Pulsar sitare ka zikr Quran mein

Pulsar sitare ka zikr Quran mein


पल्सर सितारे का ज़िक्र क़ुरान में

इसमें कोई शक नहीं के क़ुरआन एक मोअजज़ा है 1444 सालों से हर दौर के लोग इसका मोअजज़ा देखते आ रहे है। ये दौर साइंस का दौर है, इंसान क़ुरान से दूर और साइंस को ज़िन्दगी में शामिल कर रहा है। और ये लोगों के नास्तिक होने की बहुत बड़ी वजह है। कुदरत देखें के क़ुरआन की आयतें साइंसदानो को हैरान करती रहती हैं। 

क़ुरआन में आज से चौदह सौ साल पहले जिन कई वैज्ञानिक तथ्यों का जिक्र किया गया है उनमें पल्सर (तारा) भी है, "अत-तारीक" उसे नासा ने खोज निकाला है। तारीक को खटखटाना कहते हैं, इस तारे की आवाज़ दरवाज़े पर दस्तक देने जैसी होती है। मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अल्लाह ने आज से चौदह सौ साल पहले अल्लाह का पैगाम लोगों तक पहुँचाया वो बिलकुल हर्फ़ बा हर्फ़ सच है। कुरआन अल्लाह की किताब है और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अल्लाह के आख़िरी नबी हैं।

हक़ीक़त यह है कि क़ुरान को हमसे ज़्यादा गोरों ने समझा और उस पर अमल किया और यही उनकी कामयाबी का राज़ है।


अल्लाह ताला फरमाता है,


سَنُرِیۡہِمۡ اٰیٰتِنَا فِی الۡاٰفَاقِ وَ فِیۡۤ اَنۡفُسِہِمۡ حَتّٰی یَتَبَیَّنَ لَہُمۡ اَنَّہُ الۡحَقُّ ؕ اَوَ لَمۡ یَکۡفِ بِرَبِّکَ اَنَّہٗ عَلٰی کُلِّ شَیۡءٍ شَہِیۡدٌ 
"जल्द ही हम इनको अपनी निशानियाँ बाहरी दुनिया में भी दिखाएँगे और इनके अपने अन्दर भी, यहाँ तक कि इनपर ये बात खुल जाएगी कि ये क़ुरआन सचमुच हक़ है। क्या ये बात काफ़ी नहीं है कि तेरा रब हर चीज़ का गवाह है?"
[क़ुरआन 41:53]


क़ुरान एक ऐसी किताब है जो खुदा के वजूद को साबित करता है, मोमिनों के ईमान को मजबूत करने और लोगों को खुदा के और करीब ले जाता है। क़ुरआन में ब्रह्मांड से जुड़े कई वैज्ञानिक तथ्यों का उल्लेख किया गया है। कुरान में पल्सर का ज़िक्र इसकी सबसे नुमाया ख़ुसुसियात में से एक है। अल्लाह तआला फरमाता है,


وَ السَّمَآءِ وَ الطَّارِقِ ۙ
"कसम है आसमान की और रात को नमूदार होनेवाले की!"

وَ مَاۤ اَدۡرٰىکَ مَا الطَّارِقُ ۙ
"और तुम क्या जानो कि वो रात को नमूदार होनेवाला क्या है?"

النَّجۡمُ الثَّاقِبُ ۙ
"चमकता हुआ तारा।"

[क़ुरान 86:1-3]



इन 3 आयतों में लफ्ज़ "अत-तारीक" और "अस-साक़िब" दो अलग-अलग लफ्ज़ हैं जो पल्सर के लिए इस्तेमाल किये गए हैं। "अत-तारीक" का मतलब है "खटखटाना या तेजी से धड़कना" (the Knocker or that beats quickly) और "अस-साक़िब" का मतलब है "भेदना/सुराख़ करना" (piercing)


इन दोनों लफ़्ज़ों को तफ्सील से जानने से पहले हम पल्सर के बारे में कुछ जान लेते है:
 
सन 1967 में लंदन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में स्नातक की छात्रा "डेम जॉक्लिन बेल बर्नेल" ने पहले पल्सर की खोज की थी और सन 2020 में, अनुसंधान सहयोगियों में केप टाउन और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालयों के सह-नेतृत्व वाली 77-व्यक्ति थंडरकैट टीम ने "PSR J0901-4046" नाम के पल्सर सितारे (न्यूट्रॉन स्टार) की खोज की। इस सितारे की खासियत ये है की ये "दरवाज़े पर दस्तक, दिल की धड़कन या कील ठोकने" जैसी आवाज़ करता है।


पल्सर (Pulsar) क्या है?


