Quran ke huqooq | Quran ka haqq kaise ada karein

Quran ke huqooq | Quran ka haqq kaise ada karein

कुरान के हुक़ूक़


أَفَلَا يَتَدَبَّرُونَ ٱلْقُرْءَانَ أَمْ عَلَىٰ قُلُوبٍ أَقْفَال ُهَآ
"क्या इन लोगों ने क़ुरआन पर ग़ौर नहीं किया, या दिलों पर उनके ताले लगे हुए हैं?"
[सूरत मुहम्मद: 47 | आयत: 24]

हमारे लिए बहुत ज़रूरी है के हम इस रमज़ान कोशिश करे के क़ुरान के जो हमारे ऊपर हुकूक है उन्हें समझे और अमल करे। 

1. कुरान का सबसे पहला हक जो हमारे ऊपर है वो ये है कि हम इस किताब पर ईमान लाए और यकीन लेकर आए के ये अल्लाह की किताब है..

2. दूसरा उसको सही पढ़े यानी तजवीद के साथ खुबसूरत अंदाज में पढ़े।

3. तिसरा के उसको समझ के पढ़े। ये हर मुसलमान पर फर्ज है कि कुरान को पढ़े और समझे। अल्लाह ने ये किताब हमारी हिदायत और रहनुमाई के लिए नाज़िल की है जैसा की उसको पढ़ना ज़रूरी है उसी तरह समझना भी उतना ही ज़रूरी है। अपने लक्ष्य निर्धारित करें कुरान में जो आपकी पसंदीदा सूरह हो उसको पढ़े और उसपर तद्दबुर करे। इस सोच के साथ कि मुझे रमज़ान के अंत तक इसको अच्छे से समझना है। और अलग से एक डायरी या कॉपी में अमली पॉइंट लिखे के इस सूरह से क्या अमली पॉइंट मिल रहे है। 

4. चौथा ये है के इस पर अमल किया जाए। जो भी आपको अमली प्वाइंट्स कुरान से मिलते हैं उन्हें फॉलो करें ताकि आपको अल्लाह की रज़ा हासिल हो, अल्लाह की मुहब्बत हासिल हो, आप ईमान वाले बन जाएं तक़वे वाले बन जाएं।

5. पांचवी चीज़ ये है कि कुरान की तालीम को आम किया जाए। यानी जो आपने समझा या अमल किया उसको दूसरे तक पहुंचाया जाए। 

हम समझते हैं कि ये सब मौलाना और उलमा का काम रह गया है कि कुरान को आगे बढ़ाया जाएगा। बल्कि ये तो उम्मत के हर बंदे पर फ़र्ज़ है कि वो कुरान को समझे और जो उसे समझ आए उसे दूसरे तक पहुंचाए। सबसे पहले तो अपनी ज़ात में फिर, अपने घरवालों, अपने रिश्तेदारों में कुरान की तालीम को आम करें और ये ही काम आप मुहम्मद صلى الله عليه وسلم और सहाबा (رضي الله عنهما) ने किया। कितनी मेहनत की है सहाबा किराम (رضي الله عنهما) ने हम तक कुरान की एक-एक आयत पाहुचाने में। क्योंकि उनकी नियत साफ थी और अल्लाह ने भी उनकी मदद की। ऐसे ही थोड़े उनके नाम के आगे رضی اللہ عنہ लगा है। ये चीज उन्होंने अपने अमल से कमाई है कि अल्लाह उनसे राजी हो। हर चीज़ अपनी दाव पे लगा दी सिर्फ अल्लाह और उसके रसूल के लिए। लेकिन आज हमारे अंदर से वो चीज़ ख़त्म हो चुकी है वो जज़्बा ख़त्म हो चुका है कि हम अल्लाह और उसके रसूल के लिए अपना सब कुछ लूटा दें। लेकिन हमारी जिंदगी में अल्लाह ने रमज़ान भेजा है तो कोशिश करे इस रमज़ान अल्लाह और उसके रसूल की मुहब्बत के लिए अपना दिल खालिस करले और इस दुनिया की मुहब्बत निकाल दें। फिर माँ-बाप, बहन-भाई, सोहर-बीवी के हुकूक खुद बा खुद अदा करेंगे आप क्योंकि आप का मकसद लोगों को खुश करना नहीं होगा बल्कि सिर्फ अल्लाह को राजी करना होगा। 

आखिरी बात ये है कि ये रमज़ान बरकतें समेटने का और नेकी कमाने का बेहतरीन मौक़ा है। 

लिस्ट बनाएं के में कैसे नेकी कर सकता हूं मैं कैसे दूसरो को नफा पहुंचा सकता हूं।

अपने आप को नेकी के कमो में बिजी रखें। 

याद रखें एक रमज़ान आपकी जिंदगी बदल सकता है, लेकिन तब जब आप चाहें। 


आपकी दीनी बहन 
मुस्कान 

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1 टिप्पणियाँ

  1. Bilkul sahi kaha apne muskan bahen
    Allah hame Quraan ko padhne Or samjne ki toufiq ata farma Or hume Quraan samjana asan farma

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