Aurat ka libas kaisa ho?

Aurat ka libas  dress kaisa ho?

लिबास: इंसान की ज़ीनत


लिबास इंसान की ख़ूबसूरती, आकर्षण और तमीज़ का बाइस है।

इर्शाद बारी तआला है:

"ए बनी आदम! हमने तुम पर लिबास नाज़िल किया जो तुम्हारी शर्मगाह को ढापता है और ज़ीनत भी है, और लिबास तो तक़वा ही का बेहतर है। ये अल्लाह की निशानियों में से एक निशानी है। शायद लोग नसीहत हासिल करें। आदम! ऐसा ना हो कि शैतान कहीं फ़ितने में मुब्तिला कर दे, जैसा की उसने तुम्हारे वालिदैन को जन्नत से निकलवा दिया था। और उनसे उनके लिबास उतरवा दिए थे। ताकि उन्हें उनकी शार्मगाह दिखाए वह और उसका क़बीला तुम्हे ऐसी जगह से देखते हैं, जहां से तुम उन्हें नहीं देख सकते। हमने शैतान को उन का सरपरस्त बना दिया है जो ईमान नहीं लाते।" [सूरह अल आराफ़, आयत 26-28]

यूं तो अल्लाह सुभानहु तआला ने इस दुनियां को मुख़्तलिफ़ चीज़ों से सजाया है और तमाम मख़लूक़ात को अनगिनत नेमतों से नवाज़ा है लेकिन सबसे ख़ूबसूरत नेमत इंसान को मिली "लिबास" जो कि जन्नत में आदम अलैहिस्सलाम को दिया गया था। 

लिबास पहनते वक्त ये सोचिए कि ये ख़ास नेमत है जिसे अल्लाह ताला ने सिर्फ़ इंसान को ही नवाज़ा है दूसरी मख़लूक़ात इस नेमत से महरूम हैं। इस इम्तियाज़ बख़्शिश व इनाम पर हम इंसानों को अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त का शुक्र अदा करना चाहिए।

इस्लाम को मानने वाले दुनियां के मुख़्तलिफ़ इलाकों में रहते हैं चूंकि इस्लाम तमाम दुनिया के लिए है और तामाम आलम के लिए आसानी चाहता है, इसलिए इस्लाम मे मुसलमान को कोई ख़ास लिबास नही दिया, ताकि कहीं मुसलमानों के लिए कोई मुशिकल न हो, बस शरियत ने कुछ शर्त बयान की है जिस लिबास मे वह शर्तें पूरी होगी वह इस्लामी लिबास कहलायेगा। इसलिए मुसलमानों को लिबास मे इन शर्तों का ख़्याल रखना बेहद जरूरी है-


 इस्लामी लिबास की शराइत

1. बारीक और तंग कपड़े की मनाही: 

कपड़ा इतना मोटा हो कि उससे जिस्म नज़र न आये। इतना तंग सिला हुआ न हो कि आ'ज़ा (बॉडी पार्ट) की बनावट ज़ाहिर होती हो। 


2. ऐसा लिबास जो कुफ़्फ़ार के मुशाबेह न हो:

नबी करीम (सल्ल०) ने उस से मना फ़रमाया कि कोई मर्द केसर के रंग का (लिबास) इस्तेमाल करे। [सहीह बुख़ारी 5846]


शौहरत का लिबास पहनने की मनाही

ऐसा लिबास न हो जो बुरी शौहरत का बाइस बन जाये। 

हज़रत अब्दुल्लाह-बिन-उमर (रज़ि०) से रिवायत है, रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया, "जो शख़्स दुनिया में शोहरत का लिबास पहनेगा अल्लाह तआला उसे क़ियामत के दिन ज़िल्लत का लिबास पहनाएगा फिर उसमें आग भड़का देगा।" [अबू दाऊद: 4029; इब्न माजा: 3607]


