गैर कौमों के त्योहारों पर मुबारक बाद देना जायज़ नहीं
ग़ैर क़ौमो (ग़ैर-मुस्लिम) के त्योहार को मनाना या मुबारकबाद देना जायज़ नही क्योंकि इनके ज़्यादातर त्योहार शिर्क (मूर्ति पूजा) पे होती है।
भाई मुहाफिज होता है उसका फर्ज़ होता है कि वो अपनी बहनों की हिफ़ाज़त करे तो
क्या आपको अपनी हिफाजत के लिए भाई की कलाई पर धागा बांधकर उसे वचन लेना ज़रूरी है?
क्या बिना इसके आपका भाई आपकी हिफाजत नहीं करेगा ?
ख्याल रखें ऐसा कर के कहीं आप अपने ईमान का सौदा तो नहीं कर रहे हैं।
आपसी भाईचारे का मतलब ये कतई नहीं है कि हम लोगों को खुश करने के लिए माथे पर तिलक लगवाएं , रक्षा धागा (राखी) बांधे या मन्दिर में जाकर पूजा करें।
हज़रत उमर रज़ि अन्हु ने फ़रमाया :-
अल्लाह के दुश्मनो से इनके त्यौहार मे इजतीनाब करो (बचो), गैर मुस्लिमो के त्यौहार के दिन इनकी इबादतगाहो मे दाखिल ना हो क्यूकि इनके ऊपर अल्लाह की नाराज़गी नाज़िल होती हैं।
(सुनन बहियिकी 9/392)
इस्लाम इस बात की हरगिज़ इजाज़त नहीं देता
इंसानियत के नाते दुनियां के सभी लोगों का हम सम्मान करते हैं मगर दीन के मामले में कोई समझौता नहीं इस्लाम एकेश्वारवाद (तौहीद) में दृढ़ निष्ठा रखता है ये बात हर मुसलमान को याद रखना चाहिए ।
कुरान की ये आयत इस बात का पुख्ता सबूत है
لَکُمۡ دِیۡنُکُمۡ وَلِیَ دِیۡنِ
तुम्हारे लिये तुम्हारा दीन(धर्म )है और मेरे लिये मेरा दीन ।
हमारे मुआशरे में कुछ लिबरल और सेक्युलर लोग, लोगों को खुश करने ,उनकी खुशामद करने के लिए हराम और हलाल का फ़र्क भूल कर शिर्क जैस संगीन गुनाह भी कर लेते हैं। अल्लाह सुब्हान व तआला ने क़ुरआन में फ़रमाया -
अल्लाह शिर्क को माफ़ नहीं करता, इसके सिवा दूसरे जितने गुनाह हैं, वो जिसके लिए चाहता है माफ़ कर देता है।
अल क़ुरआन 4: 48
कितनी खौफ की बात है के सिर्फ थोड़ी सी चापलूसी या लापरवाही की वजह से एक दिन के चक्कर में हम अपनी आख़िरत, यानि वो ज़िन्दगी जो कभी न ख़तम होने वाली है, उसे दांव पर लगा देते हैं। अपनी सारी मेहनते और इबादतें बर्बाद करने को तैयार हो जाते हैं।
हिन्दू धर्म में बहनों द्वारा अपने भाई को रक्षा धागा इस लिय बाधा जाता है कि ये धागा उनकी किसी भी मुसीबत में रक्षा करेगा लेकिन मुस्लिम कौम का ये अमल नजायज व हराम है क्यों कि ये शिर्किया अकीदा है जो तेज़ी से पांव पसार रहा है।
राखी बांधना और बंधवाना
राखी बांधना नाज़ायज़ व हराम है |
जिन मुसलमान औरतों ने हिन्दुओं को यह दौरा बांधा (यानी राखी बाँधी) या जिन मुसलमान मर्दों ने हिन्दू औरतों से राखी बंधवाई वह फ़ासिक़ व फ़ाजिर , गुनहगार और जहन्नम के अज़ाब के मुस्तहिक़ हुए |
(फतावा शरह बुखारी : जिल्द 2, पेज 566)
ग़ैर महरम (लड़का/लड़की) को छूना (टच करना) हराम है।
जब कोई लड़की किसी लड़के को राखी बांधती है या कोई लड़का किसी लड़की से राखी बाधवाता है तो दोनों एक दुसरे को टच करते हैं जो जायज़ नहीं है।
हमें ये बात भी याद रखनी चाहिए इस्लाम में गैर मेहरम को छूना हराम है आइए कुछ अहादीस पर गौर करें
रसूल अल्लाह ﷺ ने फ़रमाया : तुम्हारे लिए किसी ग़ैर महरम को छूना (टच) करने से बेहतर है कि तुम अपने सिर (हेड) मे लोहे की कील ठोक लो।
[सही अल-जामेअ : 5045]
[अल-तबरानी : 486]
मुबारक बाद देना -
क्या गैर मुस्लिमो के त्योहार पर मुबारक बाद से सकते हैं?
गैर मज़हब के किसी भी त्योहार पर मुबारकबाद देना जायज़ नहीं
उनके फेस्टिवल पर आप उनसे हाल पूछ सकते हैं, कैसा रहा फेस्टिवल वगैरा, लेकिन मुबारकबाद नहीं दे सकते हैं
अगर कोई ग़ैर मुस्लिम हैप्पी होली/रक्षा बंधन/"दीवाली" कह दे तो जवाब में आप👉To You - (तुम्हारे लिए) कह सकते हैं।
लेकिन अगर "सेम टू यू " कहते हैं तो मतलब ये होता है कि आप "उनकी खुशी में शामिल हैं" और आप भी उससे ख़ुश (हैप्पी) हैं।
हमे उसी तरीक़े से जिन्दगी गुजारने चाहिये जो तरीक़ा रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का था, ग़ैर क़ौमो का तरीक़ा नही अपनाना चाहिए तभी हम इस दुनिया और आख़िरत में कामयाब होंगे।
अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया : जिसने किसी क़ौम की मुशाबहत की वो उन्ही में से है।
[सुनन अबु दाऊद : 4031]
नोट - ऐ उम्मते मुस्लिमा!जिस चीज़ को मेरे नबी (ﷺ) ने मना कर दिया उससे रुक जाओ, इसी में भलाई है। ऐ तुम वो काम क्यों करते हो जिन्हें आपके रसूल हज़रत मुहम्मद ﷺ ने करने को मना फरमाया है। जहुन्नुम है ऐसो लिए जो कोई हाथ मे धागा, कड़ा य़ा तावीज़ पहने और यह अक़ीदा रखे की यह बीमारी परेशानी आफ़तो मुसीबतों से बचा लेगा।
अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त हमें शिर्क और बिदआत से बचाए
हम सभी मुसलमानो को ग़ैर इस्लामी बातों से बचने की तौफ़ीक़ दे, आमीन।
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