Jannat (Part-2): naam (names of paradise)

Jannat (Part-2): naam (names of paradise)


जन्नत (पार्ट-2): जन्नत के नाम

जन्नत किसे कहते हैं और ये किसके लिए बनाई गई है?

अल्लाह तआला ने अपने नेक बन्दों के लिए आख़िरत में इनाम के तौर पर एक अज़ीम-उस-शान मक़ाम तैयार कर रखा है उस शानदार जगह का नाम "जन्नत" है। जन्नत को बाग़ भी कहा जाता है। 

अल्लाह तआला फरमाता है, 

"और अपने रब की बख़्शिश की तरफ और इस जन्नत की तरफ दौड़ो, जिसकी चौड़ाई आसमानों और ज़मीन के बराबर है, जो परहेजगारों के लिए तैयार की गई है।" [क़ुरआन 3:133]

इब्न अब्बास رَضِىَ الـلّٰـهُ عَـنْهَ फरमाते करते हैं कि जन्नत के आठ दर्जे हैं: दार अल-जलाल, दार अल-क़रार, दार अल-सलाम, जन्नत अदन, जन्नत अल-मव्वा, जन्नत अल-खुलद, जन्नत अल-फिरदौस और जन्नत अल-नईम। [रूह अल-बयान, वॉल्यूम। 9, पेज 508]


कुरान में जन्नत के नाम इस तरह है:


1. जन्नतुल फ़िरदौस (جَنَّةُ الْفِرْدَوْسَ):


जन्नतुल फ़िरदौस जन्नत का सबसे ऊँचा दर्जा है जिससे मुराद वसीअ जग़ह, अंगूर की बेलों और दूसरे फलों और सब्ज़ियों से बहार हुआ बाग़ है।

قَدۡ اَفۡلَحَ الۡمُؤۡمِنُوۡنَۙ‏ - الَّذِيۡنَ هُمۡ فِىۡ صَلَاتِهِمۡ خَاشِعُوۡنَ ۙ‏ - وَالَّذِيۡنَ هُمۡ عَنِ اللَّغۡوِ مُعۡرِضُوۡنَۙ‏ - وَالَّذِيۡنَ هُمۡ لِلزَّكٰوةِ فَاعِلُوۡنَۙ‏ - وَالَّذِيۡنَ هُمۡ لِفُرُوۡجِهِمۡ حٰفِظُوۡنَۙ‏ - اِلَّا عَلٰٓى اَزۡوَاجِهِمۡ اَوۡ مَا مَلَـكَتۡ اَيۡمَانُهُمۡ فَاِنَّهُمۡ غَيۡرُ مَلُوۡمِيۡنَ​ۚ‏ - فَمَنِ ابۡتَغٰى وَرَآءَ ذٰ لِكَ فَاُولٰٓٮِٕكَ هُمُ الۡعٰدُوۡنَ​ ۚ‏- وَالَّذِيۡنَ هُمۡ لِاَمٰنٰتِهِمۡ وَعَهۡدِهِمۡ رَاعُوۡنَ ۙ‏ - وَالَّذِيۡنَ هُمۡ عَلٰى صَلَوٰتِهِمۡ يُحَافِظُوۡنَ​ۘ‏ - اُولٰٓٮِٕكَ هُمُ الۡوَارِثُوۡنَ ۙ‏ - الَّذِيۡنَ يَرِثُوۡنَ الۡفِرۡدَوۡسَؕ هُمۡ فِيۡهَا خٰلِدُوۡنَ‏-