पल्सर 10-15 किमी की त्रिज्या (radius) वाला एक अत्यधिक चुम्बकीय (magnetic) न्यूट्रॉन तारा है। जिसका द्रव्यमान (mass) सूरज से कुछ ज़्यादा है और सूरज की त्रिज्या लगभग 1 मिलियन किमी है। विकिरण चुंबकीय ध्रुवों (Radiation magnetic poles) के साथ बाहर निकलता है और विकिरण के स्पंदन (Pulses of radiation) पृथ्वी को पार करते ही मिलते हैं, ठीक उसी तरह जैसे एक प्रकाशस्तंभ (lighthouse) से किरण चमकती है। टक-टक के साथ विशाल ब्रह्मांडीय (कायनाती) चक्का होने की वजह से , वे इंसानो के लिए कुछ बेहतरीन पल बनाते हैं। चूँकि वे बहुत छोटे हैं, ज़्यादातर न्यूट्रॉन सितारे ऑप्टिकल टेलीस्कोप (optical telescopes) से नहीं देखा जा सकतें, यहां तक ​​कि बहुत बड़े भी। हालांकि, उनके पास बेहद मजबूत चुंबकीय क्षेत्र (magnetic field) है।



Pulsar star


पल्सर कैसे बनता हैं?

अपने जीवन के इख़्तेताम पर सितारे अपने द्रव्यमान [(mass) (किसी चीज़ की बड़ी मिक़दाद या तादाद)] के लिहाज़ से मुख्तलिफ शक्ल में बदल जाते हैं। न्यूट्रॉन तारे उन शक्लों में से एक हैं जो सितारे अपने सिरों पर बदलते हैं। वे तब बनते हैं जब बड़े सितारे सुपरनोवा (एक सितारे का धमाका) में मर जाते हैं और उनके आवरण (cores) टूट जाते हैं, प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन मिलकर न्यूट्रॉन बनाते हैं। न्यूट्रिन सितारे बड़े पैमाने पर सितारे होते हैं जो भारी तत्वों को तब तक फ्यूज करते रहते हैं जब तक कि वे लोहे से बाहर नहीं निकल जाते। लोहे के आपस में समा जाने (fusion) से ऊर्जा (energy) नहीं मिल सकती। न्यूट्रॉन बनाने के लिए सितारा ढह जाता है और इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन के साथ जुड़ जाता है।


Pulsar star kaise banta hai


पल्सर का द्रव्यमान सूर्य के 1.18 और 1.97 गुना के बीच होता है, लेकिन अधिकांश पल्सर का द्रव्यमान सूर्य के 1.35 गुना होता है। अगर ये बहुत बड़ा नहीं है (सूरज के द्रव्यमान के 1.4 गुना से कम) तो ये इस मुक़ाम (point) पर न्यूट्रॉन की एक बहुत ही गर्म, नाक़ाबिल ए यक़ीन हद्द तक घनी गेंद के तौर पर स्थिर हो गया हो, जिसकी सतह पर आम पदार्थ की पतली परत होती है। जब वे बनते हैं तो न्यूट्रॉन तारे तेजी से घूमते हैं लगभग 800 तक और यहां तक ​​कि प्रति सेकंड एक हजार चक्कर तक और जैसे-जैसे वे बड़े होते जाते हैं वैसे-वैसे धीमे होते जाते हैं। पल्सर की ये स्पंदन (Flutter) दिल की धड़कन, दरवाजे पर किसी के जल्दी से दस्तक देने या कहीं कील ठोकने की याद दिलाती है।


न्यूट्रॉन स्टार एनाटॉमी (शारीरिक रचना):

एक न्यूट्रॉन सितारे की एनाटॉमी बहुत सरल होती है, और इसकी तीन मुख्य परतें होती हैं: 

