Das (ten) jasoos ghudsawaar (horsemen)

Das (ten) jasoos ghudsawaar (horsemen) | dajjal | qiyamat


दस बेहतरीन जासूस शहसवार


एक बार कूफ़ा में सुर्ख़ आँधी आई तो एक शख़्स आया उसका तकिया कलाम ही ये था। अब्दुल्लाह-बिन-मसऊद ! क़ियामत आ गई है। 

वो (अब्दुल्लाह-बिन-मसऊद (रज़ि०)) टेक लगाए हुए थे (ये बात सुनते ही) उठ कर बैठ गए, 

फिर कहने लगे: क़ियामत नहीं आएगी, यहाँ तक कि न मीरास की तक़सीम होगी न ग़नीमत हासिल होने की ख़ुशी, फिर उन्होंने इस तरह हाथ से इशारा किया और उसका रुख़ शाम की तरफ़ किया और 

कहा: दुश्मन (ग़ैर-मुस्लिम) अहले-इस्लाम के ख़िलाफ़ इकट्ठे हो जाएँगे और अहले-इस्लाम उन के (मुक़ाबले के) लिये इकट्ठे हो जाएँगे। 

मैंने कहा: आप की मुराद रोमियों (ईसाइयों) से है? 

उन्होंने कहा: हाँ, 

फिर कहा: तुम्हारी इस जंग के ज़माने में बहुत ज़्यादा पलट-पलट कर हमले होंगे। 

मुसलमान मौत की शर्त क़बूल करने वाले दस्ते आगे भेजेंगे कि वो ग़लबा हासिल किये बग़ैर वापस नहीं होंगे (वहीं अपनी जानें दे देंगे।) 

फिर वो सब जंग करेंगे। यहाँ तक कि रात बीच में रुकावट हो जाएगी। ये लोग भी वापस हो जाएँगे और वो भी। 

दोनों (में से किसी) को ग़लबा हासिल नहीं होगा। 

और (मौत की) शर्त पर जाने वाले सब ख़त्म हो जाएँगे। 

फिर मुसलमान मौत की शर्त पर (जाने वाले दूसरे) दस्ते को आगे करेंगे कि वो ग़ालिब आए बग़ैर वापस नहीं आएँगे फिर (दोनों फ़रीक़) जंग करेंगे। यहाँ तक कि उनके बीच रात रुकावट हो जाएगी। 

ये भी वापस हो जाएँ और वो भी कोई भी ग़ालिब नहीं (आया) होगा और मौत की शर्त पर जाने वाले ख़त्म हो जाएँगे।

फिर मुसलमान मौत के तलबगारों का दस्ता आगे करेंगे। 

और शाम तक जंग करेंगे फिर ये भी वापस हो जाएँगे और वो भी कोई भी ग़ालिब नहीं (आया) होगा और मौत के तलबगार ख़त्म हो जाएँगे। 

जब चौथा दिन होगा तो बाक़ी सभी अहले-इस्लाम उनके ख़िलाफ़ उठेंगे अल्लाह (जंग के) चक्कर को उन (काफ़िरों) के ख़िलाफ़ कर देगा। 

वो सख़्त ख़ूनी जंग करेंगे (इसकी मिसाल नहीं देखी जाएगी) यहाँ तक कि परिन्दा उनके पहलुओं से गुज़रेगा वो उनसे जूँ ही गुज़रेगा मर कर गिर जाएगा। (हवा भी इतनी ज़हरीली हो जाएगी।) 

एक बाप की औलाद अपनी गिनती करेगी, जो सौ थे, तो उन में से एक के सिवा कोई नहीं बचा होगा। 

(अब) वो किस ग़नीमत पर ख़ुश होंगे। और कैसा विरासत (करनेवाला वारिसों में) तक़सीम करेंगे। 

वो उसी हालत में होंगे कि एक (नई) मुसीबत के बारे में सुनेंगे। जो उससे भी बड़ी होगी। 

उन तक ये ज़ोरदार पुकार पहुँचेगी कि दज्जाल उनके पीछे उनके बाल बच्चों तक पहुँच गया है। 

उन के हाथों में जो होगा सब कुछ फेंक देंगे और तेज़ी से आएँगे और दस जासूस शहसवार आगे भेजेंगे। 

रसूलुल्लाह (सल्ल०) ने फ़रमाया: "मैं उनके और उनके बाप-दादा के नाम और उनके घोड़ों (सवारियों) के रंग तक पहचानता हूँ। वो उस वक़्त पूरी ज़मीन पर बेहतरीन शहसवार होंगे। या (फ़रमाया:) पूरी ज़मीन के बेहतरीन शहसवार में से होंगे।



रावी: यसीर-बिन-जाबिर رضي الله نه
सहीह मुस्लिम: 7281 (2899a)
Book 54, Hadith 47


सबक:

1. इस हदीस में जो केफियत बयान हुई है उस से पता चलता है ये तमाम पेशगोई हो चुकी है सिवाए दज्जल की पेशगोई के

2. जंग में अपने अमीर को अकेला ना छोड़ा जाये। 

3. दज्जाल का आना बाकी है या ये कयामत के करीब-करीब का वाकिया होगा या उसमें भी मुस्लिम जंग जीत जाएंगे हजरत ईसा अलैहिस्सलाम दज्जाल को कत्ल कर देंगे जिसका बाद अमन ओ अमान कायम होगा। 

4. ये हदीस नबी ﷺ का मोज्ज़ा में से एक मोज्ज़ा है या दलील उन नुबुवा की एक दलील है।  

5. ये पेशगोई हू-बा-हू हुई थी सिर्फ दज्जाल की बाकी है हमें यकीन है नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की हर बात पूरी होगी दज्जाल भी आएगा। 


Posted By Islamic Theology

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