रेशम का लिबास मर्दों पर हराम है

हज़रत अली-बिन-अबी-तालिब (रज़ि०) ने बयान किया कि अल्लाह के नबी ﷺ ने रेशम लिया और अपने दाएँ हाथ में पकड़ा और सोना लिया और अपने बाएँ हाथ में पकड़ा, फिर फ़रमाया, "बेशक ये दोनों मेरी उम्मत के मर्दों पर हराम हैं।" [अबू दाऊद: 4057]

रसूलुल्लाह ﷺ ने सिर्फ़ उसी कपड़े से मना फ़रमाया है जो ख़ालिस रेशमी हो। लेकिन अगर रेशमी धागे से कढ़ाई हुई हो या उसका ताना रेशमी हो तो इससे कोई हरज नहीं। [अबू दाऊद: 4055]


रसूलुल्लाह ﷺ का पसंदीदा लिबास

क़तादा रजीo ने हदीस बयान की, कहा: हमने हज़रत अनस-बिन-मालिक (रज़ि०) से पूछा: रसूलुल्लाह (ﷺ) को किस क़िस्म का लिबास ज़्यादा महबूब था? उन्होंने कहा: "धारीदार (यमनी) चादर।" [सहीह मुस्लिम 5440; अबू दाऊद: 4060]

हज़रत इब्ने-अब्बास (रज़ि०) से रिवायत है, रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया, "सफ़ेद कपड़े पहना करो बेशक ये तुम्हारे कपड़ों में सबसे बेहतर हैं और इन्ही में अपनी मैयतों को कफ़न दिया करो। और तुम्हारे सुरमों में सबसे बेहतर सुरमा अस्मद है जो नज़र को तेज़ करता और (पलकों के) बाल उगाता है।" [अबू दाऊद: 4061]

 रसूलुल्लाह ﷺ की क़मीस की आस्तीन (आपके) पहुँचे (गट्टे) तक हुआ करती थी। [अबू दाऊद: 4027]


औरत का सतर का छुपाना

अगर औरत ने इतना बारीक दुपट्टा ओढ़ रखा है जिससे बाल की सियाही चमके और उसे ओढ़ कर नमाज़ पढ़े तो नमाज़ नहीं होगी। पूरे जिस्म को छुपाना यानी जितना छुपाने का हुक़्म (मतलब दोनो कलाई और पैर के उंगलियों का कुछ हिस्सा), उसके अलवा सतर का खोलना या दिखना जायज़ नहीं। यह इस्लामी लिबास की अमूमी शर्ते हैं।

फ़ैशन के इस दौर ने औरत को बिल्कुल नंगा कर दिया है। आज समाज में बेहयाई आम होती जा रही है। औरतें ख़ुद भी और अपनी बच्चियों को भी ऐसा लिबास पहनाना शुरु कर दिया है कि अगर लिबास में भी हो तो पूरा जिस्म नुमाया होता है यानी लिबास पहनने के बावजूद भी ऐसी नज़र आयेगी जैसे लिबास में न हो। 


आज का लिबास क्या है?

टाइटजीन्स, टॉप, शर्ट, क़मीज़ और गले इतने खुले जैसे कधे और आस्तीन का कुछ पता ही नहीं और दुपट्टा ख़त्म होता जा रहा। 

रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया, "कुछ औरतें हैं जो कपड़ा पहनने के बाद भी नंगी होंगी दूसरों को गुनाह पर माइल (आकर्षित ) करने वाली हैं और खुद भी माइल होने वाली हैं। ऐेसी औरतें हरगिज जन्नत में नहीं जाऐगी और न इस की खुश्बू सूंघ पाऐगी हॉलाकि इसकी खुशबू इतने लंबे फासले से महसूस होती होगी।" [सहीह मुस्लिम  2128]

