Momin Mard aur momin aurat ki sifat kya hai?

Momin Mard aur momin aurat ki sifat kya hai?


सच और झूट (पार्ट-1)

सच बोलना नेकी है जिसपर अल्लाह ईनाम देगा और झूट बोलना गुनाह ए कबीरा है जिसपर अल्लाह सजा़ देगा। झूट बोलना इतना बड़ा गुनाह है कि नबी करीम ﷺ ने सहाबा (रज़ी०) से कहा कि मैं तुम्हें सबसे बड़ा गुनाह न बताऊँ?

सहावा (रज़ी०) ने कहा, ज़रूर बताइये या रसूलुल्लाह! आप ﷺ ने फ़रमाया कि “अल्लाह के साथ शिर्क करना और माँ-बाप की नाफ़रमानी करना।"

नबी करीम ﷺ उस वक़्त टेक लगाए हुए थे। अब आप सीधे बैठ गए और फ़रमाया, "आगाह हो जाओ झूटी बात भी और झूटी शहादत भी (सबसे बड़े गुनाह हैं)।"

नबी करीम ﷺ इसे मुसलसल दोहराते रहे और सहाबा (रज़ी०) ने सोचा कि नबी करीम ﷺ ख़ामोश नहीं होंगे।

[सहीह बुखारी : 5976]

इस हदीस को पढ़कर हमे समझ आया कि झूट बोलना बहुत बड़ा गुनाह है जिससे बचने की नबी करीम ﷺ ने उम्मत को बहुत ताकीद की है। 


नबी करीम ﷺ ने फरमाया, "झूट बोलना गुनाह ए कबीरा में से है।" [सहीह मुस्लिम : 260]

अल्लाह के फरमाबरदार और नाफरमान बंदों के दरमियान फर्क सच और झूठ का है। अल्लाह के फरमाबरदार बंदों को जितनी नफरत झूट से होती है उससे कही ज्यादा प्यार उन्हे सच बोलने से होता है। अल्लाह के फरमाबरदार बंदे हमेशा सच्चाई और इंसाफ का साथ देते है चाहे उनकी सच्चाई की मार खुद उनकी अपनी ज़ात पर या उनके अपने करीबियों पर ही क्यों न पड़ती हो। कुरान (सूरह निसा) में अल्लाह ने मोमिनों को इसी बात का हुक्म दिया है।

"ऐ लोगो जो ईमान लाए हो, इंसाफ़ के अलमबरदार [झंडा वाहक] और अल्लाह के लिये गवाह बनो, भले ही तुम्हारे इंसाफ़ और तुम्हारी गवाही की ज़द [मार] ख़ुद तुम्हारी अपनी ज़ात पर या तुम्हारे माँ-बाप और रिश्तेदारों पर ही क्यों न पड़ती हो।" [कुरान 4:135]

नबी करीम ﷺ ने फरमाया, "किसी भी आदमी के दिल में ईमान व कुफ्र जमा नहीं हो सकते और न ही सच्चाई और झूट जमा हो सकते है। (मतलब कोई आदमी या तो सच्चा होगा या झूठा)" [अल सिलसिला सहिहा : 1151]

सच बोलना मोमिन होने की निशानी है और वहीं झूट बोलना मुनाफिक और काफिर होने की निशानी है।


सच बोलना अंबिया ए किराम की खुसूसियात में से है।

अल्लाह के जितने भी अंबिया ए किराम इस दुनिया में आए उन सबकी तमाम खूबियों में से अल्लाह ने उनके सच बोलने की खूबी को उनके साथ ज़िक्र किया है।


1. हजरत इब्राहिम (आले०) के बारे मे अल्लाह ने कहा:

وَ اذۡکُرۡ فِی الۡکِتٰبِ اِبۡرٰہِیۡمَ ۬ ؕ اِنَّہٗ کَانَ صِدِّیۡقًا نَّبِیًّا

"और इस किताब में इबराहीम का क़िस्सा बयान करो। बेशक वो एक सच्चा इन्सान और एक नबी था।" [कुरान 19:41]


2. हजरत इस्माईल (आले०) के बारे मे अल्लाह ने कहा:

