European (Sweden) sex championship

European (Sweden) sex championship aur islam


यूरोपियन सेक्स चैंपियनशिप

दुनिया भर में लगभग 8000 से ज्यादा खेल खेले जाते हैं और लगभग 60 मिलियन आदमी औरत इसमें भाग लेते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल, वॉलीबॉल, हॉकी, बैडमिंटन, बेसबॉल, टेनिस जैसे खेलों के बारे में तो आप जानते ही होंगे लेकिन कुछ दिनों पहले स्वीडन (देश का नाम) एक बेहयाई वाले खेल का आयोजन करने जा रहा था जिसका नाम था "यूरोपियन सेक्स चैंपियनशिप"। इस चैंपियनशिप का आयोजन स्वीडन सेक्स फेडरेशन करने जा रहा था। 

European (Sweden) sex championship aur islam

पर रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्वीडन के मीडिया और स्पोर्ट्स फेरेशन ने इस खबर को गलत बताया और कहा कि इस खेल को कोई मंजूरी नहीं दी गई है।

इस बात को सुनकर तो शायद आपको यकीन नहीं हो रहा होगा पर यह सच है। स्वीडन एक ऐसा देश बनकर सबके सामने आना चाह रहा था जो सेक्स को एक खेल की पहचान दिलाना चाहता था। और यह भी सच है इस खेल की मेजबानी के बाद स्वीडन का नाम हर शख्स की जुबान पर होता। स्वीडन फेडरेशन सेक्स के प्रेसिडेंट ड्रैगन ब्राटिक के मुताबिक इस खेल से लोगों के बीच मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता।

इस खेल का आयोजन इसी महीने 8 जून से होने वाला था इसमें कुल 20 देश के प्रतिभगियों ने हिस्सा लेने के लिए बाकायदा रजिस्ट्रेशन कराया था। यह प्रतियोगिता कई हफ्तों तक चलने वाली थी इसमें हर प्रतिभागियों को परफॉर्मेंस के लिए हर दिन 6 घंटे का वक्त मिलने वाला था और इसमें हर प्रतियोगी को अपनी गतिविधियों को दिखाने (खुले आम ज़िनाकारी) के लिए 45 से लेकर 1 घंटे तक का समय दिया जाना था। 

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इसमें कुल 16 प्रतियोगिताएं थी जिसमें सेडक्शन, ओरल सेक्स, पेनिट्रेशन, मसाज, अपीयरेंस, मोस्ट एक्टिव कपल जैसी एक्टिविटीज को शामिल किया गया था। इस खेल में जीतने वाले का चुनाव वोटो के आधार पर किया जाना था जिसमें से 70% वोट दर्शकों के और 30% वोट जजों के होते हैं।

नोट: ये झूठी खबर (Fake News) थी जिसे इंडिया के बड़े बड़े न्यूज़ चैनल्स पर प्रसारित किया गया था। 


इस्लाम और ज़िनाकारी

यह तो रहा इस खेल के बारे में अब हम जानते हैं इस्लाम ऐसे खेल के बारे में क्या कहता है। 

इस दौर में ज़िनाकारी जंगल में आग की तरह फैलती चली जा रही है कोई घर इससे महफूज़ नहीं है इल्ला माशाअल्लाह। जिधर भी नज़र उठा के देखा जाए बेहायाई ही बेहयाई फैली हुई है। जिस घर की औरतें खुद को पर्दों में रखना पसंद करती थी उनकी बहु बेटियाँ आज बे-पर्दा घूम रही हैं, मर्दों की उन पर नजर पड़ रही है क्या यह आंखों का जि़ना नहीं है, सोशल मीडिया का दौर चल रहा है लड़के लड़की आपस में दोस्ती कर रहे हैं क्या यह जि़ना नहीं है, देखा जाए तो कदम कदम पर ज़िना किया जा रहा हैं और हमें इस बात की खबर भी नहीं है। सिर्फ हमबिस्तरी करना जि़ना नहीं है बल्कि किसी को हमबिस्तरी करते देखना भी जि़ना है।

हर चीज़ में बुराई और अच्छाई दोनों है, यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम किस चीज का किस तरह से इस्तेमाल करते हैं। जैसे मोबाइल, मोबाइल जैसी डिवाइस का अच्छा यूज़ भी किया जा सकता है और बुरा यूज़ भी पर इस दौर में लोग बुराई की तरफ भाग रहे हैं कहते हैं न कि अच्छाई को फैलाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है मगर बुराई खुद ही फैलती चली जाती है।

