Nikah (part 7): Band Baja Barat

 
Shadi me band Dj bajana halal hai ya haram?

निक़ाह का ऐलान


निकाह नबी صلى الله عليه وسلم की सुन्नत है और ये खुशी का मौका है इसलिए निकाह का ऐलान किया जाना चाहिए आइए इसे अहादीस की दलाइल से समझते हैं


हजरत मुहम्मद बिन हातिब जुमहई कहते हैं कि रसूलल्लाह صلى الله عليه وسلم. ने फरमाया:

"हराम और हलाल निकाह के बीच फ़र्क़ ये है कि दफ़ बजाया जाये और निकाह का ऐलान किया जाये।"

[इब्ने माज़ा - 1896, तिर्मिज़ी - 1088]


जब हजरत हबार रज़ि ने अपनी बेटी का निकाह किया तो उन्होंने दफ़ बजा कर इसका ऐलान किया। इसकी आवाज सुनकर नबी صلى الله عليه وسلم. ने पूछा, “ये क्या है (यानी ये आवाजें क्यों आ रही है?)” इस पर लोगों ने कहा, “हबार ने अपनी बेटी की शादी की है।” इस पर नबी صلى الله عليه وسلم. ने फरमाया: "निकाह का ऐलान करो। निकाह का ऐलान करो। ये निकाह है, जिना नहीं है।" [सिलसिला सहीह 1444]


वजाहत 

  • ऊपर बयान की गई अहादीस से ये बात मालूम होती है कि निकाह का ऐलान ज़रूरी है, निकाह एक पाक रिश्ता है और इसका एक मकसद है।
  • और जब किसी पाक मक़सद को अंजाम दिया जाय तो उसका ऐलान होना चाहिए। जैसे आज शादी का कार्ड छपवाया जाता है।
  • जब निकाह होता है तो दो अजनबी मर्द व औरत ज़िंदगी साथ गुजारने के लिए एक नए बंधन में बंध रहे होते हैं और इस रिश्ते में बधने का मक़सद एक दुसरे से सुकुन हासिल करना और औलाद के ज़रिए एक खानदान वजूद में लाना है।
  • साथ ही ऐलान का मकशद ये है की उनकी पाक दामनी पर कोई उंगली न उठाए।
  • शरीयत ए इस्लामिया ये चाहती है कि जब दो अनजान लोग आपस में मिले , एक रिश्ते में बंधे तो ये काम चोरी छिपे न हो क्यूं कि चोरी छिपे अच्छे काम नहीं होते ।
  • इससे ये बात भी साफ़ होती है कि जो लोग भाग कर चोरी छिपे निकाह कर लेते हैं वो जिना के बराबर है।


क्या इस्लाम इस्लाम निकाह के मौके पर खुशी और जश्न मनाने से मना करता है?

निक़ाह के मौके पर गाना (खुशी मनाना) और दफ़ बजाना

निकाह के मौके पर ऐलान करने और खुशी का इजहार करने के लिये इस्लाम में गाने और दफ़ बजाने की इजाजत है। इस बारे में नबी صلى الله عليه وسلم. की जो अहादीस हमें मिलती है, वो ये हैं,

अम्मी आयशा रज़ि से रिवायत है कि उन्होंने एक अन्सारी लड़की का निकाह करवाया तो रसूलल्लाह صلى الله عليه وسلم. ने फरमाया: 

"ऐ आयशा! क्या तुम्हारे पास लहव-(दफ़ बजाने या गाने वाला) नहीं था? अन्सार को दफ़ और अशआर(शायरी) पसन्द है।"

[सहीह बुखारी - 5162, मिश्कात उल मसाबीह - 3141]


हजरत रबीआ बिन्ते मुअविज बिन अफरा रज़ि रिवायत करती हैं कि अल्लाह के रसूल صلى الله عليه وسلم मेरे निकाह में शरीक हुये जिसमें कुछ बच्चियां दफ़ बजा रही थी और जंगे बद्र में शहीद हुये अपने बुजुर्गों का जिक्र कर रही थी। तो अचानक एक लड़की ने ये भी कहा, “हममें एक नबी मौजूद हैं, जो कल होने वाली बातों को जानते हैं।” इस पर आप صلى الله عليه وسلم. ने फरमाया: "इसे छोड़ दो और जो पहले कह रही थी वही कहो।" [सहीह बुखारी - 5147, इब्ने माज़ा - 1897]

हजरत आमिर बिन साद बिन अबी वक्कास रह. बयान करते हैं कि मैं एक शादी के मौके पर क़ुराज़ा बिन काब और अबू मसऊद अंसारी रज़ि के पास गया तो देखा कि कुछ बच्चियां गा रही थी। 

मैंने कहा, “ऐ अल्लाह के रसूल صلى الله عليه وسلم के साथियों और जंगे बद्र के गाजियों, आपके सामने ये क्या किया जा रहा है? (आप इसे रोकते क्यों नहीं?)” 

