निकाह से मुतअल्लिक अहम मालूमात
C. निकाह के बाद (After Nikah) (पार्ट - 2)
vi. दूल्हा और दुल्हन के लिए चंद नसीहतें:
- बीवी के साथ अच्छे अंदाज़ में गुज़र बसर करे।
- उसकी इज़्ज़त व तक़रीम करे।
- उसके रिश्तेदारों के साथ भी हुस्न-ए-सुलूक करे।
- उसे आराम व राहत पहुँचाए।
- दुल्हन को चाहिए कि वह अपने शौहर की ख़िदमत और उसके हुक़ूक़ की अदाई में कोताही न करे।
- बे-जा़ ग़ैरत, शक व शुबह में न पड़े।
- यह समझे कि उसकी इज़्ज़त उसके शौहर से है।
- ग़ुस्से की हालत में अपना मुँह बंद रखे।
- सफ़ाई, ज़ेब-ओ-ज़ीनत, बनाव-संवर, ख़ुशबू वग़ैरह का इस्तेमाल अपने शौहर के लिए करे।
- घर में इत्र का इस्तेमाल करे।
- सफ़ाई-सुथराई में उन उमूर की बड़ी अहमियत है जो सुन्नत-ए-फितरह में आते हैं:
- ख़तना,
- ज़ैर-ए-नाफ़ बाल मुन्तशिर करना (remove) करना,
- मूँछें छोटी करना,
- नाख़ून काटना,
- बगलों के बाल उखाड़ना।
vii. निकाह के बाद बाज़ नसीहतें और अहम तालीमात:
1. मियाँ-बीवी के दरमियान सुलह कराने के लिए झूठ बोलने की रुख़्सत है। (मुस्लिम: 1605)2. बीवी और बच्चों पर ख़र्च करना अफ़ज़ल सदक़ा है। (मुस्लिम: 995)3. दूल्हा-दुल्हन को चाहिए कि ससुराली रिश्तेदारों से सिलह-रहमी करें। इसका सवाब यह है कि उम्र और रिज़्क़ में बढ़ावा दिया जाता है और अल्लाह की रहमत के मुस्तहिक़ बन जाते हैं। (बुख़ारी: 2067)4. मर्द जिस तरह अपनी हिफ़ाज़त खुद करता है, उसी तरह अगर औरत को शौहर से कोई नुक़सान का अंदेशा हो तो वह ज़िम्मेदार अफ़राद, क़ाज़ी या हाकिम तक अपनी बात ले जा सकती है।5. नबी ﷺ ने कभी किसी बीवी को नहीं मारा, न ग़लत अल्फ़ाज़ बोले। (असालीब-ए-नबवी फी मुश्किलात-ए-जौजियाह) के मुताबिक़ आप ﷺ ने तो कभी गाली भी नहीं दी।6. तोहफ़े वापस लेना मकरूह है, इससे परहेज़ ज़रूरी है।7. इमाम अल्बानी रहिमहुल्लाह ने मवाना-ए-हाम्ल (contraceptives) तीन शराआ’त पर जाइज़ क़रार दिया:i. जब औरत को बड़ा नुक़सान होने का अंदेशा हो।ii. मौत का यक़ीनी ख़तरा हो (और इस पर दो सीक़ह डॉक्टर्स गवाही दें)।iii. मर्द और औरत का मक़सद सिर्फ़ इस्तिमताअ (enjoyment) हो तो वो अपना ये हक़ इस्तेमाल कर सकते हैं। (आदाब-उज़-ज़िफ़ाफ़)8. हलाल व जाइज़ वादों को ज़रूर पूरा करें।9. शौहर और बीवी एक-दूसरे के वालिदैन का इज़्ज़त व एहतराम करें।10. माँ-बाप इस रिश्ते को competition नहीं, compliment समझें।11. सास-बहू और ननद-भाभी के रिश्ते में आख़िरत की कामयाबी चुनिए, न कि दुनिया के शिकवे, चुग़लख़ोरी, ग़ीबत और इल्ज़ाम।