और इस डिवाइस का गलत तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है जैसे यूट्यूब पर नंगी फिल्मों को देखना, वीडियो कॉल पर बेहयाई करना, चैट में गलत सलत बातें करना, अपनी बेहुदा तस्वीरें सोशल मीडिया पे शेयर करना वगैरा।

जिस तरह से बेहयाई आम हो रही है, मर्द अपनी नजरों की हिफ़ाज़त नहीं कर रहे और औरतें आधे-अधूरे कपड़े पहन कर नुमाइश कर रही हैं। मोहल्ले पड़ोस में देखा जाए तो लड़का-लड़की आपस में एक दूसरे से नाजायज़ ताल्लुक़ात जोड़े हुए हैं। कुछ लड़कियां घर से यह कहकर निकलती है कि हम कॉलेज या कोचिंग जा रहे हैं लेकिन वह होटल के कमरों में पहुंची रहती हैं। 

एक रिपोर्ट के मुताबिक़, अगर कोई निकाह के बाद अपने पुराने आशिक़ या किसी और के साथ ज़िना करता/करती है तो ये जुर्म नहीं होगा। अगर बीवी या शौहर में से किसी को ऐतराज हो तो वो खुला/तलाक़ ले सकते हैं पर एक दूसरे को बेहयाई करने से रोका नहीं जा सकता। सरकार इस नियम को लागू करके ज़िनाकारी को बढ़ावा दे रही है। ये बात सिर्फ यही तक नहीं रह गई कई मुल्कों में ऐसे ताल्लुक़ात पर कोई ऐतराज़ नहीं किया जाता यहाँ तक की लोग सड़कों पर, गाड़ियों में ज़िना करते हैं और उन पर कोई पाबन्दी नहीं लगाई जाती। वो वक़्त दूर नहीं जब हमारे मुल्क में लोगों के अंदर से शर्म हया ख़तम हो जाएगी, क्यों कि लिव इन रिलेशनशिप, समलैंगिकता और बेश्याबृति जैसे ना जायज़ चीज़ों को अब भारत में भी कानूनी मान्यता दी जा रही है जो काम चोरी छुपे हो रहा था और उसे गुनाह समझा जाता था अब वो खुले आम होगा और अफ़सोस लोग इसे बुरा नहीं अच्छा जानेंगे, कोई उन्हें रोकने वाला नहीं होगा। 

रसूलअल्लाह (ﷺ) ने इरशाद फरमाया, "उस जात की कसम जिसके हाथ में मेरी जान हैं ये उम्मत उस वक्त तक खतम नही होगी जब तक के (ये हालात न हो जाए) आदमी औरत के साथ भरे बाजार जिना करेगा और उस वक्त बेहतरीन आदमी वो होगा जो ये बात कहेगा काश तुम इसे दीवार के पीछे ले जाते।" [मजमा उज़ ज़वाइद 331/7]

इस हदीस को जानने के बाद आपके दिल में यही सवाल उठ रहा होगा के इस चैंपियनशिप के बाद ये बात सच हो जाती तो आप जान लें रसूलअल्लाह (ﷺ) की कही हुए बात कैसे झूठी हो सकती है और वो दिन दूर नहीं है जब ये वजूद में आएगा।

इस खेल में 20 मुल्क हिस्सा लेने वाले थे इसका मतलब सिर्फ ये नहीं के ये खेल यही रुक जाता बल्कि ये स्वीडन से शुरू हो कर मगरिबी मुल्कों में आम हो जाता। खुले आम इसे लाइव टेलीकास्ट किया जाता। मेरे हिसाब से सिर्फ पुख्ता ईमान वाला ही इस बेहयाई को देखने से बच पाता क्यूंकि बुराई बहुत तेज़ी से पैर पसारती है।

हजरत अबु आमिर रजि० से रिवायत हैं कि अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने इरशाद फरमाया, "मेरी उम्मत में कुछ ऐसे लोग पैदा होंगे जो जिनाकारी को हलाल कर लेंगे।" [सहीह बुखारी 5590]