  1. ठोस कोर (solid core), 
  2. एक "तरल" आवरण, (liquid mantle), और 
  3. एक पतली, ठोस पपड़ी (solid crust


Pulsar star (neutron star) anatomy

न्यूट्रॉन सितारों का भी बहुत छोटा (लगभग एक इंच) वायुमंडल (atmosphere) होता है, लेकिन यह सितारे के कामकाज में बहुत अहम नहीं है। इन हिस्सों के लिए आम साइज़ क्रस्ट (crust) के लिए तकरीबन 1 किमी और मेंटल और कोर संयुक्त के लिए 10 किमी होता है।

एक न्यूट्रॉन तारे के भी दो अक्ष (axes/एक ख़याली सीधी लक़ीर जिसके चारों तरफ कोई चीज़ घूमती है) होते हैं - एक चुंबकीय और एक घूर्णन अक्ष। जिस तरह पृथ्वी का चुंबकीय अक्ष भौगोलिक ध्रुवों से नहीं चलता है, उसी तरह एक न्यूट्रॉन तारे की धुरी शायद ही कभी ऊपर की ओर जाती है।

न्यूट्रॉन सितारा पूरी तरह से न्यूट्रॉन से बना एक सितारा है। ये उन सितारों के अवशेष हैं जिनका द्रव्यमान हमारे सूर्य (सौर द्रव्यमान) के 1.4 से 9 गुना के बीच था। एक तारे के नोवा हो जाने के बाद, बची हुई कोर ढह जाती है, जबकि बाहरी परतें अंतरिक्ष में एक नेबुला बनाने के लिए ख़तम हो जाती हैं। गुरुत्वाकर्षण कुछ सेकंड में 25 किमी (15 मील) व्यास (diameter) के आकार के एक गोले में कोर को सिकोड़ता और संघनित करता है।
एक न्यूट्रॉन सितारा इतना घना होता है कि एक पिनहेड के बराबर सामग्री का वजन एक सुपरटैंकर जितना होता है।


Pulsar sitare ka zikr Quran mein | eatrh, sun distance
लिहाज़ा पल्सर एक बहुत छोटा (तक़रीबन 20 किमी के व्यास के साथ) ग़ैरमामूली सितारा  है। इसकी तुलना सूरज से की जाये जो एक "आम" सितारा है तो पता चलता है सूरज इससे 69500 गुना। पृथ्वी (जो की एक ग्रह है) भी इससे 637.8 गुना बड़ी है जिसका व्यास 12,756 किमी है। 


पल्सर के बारे में मुख़्तसर बातें जानने के बाद हम अब लफ्ज़ "अत-तारीक" और "अस-साक़िब" के बारे में तफ्सील से जानते हैं:

"अत-तारीक" का माना (मतलब)

लफ्ज़ तारीक (طَّارِقُ) अरबी के रुट वर्ड "ط ر ق" से आया है जिसका माना है होता है "खटखटाना" जिस तरह से हम दरवाजे पर दस्तक देते है। इसी एतबार से इसका माना "मारना" भी होता है। इसका एक माना यह भी होता है के "रात के आखिर वक्त में सुबह सुबह नजर आने वाला तारा।"

कुरान में इस लफ्ज़ का रूट 11 मकाम पर इस्तेमाल हुआ है।

وَ السَّمَآءِ وَ الطَّارِقِ ۙ
"कसम है आसमान की और रात को नमूदार होने वाले की!"

وَ مَاۤ اَدۡرٰىکَ مَا الطَّارِقُ ۙ
"और तुम क्या जानो कि वो रात को नमूदार होने वाला क्या है?"

इस आयत में "अल-तारीकी" लफ़्ज़ का माना है एक तारा जो रात को छेदता है, जो अंधेरे को भेदता है, जो रात में पैदा होता है, भेदता है और आगे बढ़ता है, धड़कता है, टकराता है, या तेज तारा है।


"अस-साकिब" का माना (मतलब):

अब हम बात करते है लफ्ज़ ए साकिब पर:

लफ्ज़ साकिब (ثَاقِب) अरबी के रुट वर्ड "ث ق ب" से आया है जिसका माना होता है छेदना, आगे बढ़ना, या छेद खोलना। ये इशारा करता है कि तारिक एक चमकीला तारा है जो अंधेरे में एक छेद को छेदता है और आगे बढ़ता है।

