Paigambar Muhammad saw kya sirf musalman ke liye bheje gaye?

Paigambar Muhammad saw kya sirf musalman ke liye bheje gaye?


पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ सबके लिए

(Prophet Muhammad ﷺ for all)

कुछ लोग ये समझते है कि हजरत मुहम्मद ﷺ सिर्फ एक ख़ास कौम के लिए ही पैग़म्बर बनाकर भेजे गए है। और वो ये भी समझते है कि हजरत मुहम्मद ﷺ सिर्फ मुसलमानों के ही पैग़म्बर है, और उनकी तालिमात भी सिर्फ मुसलमानों के लिए ही है। लोगों की इसी गलतफहमी की वजह से आज इंसानियत अपने असली रहनुमा और खैरख्वाह पैग़म्बर की तालीमात से दूर हो गई है जिसकी वजह से ही दुनिया में जुल्म और सितम बढ़ गया है और आज इंसानियत बरबादी के दहाने पर खड़ी है क्योंकि जब इंसानियत अपने रहनुमा और खुदा की तरफ से भेजे गए पैग़म्बर के ही बारे में गलतफहमी का शिकार हो जायेगी तो वह फिर खुदा की हिदायत (guidance) और रहनुमाई से कैसे फायदा उठा पाएगी? 

आइए लोगों की इस गलतफहमी को खुद पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ की तालीमात और खुदा की आखिरी किताब कुरान से दूर करते है। और जानते है कि क्या पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ वाकई सिर्फ एक कौम के लिए आए थे या पूरी इंसानियत के लिए?


हजरत मुहम्मद ﷺ पूरी इंसानियत के लिए पैग़म्बर बनाकर भेजे गए है इसपर क़ुरान की गवाही:


وَ مَاۤ اَرۡسَلۡنٰکَ اِلَّا کَآفَّۃً لِّلنَّاسِ بَشِیۡرًا وَّ نَذِیۡرًا وَّ لٰکِنَّ اَکۡثَرَ النَّاسِ لَا یَعۡلَمُوۡنَ

"और (ऐ नबी) हमने तुमको तमाम ही इन्सानों के लिये ख़ुशख़बरी सुनानेवाला और ख़बरदार करनेवाला बनाकर भेजा है, मगर ज़्यादातर लोग जानते नहीं हैं।"

[कुरआन 34:28]


यानी पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ सिर्फ़ मक्का शहर या सिर्फ अरब देश या सिर्फ उसी ज़माने के लोगों के लिये नहीं, बल्कि तमाम दुनिया के इन्सानों के लिये और हमेशा के लिये नबी बनाकर भेजे गए है। मगर कुछ गफलत में डूबे नादान लोग पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ की क़द्र और पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ के मंसब को नहीं समझते और उनको एहसास नहीं है कि कैसी बड़ी हस्ती को पैगम्बर की हैसियत से उनके पास भेजकर अल्लाह के द्वारा उनको ख़ुशनसीबी अता की गई है। ये बात कि पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ सिर्फ़ अपने देश या अपने ज़माने के लिये नहीं, बल्कि क़ियामत तक सारे इन्सानों के लिये भेजे गए हैं, सूरह फुरकान में अल्लाह ने कुछ यूं बयान की है:-


تَبٰرَکَ الَّذِیۡ نَزَّلَ الۡفُرۡقَانَ عَلٰی عَبۡدِہٖ لِیَکُوۡنَ لِلۡعٰلَمِیۡنَ نَذِیۡرَا

"बहुत बरकतवाला है वो जिसने ये फ़ुरक़ान अपने बन्दे पर उतारा है ताकि सारे जहानवालों के लिये ख़बरदार कर देनेवाला हो।"

[कुरआन 25:1]


यानी पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ पूरी इंसानियत के लिए ख़बरदार करनेवाले, चौंकानेवाले, ग़फ़लत और गुमराही के बुरे नतीजों से डरानेवाले बनाकर भेजे गए है। फिर अल्लाह ने ये जो फ़रमाया कि "सारे जहानवालों के लिये ख़बरदार करनेवाला हो", तो इससे मालूम हुआ कि क़ुरआन की दावत और मुहम्मद (ﷺ) की रिसालत (पैग़म्बरी) किसी एक देश के लिये नहीं, पूरी दुनिया के लिये है और अपने ही ज़माने के लिये नहीं, बल्कि आनेवाले तमाम ज़मानों के लिये है। और ये बात क़ुरआन में कई जगहों पर बयान की गई है। अल्लाह ने फरमाया-


