- Quran Is A Living Miracle
- ब्रह्मांड की उत्पत्ति (Creation of Universe)
- ब्रह्मांड का विस्तार (Expanding of Universe)
- ब्रह्मांड में अंधेरा (Darkness in Universe)
- ब्रह्मांड में भौतिक कण और उर्जा (Matter and Energy in Universe)
- आकाश का गठन (Formation of Sky)
- आकाश : सुरक्षित छत (Sky : Protective Shield)
- समुद्र में अंधेरा (Darkness in Sea)
- पृथ्वी क़ुरान और साइंस की नज़र में
- क़यामत (Day Of Judgment)
1. "Quran Is A Living Miracle"
और अगर तुम्हें इस मामले में शक है कि ये किताब जो हमने अपने बन्दे पर उतारी है ये हमारी है या नहीं, तो इस जैसी एक ही सूराह बना लाओ,अपने सारे हिमायतियों को बुला लो,एक अल्लाह को छोड़ कर बाक़ी जिसकी चाहो मदद ले लो,अगर तुम सच्चे हो तो ये काम कर के दिखाओ।
कुरान (2:23)
यह आयत उस वक्त नज़िल हुई थी जब अरबों को अपनी ज़बान पर बहुत नाज़ था और वह बहुत माहिर भी थे अरबी ज़बान में वह अरबी की एक पंक्ति (Line) की कविता में दस दस पंक्तियों की कविताएं कह जाया करते थे इसी महारत की बिना पे यह ख़ुद को अरबी और बाकियों को अजमी (Dumb) कहते थे।
यह आयत उस वक्त के महिरीन को चैलेंज कर रही थी जो अपनी ज़बान पे बहुत नाज़ किया करते थे और गौर तलब बात यह है कुरान ख़ुद अरबी ज़बान में नाज़िल हुई फिर भी वह इस चैलेंज को पूरा करने में नाकाम रहे और वह कामयाब हो भी नहीं सकते थे और यह उनकी रुसवाई का सबब भी बना।
अब बात करते हैं आज के वक्त की आज का वक्त अदबी नहीं बल्कि Science का है।और Science ने हर मैदान में अपना लोहा मनवाया भी है लेकिन क्या ये इतना ही आसान था या है। यकीनन नहीं क्यूंकि Scientific Fact की शुरुआत Hypothesis से होती है फिर उस पर Experiment करते है फिर उसे Observe करते है फिर उसका Conclusion निकलता है फिर उसे Scientist के ज़रिए Confirmation मिलता है फिर उसे Published किया जाता है फिर उसे कहीं जाकर Officially Scientific Fact माना या समझा जाता है।
जबकि क़ुरान ऐसे किसी Format को Follow किए बिना हक़ को हक़ (Truth) की तरह बयान करता है क्यूंकि ये किताबुल्लाह (उस जात की पुस्तक है जो पूरे ब्रह्मांड का रचयिता ) है और अल्लाह ने हक़ को जिस नबी ﷺ के ज़रिए इन्सानों तक पहुंचाया वह ख़ुद उम्मी ( He didn't know read and write) थे। क़ुरान में 6,000 से ज़्यादा आयतें है जिनमें 1,000 से ज़्यादा आयतें Scientifically Proved है आइए उनमें से कुछ Scientific Fact के ज़रिए समझने की कोशिश करते हैं।
इस बारे में क्या कहता है क़ुरान और क्या कहता Scientific Fact?