यह वर्ड अपने रूट के साथ कुरान में 2 बार इस्तेमाल हुआ है।

النَّجۡمُ الثَّاقِبُ ۙ
"चमकता हुआ तारा।"

इस आयत में "अल-तारीकी" लफ़्ज़ का माना है वो तारा जो रात के अँधेरे को छेदता हुआ पार निकल कर फ़ैल जाता है। 


पल्सर स्टार की आवाज़ नासा द्वारा


इन सारी बातों को सामने रखते हुए हम कह सकते हैं की 2020 में पल्सर सितारे पर हुई तहक़ीक़ और सूरह अत तारिक़ की आयात (1 से 3) इस बात की तस्दीक़ करती है की क़ुरआन में पल्सर का ज़िकर 1400 साल पहले किया जा चुका है। और साइंस की ये तहक़ीक़ साबित करती है कि क़ुरान एक मुअज्ज़ज़ा है। अल्हम्दुलिल्लाह 


क़ुरान में आकाशीय वस्तु (celestial object) की खासियत:

सूरह तारिक़ की आयात 1 से 3 में आकाशीय वस्तु (celestial object) की ये खासियत गई है- 

  • 1. ये धड़कता (दस्तक) है।
  • 2. ये एक सितारा है।
  • 3. ये घिसता है, छेदता है, ड्रिल करता है।


लफ्ज़ "छेदना" की अहमियत:

अरबी में लफ्ज़ "छेदना" के तीन माना हैं और ये सभी माना पल्सर के खासियत से मेल खाते हैं यानि ये तीनो बातें पल्सर जाती हैं-

1. अरबी लुग़त के मुताबिक़ लफ्ज़ साकिब का माना है होता है "छेदना"। यह तारा न्यूट्रॉन से बना है जो विद्युत रूप से उदासीन (neutral) होता है। न्यूट्रॉन परमाणु में सबसे भारी कण (particle) है, विद्युत रूप से उदासीन होने की वज़ह से परमाणु आसानी से घुस जाता है। और इसी वजह से क़ुरान में अल्लाह तआला ने इसकी खासियत बयान करने के लिए एक बेहतरीन लफ्ज़ "छेदना" का इस्तेमाल किया है।
 
2. पल्सर सितारा बहुत तेज तरंगें (waves) ख़ारिज (उत्सर्जित) करता है। इसकी तरंगे इतनी तेज़ होती हैं कि ये हमारे शरीर को भी छेद करके पार निकल जाये। जैसा के साइंटिस्ट बताते है ये हमारी पृथ्वी से कई गुना छोटा और बहुत  दूर है फिर भी इनकी तरंगें इतनी तेज़ है कि इसका असर समुन्दर की तह में पाया गया है। लिहाज़ा क़ुरान ने इसके लिए "साक़िब" लफ्ज़ का इस्तेमाल किया है जिसका माना "छेदना" है। 


वैज्ञानिक इन पल्सर को बयान करने के लिए कई अल्फ़ाज़ों का इस्तेमाल करते हैं लेकिन मुअज्ज़ज़ों से भरा कुरान सिर्फ दो अल्फ़ाज़ों का इस्तेमाल करता है "तारिक़ और साक़िब" जो पल्सर की सभी ख़ुसुसियात को बताती है।


"पल्सर सितारे का ज़िक्र क़ुरान में" इस बारे में जानने के बाद हमारे ग़ैर मुस्लमान भाई बहनो के ज़ेहन में कई सवाल उठ रहे होंगे। जैसे-

  • 1. 1400 साल पहले एक उम्मी (अनपढ़) शख्स मुहम्मद (ﷺ) को इस सितारे का इल्म कैसे हुआ?
  • 2. उन्हें कैसे पता चला ये आवाज़ करता है?
  • 3. उन्हें कैसे पता चला ये छेड़ने का काम करता है?


क्या अब भी आपको क़ुरान के मुअज्ज़ज़ों पर शक है जबकि ऐसे ही कई हैरान कर देने वाले मुअज्ज़ज़े है जिन्हे सइंसदान खोज चुके है। 


आपकी दीनी बहन 
फ़िरोज़ा


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