وَ مَاۤ اَرۡسَلۡنٰکَ اِلَّا رَحۡمَۃً لِّلۡعٰلَمِیۡنَ

"और (ऐ पैग़म्बर!) हमने तुम्हें सारे जहानों के लिये रहमत ही रहमत बनाकर भेजा है।"

[कुरआन 21:107]


قُلۡ یٰۤاَیُّہَا النَّاسُ اِنِّیۡ رَسُوۡلُ اللّٰہِ اِلَیۡکُمۡ جَمِیۡعَا ۨ الَّذِیۡ لَہٗ مُلۡکُ السَّمٰوٰتِ وَ الۡاَرۡضِۚ لَاۤ اِلٰہَ اِلَّا ہُوَ یُحۡیٖ وَ یُمِیۡتُ

"ऐ नबी ! कहो कि “ऐ इंसानों ! मैं तुम सबकी तरफ़ उस ख़ुदा का पैग़म्बर हूँ जो ज़मीन और आसमानों की बादशाही का मालिक है, उसके सिवा कोई ख़ुदा नहीं है, वही ज़िन्दगी बख़्शता है और वही मौत देता है।"

[कुरआन 7:158]


 وَ اُوۡحِیَ اِلَیَّ ہٰذَا الۡقُرۡاٰنُ لِاُنۡذِرَکُمۡ بِہٖ وَ مَنۡۢ بَلَغَ ؕ 

"और ये क़ुरआन मेरी तरफ़ वह्य के ज़रिए से भेजा गया है, ताकि तुम्हें और जिस-जिस को ये पहुँचे, सबको ख़बरदार कर दूँ।"

[कुरआन 6:19]


قُلۡ مَاۤ اَسۡئَلُکُمۡ عَلَیۡہِ مِنۡ اَجۡرٍ وَّ مَاۤ اَنَا مِنَ الۡمُتَکَلِّفِیۡنَ اِنۡ ہُوَ اِلَّا ذِکۡرٌ لِّلۡعٰلَمِیۡنَ

"(ऐ नबी) इनसे कह दो कि मैं इस पैग़ाम पहुँचाने पर तुमसे कोई बदला नहीं माँगता और न मैं बनावटी लोगों में से हूँ। ये तो एक नसीहत है तमाम जहानवालों के लिये।"

[कुरआन 38:86-87]


मुहम्मद (ﷺ) की पैग़म्बरी सिर्फ़ अरब क़ौम तक महदूद नहीं है, बल्कि दुनिया भर की उन दूसरी क़ौमों और नस्लों के लिये भी है जो मुहम्मद (ﷺ) के समय में ईमानवालों में शामिल नहीं हुए थे, मगर आगे क़ियामत तक मुहम्मद (ﷺ) की पैग़म्बरी पर ईमान लाने वाली हैं। इसकी दलील कुरआन की ये आयत है:


 وَّ اٰخَرِیۡنَ مِنۡہُمۡ لَمَّا یَلۡحَقُوۡا بِہِمۡ ؕ وَ ہُوَ الۡعَزِیۡزُ الۡحَکِیۡمُ 

"और (इस रसूल का भेजा जाना) उन दूसरे लोगों के लिये भी है जो अभी उनसे नहीं मिले हैं। अल्लाह ज़बरदस्त और हकीम है।"

[कुरआन 62:3]


अस्ल अरबी अलफ़ाज़ हैं: व आ-ख़री-न मिन्हुम लम्मा यल्हक़ू बिहिम (दूसरे लोग उनमें से जो अभी उनसे नहीं मिले हैं)।

इसमें मिन्हुम (उनमें से) के दो मतलब हो सकते हैं-

1. एक ये कि वो दूसरे लोग उम्मियों में से, यानी दुनिया की ग़ैर-इसराईली क़ौमों (वो लोग जो अरब नहीं है) में से होंगे।