2. ब्रह्मांड की उत्पत्ति (Creation of Universe)
Big bank theory के मुताबिक़ "ब्रह्मांड की उत्पत्ति एक आग का गोला (Primary Nebula) में महा धमाका होने से हुआ।
मशहूर वैज्ञानिक Stephen Hawking ने अपनी किताब "The brief history of time" में कहा कि "the discovery of bridge of matter and energy in space the biggest discovery of this century which gives irrefutable evidence to the big bang"
क़ुरान कहता है कि
ये गौर नहीं करते है ये सब आसमान और ज़मीन आपस में मिले हुए थे फिर हमने इन्हें अलग किया।
कुरान (21:30)
इस आयत में ( रताका=Joined & फाताका=Forcefully Separation)सिर्फ़ दो शब्दों से Big bang को 1400 ई° परिभाषित कर रहा है बिना किसी तकनीकी ( Technology) के।
3. ब्रह्मांड का विस्तार ( Expanding of Universe)
आसमान को हमने अपने हाथों से बनाया है और यकीनन हम ही कुशादगी ( Expand) करने वाले हैं।
कुरान (15:47)
इस आयत में इस बात की निशानदेही की जा रही है कि कायनात फैल रही है और अब यह Scientific Fact भी है 1925 में Edwin Hubble ने इसे साबित किया कि आकाश गंगा ( Galaxies) और तारे ( Stars) एक दूसरे से 3×10⁸ m/s गति से फैल रहे हैं ज़मीन जिस आकाश गंगा में है उसे ( Milky way Galaxy) कहते है जिसका एक तारा सूरज, जिसका व्यास ( Diameter) 150 लाख km है और इस जैसे 400 अरब से भी ज़्यादा तारे इस (Galaxy) में है सबसे बड़ा तारा ( vy canis majoris) जो सूरज से 1 अरब गुना बड़ा है और इस Galaxy के अलावा 250 अरब Galaxies और है जो 3×10⁸ m/s की गति से एक दूसरे से फैल रहे हैं।
और अब सोचने वाली बात यह है क्या ये ख़ुद ही एक दूसरे से इतनी गति से फैल रहे हैं?
क्या कई सारी गाड़ियां बिना किसी ड्राइवर के निश्चित दूरी बनाए हुए निश्चित गति से चल सकती है? यकीनन नहीं तो फ़िर यह कायनात कैसे चल रही है? कोई तो होगा ही इसे चलाने वाला।
4. ब्रह्मांड में अंधेरा (Darkness in Universe)
तब भी वो यही कहते कि हमारी आंखों को धोका हो रहा है बल्कि हम पर जादू कर दिया गया है।
कुरान (15:15)
इस आयत से यह पता चलता है कि कायनात में अंधेरा है लेकिन इन्सान का अपना तर्क (Logic), जब हम ज़मीन से ऊपर की तरफ़ जायेंगे तो सब कुछ स्पष्ट (Clear) दिखेगा क्यूंकि सूरज ज़मीन से 93 million दूर होने पर भी इतना स्पष्ट दिखता है तो प्रथ्वी से ऊपर और स्पष्ट नज़र आयेगा लेकिन 1950 की तहकीक यह बताती है कि जब हम समुद्र तल से 200 km ऊपर जायेंगे तो केवल अंधेरा ही अंधेरा होगा क्यूंकि 200 km ऊपर जाने पर सूरज बिल्कुल काला दिखता है क़ुरान और साइंस की इस तहकीक से यह स्पष्ट होता है कि हम सिर्फ वही देख सकते है जो वो (Creator) दिखाना चाहे वह हरगिज़ नहीं देख सकते जो वो (Creator) न चाहे। सूरज जैसा चिराग़ की रौशनी में भी नहीं।
5. ब्रह्मांड में भौतिक कण और उर्जा (Matter and Energy in Universe)
अगर हम उन पर आसमान का कोई दरवाज़ा खोल देते और वो दिन दहाड़े उसमें चढ़ने भी लगते
कुरान (15:14)
क़ुरान के मुताबिक़ कायनात में कोई जगह खाली नहीं 1950 की ही तहकीक इस बात को साबित करती है कि कायनात में भौतिक कण और उर्जा पाए जाते है हम जानते है कि जैसे जैसे ऊपर की तरफ जाते हैं वैसे वैसे वायुमंडलीय दाब घटता है अगर कायनात में matter और energy न होती तो कायनात का पतन ( Collaps) हो जाता।
इस आयत को इस मिसाल से समझने की कोशिश करते हैं दरवाज़ा तो कोई भी वहीं लगाता है जहां कीमती खजाना हो ख़ाली खुले मैदान या ख़ाली कमरे को कोन बन्द रखता है।
6. आकाश का गठन (Formation of Sky)
फ़िर आसमान की तरफ़ मुतावज्जा (संबोधित) हुआ और वह धुआं (सा) था।
कुरान (41:11)
इस आयत में कहा जा रहा कि जब आसमान धुआं था और हम यह जान चुके हैं कि कायनात एक आग गोले में धमाके से वजूद में आया और आग से ही धुआं उठता है और उस धुएं में बहुत सी गैसें होती हैं और जिन गैसों से आसमान बना उनमें 78% (nitrogen & 21% oxygen) और 1% दूसरी गैसे, और हमें पता है हमारे वायुमंडल में भी (78% nitrogen & 21% oxygen) और other 1% हैं।
और अब गौर करने वाली बात यह है कि आसमान जिन और जितनी गैसों से बना उतनी ही गैसे वायुमंडल में होने का क्या मतलब है? तो आज की वैज्ञानिक खोज से मालूम होता है कि इन गैसों में 1% (nitrogen) घटी या बढ़ी तो दुनिया जम जायेगी, (oxygen) 1% बढ़ी या घटी तो दुनिया में आग लग जायेगी। इस निज़ाम को इतनी बारीक बीनी से कोन चला रहा है?
