Jannati aurton ki sardar kon-kon hain? (part-2)

Jannati aurton ki sardar kon-kon hain? part-2


जन्नती औरतों की सरदार (क़िस्त 2)


2. मरयम बिन्ते इमरान अलैहिस्सलाम

बनी इस्राईल में एक व्यक्ति थे जिनका नाम इमरान था। जब इमरान की पत्नी गर्भवती हुईं तो उन्होंने मन्नत मानी और कहा,

"ऐ मेरे रब जो मेरे पेट में है तेरी नज़र करती हूं उसे तू क़ुबूल कर ले आप सुनने और जानने वाले हैं" (सूरह 02 आले इमरान आयत 35)

इमरान की पत्नी के दिमाग़ में तो यह बात थी कि उनके यहां लड़का पैदा होगा जिसे वह अल्लाह के रास्ते में वक़्फ़ कर देंगी लेकिन जब उनके यहां उम्मीद के ख़िलाफ़ लड़के के बजाय लड़की ने जन्म लिया तो उन्हें दुख हुआ और चिंता व्यक्त करते हुए बोलीं "मेरे रब यह क्या? मैंने तो लड़की को जन्म दिया है और लड़की लड़के के समान कदापि नहीं हो सकती।" (सूरह 02 आले इमरान आयत 36)

लेकिन उन्होंने सच्चे दिल से नज़र मानी थी इसलिए लड़की का नाम मरयम रखा और अल्लाह के रस्ते में वक़्फ़ करते हुए यह दुआ की "मैं उसे और उसकी नस्ल को शैतान मरदूद के फ़ितने से तेरी पनाह में देती हूं।" (सूरह 02 आले इमरान आयत 37)


अल्लाह ने उन्हें ख़ुशी ख़ुशी क़ुबूल कर लिया। 

मरयम के ख़ालू ज़करिया अलैहिस्सलाम अल्लाह के नबी थे। उनका निवास बैतूल मुक़द्दस के पास था चुनांचे उन्हीं को मरयम का सरपरस्त बना दिया और बड़ी अच्छी लड़की बना कर उठाया।

मरयम बैतूल मुक़द्दस में बने एक मेहराब में रहने लगीं उनपर अल्लाह की विशेष कृपा थी।

"जब जब ज़करिया अलैहिस्सलाम मेहराब में उनके पास आते तो कुछ न कुछ खाने पीने का सामान (और बे मौसम फल) देखते तो हैरत से पूछते ऐ मरयम! यह तमाम चीज़ें तुम्हारे पास कहाँ से आईं। मरयम जवाब देतीं अल्लाह के यहां से, बेशक अल्लाह जिसे चाहता है बेहिसाब देता है।" (सूरह 002 आले इमरान आयत 37)


मरयम मेहराब में अकेली रहती थीं उन्होंने अपनी इज़्ज़त की हिफ़ाज़त की, वह हर मामले में अल्लाह की तरफ़ पलटने वाली थीं। ज़करिया अलैहिस्सलाम उन्हें देखते देखते समझ गए थे कि अल्लाह उनके साथ कोई ख़ास मामला करने वाला है और दुनिया और आख़िरत दोनों में उन्हें इज़्ज़त अता करना चाहता है। 

एक दिन मरयम के पास फ़रिश्ता आया और मरयम को ख़ुशख़बरी सुनाई,

"ऐ मरयम बेशक अल्लाह ने तुम्हें चुन लिया है और पाक साफ़ कर दिया है और तुम्हें दुनिया की तमाम औरतों पर फ़ज़ीलत अता की है। ऐ मरयम तुम अपने रब की फ़रमाबरदार बन जा और रुकूअ सज्दा करने वालों के साथ रुकूअ सज्दा करो।" (सूरह 002 आले इमरान आयत 42, 43)