2. दूसरा ये कि वो मुहम्मद (ﷺ) के मानने वाले होंगे जो अभी ईमानवालों में शामिल नहीं हुए हैं मगर बाद में आकर शामिल हो जाएँगे।


इस तरह ये आयत भी उन बहुत-सी आयतों में से है जिनमें ये बात बयान की गई है कि अल्लाह के रसूल (ﷺ) का पैग़म्बर बना कर भेजा जाना तमाम इनसानियत की तरफ़ है और हमेशा तक के लिये है। और इसी बात को ख़ूब खोल-खोलकर नबी (ﷺ) ने हदीसों में बार-बार बयान किया है। 


हजरत मुहम्मद ﷺ पूरी इंसानियत के लिए पैग़म्बर बनाकर भेजे गए है इसपर खुद हजरत मुहम्मद ﷺ की गवाही:


पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ ने फरमाया: "मैं काले और गोरे सबकी तरफ़ भेजा गया हूँ।" [मुस्लिम:521, मुसनद अहमद]


पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ ने फरमाया: "मैं आम तौर से तमाम इन्सानों की तरफ़ भेजा गया हूँ। हालाँकि मुझसे पहले जो नबी भी गुज़रा है, वो अपनी क़ौम की तरफ़ भेजा जाता था।" [मुसनद अहमद]


पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ ने फरमाया: "पहले हर नबी ख़ास अपनी क़ौम की तरफ़ भेजा जाता था और मैं तमाम इन्सानों के लिये भेजा गया हूँ।" [बुख़ारी:438, मुस्लिम:521]


पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ ने फरमाया: "और मैं तमाम दुनियावालों की तरफ़ भेजा गया हूँ और ख़त्म कर दिए गए मेरे आने पर पैग़म्बर।" [मुस्लिम]


पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ ने फरमाया: "मेरा भेजा जाना और क़ियामत इस तरह हैं, ये कहते हुए नबी (ﷺ) ने अपनी दो उँगलियाँ उठाईं।" [बुख़ारी:5301, मुस्लिम]


मतलब ये था कि जिस तरह दो उँगलियों के बीच कोई तीसरी ऊँगली रुकावट नहीं है इसी तरह हजरत मुहम्मद ﷺ और क़ियामत के बीच भी कोई नुबूवत (पैगंबरी) नहीं है। हजरत मुहम्मद ﷺ के बाद बस क़ियामत ही है और क़ियामत तक हजरत मुहम्मद ﷺ ही पैगम्बर रहनेवाले है।

अल्लाह की आखिरी किताब यानी क़ुरान और खुद हजरत मुहम्मद ﷺ की गवाही से ये बात वाजेह हो गई है कि हजरत मुहम्मद ﷺ पूरी इंसानियत के लिए पैगम्बर बनाकर भेजे गए है। इसलिए मैं सब इंसानों को आखिरी पैगम्बर हजरत मुहम्मद ﷺ पर ईमान लाने की दावत देता हूं। ताकि इंसानियत खुदा के सच्चे पैगम्बर की पैरवी करके इस दुनिया को अमन (शांति) का गहवारा बनाएं। क्योंकि हजरत मुहम्मद ﷺ तमाम दुनिया वालों के लिए रहमत बन कर आए है। और इस रहमत से इंसानियत तभी फायदा उठा पाएगी जब वह हजरत मुहम्मद ﷺ को सच्चा पैगम्बर मानकर खुदा के कानून की पैरवी करें। क्योंकि जब जब भी इंसान खुदा के कानून को छोड़कर खुद अपनी मर्जी के कानून या इंसानों के बनाए कानून की पैरवी करने लगें तो अल्लाह की इस जमीन पर फितना और फसाद ही बरपा हुआ और इंसानियत जुल्म से दो चार हुई।

अल्लाह इस दुनिया से फितने और फसाद को खत्म करें। और अपने आखिरी पैगम्बर हजरत मुहम्मद ﷺ के लाए दीन को इस दुनिया में नाफिज करें। 

आमीन।


By- Islamic Theology

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