Ramzan ke Masail-9 | roze mein kya-kya karna jayez hai?

Ramzan ke Masail-9 | roze mein kya-kya karna jayez hai?


🌙 रमज़ान के मसाइल-9: रोज़े में क्या करना जाएज़ है?


1. क्या खून देने से रोज़ा टूट जाता है? 

नहीं, खून देने से रोज़ा नहीं टूटता। 

अबू सईद रदी अल्लाहु अन्हु फरमाते है,
"अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने रोज़ेदार को हिजामा करवाने की रुक्सत दी।" 
(दरकुतनी, तबरानी, ​​बैहाकी) [इरवा उल ग़लील जिल्द 4 सफ़ा 75 रक़म 931]


2. क्या उल्टी (vomiting) करने से रोज़ा टूटता है?

नहीं, पर अगर खुद से जानबूझ के की जाये तब टूट जायेगा। 

अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया, 
"जिसे कै आ जाये उस पर क़ज़ा नहीं और जो जान बूझ कर कै करे तो उस पर क़ज़ा है।" 
[जामे अत तिर्मिज़ी 720; सहीह उल-जामी' 6243]

इब्न खुजैमा के अल्फाज है, 
"अगर रोज़ेदार ख़ुद कै करे तो इसका रोज़ा टूट गया और अगर उस पर कै ग़ालिब आएगी तो इसका रोज़ा नहीं टूटेगा।" 
[सहीह इब्न खुजैमा 1960]


3. क्या रोज़ेदार अपना थूक निगल सकता है?

हां, निगल सकता है। 

क़तादा रहिमहुल्लाह फरमाते है, 
"अगर रोज़ेदार अपना थूक निगले तो कोई हरज नहीं।" 
[अब्दुर रज्जाक 7502 और इमाम बुखारी ने किताब अस सौम बाब सवाइक अर-रताब वल यबास में इसे तलिकान रिवायत किया है] 


4. क्या रमज़ान की रातों में बीवी से जिमा (सेक्सुअल रिलेशन) जायज़ है?

 हाँ, रोज़े की रात में अपनी बिवियों के साथ रिश्ता कायम करना जायज़ है।

अल्लाह तआला ने फरमाया: 
أُحِلَّ لَكُمْ لَيْلَةَ ٱلصِّيَامِ ٱلرَّفَثُ إِلَىٰ نِسَآئِكُمْ ۚ
"रोज़ की रात में अपनी बिवियों से मिलना तुम्हारे लिए हलाल किया गया है।" 
[क़ुरआन 2: 187]


इब्न कसीर रहिमउल्लाह फरमाते है, 
(अरराफसु) से मुराद यहां जिमा है। यही बात इब्न अब्बास, अता', मुजाहिद, सईद बिन जुबैर, तावूस, सलीम बिन अब्दुल्ला, 'अमर बिन दिनार, हसन बसरी, क़तादह, ज़ुहरी, ज़हाक, इब्राहिम नखायी, सादी, अता खुरासानी, और मुकातिल बिन सुलेमान ने कहीं है। 
[तफ़सीर इब्न कसीर (1/375)]  


5. क्या सिर्फ खाने में नमक, मिर्च वगैरह चख लेने से रोज़ा टूट जाता है?

नहीं, सिर्फ चख लेने से रोज़ा नहीं टूटेगा। रोज़े के दौरान खाना चखने में कुछ भी गलत नहीं है। रोज़ा तब टूटता है जब गले में पहुँच जाये। चाय, कॉफी, शरबत और दूसरी चीज़े भी चख सकते है। 

इब्न अब्बास रदी अल्लाहु अन्हु फरमाते है, 
"रोज़ेदार अगर हांडी से कुछ चख ले तो कोई हरज नहीं। 
[इब्न अबी शैबा 9278] [मुख्तसर सहीह बुखारी: असर 361] [इरवा उल-ग़लील जिल्द 4 सफा 86] 


6. क्या रोज़ की हालत में गर्मी से राहत के लिए सर पर पानी डाल सकते हैं?

हाँ, डाल सकते हैं। 

अबू बक्र बिन अब्दुर रहमान किसी सहाबी से रिवायत करते हैं,
"मैंने रसूलुल्लाह (ﷺ) को अर्ज (जगह का नाम) के मकाम पर देखा आप अपने सर पर प्यास या गर्मी की वजह से पानी डाल रहे थें।" 
[अबू दाऊद 2365, सहीह अल्बानी]

अब्दुल्लाह बिन अबी उस्मान कहते हैं: मैंने इब्न उमर रदि अल्लाहु अनहु को देखा, वो कपड़ा तर करते फिर अपने ऊपर डालते हैं।" 
[मुसन्नफ इब्न अबी शाइबा: 3/40 नं: 9303, बुखारी तालीक़न: किताबस सौम बाब इत्तीसाल असम]


7. क्या रोज़े की हालत में नहाया जा सकता है?