तख़लीक़ अनोखी सी मंज़ूर थी ख़ालिक़ को

मरयम तो शर्म और लज्जा का प्रतीक थीं पाकीज़गी उनका ज़ेवर था। एक दिन वह अपने लोगों से अलग हट कर पूर्वी तरफ़ एक किनारे पर पर्दा डालकर बैठी थीं कि अल्लाह का एक फ़रिश्ता इंसान के रूप में आया मरयम देखते ही बोल पड़ीं अगर तुम अल्लाह के नेक बंदे हो तो मैं तुमसे रहमान की पनाह चाहती हूं, फ़रिश्ते ने कहा मैं तो तुम्हारे रब का रसूल (दूत) हूं और तुम्हें एक लड़के की ख़ुशख़बरी देने आया हूं।

मरयम तो सकते में आगईं क्योंकि उनके सामने समाज था लोगों का एक समूह था और लोगों में उनका सम्मान था सब उन्हें एक दीनदार लड़की तसव्वुर करते थे। और बिना विवाह के गर्भ की वह सोच भी कैसे सकते थे यह मरयम के लिए बड़ा कठिन मरहला था वह बोलीं मेरे यहां भला लड़का कैसे जन्म ले सकता है जबकि किसी मर्द ने अब तक मुझे हाथ भी नहीं लगाया है और न मैं कोई बदकार औरत हूं।

लेकिन अल्लाह के इरादे, उसकी हिकमत और उसके काम के सामने किसकी मजाल है कुछ रुकावट डाल सके चुनांचे फ़रिश्ते ने जवाब दिया ऐसा ही होगा अल्लाह जैसा चाहता है करता है वह तो जब किसी काम को करने का इरादा करता है तो कहता है हो जा और वह पलक झपकते हो जाता है। तेरा रब कहता है कि ऐसा करना मेरे लिए बहुत आसान है ऐसा यूं भी करना है कि हम इस लड़के को एक निशानी बनाएं और रहमत भी।


अल्लाह ने फ़रिश्ते के द्वारा लड़के का नाम और पूरी तफ़सील भी बता दी कि वह लड़का कैसा होगा।

"फ़रिश्ते ने कहा ऐ मरयम अल्लाह तुम्हे एक कलमे की ख़ुशख़बरी देता है जिसका नाम मसीह ईसा बिन मरयम होगा दुनिया और आख़िरत दोनों में इज़्ज़त वाला होगा और अल्लाह के क़रीबी बंदों में उसकी गिनती होगी वह लोगों से दूध पीते हुए बात करेगा और बड़ी उम्र को पहुंच कर भी और वह बहुत ही नेक होगा(सूरह 002 आले इमरान आयत 45 से 47)


मरयम को उस बच्चे का गर्भ रह गया इसलिए वह दूर एक स्थान पर चली गईं फिर प्रसव पीड़ा (birth pain) के कारण वह एक पेड़ के नीचे चली गईं और कहने लगीं काश मैं इस दिन से पहले ही मर कर भूल भुलैया हो गई होती उसी समय फ़रिश्ता उपस्थित हुआ और उसने पुकारते हुए कहा, "ग़म न करो तुम्हारे रब ने तुम्हारे नीचे चश्मा जारी कर दिया है तुम अपने हाथ से ज़रा इस पेड़ के तने को हिलाओ तुम्हारे ऊपर साफ़ और स्वादिष्ट खुजूरें टपक पड़ेंगी उसे तुम खाओ और पियो और अपनी आंखें ठंढी करो" (सूरह 19 मरयम आयत 23 से 25)