तो उन दोनों ने जवाब दिया, “अगर तुम चाहो तो हमारे साथ बैठो और सुनो (जैसे हम सुन रहे हैं) और अगर चाहो तो यहाँ से चले जाओ। शादी के मौके पर हमें गाने-बजाने की इजाजत दी गई है।” [मिश्कात - 3159]


वजाहत


अल्लाह की हम्द व सना पढ़ सकते हैं साथ ही नबी की नात भी गा सकते हैं।


  • गाने बजाने की इजाज़त दी गई है इसका मतलब ये ये कतई नहीं है की आप डीजे बजा कर नाचें।
  • उपर्युक्त अहादीस में  डफ़ बजाने का जिक्र आया है डफ कोई बाजा नहीं है ये एक तरफा ढोल होता है जिसे डफ़ली भी कहा जाता है जो जानवर के चमड़े या प्लास्टिक से बना होता है।
  • निकाह अल्लाह के तरफ़ से एक नेमत है ये इंसान की नई ज़िंदगी का आगाज़ है इस लिय इस्लाम निकाह के मौके पर खुशी और जश्न मनाने की इजाज़त देता है।
  • साथ ही ये बात भी स्पष्ट हुई कि कुछ अच्छे गाने गा सकते हैं गाते वक्त इस बात का ख्याल रखें उस गाने में शिर्क या कुफ्र वाले अल्फाज़ शामिल हो न।
  • और नामहरम का आपस  एक  महफ़िल में गाना  बजाना  न सिर्फ  हराम है बल्कि आज कल फैला हुआ एक बहुत बड़ा फ़ितना है। 
  • इस तरह की महफ़िल में शैतान अपनी पूरी फ़ौज के साथ फितने फैलता है, बेहयाई और बेपर्दगी की इन्तेहाँ पार हो जाती है।  
  • बहुत सी मोमिना औरतें जो आम तौर से तो पर्दा करती है मगर ऐसी महफ़िलों में पूरी तरह से ज़ीनत से सराबोर होकर जाती हैं, और मर्दों को भी पूरी तवज्जो से ऐसी महफ़िलों में  किसी न किसी गुनाह में मुब्तिला देखा जाता है। ऊपर से म्यूजिक और तरह तरह की बजे माहौल को और ज़्यादा गैर इस्लामी, खिलाफ ऐ शरीयत बना देता है। 
  • अल्लाह की नाफरमानी करके जो अपनी शादी शुदा ज़िन्दगी की शुरुआत करेंगे  उनके निकाह में बरकतें नाज़िल होंगी ?
  • इस तरह की दावत देने वाले की शुमार जितने लोग मुब्तिला हो रहे होंगे उनके गुनाहो का सबब वो दावत देने  होगा ? 


अब आज के हालात ए हाजिरा पर नज़र डालते हैं तो कलेजा मुंह को आता है। न्यू जेनरेशन को लगाता है कि शादी के मौके पर जश्न मनाने और डफ़ बजाने की इजाज़त है तो बाजा और म्यूजिक बजा सकते हैं तो इसकी इजाज़त इस्लाम में नहीं है।


आइए देखें 🎶 म्यूजिक के हवाले से इस्लाम क्या कहता है?

हम इसे चंद हदीस और कुरान की रोशनी में समझें :

हजरत इब्ने उमर रज़ि कहते हैं कि, 

"नबी صلى الله عليه وسلم.. ने जब एक बार बांसुरी की आवाज सुनी तो अपने कानों में अंगुली डाल कर उससे दूर चले गये।

[अबू दाऊद की हदीस न०- 4924, इमाम अल्बानी ने सहीह कहा]


इस हदीस से साबित होता है की सिर्फ़ डफ़ बजाने की इजाज़त है, आज कल के (Music) के यंत्र (Instruments) रखना, उन यंत्र को ईस्तेमाल करना, इश्किया, अख़्लाक़ी, क़बाहत, शिर्क व बेहयाई  वाले अश'आर पर मबनी गाने गाना या बजाना इंतिहाई ख़तरनाक और शैतानी ( बुरे काम, गुनाह) में से है।

इर्शाद बारी तआला है :

