Mard ki fitrat, aurat ki barbadi

Mard ki fitrat, aurat ki barbadi


औरत, "मर्द" के सुकून का ज़रिया

कहते हैं स्त्री सृष्टि का आधार है, मर्द के सुकुन का जरिया...

वैसे तो अल्लाह रब्बुल इज़्जत ने दुनियां की हर छोटी बड़ी मख़लूक़ को किसी न किसी मक़सद के तहत बनाया मगर उन सब में औरत को सबसे ख़ूबसूरत और ख़ास मक़सद से पैदा फ़रमाया। दुनियां की तमाम नेअमतों में स्त्री के रुप में जो रिश्ता इंसान को मिला उसका हर रूप बेहद ख़ूबसूरत, आकर्षक और सराहनीय है चाहे जो किरदार हो ख़ुद को फ़िट कर लेती है ख़ुद को न्योछावर करने का जज़्बा उसके रग रग में झलकता हैं उसका त्याग और बलिदान एक मां के दर्जे को अपनी चरम सीमा तक पहुंचता है,

  • जब किसी घर में बेटी बनकर पैदा होती है तो रहमत और बाप के लिए जन्नत के दरवाज़े खोलती है।
  • जब किसी की बहन बनती हैं तो भाई की ताक़त और हिम्मत।
  • जब किसी की बीवी बनती है तो मर्द को सुकून और राहत का सबब।


इतनी सारी ख़ूबियों के बाद भी दुनियां में मर्दों का एक बडा तबक़ा उसे (स्त्री को) भोग की वस्तु समझता है मर्द के भेस में दुनियां में ऐसे भी दरिंदें हैं जो जानवरों से भी बदतर हैं। इंसान कहे जाने वाले ये खूंखार दरिंदे अपनी तृष्णा (प्यास) शांत करने के लिए सही और ग़लत का फ़र्क़ भूल जाते हैं। यहां तक कि इनकी मानसिकता इतनी विक्षिप्त हो जाती है कि ये भूल जाते हैं कि उन्हें जन्म देने वाली भी एक स्त्री ही है। 

भला ये कैसे उसकी क़द्र करते होंगे?


मर्द की फ़ितरत, औरत की बर्बादी

बदलते हुए दौर ने औरत को आज़ाद ख़्याल और ख़ुदग़र्ज़ बना दिया है। आज दुनियां की अक्सर औरतें दोहरी ज़िंदगी जी रही हैं ऐसे में बातिल निज़ाम की साज़िशों का शिकार मुस्लिम औरतें इस बात को अपना हक़ समझ रही हैं। 

यही आज़ाद ख़्याल औरत की कमज़ोरी का सबब हैं। कुछ मर्द इस कमज़ोरी का फ़ायदा की बख़ूबी उठा रहे हैं। मर्द की फ़ितरत ये है कि वो औरत के हुस्न और बनावट की तारीफ़ सुनहरे अल्फ़ाज़ में करके उसे अपने जाल में जकड़ लेता है और जब औरत को मुख़्तलिफ़ मर्दों से अपनी तारीफ़ सुनने का चस्का लग जाता है, फिर वो धीरे धीरे उसकी झूठी मुहब्बत और हमदर्दी के जाल में फंसकर ख़ुद को बर्बाद कर लेती है मीठी मीठी तारीफ़े और हमदर्दी उसको मरहम की तरह लगने लगती है। 

अब उसे इस बात का गुमान होने लगता है कि वो दुनियां की सबसे ख़ूबसूरत और ज़हीन औरत है, और फिर यहीं से उसकी बर्बादी का आग़ाज़ होता है। अब रही सही कसर मौका पाकर इब्लीस भी अपनी चाल चल रहा होता है वो इन चीज़ों की ख़ूबसूरती को चार गुना ज़्यादा बढ़ा कर पेश करता है। 

मर्द भी दिल में लालच भरकर औरत के चक्कर काटता रहता है।जैसे ही मौका मिलता है वह अपनी हद से बढ़ जाता है और यह मौका भी औरत ही देती है। मर्द अपनी झूठी तारीफ़ और मुहब्बत का झूठा दावा करके उससे राब्ता करता है फिर धीरे धीरे उसके क़रीब आता है। अगर औरत मर्द की झूठी तारीफ़ को नज़र अंदाज़ कर दे तो बहुत से फ़ितनों से बच सकती है।


औरत में मना करने का साहस (courage)

1. आला किरदार उम्दा मेअयार वाली औरत 

औरत में मना करने का साहस (courage) होना चाहिए। हर ऐरे ग़ैरे से बात करना औरत का मेअयार गिरा देता है। औरत ऐसी हो कि कोई भी ग़ैर मर्द उससे बात करने से पहले सौ मर्तबा सोचे। यह नही कि किसी भी ग़ैर मर्द से वह ख़ुद बातें करे, चिकनी चिपड़ी और लगी लिपटी बातों से उसका दिल बहलाने लगे। औरत का यह मेअयार नहीं होता। 

2. औरत की हया सीप में छिपी मोती की तरह होती है। 

सीप से बाहर आते ही उसको बेचने वाले, ख़रीदने वाले, इस्तेमाल करने वाले, उसे पाने वाले, चाहने वाले, और कुछ न हो तो ललचाई नज़रों से देखने वालों की एक भीड़ सी लग जाती है। अपनी क़ीमत को समझें, अपनी हया की हिफ़ाज़त करें वर्ना मोतियों की तरह सजा कर बेच दी जाएंगी, बाज़ारों में। 

3. मर्द की फ़ितरत औरत का हुस्न

किसी भी लड़की के हुस्न की तारीफ़ कर उसके दिल के दरवाज़े पर दस्तक देना मर्द की फितरत है और किसी भी लड़की के हुस्न और हया का मेअयार ये है कि वो अपना किरदार इतना बुलंद करे कि कोई मर्द उस दरवाज़े पर दस्तक न दे सके। 


बिनते हव्वा से इल्तिजा

सुनो बिनते हव्वा, हर किसी ना मेहरम (अजनबी) के दस्तक पर दरवाज़ा हरगिज़ न खोलना, न दिल का, न दिमाग़ का, न सोच का, और न जज़्बात का। अल्लाह के बनाए हुदुद को कायम रखना उम्मत की शहज़ादियों पर फ़र्ज़ है।ये दरवाज़ा तो असल ज़िंदगी में हलाल रिश्ते अपने जीवन साथी के आमद पर ही खुलना चाहिए। 


मर्दों से इल्तिजा

किसी के जज़्बात के साथ न खेले, मुहब्बत को इज्ज़त लाज़िम है, अगर आप किसी लड़की को इज़्जत नहीं दे सकते तो आप के मुहब्बत का दावा झूठा है। ये एक मात्र अट्रैक्टशन है जो नाजायज़ है, अपनी नाजायज़ ख़्वाहिश को मुहब्बत का नाम न दें। 


आप की दीनी बहन
फ़िरोज़ा

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