खुलासा ए क़ुरआन - सूरह (038) साद
सूरह (038) साद
(i) तौहीद
तमाम इंसान व जिन्नात और ज़िंदगी व मौत के पूरे निज़ाम के लिए बस एक ही अल्लाह काफ़ी है।
(ii) रिसालत
इसके तहत नौ नबियों और पांच क़ौमों का ज़िक्र किया है।
इब्राहीम, इस्माईल, इस्हाक़, याक़ूब, अय्यूब, दाऊद, सुलैमान, अल यसअ, जुल किफ़ल कुछ लोगों का अनुमान है कि कपिल को अरबी में किफ़ल कर दिया गया है इसलिए ज़ुल किफ़ल का मतलब हुआ किफ़ल वाला यानी कपिल वाला यानी गौतम बुद्ध हैं जिनका जन्म कपिलवस्तु में हुआ था उनके मानने वालों ने किताबों में तहरीफ़ करके उनकी तालीमात को बिल्कुल ही बदल डाला क्योंकि आज के बौद्ध धर्म में ख़ुदा का कोई तस्व्वुर ही नहीं है।
क़ौमे नूह, क़ौमे आद, क़ौमे समूद, क़ौमे लूत असहाबुल ऐका
नबियों (ख़ास तौर पर दाऊद व सुलैमान अलैहिमस्सलाम की शुक्र गुज़ारी और अय्यूब अलैहिस्सलाम के सब्र) का ज़िक्र कर के जहां एक तरफ़ नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को तसल्ली दी गई है तो दूसरी तरफ़ क़ौमों के वाक़िआत बयान कर के कुफ़्फ़ार क़ुरैश को भयानक अंजाम से डराया गया है।)
(iii) आज़माइश किसी भी इंसान की हो सकती है
आज़माइश के दौर से किसी को भी गुज़रना पड़ सकता है बल्कि जो नेक बंदे होते हैं उनकी आज़माइश ज़्यादा सख़्त होती है। जैसे कि दाऊद अलैहिस्सलाम का 1 और 99 भेड़ों के मुक़्क़द्दमे के ज़रिए, सुलैमान अलैहिस्सलाम का कुर्सी पर एक अधूरा जिस्म डाल कर और अय्यूब अलैहिस्सलाम का भयानक बीमारी में मुब्तिला कर के आज़माइश की गई हालांकि उन्हें अल्लाह ने बड़ी नेअमतों और मुअजि
ज़ात से नवाज़ा था लेकिन तीनों सब्र व शुक्र में पूरे उतरे। (17 से 26, 30 से 40, 41 से 44)
(iv) आदम व इब्लीस का वाक़िआ
इंसान की तख़लीक़ के समय रब ने तमाम फ़रिश्तों से कहा मैं मिट्टी से एक इंसान बनाने वाला हूं, जब मैं उसे ठीक कर लूं और उसमें रूह फूंक दूं तो उसके लिए सज्दे में गिर जाना। तमाम फ़रिश्तों ने सज्दा किया मगर इब्लीस ने यह कहकर इंकार कर दिया कि मैं उस मिट्टी के बने हुए इंसान से बेहतर हूं, उस दिन से वह लानती ठहरा। फिर उसने क़यामत के दिन तक मोहलत मांगी जो उसे दी गई, फिर उसने कहा तेरी इज़्ज़त की क़सम कुछ मुख़्लिस इंसानों को छोड़कर सभी को बहका दूंगा, रब ने फ़रमाया सच्ची बात तो यह है कि फिर मैं जहन्नम को तुझसे और तेरे मानने वालों से भर दूंगा। (71 से 85)
(v) कुछ अहम बातें
◆ हुकूमत का काम अल्लाह के क़ानून को लागू करना और ज़मीन पर न्याय करना है। (26)
◆ ज़मीन, आसमान और दुनिया की तमाम चीज़ें बेमक़सद नहीं बनाई गई हैं। (27)
आसिम अकरम (अबु अदीम) फ़लाही
0 टिप्पणियाँ
कृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।