अफ़सोस की बात है कि आज उम्मतें मुस्लिमा गुमराह हो गई है और वेस्टर्न कल्चर को फ़ॉलो कर जहन्नम खरीद रही है। इसके सबसे बड़े गुनाहगार वह वालदेन और भाई हैं जिनकी जवान बहने और बेटियां ऐसा लिबास पहन रही जिस से उनका जिस्म साफ़ ज़ाहिर होता है। 


औरतों से (दरख़वास्त)

1. लिबास खरीदते हुए ऐसा कपड़ा लें जिसमें आपका जिस्म नज़र ना आये, सिलवाते हुए गला छोटा रखवायें के झुककर कोई चीज़ पकड़ें या घर की सफाई करते बेपर्दगी ना हो। 

2. लिबास थोड़ा खुला सिलवायें कि इंसान इंसान की तरह लगे ना कि जानवरों की खाल सा चिपका हुआ।

3. घर से बाहर निकलते हुए अगर आप बुर्क़ा नहीं पहनती हैं तो एहतियातन एक चादर ज़रूर रखा करें के बारिश होने पर लिबास से जिस्म नज़र ना आये या पसीने की वजह से भीग जाने पर जिस्म नुमाया हो तो चादर लपेट लें। 

4. गर्मियों में लॉन के सादे लिबास के नीचे शमीज़ ज़रूर पहनें। 

5. रास्ते में चलते हुए दुपट्टा खिसक गया है तो उसे पूरा उतारकर दुरुस्त मत करें बल्कि सलीक़े से कुछ हिस्सा सीने पर रहने दें और बाक़ी आराम से दुरुस्त कर लें। 

6. इस्लाम सर के बाल छुपाने के साथ-साथ जिस्म छुपाने का भी हुक्म देता है।

मेरी प्यारी बहनों आप बिनते हव्वा हैं, आप की हया आप का सबसे बड़ा ज़ेवर है। याद रखें हया की चादर उतर जानें के बाद फिर औरत, औरत नहीं रह जाती। 


मर्दों से दरख़वास्त

आप अपने घर वालों के ज़िम्मेदार हैं, महशर के मैदान में हर रायी से उसकी रिआया के बारे में सवाल किया जाएगा। 

हर बाप और भाई को चाहिए कि अपनी इज़्ज़तऔर जिम्मेदारी का ख्याल रखें, आपके साथ आपकी बीवी-बेटी मॉडर्न लिबास पहनकर चल रही हो तो जितने मर्द-ओ-ख़्वातीन उसे देखकर फ़ितने में मुब्तिला होंगें उसका गुनाह आप पर है और रोज़ ए महसर कल क्या होगा? जब अल्लाह तआला के हुज़ूर हर शख्स को अकेले अकेले जाना होगा।

मोमिन मर्दों को चाहिए कि वे अपने घर की ख़्वातीन को मुकम्मल अच्छा लिबास पहनाएं और औरतों को चाहिए कि मुकम्मल ढका हुआ लिबास पहने और अपनी ज़ीनत की चीज़े किसी पर ज़ाहिर न करें। 

रसूलुल्लाह (सल्ल०) ने फ़रमाया, "क़ियामत के दिन किसी बन्दे के दोनों पाँव नहीं हटेंगे यहाँ तक कि उससे ये न पूछ लिया जाए, उसकी उमर के बारे में कि उसे किन कामों में ख़त्म किया? और उसके इल्म के बारे में कि उसपर क्या अमल किया? और उसके माल के बारे में कि उसे कहाँ से कमाया और कहाँ ख़र्च किया? और उसके जिस्म के बारे में कि उसे कहाँ खपाया? [तिर्मिज़ी 2417]


अल्लाह हम सब को हिदायत दे और बातों को कहने सुनने से ज़्यादा अमल की तौफिक अता फरमाए।

आमीन


आपकी दीनी बहन 
फ़िरोज़ा  

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1 टिप्पणियाँ

  1. फिरोजा बहन अपने जो लिबास का जिक्र किया वो बहुत ही तारीफे काबिल है
    मैं आपका तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं

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