7. आकाश : सुरक्षित छत (Sky : Protective Shield)
आसमान को महफूज़ (सुरक्षित) छत भी हमने ही बनाया।
कुरान (21:32)
यह आयत पढ़ कर ज़हन में यह ख़्याल आता होगा आसमान हमारी किस चीज़ से सुरक्षा कर रहा है जो एक महफूज़ छत है। तो हमें आज के Scientific Fact से पता चलता है कि ( 2 Million पत्थर), और कई हानिकारक किरणें ( X-rays, Y-rays) और हानिकारक सोर्य विकिरण हमारी प्रथ्वी की तरफ़ आते, लेकिन पहुंच नहीं पाते आसमान की तरफ़ लौट जाते हैं अगर यह आसमान की तरफ़ न लौटे तो प्रथ्वी पर रहने वाली ज़िंदगियों का क्या होगा ये सोचने के लिए हम आप पर छोड़ते हैं।
(ozone) लेयर जो ज़मीन से 10 - 25 mile की दूरी पर है जिसके पतली हो जाने से नयी - नयी बीमारियां जन्म ले रही है और अगर आसमान भी न होता तो क्या होता।
आज की खोज ( Research) यह भी कहती है कि अगर आसमान न होता तो हमें मोबाइल, रेडियो ट्रांसमिशन का प्रयोग नहीं कर सकते थे।
8. समुद्र में अंधेरा (Darkness in Sea)
हम जानते हैं कि इन्द्रधनुष में सात रंग होते हैं जब समुद्र तल पे गिरती है तो एक के बाद एक अवशोषित (Absorbed ) हो जाते हैं लाल रंग 15 - 20 m ,नारंगी 30 - 50 m, पीला 50 - 100 m, हरा 100 - 200 m, नीला 200 m के क़रीब और बैंगनी और indigo लगभग 1000 m तक ये भी अवशोषित हो जाते हैं इन किरणों के अवशोषित होने का क्या मतलब है ? 15 - 20 m नीचे जाने पर अगर किसी को घाव हो जाए और उसमे से रुधिर स्त्राव ( Bleeding ) तो उसे रुधिर नज़र नहीं आयेगा तो 1000 m तक सारी किरणें अवशोषित हो चुकी हैं जिससे अब समुद्र में अंधेरा ही अंधेरा होगा जिसका ज़िक्र
क़ुरान---
या फ़िर उसकी मिसाल ऐसी है जैसे एक समन्दर में अंधेरा की ऊपर एक मौज छाई हुई है, उस पर एक और मौज, और उसके ऊपर एक बादल, अंधेरे छाया हुआ है, आदमी अपना हाथ निकाले तो उसे भी न देखने पाये। जिसे अल्लाह नूर न दे उसके लिए फ़िर कोई नूर नहीं।
कुरान (24:40 )
सूर्य का घूर्णन और परिकृमण (Rotation and Revolution) साइंस और क़ुरान की रौशनी में :-
और वो अल्लाह ही है जिसने रात और दिन बनाए और सूरज और चांद को पैदा किया। सब एक - एक फलक़ (कक्ष) में तैर रहे हैं।
कुरान (21:33)
1980s तक माना जाता था कि सूरज स्थिर ( Stationary ) होता है लेकिन अब यह बात ग़लत साबित हो चुकी है क्यूंकि सूरज घूर्णन (Rotation) तथा (Revolution) भी करता है वो अपने Rotation में 25 days और Revolution में (Speed 150 mile Second) 20 करोड़ सालों का समय लेता है जिसे Science ने कुछ ही सालों पहले बताया जबकि क़ुरान 1400 साल से इस बात की गवाही दे रही है।
9. प्रथ्वी क़ुरान और साइंस की नज़र में
क्या ये वाक़ई नहीं है कि हमने ज़मीन को फर्श बनाया।
कुरान (78:6)
इस आयत में फर्श से क्या मुराद है? फर्श यानि आराम और सुकून की जगह जहां इन्सान चल फिर और आराम से अपना गुज़र बसर कर सकें। साइंस के मुताबिक़, जो दाब बृहस्पति (Jupiter) अगर वही दाब प्रथ्वी पर होता तो हम चलने की बजाय एक सांप की तरह रेंगते। ज़मीन को फर्श हमारे लिए किसने बनाया?
