🌙 रमज़ान के मसाइल-3: शैतान | रोज़ की नियत और दुआ
1. क्या रमज़ान में सारे शैतान क़ैद हो जाते है, या कुछ?
नहीं, रमज़ान में सारे शैतान क़ैद नहीं होते। सिर्फ शैतानों और सरकश (बाग़ी) जिनों को ज़ंजीरों में कस दिया जाता है। जैसे मुल्क में कोई इमरजेंसी लगाई जाती है तब सरकश लोगों को जो दंगे फसाद फैलाते हैं उन्हें जेल में डाल दिया जाता है उसी तरह सरकश जिनों और शैतानों को जो बड़े बड़े होते है, ज़्यादह बहकते हैं, गुनाह कराते है उन्हें रमज़ान में क़ैद कर दिया जाता है।
रसूलुल्लाह (सल्ल०) ने फ़रमाया, "जब रमज़ान का महीना आता है तो जन्नत के दरवाज़े खोल दिये जाते हैं। जहन्नम के दरवाज़े बन्द कर दिये जाते हैं और शैतानों को ज़ंजीरों में कस दिया जाता है।''
[बुखारी 3277]
रसूलुल्लाह (सल्ल०) ने फ़रमाया: "जब रमज़ान की पहली रात आती है। तो शैतान और सरकश (बाग़ी) जिन जकड़ दिये जाते हैं जहन्नम के दरवाज़े बन्द कर दिये जाते हैं उन में से कोई भी दरवाज़ा खोला नहीं जाता। और जन्नत के दरवाज़े खोल दिये जाते हैं उन में से कोई भी दरवाज़ा बन्द नहीं किया जाता। पुकारने वाला पुकारता है : ख़ैर के तलब गार ! आगे बढ़ और बुराई के तलब गार ! रुक जा। और आग से अल्लाह के बहुत से आज़ाद किये हुए बन्दे हैं ( तो हो सकता है कि तू भी उन्हीं में से हो ) और ऐसा ( रमज़ान की) हर रात को होता है।"
[तिर्मिज़ी 682]
2. क्या रोज़े की कोई दुआ है? रोज़े की नियत कब करनी चाहिए?
नहीं, कोई दुआ नहीं है। रोज़े की नियत दिल से करनी चाहिए। रोज़े की नियत फज्र से पहले करनी चाहिए।
रसूलुल्लाह (सल्ल०) ने फ़रमाया, "तमाम आमाल का दारोमदार नियत पर है और हर अमल का नतीजा हर इन्सान को उसकी नीयत के मुताबिक़ ही मिलेगा।"
[बुखारी 1]
रसूलुल्लाह (सल्ल०) ने फ़रमाया, "जिसने फज्र से पहले रोज़े की नियत नहीं की तो उसका तो रोज़ा ही नहीं है।"
[आबू दाऊद 2454]
By Islamic Theology
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