12. महंगे invitation cards (रुकअत) फ़ुज़ूल ख़र्ची में आते हैं।13. शादी के बाद हर जुमा को ख़ास दावत (4-5 हफ़्ते तक) करना एक ग़लत रिवाज है।14. शादी के बाद तफ़रीह और हदूद: मियाँ-बीवी का तफ़रीह के लिए जाना जाइज़ है अगर शरीअ़ी हदूद का ख़याल रखें। अगर honeymoon को western culture की तक़लीद या रिवाज समझ के किया जाए तो यह तशब्बुह फ़िल कुफ़्र है।
viii. कामयाब शादी के उसूल:
1. अल-इल्तिज़ाम: दोनों अपने हुक़ूक़ और ज़िम्मेदारियों का एहसास रखें।2. अल-इहतिराम: एक-दूसरे का इज़्ज़त व एहतराम करें।3. तौहीद, रिसालत, आख़िरत: घर में अल्लाह और रसूल ﷺ का हुक्म चले, दोनों अपने आमाल का मुहासिबा करें।
i. मुराक़बा: अल्लाह देख रहा है — ये सोच फ़साद से बचाती है।ii. उस्वह हसनह: नबी ﷺ जैसे शौहर और उम्महातुल मोमिनीन जैसी बेहतरीन बीवियाँ।iii. आख़िरत का ख़ौफ़: “फ़मन यअमल मिथ्क़ाला ज़र्रतिन खैरन यरह…”
4. तसामुह: आपस में नर्मी, माफ़ी, सब्र और बर्दाश्त।5. मुताअ-ए-ग़ुरूर से बचना: हक़ीक़त में जीना, तसव्वुर की दुनिया से बचना। जन्नत में ही हर चीज़ मुकम्मल मिलेगी।
- दुनिया में कामयाबी के वसाइल: तवक्कुल, तक़वा, सदाक़त, अमानत, क़नाअत, सब्र, तसामुह, मोहब्बत, शफ़क़त, इंसाफ़, एहसान।
6. तवासुल सादिक़ मा’ इस्तिमरार: हर हाल में गुफ़्तगू जारी रखो, एक-दूसरे को मशवरे में शामिल करो। नाराज़गी में भी बात बंद न करो।
- तकब्बुर, शक, जासूसी, चुग़ली: ये सब ज़हर हैं ज़िंदगी के लिए।
7. सिर्फ़ अपना नहीं, बच्चों का भी सोचिए। आपके झगड़े का उन पर बुरा असर होता है। उम्मत और इंसानियत का सोचिए। अपनी सलाहियत अच्छे कामों में लगाइए, झगड़ों में नहीं।
- एक बड़ा vision रखिए: इस्लाम की दावत, इल्म, अमल, सब्र, तालीम का माहौल बनाइए।
8. माहिरीन-ए-नफ़्सियात और सोशल एक्सपर्ट्स के 5 मशवरे:
i. उसूलों में नर्मी और समझौता: सख़्ती से बात बिगड़ती है, मुस्कराहट से सुधर जाती है।ii. रोज़मर्रा के routine से हटकर ख़ुशी का माहौल बनाइए।iii. तवासुल: रिश्ते तोड़ो नहीं।iv. अल-इहतिराम अल-मुताबादिल: हर शख़्स को इज़्ज़त दो।v. अल-सिक़ह: एक-दूसरे पर पूरा भरोसा। शक़ और बदगुमानी रिश्ते ख़त्म कर देती है।
ix. शौहर और बीवी की हठधर्मी का इलाज:
- इनाद या हठधर्मी अगर किसी अच्छे काम में हो तो मक़बूल, लेकिन बुरे काम में यह मज़मूम (नफ़रत अंगेज़) होती है।