"यक़ीनन कामयाबी पाई है ईमान लानेवालों ने जो: अपनी नमाज़ में ख़ुशू अपनाते हैं,लग़्वियात (बेकार की बातों) से दूर रहते हैं। ज़कात के तरीक़े पर अमल करते हैं। अपनी शर्मगाहों की हिफ़ाज़त करते हैं,सिवाय अपनी बीवियों के और उन औरतों के जो उनकी मिलकियत में हों कि उनपर (महफ़ूज़ न रखने में) वो मलामत (निन्दा) के क़ाबिल नहीं हैं,अलबत्ता जो उसके अलावा कुछ और चाहें वही ज़्यादती करनेवाले हैं, अपनी अमानतों और अपने किये हुए अह्दो-पैमान (वादों और समझौतों) का ख़याल रखते हैं, और अपनी नमाज़ों की हिफ़ाज़त करते हैं। यही लोग वो वारिस हैंजो विरासत में फ़िरदौस पाएँगे और उसमें हमेशा रहेंगे।" [क़ुरआन 23:1-11] 

आप (सल्ल०) ने फ़रमाया, "जब अल्लाह तआला से माँगना हो तो फ़िरदौस माँगो क्योंकि वो जन्नत का सबसे दरमियानी हिस्सा और जन्नत के सबसे बुलन्द दर्जे पर है।" [सहीह बुख़ारी 2790] 

2. दारुस्सलाम (دَارِ السَّلٰمِ): 

दारुस्सलाम का मतलब "सलामती और अमन का घर" है। ये जन्नत हर तरह की ग़लत और बुरी बातों से पाक है, ये उन लोगों के लिए है जिन्हें अल्लाह सीधा रास्ता दिखाता है। 

وَاللّٰهُ يَدۡعُوۡۤا اِلٰى دَارِ السَّلٰمِؕ وَيَهۡدِىۡ مَنۡ يَّشَآءُ اِلٰى صِرَاطٍ مُّسۡتَقِيۡمٍ‏-

"(तुम इस ख़त्म हो जानेवाली ज़िन्दगी के धोखे में मुब्तला हो रहे हो) और अल्लाह तुम्हें ‘दारुस्सलाम’ (सलामती के घर) की तरफ़ बुला रहा है। (हिदायत उसके इख़्तियार में है) जिसे वो चाहता है, सीधा रास्ता दिखा देता है।" [क़ुरआन 10:25]


3. दारुल मुत्तक़ीन (دَارُ الۡمُتَّقِيۡنَ):

दारुलमुत्तक़ीन मुत्तक़ियों (नेक और परहेज़गार लोगों) का घर है। 

وَقِيۡلَ لِلَّذِيۡنَ اتَّقَوۡا مَاذَاۤ اَنۡزَلَ رَبُّكُمۡ​ؕ قَالُوۡا خَيۡرًاؕ لِّـلَّذِيۡنَ اَحۡسَنُوۡا فِىۡ هٰذِهِ الدُّنۡيَا حَسَنَةٌ​  ؕ وَلَدَارُ الۡاٰخِرَةِ خَيۡرٌ​ ؕ وَلَنِعۡمَ دَارُ الۡمُتَّقِيۡنَۙ‏- جَنّٰتُ عَدۡنٍ يَّدۡخُلُوۡنَهَا تَجۡرِىۡ مِنۡ تَحۡتِهَا الۡاَنۡهٰرُ​ لَهُمۡ فِيۡهَا مَا يَشَآءُوۡنَ​ؕ كَذٰلِكَ يَجۡزِى اللّٰهُ الۡمُتَّقِيۡنَۙ‏-

"और (दूसरी तरफ़) मुत्तक़ी लोगों से पूछा गया कि तुम्हारे परवर्दिगार ने क्या चीज़ नाज़िल की है? तो उन्होंने कहा- ख़ैर ही ख़ैर उतारी है। (इस तरह) जिन लोगों ने नेकी की रविश इख़ितयार की है उनके लिये इस दुनिया में भी बेहतरी है और आख़िरत का घर तो है ही पूरी तरह बेहतरी, यक़ीनन मुत्तक़ियों (नेक और परहेज़गार लोगों) का घर बेहतरीन है। हमेशा हमेशा बसने के लिये वो बाग़ात जिनमें वे दाख़िल होंगे, जिनके नीचे से नहरें बहती होंगी और वहाँ जो कुछ वे चाहेंगे उन्हें मिलेगा। मुत्तक़ी लोगों को अल्लाह ऐसा ही सिला (बदला) देता है।" [क़ुरआन 16: 30-31]