अब समस्या यह थी कि मरयम लड़के को लेकर कहां जाएं जब कोई व्यक्ति उनकी गोद में बच्चा देखेगा तो उनसे फ़ौरन सवाल करेगा कि हे मरयम यह तुमने क्या किया है? तो उनका जवाब क्या होगा और क्या इनके जवाब से लोग मुतमइन होंगे। यह सोच सोच कर वह परेशान थीं कि अल्लाह ने उस मरहले को भी आसान कर दिया, फ़रिश्ता आया और उसने मरयम से कहा, "अगर तुम्हारी किसी पर नज़र पड़े और वह कुछ कहे तो उस से कह दो कि मैंने रहमान के लिए चुप के रोज़े की नज़र मानी है इसलिए आज किसी से बात नहीं कर सकती" (सूरह 19 मरयम आयत 26) और हाथ से बच्चे की तरफ़ इशारा कर देना।  


अब मरयम अपने बच्चे को गोद में उठाये हुए अपनी क़ौम के पास आईं तो लोगों ने वही कहा जिसका उन्हें डर था क़ौम ने कहा, "हे मरयम यह तो तुम ने बड़ा घोर पाप किया है। ऐ हारून की बहन न तो तुम्हारा बाप बुरा आदमी था और न तुम्हारी मां ही कोई बदकार औरत थी" (सूरह 19 मरयम आयत 27, 28)


मरयम ने अल्लाह के आदेशनुसार कोई जवाब नहीं दिया बल्कि केवल बच्चे की जानिब इशारा कर दिया। ख़ुद को अक़्लमंद समझने वाले भला मरयम के इस ख़ामोश जवाब और इशारे को क्या समझते उनकी अक़्ल तो जवाब दे गई थी वह बोल पड़े, "मां की गोद में एक दूध पीते बच्चे से हम क्या बात करें।" (सूरह 19 मरयम आयत 29)


जब किसी कुँवारी औरत पर ज़िना का इल्ज़ाम लगता है और वह ऐसे हो कि बच्चा गोद में दूध पी रहा हो तो उस औरत का जवाब कौन सुनेगा और कौन यक़ीन करेगा इसलिए उसी समय अल्लाह ने दूध पीते बच्चे को ऐसा बोलना सिखाया कि बड़े बड़े लोग भी वैसी प्रभावित और स्पष्ट बात नहीं कर सकते। "बच्चा बोल पड़ा मैं अल्लाह का बंदा हूं, अल्लाह ने मुझे किताब (इंजील) दी है और नबी बनाया है, मैं चाहे जहां रहूं मुझे बा बरकत बनाया है, मुझे जीवन भर नमाज़ और ज़कात की वसीयत की है, मां का आज्ञाकारी बनाया है और मुझे ज़ालिम और बदबख़्त नहीं बनाया है। सलाम है मुझपर जिस दिन मैंने जन्म लिया, जब मेरी मौत होगी और जब मैं ज़िंदा करके पुनः उठाया जाऊंगा" (सूरह 19 मरयम आयत 30 से 33)

लेकिन इतनी स्पष्टता के बावजूद भी यहूदी और ईसाई दोनों मरयम के विषय में ग़लत अक़ीदे के शिकार हो गए। यहूदियों ने यूसुफ़ नज्जार नाम के एक व्यक्ति से मंसूब करके उनपर बदकारी का इल्ज़ाम लगाया जबकि ईसाईयों ने उन्हें इस क़दर बढ़ा दिया कि ईसा को अल्लाह का बेटा और मरयम को बीवी क़रार देकर तीन ख़ुदा यानी तस्लीस (Trinity) के झूठे अक़ीदे को जन्म दिया। (नऊज़ुबिल्लाह मिन ज़ालिक) 


अल्लाह तआला ने यहूदियों और ईसाईयों दोनों का खंडन करते हुए मरयम और उनके बेटे ईसा को दुनिया वालों के लिए एक निशानी बना दिया।

"मरयम और उसके बेटे को हमने एक निशानी बनाया उसे एक बुलंद ज़मीन पर ठिकाना दिया जो एक शांतिपूर्ण जगह थी और जहां से साफ़ सुथरा पानी बहता था।"  (सूरह 23 अल मुमेनून आयत 50)