और हमने ज़मीन को दरारों वाली बनाया।
कुरान (86:12)
इससे क्या मतलब है और ये दरारें कहां है।क्यूंकि ज़मीन का कोर तापमान 7,500°C होता है। इन दरारों से इतनी ऊसमा निकलेगी तो प्रथ्वी पर रह रहे जंतुओं का क्या होगा?
आज की वैज्ञानिक खोज हमें बताती है कि ये दरारें समुद्र की तह में पाई जाती है और इनसे निकलने वाली ऊष्मा (Heat) को समुद्र का पानी ठंडा कर देता है।
और अब सोचे यह कोन और किसके लिए कर रहा है।
1577 में Francis Drake ने बताया कि प्रथ्वी चपटी नहीं बल्कि गोल और पूरी तरह गोल भी नहीं (Geo Spherical in Shape)
इसके बाद ज़मीन को उसने बिछाया।
कुरान (79:30)
इस आयत में "दहाहा" शब्द आया जिसका मतलब अण्डा और खुसुसन(Specially) शुतुरमुर्ग के अण्डे के लिए,जो (Geo Spherical in Shape) होता है।इससे साबित होता है कि प्रथ्वी के गोल होने की निशानदेही की जा रही है।
क़ुरान की एक और आयत से मालूम होता है कि
क्या तुमने देखा नहीं कि अल्लाह ने रात को धीरे - धीरे दिन में और दिन को धीरे - धीरे रात में बदला।
कुरान (31:29)
अगर ज़मीन चपटी होती तो रात तुरंत दिन में और दिन तुरंत रात में बदल जाता।
a. ज़मीन पे पहाड़ (Mountain On Land)
ज़मीन पे पहाड़ के होने का क्या मतलब है?
Dr. Frink Press (1960) ने अपनी किताब "The Earth" में कहा कि पहाड़ जितना ज़मीन के ऊपर, उससे ज़्यादा ज़मीन के नीचे होते हैं।
और क़ुरान कहता है,और पहाड़ों को मेखों की तरह गाड़ दिया।
क़ुरान (78:7)
क़ुरान की यह आयत 1400 सालों पहले और विज्ञान 60 साल पहले बता रहा है।
Geological Concept of Mountains book (1960 ) में कहा गया है कि यह पहाड़े ज़मीन मे ऐसे धंसा दिये गए हैं कि ज़मीन अपनी दरारों की वजह से हिले नहीं।
उसने ज़मीन में पहाड़ों की मेखें गाड़ दी, ताकि ज़मीन तुमको लेकर ढुलक न जाएं।
क़ुरान (16:15)
Eq. Mount Everest सबसे ऊंची चोटी है जिसकी लंबाई 8.8 km हैं और ज़मीन के नीचे 80 km है।
पहाड़ का मक़सद उसी को पता हो सकता है जो इस ब्रह्मांड का रचयिता है।
b. चाँद (Moon)
पहले ये समझा जाता था चांद का अपना प्रकाश है लेकिन अब इसे ग़लत साबित किया जा चुका है और क़ुरान 1400 सालों पहले ये बता भी चुका है।
बड़ा बरकत वाला है वो जिसने आसमान में बुर्ज बनाए और उसमे एक चिराग़ और एक चमकता चांद रोशन (मुनीर) किया।
क़ुरान (25:61)
(बुर्ज) तारों का झुंड।
(मुनीर) Borrow Light
c. Chemistry (रसायन विज्ञान)
बहुत वक्त तक यह माना जाता था कि किसी भी द्रव्य (Matter) का सबसे छोटा कड़ Atom जिसे आगे विभाजित Divide नहीं कर सकते लेकिन अब साइंस कहती है कि Atom छोटा कड़ तो है लेकिन इसे आगे और भी (Electron, Proton, and Neutron ) कड़ों में विभाजित कर सकते हैं इस बात की दलील क़ुरान में इसके नुज़ूल में मौजूद हैं।
उससे ज़र्रा भर भी कोई चीज़ न आसमानों में छिपी है न ज़मीन में, न ज़र्रे से बड़ी और न उससे छोटी। सब कुछ एक नुमायां दफ़्तर में लिखी है।
क़ुरान (34:3)
d. Water Cycle (जल चक्र)
जल चक्र क़ुरान और साइंस की तहकीक से समझते है
जल चक्र क्या है?
