खुलासा ए क़ुरआन - सूरह (075) अल क़यामह
सूरह (075) अल क़यामह
(i) जब क़यामत क़ायम होगी
जब क़यामत क़ायम होगी तो निगाहें चकाचौंध हो जाएंगी, चांद गहना जायेगा, सूरज और चांद एक जगह इकट्ठे कर दिए जाएंगे, उस समय इंसान हैरान होकर कहेगा कि अब भागने की जगह ही कहाँ है? अब तो रब की पकड़ से कोई बचा ही नहीं सकता। उस दिन बहुत से चेहरे तरो ताज़ा (Fresh) होंगे और बहुत से चेहरों पर हवाईयां उड़ रही होगा। (1 से 11 और 22 से 24)
(ii) नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को नसीहत
जब वही (وحی) आती तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जल्दी जल्दी पढ़ने लगते कि कहीं भूल न जाएं उस पर अल्लाह ने फ़रमाया ऐ नबी आप जल्दी न करें बल्कि ग़ौर से सुनें इसको पढ़ाना और समझाना हमारी ज़िम्मेदारी है। (16 से 19)
(iii) इंसान इस संसार में बे नकेल का ऊंट नहीं है
इंसान को एहसास दिलाया गया है कि उसे पैदा करके बे नकेल का ऊंट बनाकर नहीं छोड़ दिया गया है बल्कि आख़िरत का मरहला रखा गया है ताकि दुनिया मे किये हुए कर्मो का हिसाब दे सके। (36)
(iv) इंसान के फिंगर प्रिंट्स
हम इस बात पर क़ादिर हैं कि पोर पोर को ठीक कर दें (بَلَىٰ قَٰدِرِينَ عَلَىٰٓ أَن نُّسَوِّيَ بَنَانَهُ) (finger prints के हवाले से इस आयत पर ग़ौर किया जा सकता है।
काफ़िर और नास्तिक यह आपत्ति जताते है कि कोई व्यक्ति मर जाने के बाद जब मिट्टी में मिल जाता है और उसकी हड्डियां तक सड़ गल जाती है तो यह कैसे संभव है कि क़यामत के दिन उसके शरीर का एक एक कण पुनः जोड़ कर पहले वाली (जीवित) हालत में वापस आ जाय और अगर ऐसा हो भी गया तो क़यामत के दिन उस व्यक्ति की पहचान कैसे हो सकेगी? अल्लाह ने उक्त आयात में इस आपत्ति का स्पष्ट जवाब देते हुए कहा है कि वह (अल्लाह) केवल इसी पर शक्ति नहीं रखता कि बिखरी हुई छोटी छोटी हड्डियों को एकत्रित कर वापस जोड़ दे। बल्कि इस पर भी समर्थ है कि हमारी उँगलियों की पोरों (finger tips) तक पुनः पहले वाली स्थिति में ठीक ठीक ले आए।
सवाल यह है कि जब कुरआन मनुष्य की व्यक्तिगत पहचान की बात कर रहा है तो उँगलियों की पोरों की विशेष रूप से चर्चा क्यों कर रहा है? इस का पता उस समय लगा जब सर फ़्रानसिस गोल्ड (sir Frances Gold) के अनुसंधान (research) के बाद 1880 में उंगलियों के निशान (finger prints) को पहचान के वैज्ञानिक तरीक़े का दर्जा प्राप्त हुआ। आज हम यह जानते हैं कि इस दुनिया में कोई भी दो लोगों की उंगलियों के निशान का नमूना बिल्कुल एक जैसा नहीं हो सकता यहां तक कि एक जैसे जुड़वां (Twins) लोगों का भी नहीं, यही कारण है कि आज दुनिया भर में अपराधियों की पहचान के लिए उनकी उंगलियों के निशान ही इस्तेमाल किए जाते हैं क्या कोई बता सकता है कि आज से 1440 साल पहले किसे उंगली के निशान की विशिष्टता के बारे में पता था? निश्चित रूप से यह ज्ञान अल्लाह के सिवा किसी को नहीं हो सकता था। (आयत 4 के हवाले से)
आसिम अकरम (अबु अदीम) फ़लाही
आसिम अकरम (अबु अदीम) फ़लाही
0 टिप्पणियाँ
कृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।