وَمِنَ النَّاسِ مَنْ يَشْتَرِي لَهْوَ الْحَدِيثِ لِيُضِلَّ عَنْ سَبِيلِ اللَّهِ بِغَيْرِ عِلْمٍ وَيَتَّخِذَهَا هُزُوًا أُولَئِكَ لَهُمْ عَذَابٌ مُهِينٌ

"और लोगों में से कुछ ऐसे हैं, जो खेल की बाते खरीदते हैं ताकि बग़ैर समझे अल्लाह की राह से बहका दें और उन्हें हसी मज़ाक़ बना लें उनके लिए ज़िल्लत का अज़ाब है।" 

[क़ुरान 31:6]

🎶music और गाने दिलों में रोग पैदा करते हैं, इससे दिल गुनाहों की तरफ़ माइल होते हैं इससे दिल सख्त हो जाता है,इस लिए इस से बचा जाना चाहिए।

कुछ और हदीस पर गौर करें:

 एक रिवायत में आता है:

सय्यदना अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहू अन्हु के शागिर्द ख़ास सय्यदना नाफ़े रहिमहुल्लाह ब्यान फ़रमाते हैं कि : सय्यदना इब्न उमर रज़ियल्लाहू अन्हुमा अपनी उँगलीयाँ अपने कानो पर रख लिये और उस रास्ते से दूर चले गए। और फ़िर मुझ से पूछा : ऐ नाफ़े! क्या भला कुछ सुन रहे हो? मैंने कहा : नही, तो उन्होंने अपनी उंगलियाँ अपने कानो से उठा ली और कहा कि मैं रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ था तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इस तरह की आवाज़ सुनी तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ऐसे ही किया था। 

इस रिवायत के मुताल्लिक़ शेख़ ज़ुबैर अली ज़ई रहिमहुल्लाह और शेख़ शोएब रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं कि "हसन" और अल्लामा अल्बानी रहिमहुल्लाह सहीह फ़रमाते हैं।

अबू दाऊद की हदीस न०- 4924


एक और हदीस में बयान है कि

सय्यदना अबि मालिक अशअरी रज़ियल्लाहू अन्हु कहते हैं कि : "صلى الله عليه وسلم. ने फ़रमाया : 

"मेरी उम्मत में से लोग ज़रूर शराब पियेंगे और इसके नाम के अलावा कोई और नाम रखेंगे। उनके सिरों पर बाजे गाजे बजाये जाएंगे और गाने वालीयाँ (गाने गायेगी)। अल्लाह तआला उन्हें ज़मीन में धंसा देगा उनमे से बाज़ को बंदर और ख़िंज़ीर (सूअर) बना देगा।"

[इब्न माजा : 4020]


गौर करने का मकाम है :

आज उम्मत अजीब व गरीब फित्नों से दो चार है... किस तरह से निकाह के मौके पर डीजे बजाए जा रहे हैं घर की औरतें फहाशी और बेहयाई वाले गानों पर नाच रही है...

मेहरम और ना मेहरम का कोई खयाल या लिहाज़ नहीं है। घर के मर्दों की गैरत मर चुकी है अफ़सोस


  • अगर लोगों से कुछ कहो तो उल्टा ही जवाब मिलता है....

"अरे खुशी के मौके पर इतना तो चलता ही है

ये मौलवी साहब लोग झूठे फतवे लगाते हैं

क्या हो गया बच्चे हैं....."

वगैरह वगैरह!


  • उम्मत के नौजवानों !अल्लाह की ना फरमानी,

रसूलअल्लाह "صلى الله عليه وسلم की सुन्नत की खिलाफ़वर्जी कर के कौन सी खुशियां हासिल होगी...

इस पर थोड़ा गौर व फ़िक्र करें. ...

कल अल्लाह के सामने हाज़िर भी होना है।


उम्मत के बहनों और भाइयों से मेरी ख़ास इल्तज़ा है :

निकाह के मौके पर इस तरह की तकरीबात में शामिल होने से बचें, नाच गाने और डीजे का boycott करें।

निकाह को सुन्नत तरीके से अंजाम दें!

बहनों से हाथ जोड़ कर ख़ास इल्तेज़ा है.... नामहरम से परदे का हुक्म अल्लाह के बताए हुए हुदुद में से है उन हदों को पार न करें


आइए हम और आप मिल कर दुआ करें की अल्लाह सुभानहु तआला हम मुसलमानो को शिर्क व बिद्द्त से बचाए, और तमाम सगीरा-कबीरा गुनाहों से पाक रखे।

आमीन या रब्बल आलमीन🤲

मिलते हैं निकाह की अगली कड़ी में निकाह के कुछ  अहम और बुनियादी पहलू लेकर... 


आप की दीनी बहन
फ़िरोज़ा  

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