को ही देखें - कितने सरे अलग अलग हैं, सबका आपस में तालमेल करवाने वाला। हमारा छोटा सा दिल लगातार खून को पंप करता हैं और पूरे जिस्म की एक एक बारीक से कोशिका तक में खून पहुंचने का रास्ता दिखाता है, और न्यूरल सिस्टम को देखें, दिमाग की हर बात रौशनी की स्पीड से भी ज़्यादा तेज़ी से हमारे शरीर के मुख़्तलिफ अंग तक पहुंचने और हर ख्याल को रास्ता दिखाने का काम सिर्फ अल हादी ही का है।
इस सृष्टि में करोडो गृह उपग्रह तारामंडल से सजाया है मगर कोई एक भी खगोलिय पिंड अपने रास्ते से भटकता नहीं। करोडो साल से पूरी सृष्टि फ़ैल रही है मगर आपस में टकराते नहीं और एक रास्ते पर बंधे हुए है। ये अल हादी के दिखाए हुए रास्ते हैं जिनपे सब ठीक ठीक चल रहे हैं।
बादलों को राह दिखाता है, बंजर ज़मीन से बीज को राह दिखाता है, हवा का राह दिखाता है। ये जो हवाई जहाज़ हम बनाते हैं उड़ाते हैं इनको मंज़िल तक पहुंचने के लिए कैसे राह मिलती है ? राडार से किरणे भेजी जाती हैं जिससे आगे का रास्ता पता चलता है। क्या राडार इंसान बिना रेडियो वेव्स के इस्तेमाल कर सकता है ? कौन है रेडियो वेव्स को बनाने वाला ? अल हादी। हमारे शरीर की एनर्जी, तार में बिजली, एक परमाणु में इलेक्ट्रान को सही सही रास्ता बताने वाला और चलाने वाला अल हादी।
अल्लाह के इस खूबसूरत नाम से हम भी बहुत कुछ सीख सकते हैं। क्या हम भी किसी को सही रास्ता दिखाते हैं ? क्या हम भी अपने करीबी और आस पास के लोगों को सही रस्ते पर चलने के लिए आसानिया पैदा करते हैं? हमे भी सबके लिए आसानी पैदा करना चाहिए और दूसरों को जज करे बिना उनके साथ बिना ज़ोर ज़बरदस्ती के हिकमत के साथ सही राह पर लाने की कोशिश करते रहने चाहिए। अल्लाह फरमाता है -
नसीहत करते रहिये, क्यूंकि नसीहत ईमान वालों को फायदा पहुँचाती है।
-क़ुरआन 51:55
दूसरों को नसीहत करते रहना चाहिए और अच्छी बात बताते रहना चाहिए मगर सही बात पंहुचा सकते हैं किसी के साथ ज़बरदस्ती नहीं कर सकते। नसीहत को मानना न मानना हर इंसान का अपना विवेक है। अल्लाह सुब्हान व तआला फरमाता है - ऐ मुहम्मद (सल्ल०), कह दो कि “लोगो, मैं तो तुम्हारे लिये सिर्फ़ वो शख़्स हूँ जो (बुरा वक़्त आने से पहले साफ़ ख़बरदार कर देनेवाला हो।” फिर जो ईमान लाएँगे और भले काम करेंगे उनके लिये मग़फ़िरत (माफ़ी) है और इज़्ज़त की रोज़ी। और जो हमारी आयतों को नीचा दिखाने की कोशिश करेंगे, वो दोज़ख़ के यार हैं। (कुरआन 22:49-51 ) और तुम तो सिर्फ़ ख़बरदार करनेवाले हो, आगे हर चीज़ का निगरान अल्लाह है। (कुरआन 11 :12)
तो हमे अपनी तरह से पूरी कोशिश करना चाहिए नसीहत करने की और लोगों को हिकमत से सही राह दिखते रहना चाहिए मगर कुछ हमारी बात से सीख सकते हैं और कुछ हमें नापसंद कर सकते हैं , उससे हिम्मत न हारें और न ही अफ़सोस करें। अल हादी से कसरत से दुआ करे उनके लिए जिन्हे आप चाहते के अल हादी हिदायत अता करे और अपने लिए भी अल हादी से हिदायत रहे।
`उथमान बिन`अफ्फान रदिअल्लाहु अन्हु से रिवायत है:
पैगंबर (ﷺ) ने कहा, "तुम (मुस्लिम) में सबसे बेहतर वो है जो कुरआन सीखे और इसे सिखाए।"
सही बुखारी 5028
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रसूलुल्लाह (सल्ल०) ने फ़रमाया, ''रश्क दो ही आदमियों पर हो सकता है एक वो जिसे अल्लाह ने माल दिया और उसे (माल को) राह हक़ मैं लुटाने की पूरी तरह तौफ़ीक़ मिली होती है और दूसरा वो जिसे अल्लाह ने हिकमत दी है और उसके ज़रिए फ़ैसला करता है और उसकी तालीम देता है।''
सहीह बुखारी 7316
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