हम सबको पता ही है लेकिन इसका ज़िक्र क़ुरान में क्या वाक़ई है? जिसको "Sir Bernard Palissy" ने 1580 में बताया था। क़ुरान कहता है
एक सही अंदाजे से आसमान से पानी बरसाते हैं फ़िर इसे ज़मीन में ठहरा देते हैं और हम इसके ले जाने पर यकीनन कादिर हैं।
क़ुरान (23:18 )
एक सही अंदाजे से मुराद आसमान से उतना ही (42 Matric ton) पानी बरसता जितना ज़मीन (42 Matric ton) से पानी भाप के रूप में ऊपर जाता है और Science यह भी कहती है कि अगर इसमें (42 Matric ton) थोड़ा भी घटा तो ज़मीन पे सूखा और बढ़ा तो सिर्फ़ बारिश ही बारिश होगी।
अब ज़रा गौर करें कौन हैं जो इतनी बारीक बिनी से इस कायनात के निज़ाम को चला रहा है इससे उसे क्या फ़ायदा है ?
e. Biology (जीव विज्ञान)
और पानी से हर ज़िन्दा चीज़ें पैदा की क्या वो ( हमारी इस तरह - तरह की चीज़े पैदा करने की सलाहियत को ) नहीं मानते।
क़ुरान (21:30)
क़ुरान ने इसे 1400 साल पहले जिस नबी के ज़रिए बताया वह उम्मी थे सोचें उस समय क्या प्रतक्रिय रही होगी लोगों की जब आज विज्ञान और वैज्ञानिकों को यह साबित करने के लिए इतना वर्ष और इतनी Theories दी गई बहुत सी नकार दी गई फिर 1924 में Oparin - Haldane Theory जिसे " Abiogenesis first biogenesis there after " प्रस्तुत की गयी इसके मुताबिक प्रथ्वी पे पहले बारिश के पानी में कुछ गैसे (ammonia, methane & carbon dioxide) मिले जिसे Primordial Soup & Hot Diluted Soup कहते है।
इससे छोटे जैव अणु ( Amino Acid, Fatty Acid, Nucleotide and Glucose ) फ़िर इनसे बड़े जैव अणु ( Proteins RNA and Polysaccharides) फ़िर इनसे Probiotics बने जो Prokaryote Cell के Precursor है और यह पानी में हो रहा है।
तो science ने इसे 1400 साल बाद साबित किया Life Originated From (water) Cytoplasm में 72 - 80 % पानी होता हैं।
जिन लोगों ने हमारी आयतों से कुफ्र किया इन्हें हम यकीनन आग में डाल देंगे जब इनकी खाले( त्वचा/ skin) पक जायेगी तो हम इनके सिवा नयी खाले देंगे जिससे यह अजाब को चखते रहे यकीनन अल्लाह गालिब और हिक्मत वाला है।
क़ुरान (4:56)
इस आयत के मुताबिक़ जहन्नुमियो को बार - बार नई खाले दी जायेगी जिससे वह अज़ाब (Pain) का मज़ा चखते रहे तो आज Medical Science हमें बताती है कि जलने या चोट लगने पे Brain हमें नहीं बताता बल्कि वहां पाए जाने वाले Pain Receptor से Signal Brain को जाता है जिससे हमें दर्द या तकलीफ़ का एहसास होता है।
जमे हुए ख़ून के एक लोथड़े से इन्सान की तखलीक ( Create) की।
क़ुरान (96:2)
जमे हुए ख़ून के लोथड़े से क्या मतलब?