وَ اذۡکُرۡ فِی الۡکِتٰبِ اِسۡمٰعِیۡلَ ۫ اِنَّہٗ کَانَ صَادِقَ الۡوَعۡدِ وَ کَانَ رَسُوۡلًا نَّبِیًّا

"और इस किताब में इस्माईल का ज़िक्र करो। वो वादे का सच्चा था और रसूल-नबी था।" [कुरान 19:54]


3. हजरत इदरीस (आले०) के बारे मे अल्लाह ने कहा:

وَ اذۡکُرۡ فِی الۡکِتٰبِ اِدۡرِیۡسَ ۫ اِنَّہٗ کَانَ صِدِّیۡقًا نَّبِیًّا

"और इस किताब में इदरीस का ज़िक्र करो। वो एक सच्चा इन्सान और एक नबी था।" [कुरान 19:56]


4. हजरत यूसुफ (आले०) की सच्चाई की गवाही खुद उन पर झूटा इल्जाम लगाने वाली मिस्र की औरतों ने दी-

قَالَ مَا خَطۡبُکُنَّ اِذۡ رَاوَدۡتُّنَّ یُوۡسُفَ عَنۡ نَّفۡسِہٖ ؕ قُلۡنَ حَاشَ لِلّٰہِ مَا عَلِمۡنَا عَلَیۡہِ مِنۡ سُوۡٓءٍ ؕ قَالَتِ امۡرَاَتُ الۡعَزِیۡزِ الۡئٰنَ حَصۡحَصَ الۡحَقُّ ۫ اَنَا رَاوَدۡتُّہٗ عَنۡ نَّفۡسِہٖ وَ اِنَّہٗ لَمِنَ الصّٰدِقِیۡنَ 

इसपर बादशाह ने उन औरतों से मालूम किया, “तुम्हारा क्या तजरिबा है उस वक़्त का जब तुमने यूसुफ़ को रिझाने की कोशिश की थी?” सबने एक ज़बान होकर कहा, “अल्लाह की पनाह! हमने तो उसमें बुराई की झलक तक न पाई।” अज़ीज़ की बीवी बोल उठी, “अब सच खुल चुका है। वो मैं ही थी जिसने उसको फुसलाने की कोशिश की थी, बेशक वो (यूसुफ) बिलकुल सच्चा है।” [कुरान 12:51]


5. आखिरी पैगम्बर हजरत मुहम्मद ﷺ की सच्चाई की गवाही।

हमारे प्यारे नबी मुहम्मद ﷺ की सच्चाई की गवाही तो पूरा अरब दिया करता था और यहां तक की जिन लोगों ने उनको नबी मानने से इंकार कर दिया वह भी उनकी सच्चाई की गवाही दिया करते थे। नबी करीम ﷺ को पूरा अरब सादिक (यानी सच्चा) और अमीन (यानी अमानतदार) के नाम से जानता था।  

जब आयत وأنذر عشيرتك الأقربين‏ ''और आप अपने ख़ानदानी क़राबत दारों को डराते रहिये" नाज़िल हुई। तो नबी करीम ﷺ सफ़ा पहाड़ी पर चढ़ गए और पुकारने लगे। ऐ बनी-फ़हर! और ऐ बनी अदी! और क़ुरैश के दूसरे ख़ानदान वालो! इस आवाज़ पर सब जमा हो गए अगर कोई किसी वजह से न आ सका तो उसने अपना कोई चौधरी भेज दिया ताकि मालूम हो कि क्या बात है। अबू-लहब क़ुरैश के दूसरे लोगों के साथ मजमअ में था।

नबी करीम ﷺ ने उन्हें ख़िताब करके फ़रमाया कि, "तुम्हारा क्या ख़याल है अगर मैं तुम से कहूँ कि वादी में (पहाड़ी के पीछे) एक लशकर है और वो तुम पर हमला करना चाहता है तो क्या तुम मेरी बात सच मानोगे? सबने कहा कि हाँ हम आपकी तस्दीक़ करेंगे हमने हमेशा आप को सच्चा ही पाया है। नबी करीम (सल्ल०) ने फ़रमाया कि फिर सुनो मैं तुम्हें उस सख़्त अज़ाब से डराता हूँ जो बिल्कुल सामने है। [सहीह बुखारी : 4770]


