Nikha kya hai | Bahuvivah kya hai iske fayde aur shartein

Nikha kya hai | Bahuvivah kya hai iske fayde aur shartein

बहुविवाह क्या है? इसके फायदे और शर्तें क्या हैं?


निकाह क्या है?

निकाह जिसपर इस्लाम ने सबसे ज़्यादा ज़ोर दिया है।

ये एक ऐसा रिश्ता है जो समाज को चलाने का जायज़ तरीका है। ये एक कॉन्ट्रैक्ट है दो लोगों के बीच की वो अपनी, अपने घर की, और समाज की ज़रूरत को पूरा करे और फ़िक्र-ए-हम अहंगी में लग जाए और कोशिश करे एक अच्छा समाज तख़्लीक़ करने की क्योंकि अगर इस रिश्ते में ही फ़ितना पड़ जाए तो ये रिश्ता पहले एक घर और फिर समाज को ख़राब कर देता है। इसलिए ये रिश्ता सिर्फ़ एक कॉन्ट्रैक्ट नहीं बल्कि फिक्र-ए-हम अहंगी के साथ जोड़ा जाए ताकि जो गंदगी (बुराई) समाज में पनप रही है उसे ख़त्म किया जा सके। 


बहुविवाह:

जिसको हम समझते हैं कि मर्द का 1 से ज्यादा शादी करना! इस के अंदर 1 मर्द 1 से ज़्यादा औरत से शादी कर सकता है तो क्या इस्लाम में इसकी इजाज़त है? और अगर है तो ये तो औरतों के साथ ना इन्साफी की बात है तो क्या इस्लाम औरतों के साथ ना इन्साफी करता है?

आइए थोड़ा इसपे भी नज़र डालते हैं!

कुरान में बहुविवाह

सूरह निसा आयत नंबर 3,

إِنْ خِفْتُمْ أَلَّا تُقْسِطُوا۟ فِى ٱلْيَتَـٰمَىٰ فَٱنكِحُوا۟ مَا طَابَ لَكُم مِّنَ ٱلنِّسَآءِ مَثْنَىٰ وَثُلَـٰثَ وَرُبَـٰعَ ۖ فَإِنْ خِفْتُمْ أَلَّا تَعْدِلُوا۟ فَوَٰحِدَةً أَوْ مَا مَلَكَتْ أَيْمَـٰنُكُمْ ۚ ذَٰلِكَ أَدْنَىٰٓ أَلَّا تَعُولُوا۟ 

इस आयत में कहा गया कि 1 मर्द 2, 3 या 4 शादी कर सकता है। इस आयत को हमने सिर्फ इतना ही समझा है। पर इस के आगे ये भी कहा गया है कि ये 4 शादी आप जब कर सकते हैं जब आप में इतनी ताकत हो कि आप चारो के दरमियान बाराबरी कर सकें। उनमें कोई फ़र्क ना किया जाये। और अगर ऐसा नहीं कर सकते तो फिर 1 ही निकाह करो यहीं तुम्हारे लिए बेहतर है तो क्या इस आयत में कहीं ये ज़ाहिर हो रहा है कि इस्लाम में ना-बराबरी है औरतों के साथ? नहीं! बल्कि कह रहा है कि 4 निकाह करो पर औरतें के साथ हुस्न-ए-सुलूक करो उनको बराबर हुकूक दो। वो इस्लाम जिसने औरतों को उस दौर-ए-जहालत से निकाला जब वो जिंदा दफन की जाती थी। क्या वो अब ना बेरहमी कर सकता है?

नहीं! ये हमने ही अपनी ला-इल्मी की वजह से इसको ग़लत समझा हुआ है।


बहुविवाह के फायदे:

1. इस्लाम में इस पर ज़ोर दिया गया ताकि ज़िना जैसे गुनाह से लोगो को पाक साफ़ रखा जाए, दूर रखा जाए! मिसाल के तौर पर मर्द की चाहत औरत से ज़्यादा है, इस वजह से अगर कोई भी मर्द और औरत अपनी चाहत (गर्भावस्था, हैज, तबीयत का ना-साज़ होना आदि) की वजह से अंजाम ना दे पाए तो मर्द घर से बाहर जा कर बदकारी की तरफ निकल जाता है पर अगर उसके पास मेहरम के तौर पर एक और बीवी होगी तो इस से जो ज़िना है उसको रोका जा सकता है बल्की पूरी तरह ख़त्म भी किया जा सकता है। 

2. बहुत से मुमालिक ऐसे भी हैं जहां औरतों का लिंगानुपात (Sex Ratio) मर्द के अनुपात से ज्यादा है वहां अगर 1 मर्द 1 ही शादी करेगा तो कुछ औरतें ऐसी हैं जिनकी शादी नहीं हो पाएगी तो इसलिए बहुविवाह से उनका निकाह भी हो सकता है। 

3. मुसलमान की तदाद में इज़ाफ़ा भी इसका एक सकारात्मक पहलू है कि इस से इस्लाम बढ़ेगा और इस से ऐसा समाज बनने में मदद मिल सकती है जिस पर इस्लाम ज़ोर देता है। 

4. वो औरतें जिनकी शादी किसी भी वजह से नहीं हो पा रही है (दहेज, रंग, क़द आदि) तो ऐसी औरतें से निकाह करना मर्द के लिए सवाब का ज़रिया होगा और उस औरत की भी तकलीफ़ ख़त्म हो जाएगी। 

5. बहुविवाह करने के लिए एक मर्द अपने आप को इस लायक बनाने की कोशिश करेगा कि कोई और हमारे मर्द को अपनी बेटी या बहन निकाह में दे वो इस्लामी और दुनिया दोनों तरह से इस लायक बनने की कोशिश करेगा।


बहुविवाह की शर्तें 

1. अगर इस्लाम 4 निकाह की इजाज़त देता है तो इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि वो फ़र्ज़ है, करना ही है बल्कि अगर आप उनके दरमियान अदल-ओ-इंसाफ़ नहीं करेंगे तो आप अज़ीम गुनाह के हक़दार होंगे। तो हमें उनके दरमियान फ़र्क नहीं करना है बिल्कुल। अगर उनको हम बराबरी दे सके तब ही ये किया जा सकता है। 

2. इसका मतलब ये भी नहीं है कि 4 निकाह आप उन लड़कियों से करो जिनकी अभी तक शादी नहीं हुई है (कुवारी है) बल्की उनसे करो जो किसी भी तरह से परेशान है जिनकी शादी नहीं हो पा रही है उदाहरण:- हमारे नबी ने 11 शादियां करी क्या वो सब कुंवारी थी? नहीं बल्की वो ऐसी थी जिनकी शादी नहीं हो पा रही थी या वो तलाकशुदा थी या गुलामी से आज़ाद हुई थी। इस से हमें भी यही समझना चाहिए कि अगर हम 1 के बाद दूसरा निकाह करें तो वो औरत वो हो जो किसी वजह से परेशान हो तलाक शुदा हो या गरीब घर से हो। 

अगर शर्तों का ध्यान रखा जाए और इनको पूरा किया जाए तब ही बहुविवाह की इजाज़त है वरना ये आपके लिए गुनाह है क्योंकि आप अदल-ओ-इंसाफ नहीं करोगे तो अज़ीम गुनहगार होंगे। 


आपका दीनी भाई  
अब्दुल वाजिद

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