4. दारुल क़रार (دَارُ الۡقَرَارِ):

दारुल क़रार, क़रार की जगह है। 

يٰقَوۡمِ اِنَّمَا هٰذِهِ الۡحَيٰوةُ الدُّنۡيَا مَتَاعٌ وَّاِنَّ الۡاٰخِرَةَ هِىَ دَارُ الۡقَرَارِ‏-

"ऐ मेरी क़ौम! यह दुनियावी ज़िन्दगी तो बस थोड़ा-सा मज़ा है, और यक़ीन जानो कि आख़िरत ही रहने बसने का असल घर है।" [क़ुरआन  40:39]


5. मक़ाम ए अमान (مَقَامٍ اَمِيۡنٍ):

मक़ाम ए अमान, अमान की जगह है। 

اِنَّ الۡمُتَّقِيۡنَ فِىۡ مَقَامٍ اَمِيۡنٍ - فِىۡ جَنّٰتٍ وَّعُيُوۡنٍ -

"(दूसरी तरफ़) परहेज़गार लोग यक़ीनन अमन व अमान वाली जगह में होंगे, बाग़ों में और चश्मों में।" [क़ुरआन  44: 51-52]


6. दारुल आख़िरा (وَلَدَارُ الۡاٰخِرَةِ):

दारुलआख़िरा को "आख़िरत का घर" कहते है। 

وَلَدَارُ الۡاٰخِرَةِ خَيۡرٌ لِّـلَّذِيۡنَ اتَّقَوۡا ​ؕ اَفَلَا تَعۡقِلُوۡنَ‏-

"और आख़िरत का घर यक़ीनन उन लोगों के लिये कहीं बेहतर है जिन्होंने तक़वा इख़्तियार किया। क्या फिर भी तुम अ़क़्ल से काम नहीं लेते?" [क़ुरआन 12: 109]


7. जन्नतुन नईम (جَنّٰتِ النَّعِيۡمِ‏):

जन्नतुन नईम को "नेमतों भरी जन्नत" भी कहा जाता है। नईम का मतलब है एक ख़ुशहाल और पुरसुकून ज़िन्दगी, ख़ुशी, बरकत और दौलत में जीना। 

وَالسّٰبِقُوۡنَ السّٰبِقُوۡنَۚ  ۙ‏ - اُولٰٓٮِٕكَ الۡمُقَرَّبُوۡنَ​ۚ‏ - فِىۡ جَنّٰتِ النَّعِيۡمِ‏ 

"और जो सब्क़त ले जाने वाले हैं (यानी आगे बढ़ जाने वाले और आला दर्जों के हक़दार) हैं वे तो हैं ही सब्क़त ले जाने वाले। वही हैं जो अल्लाह तअ़ाला के ख़ास क़रीबी बन्दे हैं,वे नेमतों के बाग़ों में होंगे।" [क़ुरआन 56: 10-12]


8. जन्नतुल मअवा (جَنَّةُ الۡمَاۡوٰى):

मअवा का मतलब है "पनाह लेने की जगह, रआइश, घर, शोहदा के लिए ठिकाना"। ये अक़ीदतमंदों और शोहदाओं के लिए पीतल से बनाया हुआ आरामगाह है। 

وَلَقَدۡ رَاٰهُ نَزۡلَةً اُخۡرٰىۙ‏- عِنۡدَ سِدۡرَةِ الۡمُنۡتَهٰى‏- عِنۡدَهَا جَنَّةُ الۡمَاۡوٰى‏- 

"और हक़ीक़त यह है कि उन्होंने (मुहम्मद) उस (फ़रिश्ते) को एक और बार देखा है, उस बेर के पेड़ के पास जिसका नाम सिदरतुल-मुनतहा है, उसी के पास 'जन्नतुल मअवा' है।" [क़ुरआन 53: 13-14-15]