अल्लाह ने कुरान में जगह जगह सच बोलने की ताकीद की है।

सूरह अहजाब आयत 70-71 में अल्लाह फरमाता है:-


یٰۤاَیُّہَا الَّذِیۡنَ اٰمَنُوا اتَّقُوا اللّٰہَ وَ قُوۡلُوۡا قَوۡلًا سَدِیۡدًا 

"ऐ ईमान लानेवालो, अल्लाह से डरो और ठीक बात किया करो।" (कुरान 33:70)

इस आयत की तफसीर में उलेमा ए इकराम लिखते है कि यहां ठीक बात से मुराद सीधी और सच्ची बात है।


یُّصۡلِحۡ لَکُمۡ اَعۡمَالَکُمۡ وَ یَغۡفِرۡ لَکُمۡ ذُنُوۡبَکُمۡ ؕ وَ مَنۡ یُّطِعِ اللّٰہَ وَ رَسُوۡلَہٗ فَقَدۡ فَازَ فَوۡزًا عَظِیۡمًا

"अल्लाह तुम्हारे आमाल दुरुस्त कर देगा और तुम्हारे क़ुसूरों को अनदेखा कर देगा। जो आदमी अल्लाह और उसके रसूल का कहा माने उसने बड़ी कामयाबी हासिल की।" [कुरान 33:71]

सच बोलने पर अल्लाह अपने बंदे के आमाल दुरुस्त कर देता है और सच बोलने की वजह से ही अल्लाह अपने बंदे के बहुत से गुनाहों को माफ कर देता है।


मोमिन मर्द और मोमिना औरत की सिफत

सच बोलना मोमिन मर्द और मोमिना औरत की सिफत है जिसका जिक्र अल्लाह ने कुरान में किया है:-

اِنَّ الۡمُسۡلِمِیۡنَ وَ الۡمُسۡلِمٰتِ وَ الۡمُؤۡمِنِیۡنَ وَ الۡمُؤۡمِنٰتِ وَ الۡقٰنِتِیۡنَ وَ الۡقٰنِتٰتِ وَ الصّٰدِقِیۡنَ وَ الصّٰدِقٰتِ وَ الصّٰبِرِیۡنَ وَ الصّٰبِرٰتِ وَ الۡخٰشِعِیۡنَ وَ الۡخٰشِعٰتِ وَ الۡمُتَصَدِّقِیۡنَ وَ الۡمُتَصَدِّقٰتِ وَ الصَّآئِمِیۡنَ وَ الصّٰٓئِمٰتِ وَ الۡحٰفِظِیۡنَ فُرُوۡجَہُمۡ وَ الۡحٰفِظٰتِ وَ الذّٰکِرِیۡنَ اللّٰہَ کَثِیۡرًا وَّ الذّٰکِرٰتِ ۙ اَعَدَّ اللّٰہُ لَہُمۡ مَّغۡفِرَۃً وَّ اَجۡرًا عَظِیۡمًا

"यक़ीनन जो मर्द और औरतें मुस्लिम हैं, मोमिन हैं, फ़रमाँबरदार हैं, सच्चे हैं, सब्र करनेवाले हैं, अल्लाह के आगे झुकनेवाले हैं, सदक़ा देनेवाले हैं, रोज़ा रखनेवाले हैं, अपनी शर्मगाहों (छिपे अंगों) की हिफ़ाज़त करनेवाले हैं, और अल्लाह को बहुत ज़्यादा याद करनेवाले हैं, अल्लाह ने उनके लिये माफ़ी और बड़ा बदला तैयार कर रखा है।" [कुरान 33:35]


अल्लाह ने हमे सिर्फ सच बोलने का ही नहीं बल्कि सच्चे लोगों का साथ देने का भी हुक्म दिया है। अल्लाह फरमाता है:-

یٰۤاَیُّہَا الَّذِیۡنَ اٰمَنُوا اتَّقُوا اللّٰہَ وَ کُوۡنُوۡا مَعَ الصّٰدِقِیۡنَ

"ऐ लोगो जो ईमान लाए हो ! अल्लाह से डरो और सच्चे लोगों का साथ दो।" [कुरान 9:119]


सच बोलने का ईनाम अल्लाह कब देगा?