हाँ, नहा सकते हैं। 

अनस रदि अल्लाहु अनहु बयान करते हैं,
"मेरे पास एक हौज है जिस में मैं दख़िल होता हूं हलांकि मैं रोज़े से होता हूं।"
[बुखारी तलीक़न: किताबस सौम: रोज़ेदार के गुसल का बयान]


8. क्या रोज़ेदार तेल लगा कर कंघी कर सकता है? सूरमा लगा सकता है? 

तेल लगा कर कंघी करने से रोज़ा नहीं टूटेगा। 

इब्न मसूद रदी अल्लाहु अन्हु फरमाते है, 
"जब तुम में से किसी का रोज़े का दिन हो तो इसे चाहिए के वो सुबह तेल लगाये और कंघी करे।" 
[इमाम बुखारी ने अस सौम: अल अगतेसाल लिस सियाम में तालीक़तन ज़िक्र किया है]


9. क्या रोज़ेदार कुल्ली कर सकता है? क्या नाक में पानी डाल सकता है?

हाँ, कुल्ली कर सकता है पर नाक में पानी न डाले। 

नबी (ﷺ) ने फ़रमाया,
"कामिल तरीक़े से वुज़ू करो उँगलियों के बीच ख़िलाल करो और नाक में पानी चढ़ाने में मुबालग़ा करो ये कि तुम रोज़े से हो।"
[जामे तिर्मिज़ी 778]


10. क्या रोज़े की हालत में मिस्वाक या ब्रुश कर सकते हैं?

हाँ, कर सकते हैं। 

इब्न उमर (رضي الله عنهما) ने (अपने बारे में) कहा, 
"वह दिन की शुरुआत में और आख़िर में मिस्वाक करते थे और वह थूक नहीं निगलते (swallow) थे।" [मुसन्नफ़ इब्न अबी शैबा 9149, सहीह] 

क़तादा (رضي الله عنه) कहते हैं,
"थूक निगलने (swallow) करने में रोज़ेदार के लिए कोई हर्ज नहीं है।" 
[मुसन्नफ़ अब्दुर रज़्ज़ाक़ 7502; बुख़ारी ता'लीकन, किताबुस सौम बाब ख़ुश्क तर से मिस्वाक करने का बयान]


11. क्या रोज़े की हालत में सूरमा लगा सकते है? 

रोज़े की हालत में सूरमा लगाने में इख्तिलाफ है पर असल के तहत जाएज़ है क्यूंकि रोज़े की हालत में सुरमा न लगाना किसी सहीह हदीस से साबित नहीं। 

उबैद अल्लाह बिन अबू बकर बिन अनस कहते हैं कि अनस बिन मालिक, 
"सुरमा लगते थे और रोज़े से होते थे।"
[अबू दावूद 2378] 

1. (दलील की रोशनी में ज्यादा सही बात) - ज्यादातार, अहनाफ, शफी - सूरमा लगाना जायज़ है। कोई हदीस नहीं है जो इससे मना (रोकती) करती हो।  

2. अहमद, इशाक, इब्न मुबारक, थावरी - रोज़ की हलत में सूरमा लगान मकरूह है। उबैद अल्लाह बिन अबू बकर बिन अनस कहते हैं के अनस बिन मालिक रदी अल्लाहुअन्हु से रिवायत है: 
"वो रोज़ की हलत में सूरमा लगाते हैं।" [अबू दाऊद 2378, हसन मौकूफ] ये हदीस ज़ईफ़ है। 


12. क्या रोज़े की हालत में हिजामा करा सकते है? 

हाँ, रोज़े की हालत में हिजामा करा सकते है। 

नबी (ﷺ) ने फ़रमाया,
“हिजामा करने और कारवाने वाले दोनो का रोज़ा टूट गया।” 
[अबू दाऊद 2369] ये हदीस मनसूख है।

अबू सईद रदी अल्लाहु अन्हु फरमाते हैं,
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने रोज़ेदार को हिजामा करने की रुखसती दी।"
[सुनन दार कुटनी, 2 /183 हदीस 15, सुनन बैहकी: 8060, तबरानी, ​​अवसत: 2725]

इसमें उलेमा का इख़्तेलाफ़ है-

1. अक्सरियत अबू हनीफा, मलिक, शफी, इब्न हज़्म, अल्बानी - हिजामा कर सकते हैं “सारी हदीस जो मना (रोकी)  गई है वो मनसूख है।” 
2. अहमद - "रोज़ा हिजामा करने से टूट जाता है।”


13. क्या जनाबत की हालत में रोज़ा शुरू कर सकते है? क्या जुनूबी के लिए रोज़े का वक्त शुरू होने से पहले ग़ुस्ल लाज़िम है?

