मुस्लिम मुआशरा और बिन ब्याही लड़कियां
एक वक्त वह भी था जब लड़कियों के बालिग होते ही उनका निकाह कर दिया जाता था। लड़की वालों के गरीब-अमीर होने से कोई फर्क नहीं पड़ता था। लोग आपस में ही रिश्ते तय कर लिया करते थे यहां तक की बच्चे पैदा होने से पहले ही उनके रिश्ते हो जाया करते थे। लड़कों की उम्र कितनी भी ज्यादा होती थी या कैसे भी लड़के होते थे अपने मां बाप के फर्माबरदार होते थे। माँ-बाप जहां उनका रिश्ता करना चाहते थे आजादी से करते और वह लड़के भी उसे पूरी जिम्मेदारी और खुशी से जिंदगी भर निभाते थे पर अब जमाना बदल गया है लड़कों को उनके पसंद की लड़कियां चाहिए और ल़डकियों को उनकी पसंद के लड़के चाहिए, उस पर मां बाप भी उनका पूरा सपोर्ट करते हैं।
अब यहां लड़कों की पसंद देखते हैं:
1. खूबसूरत हो।
2. कमउम्र हो।
3. लड़की काम काजू होनी चाहिए।
4. लड़की हुनरमंद होनी चाहिए।
5. पढ़ी लिखी कम से कम ग्रेजुएट हो।
6. नौकरी वाली हो तो सोने पे सुहागा।
7. फॅमिली स्ट्रॉन्ग हो।
8. दहेज में अगर कुछ देने की हैसियत न भी हो तो कम से कम एक बाइक दे सकें।
ल़डकियों की पसंद देखते हैं:
1. लड़का हैंडसम होना चाहिए बिल्कुल हीरो जैसा।
2.अच्छा घर और ज़मीन जायदाद भी हो यानी अच्छी तरह से व्यवस्थित (well settled)
3. खूब कमाने वाला हो यानी सैलरी अच्छी हो।
4. अमीर हो भले ही बद अख़लाक़ बेनमाज़ी और दीन से दूर हो,।
5. दाढ़ी वाला ना हो।
किसी भी लड़के को सेटल होने के लिए वक्त चाहिए और सेटल होते होते उसकी उम्र 30 से 40 साल तक पहुंच जाती है, उसपर 18-19 साल की खूबसूरत, हुनरमंद पढ़ी-लिखी लड़की चाहिए। दूसरी बात सोचने की यह है कि 18-19 साल में कौन सी लड़की ग्रेजुएट हो सकती है?
दूसरी तरफ लड़की और उसके घर वालों ख्वाहिश लड़का हैंडसम, अमीर और हमउम्र भी होना चाहिए। ऐसा लड़का मिलना तभी मुमकिन है जब लड़का खानदानी अमीर हो शायद यही वजह है कि गरीब लड़के और लड़कियां दोनों पीछे रह जाते हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 20 से 39 साल की उम्र के बीच कुंवारी मुस्लिम औरतों की तादाद दूसरे मज़हब की कुंवारी औरतों की तादाद के मुक़ाबले में तेज़ी से बढ़ रही है। 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, लगभग 33.70 लाख मुस्लिम औरतों मे 20-39 आयु वर्ग की 2.1 करोड़ मुस्लिम औरतों में से करीब 12.87 प्रतिशत कुंवारी थीं। इसी रिपोर्ट के मुताबिक 23.3% औरतें तलाकशुदा है।
इन आंकड़ों को देखने के बाद हम अंदाजा लगा सकते हैं कि 2023 तक इस की तादाद बढ़ गई होगी। ये तो सिर्फ कुंवारी ल़डकियों की तादाद थी।
बात सिर्फ यहीं तक जाकर नहीं रुकती कि वह घर बैठी हुई हैं रिश्ते के इंतजार में बल्कि वह खुद खोज में लगी रहती है कि कोई अच्छा लड़का मिल जाए और हम उससे निकाह कर लें। अक्सर देखा जाता है कि शौहर की तलाश में लड़कियां अपनी पहचान खो रही हैं, मक़सद से दूर हो रही है यहां तक की अपना ईमान भी दाव पर लगा दे रही हैं । मुसलमान लड़कियों के मुर्तद होने का जो सिलसिला शुरू हुआ है वह रुकने का नाम ही नहीं ले रहा और उसकी एक बहुत ही बड़ी वजह ऊपर जिक्र में आए बिंदु भी है।
पर हमें यहां इस टॉपिक पर बात नहीं करनी बल्कि हमें इस बात पर चर्चा करनी है कि हम उन औरतों को किस तरह से हिम्मत दे सकते हैं, किस तरह से उन्हें यह बता सकते हैं कि आपका निकाह में सिर्फ अल्लाह के जि़म्मे है ना कि आपकी मर्ज़ी।
मैं अपनी प्यारी बहनों को एक बात बता देना चाहती हूं कि अल्लाह की मर्ज़ी के बगैर कोई काम नहीं होता, वह जब तक ना चाहे कि आपका शौहर हो तब तक आप कोई शौहर नहीं ढूंढ सकतीं। अल्लाह की ज़ात पर भरोसा रखें शौहर की तलाश में इधर उधर ना भागें वरना आप टूटेंगी, हारेंगी और फिर उदास होकर अल्लाह की पनाह में लौट आएंगी।