दुनिया में भले ही इंसान को सच बोलने पर नुकसान हो सकता है लेकिन अल्लाह अपने सच्चे बंदे को आखिरत में जन्नत के रूप में बहुत बड़ा ईनाम देगा। आखिरत (हिसाब किताब का दिन) में अल्लाह कहेगा:

قَالَ اللّٰہُ ہٰذَا یَوۡمُ یَنۡفَعُ الصّٰدِقِیۡنَ صِدۡقُہُمۡ ؕ لَہُمۡ جَنّٰتٌ تَجۡرِیۡ مِنۡ تَحۡتِہَا الۡاَنۡہٰرُ خٰلِدِیۡنَ فِیۡہَاۤ اَبَدًا ؕ رَضِیَ اللّٰہُ عَنۡہُمۡ وَ رَضُوۡا عَنۡہُ ؕ ذٰلِکَ الۡفَوۡزُ الۡعَظِیۡمُ

तब अल्लाह कहेगा, “ये वो दिन है जिसमें सच्चों को उनकी सच्चाई फ़ायदा देती है। उनके लिये ऐसे बाग़ हैं जिनके नीचे नहरें बह रही हैं, यहाँ वो हमेशा रहेंगे, अल्लाह उनसे राज़ी हुआ और वो अल्लाह से, यही बड़ी कामयाबी है।” [कुरान 5:19]

इस आयत से पता चला की सच बोलने वाले से अल्लाह राज़ी हो जाता है।


وَ الَّذِیۡ جَآءَ بِالصِّدۡقِ وَ صَدَّقَ بِہٖۤ اُولٰٓئِکَ ہُمُ الۡمُتَّقُوۡنَ

"और जो कोई सच्चाई लेकर आया और जिन्होंने उसको सच माना, वही अज़ाब से बचनेवाले हैं।" [कुरान 39:33]


لَہُمۡ مَّا یَشَآءُوۡنَ عِنۡدَ رَبِّہِمۡ ؕ ذٰلِکَ جَزٰٓؤُا الۡمُحۡسِنِیۡنَ

"उन्हें अपने रब के यहाँ वो सब कुछ मिलेगा जिसकी वो ख़ाहिश करेंगे, ये है नेकी करनेवालों का बदला।" [कुरान 39:34]

ये बात सामने रहे कि उपर की आयत में फ़िल-जन्नति (जन्नत में) नहीं, बल्कि इन-द रब्बिहिम (उनके रब के यहाँ) के अलफ़ाज़ कहे गए हैं और ज़ाहिर है कि अपने रब के यहाँ तो बन्दा मरने के बाद ही पहुँच जाता है। इसलिये आयत का मंशा ये मालूम होता है कि जन्नत में पहुँचकर ही नहीं, बल्कि मरने के वक़्त से जन्नत में दाख़िल होने तक के ज़माने में भी नेक ईमानवाले के साथ अल्लाह का मामला यही रहेगा। वो बरज़ख़ के अज़ाब से, क़ियामत के दिन की सख़्तियों से, हिसाब की सख़्ती से, हश्र के मैदान की रुसवाई से, अपनी कोताहियों और क़सूरों पर पकड़ से लाज़िमन बचना चाहेगा और अल्लाह उसकी ये सारी ख़ाहिशें पूरी करेगा।.... आगे जारी है।

अल्हम्दुलिल्लाह इस आर्टिकल मे हमने "सच क्या है, इसे बोलने के फायदे और इसका ईनाम अल्लाह कब देगा?" जान चुके है अगले पार्ट में इन शा अल्लाह हम "झूट बोलना क्या है और इसके छोटे बड़े नुकसानात" के बारे में जानेंगे।


आपकी दीनी बहन
निशा यासीन

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

क्या आपको कोई संदेह/doubt/शक है? हमारे साथ व्हाट्सएप पर चैट करें।
अस्सलामु अलैकुम, हम आपकी किस तरह से मदद कर सकते हैं? ...
चैट शुरू करने के लिए यहाँ क्लिक करें।...