और मरयम को सच्ची और पाकीज़ा औरत क़रार दिया।

"मरयम के बेटे मसीह तो केवल रसूल थे उनसे पहले भी बहुत से रसूल गुज़र चुके थे और उनकी मां सच्ची सीधी पाक औरत थी" (सूरह 005 अल मायेदा आयत 75)


 मरयम की पाकीज़गी का एक कारण यह भी था जैसा कि हदीस में है,

 مَا مِنْ بَنِي آدَمَ مَوْلُودٌ إِلَّا يَمَسُّهُ الشَّيْطَانُ حِينَ يُولَدُ فَيَسْتَهِلُّ صَارِخًا مِنْ مَسِّ الشَّيْطَانِ غَيْرَ مَرْيَمَ وَابْنِهَا

बनी आदम में जब किसी के यहां बच्चा पैदा होता है तो पैदाइश के समय शैतान उसे छूता है और बच्चा शैतान के छूने से ज़ोर ज़ोर से चीख़ता है केवल मरयम और उसके बेटे ईसा के साथ ऐसा मामला नहीं था क्योंकि मरयम की मां ने दुआ की थी। 

إِنِّيٓ أُعِيذُهَا بِكَ وَذُرِّيَّتَهَا مِنَ ٱلشَّيۡطَٰنِ ٱلرَّجِيمِ 

 मैं इसे और इसकी आने वाली नस्ल को शैतान के शर से तेरी पनाह में देती हूं। (सही बुख़ारी 3431, 4548/किताब अहादीसुल अंबिया सूरह मरयम आयत 36 के तहत, सही मुस्लिम 6133)


क़ुरआन में अल्लाह ने चार औरतों को मिसाल में पेश किया। पहली दो मिसालें नूह और लूत अलैहिमस्सलाम की बीवियों की हैं जो नबी की बीवियां होने के बावजूद ईमान नहीं लाईं और अल्लाह के साथ कुफ़्र किया और अपना ठिकाना जहन्नम में बना लिया जबकि तीसरी मिसाल आसिया बिन्ते मुज़ाहिम रज़ि अल्लाहु अन्हा की बयान की कि जो एक ज़ालिम बादशाह की बीवी थीं लेकिन ईमान लाईं और शहीद होकर जन्नत की सरदार बन गईं और चौथी मिसाल मरयम की बयान हुई है।

"और इमरान की बेटी मरयम जिसने अपनी शर्मगाह (गुप्तांग) की हिफ़ाज़त की उसमें हमने अपनी रूह फूंक दी और उसने अपने रब के कलमे की तस्दीक़ की वह इताअत करने वालों में से थी।" (सूरह 66 अत तहरीम आयत 12)


अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इस आयत की तफ़सीर में फ़रमाया,

كَمَلَ مِنْ الرِّجَالِ كَثِيرٌ وَلَمْ يَكْمُلْ مِنْ النِّسَاءِ إِلَّا آسِيَةُ امْرَأَةُ فِرْعَوْنَ وَمَرْيَمُ بِنْتُ عِمْرَانَ وَإِنَّ فَضْلَ عَائِشَةَ عَلَى النِّسَاءِ كَفَضْلِ الثَّرِيدِ عَلَى سَائِرِ الطَّعَامِ

मर्दो में कमाल को बहुत से लोग पहुंचे हैं लेकिन औरतों में केवल फ़िरऔन की बीवी आसिया और मरयम बिन्ते इमरान ही पहुँची हैं और आयेशा की फ़ज़ीलत औरतों पर ऐसी है जैसे तमाम खानों पर सरीद को फ़ज़ीलत हासिल है। (सही बुख़ारी 3411, 3433, 4769, 5418/ किताबुल मनाक़िब अहादीसूल अंबिया , सूरह अत तहरीम आयत 11 की तफ़्सीर में, सही मुस्लिम 5418, मिश्कातुल मसाबीह 5724)


अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने एक बार फ़रमाया,

خَيْرُ نِسَائِهَا مَرْيَمُ ابْنَةُ عِمْرَانَ وَخَيْرُ نِسَائِهَا خَدِيجَةُ

"बेहतरीन औरत मरयम बिन्ते इमरान हैं और बेहतरीन औरत ख़दीजा भी हैं।" (सही बुख़ारी 3432, 3815/किताब अहादीसुल अंबिया सूरह मरयम आयत .... के तहत, सही मुस्लिम 6271)


एक हदीस में मरयम बिन्ते इमरान अलैहस्सलाम की फ़ज़ीलत यूं बयान हुई है,

سَيِّداتُ نِسَاءِ أَهْلِ الْجَنَّةِ بَعْدَ مَرْيَمَ بنتِ عِمْرَانَ، فَاطِمَةُ، وَخَدِيجَةُ، وَآسِيَةُ امْرَأَةُ فِرْعَوْنَ .

"जन्नत में औरतों की सरदार मरयम बिन्ते इमरान के बाद फ़ातिमा, ख़दीजा और फ़िरऔन की बीवी आसिया होंगी।" (अस सिलसिला अस सहीहा 3507)


अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने एक मौक़े पर फ़रमाया,

 حَسْبُكَ مِنْ نِسَاءِ الْعَالَمِينَ مَرْيَمُ ابْنَةُ عِمْرَانَ وَخَدِيجَةُ بِنْتُ خُوَيْلِدٍ وَفَاطِمَةُ بِنْتُ مُحَمَّدٍ وَآسِيَةُ امْرَأَةُ فِرْعَوْنَ

"तमाम दुनिया की औरतों में मरयम बिन्ते इमरान, ख़दीजा बिन्ते ख़ुवैलिद, फ़ातिमा बिन्ते मुहम्मद और फ़िरऔन की बीवी आसिया तुम्हारे लिए काफ़ी हैं(जामे तिर्मिज़ी 3878/ किताबुल मनाक़िब अन रसूलिल्लाह ख़दीजा रज़ि अल्लाहु अन्हा की फ़ज़ीलत के विषय में, मिश्कातुल मसाबीह 6190)


मरयम अलैहस्सलाम जन्नत में औरतों की सरदार होंगी 

أَفْضَلُ نِسَاءِ أَهْلِ الْجَنَّةِ خَدِيجَةُ بِنْتُ خُوَيْلِدٍ وَفَاطِمَةُ بِنْتُ مُحَمَّدٍ وَمَرْيَمُ بِنْتُ عِمْرَانَ وَآسِيَةُ بِنْتُ مُزَاحِمٍ امْرَأَةُ فِرْعَوْنَ

"जन्नत की औरतों में ख़दीजा बिन्ते ख़ुवैलिद, फ़ातिमा बिन्ते मुहम्मद, मरयम बिन्ते इमरान, और फ़िरऔन की बीवी आसिया फ़ज़ीलत वाली हैं।" (अस सिलसिला अस सहीहा 3470, मुसनद अहमद 10557)


जन्नत में औरतों की चार सरदार होंगी

سَيِّدَاتُ نِسَاءِ الْجَنَّةِ أَرْبَعٌ مَرْيَمُ بِنْتُ عِمْرَانَ وَخَدِيجَةُ بِنْتُ خُوَيْلِدٍ وَفَاطِمَةُ ابْنَةُ مُحَمَّدٍ وَآسِيَةُ"

"जन्नत की औरतों में चार सरदार होंगी मरयम बिन्ते इमरान, फ़ातिमा बिन्ते रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम, ख़दीजा बिन्ते ख़ुवैलिद, और आसिया होंगी(मुस्तदरक हाकिम 4853, मुसनद अहमद 10412/ मुसनद बनी हाशिम अब्दुल्लाह बिन अब्बास)


आसिम अकरम अबु अदीम फ़लाही

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