शौहर की तलाश में जब आप निकलेगी तो आप के साथ अच्छा रवैया अख्तियार करने वाले हर इंसान में आपको अपना शौहर नज़र आएगा। आप उसके करीब जाने की कोशिश करेंगी पर अगर वो आपके लिए नहीं बनाया गया तो वो सिर्फ आपके साथ खेलेगा और आपको छोड़ देगा यहां आप टूटेंगी और गुनहगार भी हो जाएंगी।
कोई चीज़ अल्लाह हमारे लिए लिख देता है तो वह सिर्फ और सिर्फ हमारी होती है उसे कोई और छीन नहीं सकता और अगर वह हमारे लिए मुकर्रर नहीं किया गया तो फिर हम दुनिया की कोई भी ताकत लगाकर उसे हासिल नहीं कर सकतें।
यही बात निकाह पर भी लागू होती है। कोई आपको कितना भी पसंद क्यों ना हो अगर वह आपके नसीब में नहीं लिखा गया तो आपको नहीं मिल सकता किसी भी कीमत पर जो आपके नसीब में लिखा जा चुका है वह आपके पास अपने पैरों पर चलकर आएगा और बस हमें इसी एक छोटी सी बात पर यकीन रखना है और अपने ईमान पर साबित क़दम रहना है।
बाज़ ना समझ लोग समझते हैं निकाह सिर्फ दुनियावी रिश्ता है दर-हकीक़त यह अल्लाह तआला की तरफ से होता है दुनिया में जो हमारा शौहर होगा वही आख़िरत में भी होगा यानी जन्नत में हमेशा के लिए हम अपने दुनियावी शौहर के साथ रहेंगे बशर्ते उसके आमाल जहन्नमी जैसे ना हो। इसलिए सोचने की बात है कि अगर शौहर का इंतखाब हमारे हाथ में होता तो अल्लाह उसे जन्नत में भी क्यों हमारे साथ ही रखेगा, हकीक़त में यह अल्लाह का फैसला है हम किस से, कब और कैसे निकाह करेंगे ये अल्लाह का फैसला है इसमें हमारी मनमानी न चली थी, ना चली है और ना ही कभी चलेगी। इसलिए मेरी बहनों जल्दबाज़ी ना करो, कहीं जल्दबाजी में आप अपने आप को तकलीफ ना पहुंचा दें।
अल्लाह आपकी कोशिशों की क़दर करता है, उसमे बरकत देता है बशर्ते आपकी कोशिश जाएज़ हो। निकाह के लिए ना जाएज़ तरीक़े अपना कर खुद का तमाशा ना बनायें, खुद को भेड़ियों के सुपुर्द ना करें, खुद के वजूद को खत्म ना करें, अपने हक़ के रास्ते से हट कर ऊपर-नीचे, दायें-बायें लड़कों की तलाश ना करें।
बड़े अफसोस की बात है कि इस वक्त औरतें अपनी खुशी से खुद को मर्दों के सुपुर्द कर रही है सिर्फ निकाह के लिए पर याद रखें आपका शौहर अल्लाह की तरफ से एक नेअमत है जिसके साथ खयानत करना कभी भी आपके हक़ में दुरुस्त नहीं होगा।
एक नेक शौहर ढूढ़ने के लिए अपना वक्त और नींद बर्बाद करने की बजाय आप अल्लाह से दुआ करें, उसके सामने रोये, गिड़गिड़ाएं, उसे राज़ी करें और यकीन माने अल्लाह आपको ऐसा शौहर आता करेगा जो आपकी आँखों की ठंडक होगा। इन शा अल्लाह
सबसे पहले आप खुद की इन आदतों को बदलें -
1. सब्र करना सीखें, ज़ुबान को काबू में रखें, ज़रूरत पड़ने पर समझौता करें, शादीशुदा जिंदगी में सब्र की कितनी अहमियत है ये एक शादीशुदा कामयाब बहन ही समझ सकती है।
2. पाबंदी से फर्ज़ नमाज़े अदा करती रहें साथ ही नफिल भी पढ़ती रहें, सजदे मे रो-रो कर दुआ मांगे, रोज़ाना कुरान की तिलावत करें।
3. रोज़ाना ज़्यादा से ज़्यादा दरूद पढ़ें और अस्तग़फार करें। नफिल रोज़े रखें।
4. नेक शौहर के लिए लगातार दुआ करते रहें।
5. अपने दिल और रूह को इस बात पर राज़ी करें कि निकाह दो जिस्म के साथ रूह को जोड़ता है इसमें दोनों का एक दूसरे से राजी़ होना ही कामयाबी है। सिर्फ खुद की ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए निकाह ना करें नहीं तो आप कभी कामयाब नहीं हो सकेंगी।
6. अपने दीन को जानें, निकाह और तलाक के बारे में जानें। इस बारे में जानकारी लें कि शादीशुदा कामयाब जिंदगी के लिए क्या क्या करना होता है किस तरह शौहर और अल्लाह दोनों को राजी़ रखना होगा?
