क्या अल्लाह 70 माँओ से ज़्यादा अपने बन्दे से प्यार करता है?
ये बात लोगो मे यक़ीन की हद तक मशहूर होगी कि अल्लाह अपने बंदों से 70 माँओ से ज्यादा मोहब्बत करता है।
जब इस बात को हम अल्लाह की किताब और नबी की हदीसों में देखते हैं तो नहीं मिलती लेकिन इतनी बात जरूर मिलती है कि अल्लाह अपने बन्दों की एक मां की रहम दिली से ज़्यादा मेहरबान व रहम दिल है।
चुनाँचे हदीस मे है कि,
हज़रत उमर रज़ि अन्हु से रिवायत है:
नबी करीम (सल्ल०) के पास कुछ क़ैदी आए। क़ैदियों में एक औरत थी जिसका पिस्तान (छाती) दूध से भरा हुआ था और वो दौड़ रही थी इतने में एक बच्चा उसको क़ैदियों में मिला उसने झट अपने पेट से लगा लिया और उसको दूध पिलाने लगी। हम से नबी करीम (सल्ल०) ने फ़रमाया कि क्या तुम ख़याल कर सकते हो कि ये औरत अपने बच्चे को आग में डाल सकती है हमने कहा कि नहीं जब तक उसको क़ुदरत होगी ये अपने बच्चे को आग में नहीं फेंक सकती। नबी करीम (सल्ल०) ने इस पर फ़रमाया कि “अल्लाह अपने बन्दों पर उस से भी ज़्यादा रहम करने वाला है जितना ये औरत अपने बच्चे पर मेहरबान हो सकती है।" [सहीह बुखारी 5999]
इसलिए कहा जा सकता है कि अल्लाह ताला माँ कि रेहम दिली से ज्यादा अपने बंदों पर मेहरबान है मगर यह नहीं कहा जाएगा कि अल्लाह 70 माँओ से ज्यादा बंदो से मोहब्बत करता है। इसकी वजह यह है कि इसकी कोई दलील नहीं है और जिसकी कोई दलील ना हो उसको कहना ही दुरुस्त नहीं।
अल्लाह ताला 70 माँओ क्या 70 माँओ से ज्यादा भी मोहब्बत कर सकता है। लेकिन तादाद को मुकर्रर कर लेना बगैर दलील दुरुस्त नहीं।
एक शुबह (शक):
कहा जाता है कि अगर अल्लाह 70 माँ से ज्यादा बंदे से मोहब्बत करता है तो फिर जमीन पर काफिर क्यों है और वह जहन्नम में क्यों जाएंगे?
जवाब:
(01) यह बात ही गलत है कि अल्लाह 70 माँ से ज्यादा अपने बंदों से मोहब्बत करता है। जब यह बात ही गलत है तो यह महफूजा कायम करना ही सही नहीं।
(02) अल्लाह तमाम बंदों पर रहम दिल है चाहे वह काफिर हो या मुस्लिम क्योंकि इसकी एक सिफत रहमान भी है यानी मेहरबानी करने वाला इसी वजह से हम देखते हैं कि अल्लाह दुनिया में काफिर लोगो को भी रोजी देता है और दुनिया भी फैसिलिटी इसको मुहैया कराता है यह अल्लाह की मेहरबानी का सिर्फ एक हिस्सा है।
इसी तरह अबू हुरेरा रज़ि अन्हु बयान करते हैं:
मैंने रसूलुल्लाह (सल्ल०) से सुना नबी करीम (सल्ल०) ने फ़रमाया कि “अल्लाह ने रहमत के सौ हिस्से बनाए और अपने पास उन में से निन्यानवे (99) हिस्से रखे सिर्फ़ एक हिस्सा ज़मीन पर उतारा और उसी की वजह से तुम देखते हो कि मख़लूक़ एक-दूसरे पर रहम करती है यहाँ तक कि घोड़ी भी अपने बच्चे को अपने सुम नहीं लगने देती बल्कि सुमों को उठा लेती है कि कहीं उस से उसके बच्चे को तकलीफ़ न पहुँचे।" [सहीह बुखारी 6000]
यानि अल्लाह अपने बंदों पर मेहरबान है मगर वह अपने हर बंदे से मोहब्बत नहीं करता। मोहब्बत और रहम में फर्क है अल्लाह ईमान वालो से, हक़ परस्तो से, सादिको से, फरमाबरदारों से मोहसिनीन (एहसान करने वाले) से मोहब्बत करता है। मगर ज़ालिमो और काफिरों से मोहब्बत नहीं करता।
अल्लाह ताला का फरमान है:
"ऐ नबी, आप कह दीजिए कि अल्लाह और उसके रसूल की इतात करो, अगर वो इराज़ करें (मुँह मोड़ लें) तो यकीनन अल्लाह काफिरो को पसंद नहीं करता।" [सुरह इमरान 32]
इस आयत का मतलब यह हुआ कि जो अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाते हैं और उनकी बातें मानते हैं अल्लाह उन्हीं से मोहब्बत करता है। और जो इतात क़ुबूल नहीं करते अल्लाह इन से मोहब्बत नहीं करता।
(3) थोड़ी देर के लिए मान लेते हैं कि अल्लाह 70 माँओ से ज्यादा मोहब्बत करता है अपने बंदों से तो जब एक मां अपने बच्चे को तकलीफ में नहीं देख सकती तो अल्लाह इस से ज्यादा मोहब्बत करने के बावजूद अपने बन्दों को अज़ाब कैसे देगा?
इस बात पर हम आपसे सवाल करते हैं कि क्या कोई मां पसंद करेगी कि उसकी औलाद उसे गाली दे, उसको सताए, उसको मारे पीटे या उसके शोहर के साथ बुरा सुलूक करें?
आप कहेंगे: नहीं
मिसाल के तौर पर एक बेटे ने अपने बाप को कत्ल कर दिया तो क्या उसकी मां खामोश रहेगी या इंसाफ करना पसंद करेगी?
अगर वाकई अच्छी मां होगी शोहर से मोहब्बत करने वाली होगी तो अदालत से सजा तलब करेगी या खुद उसे सजा देगी। इसीलिए हम देखते हैं कि मां अपने हर बच्चे और जो नाफरमान हो उससे कम प्यार करती है।
इसी तरह यही इंसाफ अल्लाह भी करता है जो जालिम है उसे जुल्म की सजा देता है और जो एहसान करने वाला है उसको अच्छा बदला देता है।
दुनिया का भी यही दस्तूर है अगर आपके माँ-बाप या घर के किसी सदस्य को ज़ालिम ने कत्ल कर दिया हो आप उसको ऐसे ही छोड़ देंगे या इंसाफ तलब करेंगे?
तो अल्लाह ताला कैसे इंसाफ ना करेगा जबकि वह इंसाफ करने वाला है।
जाते जाते एक बात कहूंगा कि अगर अल्लाह 70 माँओ से ज्यादा मोहब्बत करता है अपने बन्दों या बंदी से तो एक मां के 5 बच्चे होते हैं उन बच्चों की रोजी-रोटी वह माँ ही है लेकिन अल्लाह ताला उस मां को मौत क्यूं देता है?
मुहम्मद
3 टिप्पणियाँ
Jazzak Allah khair, Raza bhai
जवाब देंहटाएंक्या सभि गैर मुस्लिम काफिर है।
जवाब देंहटाएंIs group se bahut kuch seekhne ko milta h jiska kabhi zahen me khayal bhi ni ata tha
जवाब देंहटाएंकृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।