I love my family और I love the junk food इन दोनो sentences में Love आया है लेकिन क्या एक ही माना के साथ? नहीं ना ठीक इसी तरह अरबी भाषा की व्याकरण (grammar) है, और जब शब्द को वाक्य से अलग करके अनुवाद करते है तो पूरा मतलब बदल जाता है जैसे कुरआन की कुछ आयतो से शब्द निकाल उसका दूसरी भाषा में अनुवाद कर गलत फहमी पाल ली गई तो कि कुरआन में जमीन के चपटी होने का जिक्र किया गया है तो देखते हकीकत मे किस बात की तरफ इशारा किया जा रहा है:
और जमीन को हमने बिछा दिया और इसमें हमने पहाड़ डाल दिये
कुरआन 50:7
यहाँ जमीन को बिछाने या फैलाने से मुराद, जमीन की तखलीक के दौरान जमीन की कुशादगी के मुतालिक फरमाया और आगे यह भी फरमाया, हमने पहाड़ डाल दिये है अगर खालिक ने जमीन को चपटी बनाया होता तो पहाड़ डालने की बात क्यों फरमाता ?
और हमने जमीन में पहाड़ बना दिए ताकि वह मखलूक को हिला ना सके।
कुरआन 21:31
जमीन के चपटी बनाया होता तो इस आयत मे यह क्यों फरमाता ? क्या कोई चपटी चीज भी हिलती डुलती (disbalance) है?
"वो रात को दिन पर और दिन को रात पर लपेट देता है। और उसने सूरज चांद पर लगा रखा है हर एक को मुकररह मुद्दत चल रहा है।"
कुरआन 39:5
इस आयत में (يكور/युकव्विरु) आया यानि किसी गेंद (जमीन) जैसी संरचना पे दिन-रात को एक दूसरे के लपेटे जाने की तरफ इशारा किया जा रहा है। साथ ही सूरज, चांद और जमीन के गाति-मय होने की तरफ भी इशारा किया जा रहा है।
और हमें पता है जमीन के घूर्णन (Rotation) से ही दिन और रात होता है जबकि है परिक्रमण (Revolution) से मौसम बदलता है। क्या कोई चपटी चीज को एक समय में एक साथ Rotation & Revolution कर सकती है?
शायद किसी के जेहन में यह ख्याल आये जमीन गेंद जैसी तो नहीं, तो Globe का आकार कैसा होता है? और Globe का आकार कहाँ से आया?
"और इसने जमीन में पहाड़ गाड़ दिये ताकि वो तुम्हे ले कर हिले ना"
कुरआन 16:15
जमीन में पहाड़ को इस तरह गाड़ दिया ताकि जमीन को लेकर ढूलक ना जाय अब खुद ही सोच के बताये कौन-सी चपटी चीज को ढूलकते हुये देखा है?
"Geological Concept of mountain book" (1960) में कहा गया हैं।. यह पहाड़ जमीन में ऐसे धसा दिये गये हैं की जमीन अपनी दरारों की वजह से हिले नहीं।
और अल्लाह रब्बुल इज्जत ने कुरआन की एक आयत मे दरारों वाली जमीन की कस्म ख़ाई है, दरारों का मतलब यह भी होता है की जमीन को फाड़ कर पौधों का बाहर आना।
"और इसके बाद जमीन को बिछा दिया"
कुरआन 79:30
दहाहा अरबी का यह शब्द शुतुमूर्ग के अण्डे को परिभाषित करता है, इस आयत में जमीन की तुलना शतुमूर्ग के अण्डे से की गई है।, और अगर इसके लफ्जी माना पर गैर करे तो जिस बिना पर लोग कहते है कि कुरआन में जमीन की चपटी होने ज़िक्र है जो कि कहने वालो की सिर्फ गलतफहमी है क्योकि ये लफ्जी माना से भी जमीन की कुशादगी को परिभाषित कर रहा है। क्या हमे दिखने मे जमीन फैली और बिछी हुयी नहीं दिखती? अगर दिखती या महसूस होती तो फिर साबित करने कि नौबत क्यों आई?
जिसे 1577 मे francis drake ने बताया की चपटी नहीं बल्कि पूरी तरह गोल भी नहीं यानि ( Geo spherical in shaped ) है। अरबी के एक लफ्ज़ के कई माना होते है जैसे कि (हक़/حق)अधिकार/Right &Truth / सत्य। तन्कीद करने के लिए भी इल्म हासिल करना जरूरी है-
"क्या हमने जमीन को फर्श नहीं बनाया ?"
कुरआन 78:6
फर्श से मुराद आराम-सुकून की जगह मतलब जहाँ "जीव-जन्तु की आराम सुकून से चल फिर और अपना जीवन-चक्र पूरा कर सके। वैज्ञानिक कहते है जो दाब बृहस्पति (Jupiter) पे है अगर वही दाब पृथ्वी पर होता तो जीव कचलने फिरने के बजाय सांप की तरह रेंगते
फर्श तो हमारे मकानों में भी होता और हमारा मकान जमीन पे ही है, तो उसे देख यह ख्याल क्यों नही आता कि जमीन अण्डाकार है तो फर्श कैसे बने?
"और पहाड़ो को मेखें (नहीं बनाया)?"
कुरआन 78:7
इस आयत से मुराद जिस तरह किसी चीज को उसकी जगह ठहराये रखने के लिए उसमे कील ठोंकते है उसी तरह पहाड़ को जमीन में कील के सामान्य गाड़ दिया जैसे कील का ज्यादा हिस्सा अंदर होता है
उदाहरण: माउन्ट एवरेस्ट सबसे ऊंची चोटी है । जिसकी लंबाई 8.8 km है और जमीन के नीचे 80 km है। Dr. frink press - (1960) में अपनी किताब "the earth" में कहा कि पहाड़ जितना जमीन के ऊपर, उससे ज्यादा जमीन के नीचे है।
तुल्यनात्मक विश्लेषण (comparative analysis) से हमें पता चला कि कुरान में जहां भी ज़मीन की पैदाइश के मुतालिक ज़िक्र किया गया है वहां पहाड़ के होने का मक़सद भी बयान किया रहा सवाल बिछाने या फैलाने तो वो भी हमने समझने की कोशिश की, जीव जंतुओं के आराम सुकून के हवाले से बताया।
और जो अल्लाह ने कुरआन 1400 साल पहले बताया उसे विज्ञान 1960 मे साबित कर रहा है। बल्कि कुरान का हूबहू नकल कर रहा है। सवाल तो विज्ञान पर होना चाहिए न की कुरआन पे लेकिन कुरआन पे सवाल उठाना इसलिए भी आसान हो गया क्योंकि कुरआन का इन्कार करने वाले कुरआन की आयतों का अपने मतलब का मतलब निकाल कर सोशल मोडिया के जरिये प्रसार(circulate) करने लगे है जबकि हकीकत तो यह है 700 ई. से 1500 ई. तक मुसलमानों का सुनहरा दौर कहा जाता था क्योकि मुसलमानों की सारी कामयाबी कुरआन के जरिये से थी ईसाई ये देख अपने दीन से दूर होने लगे क्योंकि उनकी बाईबल में जमीन के चपटी होने का जिक्र था। अब गौर करें 1577 में francis Drake ने पृथ्वी के सही आकार को (geo spherical) बताया। पढ़ के लगेगा 79:30 परिभाषित कर रहे हैं।
अहमद बज़्मी
2 टिप्पणियाँ
Good
जवाब देंहटाएंJazak ALLAH
जवाब देंहटाएंकृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।