7. अपनी नफ़्स को काबू में रखते हुए अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करते रहें, खुद को अपने कामों या परिवार की खिदमत मे लगाए रखें इससे काफी हद तक आप दिल के दर्द से बच जायेंगी।
8. जिंदगी का मकसद जिस्मानी ताल्लुक़ात, बच्चे, एक बड़े घर और एक बड़ी कार तक मेहमूद नहीं है, बल्कि निकाह के असल मक़सद को समझने पर काम करना, अल्लाह का तकवा इख्तियार करना का उसे राजी़ करने पर अपने ज़हन को लगा देंना चाहिए और याद रखें कि बाकी सब एक सूरत ए हाल है, वक्ती परेशानी है जो हमेशा नहीं रहेगी।
9. खुद के वजूद को क़ायम करें, जानें कि आप कौन हैं और खुद पर एत्माद करें, अपने चाहने वालों और वालदैन के भरोसे को कायम रखें , दूसरों को नाराज़ किए बग़ैर अपनी बात बेहतरीन तरीके से रखना सीखें।
10. वो काम करें जिससे आपका दिल और रूह दोनों मुतमईन हों और अल्लाह पर भरोसा रखें कि वह आपको ऐसा जीवन साथी देगा जो दुनिया और जन्नत दोनों में आपके साथ होगा।
अगर आप एक ऐसे शौहर की तलाश में हैं जिसमें रसूल अल्लाह ﷺ की खूबियाँ हों तो खुद का जायजा़ करें कि आपके पास ख़दीजा रदि अल्लाहु अन्हा की खसूसियात और रूहानियात, उम्म सलामह रदि अल्लाहु अन्हा की सख़ावत, आयशा रदि अल्लाहु अन्हा का इल्म, सफियाह रदि अल्लाहु अन्हा की दूरअंदेशी और ज़हानत हो।
हर एक काम के पीछे अल्लाह की मस्लहत होती है निकाह में ताखीर भी आपके हक़ में बेहतर होगी इसलिए इस बीच:
1. खुद से मोहब्बत करना सीखें।
2. जैसे भी हालात हों खुश रहना सीखें।
3. खुद के वजूद को क़ायम करें।
4. गलत ख़यालों को ज़हन मे आने से रोकना सीखें।
5. शुक्र और सब्र करने वाला इंसान बनना सीखें।
अल्लाह हमारे लिए क्या है?
परशानियों के दौर में कोई नज़र नहीं आता, कैसे भी हालात हो मदद और हिम्मत सिर्फ अल्लाह से मिलती है। अल्लाह तआ'ला खुद कुरान मे फरमाता है,
ऐ नबी! मेरे बन्दे अगर तुमसे मेरे बारे में पूछें तो उन्हें बता दो कि मैं उनसे क़रीब ही हूँ। पुकारनेवाला जब मुझे पुकारता है, मैं उसकी पुकार सुनता और जवाब देता हूँ, तो उन्हें चाहिये कि मेरी पुकार पर लब्बैक [हम हाज़िर हैं] कहें और मुझपर ईमान लाएँ। ये बात तुम उन्हें सुना दो शायद कि वो सीधा रास्ता पा लें। [कुरान 2:186]
हक़ीक़त ये है कि अल्लाह तुम्हारा हामी और मददगार है और वो सबसे अच्छा मदद करनेवाला है। [कुरान 3: 150]
ऐ लोगो जो ईमान लाए हो! अल्लाह और उसके रसूल की पुकार को आगे बढ़कर क़बूल करो, जबकि रसूल तुम्हें उस चीज़ की तरफ़ बुलाए जो तुम्हें ज़िन्दगी देनेवाली है, और जान रखो कि अल्लाह आदमी और उसके दिल के बीच आड़ है और उसी की तरफ़ तुम समेटे जाओगे। [कुरान 8: 24]
अल्लाह की याद ही वो चीज़ है जिससे दिलों को इत्मीनान मिला करता है। [कुरान 13: 28]
By Islamic Theology
0 टिप्पणियाँ
कृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।