ग़ैर मज़हब की बातों का अनुकरण (नकल)
किसी मुसलमान के लिए यह जायज नहीं कि वह गैर कौमों की बातों का अनुकरण करें और उनके त्योहारों पर पूजा-पाठ या फातिहा जैसी कोई बिदअत का काम करें, इस्लाम एकेश्वरवाद में गहरी आस्था रखता है।
अगर किसी मुसलमान ने बिजनेस में किसी लोहे से बनी वस्तु, मशीन, गाड़ी-मोटर या दिगर कोई भी चीज़ अपने दुकान और मकान में अपने फ़ायदे के लिए रखा है और विश्वकर्मा के दिन इस पर फातिहा देता है तो इस्लाम इस अमल को हराम करार देता है। ये शिर्क है और याद रखें हर गुनाह की माफ़ी है मगर शिर्क माफ़ नहीं है।
शिर्क एक संगींन गुनाह है जिसके बारे में अल्लाह तआला का फ़रमान है:
"और जान रखो कि जो शख़्स अल्लाह के साथ शिर्क करेगा अल्लाह उस पर जन्नत को हराम कर देगा और उसका ठिकाना दोजख़ है और ज़ालिमों का कोई मददगार नहीं।" [सूरह मायदा, आयत 72]
इस आयत में अल्लाह तआला ने दो टूक फैसला सुना दिया है शिर्क करने वाले के लिए कि उसके उपर जन्नत हराम है उसका ठिकाना जहन्नम है। जो लोग शिर्क में मुब्तिला हैं और ये कहते हैं कि हमने कलमा पढ़ा है इसलिए हम जन्नत में जायेंगे वो सोचे कि क्या वाक़ई वो सही हैं?
अल्लाह तआला फ़रमाता हैं:
"बेशक अल्लाह नहीं बख़्शेगा की उस के साथ शिर्क किया जाए और बख़्श देगा जो इस के इलावा होगा, जिसे वो चाहेगा। और जो कोई अल्लाह के साथ शिर्क करे, तो वो गुमराही मे बहुत दूर निकल गया।" [सूरह निसा, आयत 116]
हर नफा और नुकसान का मालिक अल्लाह है, रोज़ी अल्लाह देता है उसके सिवा कोई रोज़ी देने वाला या छीनने वाला नहीं है। कुछ मुस्लमान का ये अक़ीदा है की अगर ऐसे दिनों में लोहे की पूजा नहीं की या फातिहा नहीं दिया तो कारोबार में नुकसान हो जायेगा।
ये अकीदा गलत और बेबुनियाद है।
अल्लाह ताला फरमाता है:
"ऐ इमान वालों पपूरे के पूरे इस्लाम में दाखिल हो जाओ।" [सूरह बक़रह, आयत 208]
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, "जिसने किसी क़ौम की मुशाबहत की वो उन्ही में से है।" [सुनन अबु दाऊद : 4031]
अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त हमें शिर्क और बिदआत से बचाए।
फ़िरोज़ा
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