9. जन्नतुन अदन (جَنّٰتُ عَدۡنٍ):

जन्नतुनअदन को "सदाबहार जन्नतें" भी कहा गया है। ये अब्दी जगह है। तौबा करने वाले हर गुनाह की सज़ा भुगतने के बाद एक मुसलमान को इस जन्नत में दाख़िल किया जायेगा। 

اُولٰۤٮِٕكَ لَهُمۡ جَنّٰتُ عَدۡنٍ تَجۡرِىۡ مِنۡ تَحۡتِهِمُ الۡاَنۡهٰرُ يُحَلَّوۡنَ فِيۡهَا مِنۡ اَسَاوِرَ مِنۡ ذَهَبٍ وَّ يَلۡبَسُوۡنَ ثِيَابًا خُضۡرًا مِّنۡ سُنۡدُسٍ وَّاِسۡتَبۡرَقٍ مُّتَّكِــِٕيۡنَ فِيۡهَا عَلَى الۡاَرَآٮِٕكِ​ؕ نِعۡمَ الثَّوَابُ ؕ وَحَسُنَتۡ مُرۡتَفَقًا

"ये वे लोग हैं जिनके लिये हमेशा रहने वाले बाग़ात हैं, उनके नीचे से नहरें बहती होंगी। उनको वहाँ सोने के कंगनों से सजाया जायेगा, वे ऊँची मस्नदों (बैठने की जगहों) पर तकिया लगाये हुए बारीक और मोटे रेशम के कपड़े पहने होंगे। कितना बेहतरीन अज्र, और कैसी ख़ूबसूरत आराम की जगह है!" [क़ुरआन 18: 31]


10. जन्नतुल ख़ुल्द (جَنَّةُ الۡخُـلۡدِ):

जन्नतुल ख़ुल्द को दारुल ख़ुल्द भी कहा जाता है। ख़ुल्द का मतलब है अब्दी वजूद, लाफ़ानी। इस जन्नत का वादा उन लोगों से किया गया है जो अपने रास्ते में खिलाफ़वर्ज़ी किये बग़ैर अक़ीदत के साथ दीं के रस्ते पर चलते है। 

قُلۡ اَذٰ لِكَ خَيۡرٌ اَمۡ جَنَّةُ الۡخُـلۡدِ الَّتِىۡ وُعِدَ الۡمُتَّقُوۡنَ ​ؕ كَانَتۡ لَهُمۡ جَزَآءً وَّمَصِيۡرًا‏-

"कहो कि यह अंजाम बेहतर है या हमेशा रहने वाली जन्नत? जिसका वादा मुत्तक़ी लोगों से किया गया है। वह उनके लिए इनाम होगा और उनका आखिरी अंजाम।" [क़ुरआन 25: 15]


11. दारुल मक़ाम (دَارَ الۡمُقَامَةِ):

दारुल मक़ाम रहने के लिए एक ज़रूरी जग़ह है, ये अंदुरुनी फ़ितरत की एक जन्नत है। क़ुरआन में इसका ज़िक्र एक महफूज़ जग़ह के तौर पर किया गया है जहाँ सारी तकलीफें और थकान ख़त्म हो जाती है। 

الَّذِىۡۤ اَحَلَّنَا دَارَ الۡمُقَامَةِ مِنۡ فَضۡلِهٖ​ۚ لَا يَمَسُّنَا فِيۡهَا نَصَبٌ وَّلَا يَمَسُّنَا فِيۡهَا لُـغُوۡبٌ‏-

"जिसने अपनने फज़ल से हमको हमेशा के ठिकाने के घर में ला उतारा है, जिसमें न हमें कभी कोई कुल्फ़त (दुःख और तकलीफ़) छूकर गुज़रेगी और न कभी कोई थकन पेश आएगी।" 


Posted By Islamic Theology

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