क़ुरान में अलक़ शब्द का प्रयोग हुआ जिसके कई अर्थ (Meaning) है मिसाल के तौर पे शहतूत और जोक और दोनों ही इन्सान की भ्रुण अवस्था को परिभाषित करते हैं भ्रुण अवस्था (fetus life) की 15 cell Stage जिसे (Morula) कहते क्यूंकि यह शहतूत (Mulberry Fruit) के जैसा दिखता है और यही अवस्था गर्भ (Uterus) की दीवार (Endometrium) से चिपक ( implant) कर अपने विकास के लिए (Endometrium) से ख़ून के ज़रिए पोषण को लेता है।जोक की तरह।
f. History (इतिहास)
ऊंचे सुतूनो वाले आदे- इरम के साथ ।
क़ुरान (89:7)
Iram City (The City of Pillars) क़ुरान में जिस शहर का ज़िक्र है पहले इतिहासकार नहीं मानते थे लेकिन 1978 में विज्ञान इसे साबित किया और बताया कि यह 430 Century पहले से मौजूद था जिसे 1973 में सीरिया में खुदाई के दौरान निकाला गया।
10. क़यामत (Day Of Judgment)
इनकार करने वाले कहते हैं, क्या बात है कि क़यामत हम पर नहीं आ रही है।
क़ुरान (34:3)
(Big Crunch):- इस Theory के मुताबिक़ एक समय के बाद कायनात फैलना बन्द कर देगी और सारे द्रव्य (Matter) आपस में मिलने लगेंगे और फ़िर इन्हे Gravitational pool इन्हे अपनी ओर आकर्षित कर लेगा और फिर यह जहां से आरम्भ (Primary Nebula) हुआ था वहीं इसका अन्त (The End) हो जायेगा। फ़िर यह इनकार करने वाले कहां जायेंगे जो महफूज़ रहेंगे?
इसका ज़िक्र क़ुरान में बहुत बार हुआ है नबी करीम ﷺ ने फ़रमाया जो अपनी आंखों से क़यामत का मंज़र देखना चाहता है सूरह 81,82 और 84 पढ़ ले। तो उसके सामने क़यामत का मंज़र ज़ाहिर हो जायेगा।
इन आयतों को Scientific Fact से समझने का हरगिज़ मकसद यह नहीं था कि हमें क़ुरान पे यकीन नहीं। क़ुरान तो हमारे लिए एक Scale है जिससे हम यह पता करते हैं कि हम सीधी राह पे है कि नहीं जैसे Scale से सीधी Line खींचते है न कि Line खींच कर यह पता करते है कि Scale सीधी है कि नहीं और क़ुरान तो खालिक (Creator) की खिलकत (Creation) की निशानदेही कर रहा है जबकि Science ( Creation ) को साबित कर रहा है हम यह देख चुके कि कायनात का वजूद Big- Bang से हुआ और वैज्ञानिकों के मुताबिक़ लगभग 15 Billion सालों पहले हुआ और क़ुरान 1400 सालों पहले नाजिल हुई तो क़ुरान के नुज़ूल के बाद ही बल्कि 1000 साल बाद क्यों यह साबित किया गया ? नुज़ूल से पहले क्यों नहीं ? क़ुरान Science की नहीं Signs की किताब है और Creator ने अपनी Creation की निशानदेही इसी किताब (Qur'an) में की बिना hints (signs) मिले कुछ भी साबित करना मुमकिन ही नहीं।
क्या खिलकत ने हमें खालिक तक नहीं पहुंचाया या कोई खालिक है ही नहीं?
मिसाल के तौर पे हमारा दैनिक जीवन (Daily Life ) बिजली पे निर्भर करता है क्या यह ख़ुद पैदा हुई या हो रही है? हमें पता है Thomas Alva Edison ने इसे पैदा किया और आगे भी पैदा की जा रही है। इसी तरह इस कायनात को भी किसी ने पैदा किया और इतनी बारीक बीनि से चला भी रहा है वही तो ख़ुदा है।
क्या लोग क़ुरान में गौर नहीं करते ? अगर ये अल्लाह के सिवा किसी ओर की तरफ़ से होता तो यकीनन इसमें बहुत कुछ इख़तेलाफ (Contradiction) पाते।
क़ुरान (4:82)
साभार :अहमद बज्मी
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