हाँ, जनाबत की हालत में रोज़ा शुरू कर सकते है। 

नबी (ﷺ) की बिवियां हज़रत आयशा और उम्म सलमा रदि अल्लाहु अनहुन्ना फरमाती है,
"रसूलुल्लाह (ﷺ) एहतिलाम से नहीं बल्कि जिमा से जनाबत की हालत में सुबह सेहरी करते और आप रोज़ा रख लेते हैं।" 
[बुखारी 1926; मुस्लिम 1109] 

सैयदा आयशा सिद्दीक़ा (رضي الله عنها) से रिवायत है,
एक आदमी नबी करीम ﷺ की ख़िदमत मेंकोई मसला पूछने के लिये आया और वो दरवाज़े के पीछे से सुन रही थीं। उस आदमी ने कहा कि ऐ अल्लाह के रसूल ﷺ जुन्बी हालत में होता हूँ कि नमाज़ का वक़्त हो जाता है। तो क्या मैं उस वक़्त रोज़ा रख सकता हूँ? 
तो रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया मैं भी तो नमाज़ के वक़्त जुन्बी हालत में उठता हूँ तो मैं भी तो रोज़ा रखता हूँ। 
तो उस आदमी ने कहा कि ऐ अल्लाह के रसूल! आप हमारी तरह तो नहीं हैं। आप के तो अगले पिछले गुनाह अल्लाह ने माफ़ फ़रमा दिये है। 
तो आप ﷺ ने फ़रमाया : "अल्लाह की क़सम! मुझे उम्मीद है कि मैं तुम में सबसे ज़्यादा डरने वाला हूँ और मैं आप में सबसे ज़्यादा जानता हूँ उन चीज़ों को जिनसे बचना चाहिये।"
[सहीह मुस्लिम 1110]


14. क्या रोज़े की हालत में बीवी को किस कर सकते है? क्या जिमा से कम दर्जे के काम (जैसे बोसा (kiss) देना, गले लगाना) कर सकते हैं?

हाँ, कर सकते है पर अगर आप अपनी ख्वाइशात पर कंट्रोल नहीं कर सकते तो बेहतर है न करें। 

आयशा रदी अल्लाहु अन्हा फरमाती हैं,
"रसूलुल्लाह (ﷺ) रमजान में बोसा लेते और वो रोज़ से होते थे।"
[सहीह बुखारी 2719]

जाबिर बिन अब्दुल्ला रदी अल्लाहु अन्हु ने बयान किया के उमर बिन खत्ताब रदी अल्लाहु अन्हु ने फरमाया,
ऐ अल्लाह के रसूल (ﷺ) मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी, मैं रोज़ से था और मैने अपनी बीवी को बोसा दे दिया।  रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया: अगर तुम रोज़ की हालत में कुल्ली कर लो तो तुम्हारे ख्याल में क्या होगा। 
उमर रदी अल्लाहु अन्हु ने कहा कोई हरज नहीं, तो आप (ﷺ) ने कहा छोड़ दो (यानी जिस तरह कुल्ली में कोई हरज नहीं इसी तरह बोस में भी कोई हरज नहीं है)
[अबू दाऊद 2385, सहीह]

“नबी (ﷺ) जब रोज़ा रखते थे तो (आपनी बिवियों को) बोसा देते और गले लगाते थे, और आप में से हर किसी से ज़्यादा अपनी ख्वाहिश पर काबू रखने की ताकत रखते थें।”
[मुस्लिम 1106]

अबु हुरैरह रदी अल्लाहु अन्हु कहते हैं:
"एक आदमी ने रसूलुल्लाह से रोज़े में मुबाशिरत (जिमा से कम दर्जे के आमाल) की इजाज़त मांगी तोह आपने उसे इजाज़त दी और दूसरे ने इजाज़त मांगी आपने मना कर दिया तोह जिसको इजाज़त दी वो बूढ़ा था और जिसे मना किया वो जवान था।" 
[सुन्नन अबु दावूद 2090, हसन]


15. क्या शौहर, बीवी के साथ जिमा से कम दर्जे का काम कर सकता है?
हाँ, कर सकते है पर अगर आप अपनी ख्वाइशात पर कंट्रोल नहीं कर सकते तो बेहतर है न करें। 

आयशा रदी अल्लाहु अन्हा फरमाती हैं,
“नबी जब रोज़ा रखते थे तोह (अपनी बीविओं को) बोसा देते और गले लगाते थे, और आप में से हर किसी से ज़ियादा अपनी ख्वाहिशात पर काबू रखने की ताकत रखते थे।”
[अबू दाऊद 2382, सहीह]


8. सेहरी (सुहूर) और इफ्तार ⇦ ⇨ इन शा अल्लाह


By Islamic Theology

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

क्या आपको कोई संदेह/doubt/शक है? हमारे साथ व्हाट्सएप पर चैट करें।
अस्सलामु अलैकुम, हम आपकी किस तरह से मदद कर सकते हैं? ...
चैट शुरू करने के लिए यहाँ क्लिक करें।...