जिस तरह से आज कुछ अरब मुल्कों में शराब को आम कर दिया गया है उसी तरह आने वाले वक़्त में ज़िना भी आम हो जायेगा। लोग इससे बचने की जगह इसमें ख़ुशी ख़ुशी शामिल होंगे, इस बुराई को घर घर आम कर दिया जायेगा। इस बुराई को रोकने वालो को बुरा जाना जायेगा और करने वाले को अच्छा। 

रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया, सात क़िस्म के आदमियों को अल्लाह तआला अपने (अर्श के) साये में रखेगा जिस दिन उसके सिवा और कोई साया न होगा। 
1. इन्साफ़ करने वाला हाकिम, 
2. वो नौजवान जो अल्लाह तआला की इबादत मैं जवान हुआ हो, 
3. वो शख़्स जिसका दिल हर वक़्त मस्जिद में लगा रहे, 
4. दो ऐसे शख़्स जो अल्लाह के लिये मुहब्बत रखते हैं उसी पर वो जमा हुए और उसी पर जुदा हुए, 
5. ऐसा शख़्स जिसे किसी ख़ूबसूरत और इज़्ज़तदार औरत ने बुलाया लेकिन उसने ये जवाब दिया कि मैं अल्लाह से डरता हूँ, 
6. वो इन्सान जो सदक़ा करे और उसे इस दर्जा छिपाए कि बाएँ हाथ को भी ख़बर न हो कि दाहिने हाथ ने क्या ख़र्च किया और 
7. वो शख़्स जो अल्लाह को तन्हाई में याद करे और उसकी आँखें आँसुओं से बहने लग जाएँ। 

[सहीह बुखारी 1423]

"वो शख्स जिसे किसी बाइज्जत और हसीन (beautiful) औरत ने बुरे इरादे से बुलाया लेकिन उसने कह दिया कि मैं अल्लाह से डरता हूं" तो ऐसे शख्स को अल्लाह कयामत के दिन अपने अर्श के साये में जगह देगा जिस दिन उस के साये के सिवा कोई साया न होगा। ये वो इंसान है जो खुद को हर बुराई से बचा कर रखने की कोशिश करता होगा सिर्फ अल्लाह को राज़ी रखने के लिए। 

यहाँ ये भी पता चलता है कि आख़िरत की कामयाबी उनके लिए है जो अपनी नफ़्सों पर क़ाबू पा लेंगे। ये आसान नहीं है पर उसके लिए बहुत आसान है जिसके दिल में अल्लाह का खौफ हो जो उसे हर गुनाह ए अज़ीम (जैसे ज़िनाकारी, बदकारी, झूठ, फरेब, धोख़ा वगैरह) से दूर रखता है। 

दीन ए इस्लाम बहुत आसान है पर इस पर चलना उतना ही मुश्किल लगता है क्यूंकि इसे हमने ही मुश्किल बना लिया है। वक़्त पे निकाह न होना एक बहुत बड़ी वजह है ज़िनाकारी की। लड़का लड़की खुद की पसंद की चाहते है और हम ज़माने और बाप दादा के अमल पर पैरवी करने के चक्कर में उन्हें ज़िना के और करीब कर रहे है। हाँ यें ज़रूर हैं जब आपको मालूम हैं की लड़की और लड़का दोनों ही दीनदार है तो उनका निकाह करा देना चाहिए लेकिन अगर आपको पूरी इंफॉर्मेशन पता है कि वह लड़की है लड़का सही नहीं तो छानबीन की जरूरत है और ऐसी जगह निकाह भी ना करें। 

हमें चाहिए के इस बुराई को बढ़ने से रोका जाये, अपनी आने वाली नई नस्लों को इस बुराई से दूर रखा जाये क्यों हमारी आने वाली नस्ल ही हमारी ताक़त है और कमज़ोरी भी, अगर ये बुराई की तरफ गई तो हमारा पूरा समाज बुराई में डूब जायेगा हमारी नस्लें तबाह हो जायेगी और हम बेबस बन कर ज़माने को कोशते रह जायेंगे। शैतान अपना हर बार अपना कर हमारी नस्लों को गुमराह कर रहा है अगर हमने इस बात पर गौर ओ फ़िक्र न की तो हमारे हाथ कुछ भी नहीं रह जायेगा।


By Islamic Theology

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