- हठधर्मी बड़ापन नहीं, बल्कि कमज़ोरी की निशानी है, अपनी कमज़ोरी छुपाने के लिए आदमी या औरत यह रास्ता इख़्तियार करता है।
- जो लोग हालत और शख़्सियत के मुताबिक़ ख़ुद को ढाल नहीं पाते, वो ग़लत रास्ते (हठधर्मी) पर चल पड़ते हैं।
- हठधर्मी रिश्ते को तोड़ती है, जबकि लचीलापन और दरगुज़र रिश्ते को क़ायम रखता है।
- कभी हठधर्मी विरासत में होती है – इसके लिए मेहनत करके अच्छाई और बुराई में फ़र्क़ करना होगा। तहक़ीर-ए-राए (दूसरे की बात को छोटा समझना) और अदम-ए-मशवरा (मशवरा न लेना) से बचना ज़रूरी है।
- मोहब्बत की कमी भी शौहर-बीवी में हठधर्मी का सबब बन सकती है।
- Discussion (हिवार) से मसाइल हल किए जा सकते हैं। Dictation या हुक्म चलाना नहीं, उस्ताद बनकर नहीं, बल्कि आपसी गुफ़्तगू और माफ़ी के जज़्बे से हर मसला हल हो सकता है।
- हिल्म (नर्मी) की आदत तहाल्लुम से आती है। ग़ुस्सा पीने से ग़ुस्सा पीने की आदत बन जाती है।
- तकब्बुर का अंजाम हमेशा बुरा होता है। फ़िरऔन, आद, समूद, क़ौम-ए-लूत, क़ौम-ए-नूह — इन सबकी हठधर्मी का अंजाम हलाकत था।
अल्लाह की किब्रिया और रसूल ﷺ की इताअत को लाज़िम पकड़ लो। मोहब्बत और रहमत को अपनाओ। (सूरह रूम: 30:21)
इब्न क़य्यिम (रह.) के चंद क़ीमती उसूल: बचने वाली 4 हलाक कुन बीमारियाँ:
- तकब्बुर
- हसद
- शदीद ग़ज़ब (anger)
- शहवत
नोट: 1: निकाह का इल्म सीखना ज़रूरी है:
“तलबुल इल्म फ़रीज़ह आला कुल्लि मुस्लिम” (इब्न माजह: 224)
हर मुसलमान पर इल्म हासिल करना फ़र्ज़ है।
यह इल्म: हुक़ूक़-उज़-ज़ौजैन, हलाल-हराम, तहारत, ग़ुस्ल व ग़ैरह के मसाइल सिखाता है।
“तलबुल इल्म फ़रीज़ह आला कुल्लि मुस्लिम” (इब्न माजह: 224)
हर मुसलमान पर इल्म हासिल करना फ़र्ज़ है।
यह इल्म: हुक़ूक़-उज़-ज़ौजैन, हलाल-हराम, तहारत, ग़ुस्ल व ग़ैरह के मसाइल सिखाता है।
नोट: 2: निकाह का लुग़वी मअना:
“निकाह” का असल लफ़्ज़ “नाकहा - यंकिहु - निकाहन” से है।
“तनाकहत अल-अश्ज़ार” का मतलब है: दरख़्त की शाख़ें आपस में मिलना।
निकाह से अजनबी मर्द-औरत का मिलाप होता है, वो दुख-सुख के साथी बनते हैं।
निकाह का मतलब अक़्द (contract) और जिमा’ (physical relation) दोनों है।
“अल-बाअह” से जिमा’ और अस्बाब-ए-निकाह दोनों मुराद लिए गए हैं।
(फ़त्ह-उल-बारि लि इब्न हजर: 9/108)
जमा व तरतीब: शेख अरशद बशीर उमरी मदनी हाफिजहुल्लाह
हिंदी तर्जुमा : टीम इस्लामिक थिओलॉजी
इस टॉपिक पर क्विज़ अटेम्प्ट करें 👇

0 टिप्पणियाँ
कृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।