दावत ऐ वलीमा
- वलीमे का मतलब:
- क्या वलीमा ज़रूरी है
- सामर्थ्य के मुताबिक वलीमा करें
- वलीमा की दावत कुबूल करना
- किन दावतों में न जायें:
वलीमे का मतलब:
वलीमे का मतलब है ‘शादी की खुशी का खाना’(बहू भोज) जो लड़के की तरफ से दिया जाता है।
वलीमा करना जरूरी है:
हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ रज़ि. के निकाह की खबर सुन कर नबी करीम ﷺ फरमाया,
"वलीमा करो चाहे एक बकरी का ही करो।" [सहीह बुखारी - 2048,5155; सहीह मुस्लिम 3490]
वजाहत:
उपर्युक्त हदीस से मालूम हुआ कि निक़ाह के बाद वलीमा करना बहुत जरूरी है। उलेमा ने इसे वाजिब करार दिया है।
- इस्लाम में दुल्हन पक्ष की तरफ से कोई खाना साबित नहीं है मगर दूल्हे पक्ष की ओर से वलीमा यानी बहू भोज आयोजित की जानी चाहिए।
- हदीस वलीमे की काफ़ी अहमियत दी गई है इस लिए हर वो शख्स जो निकाह करे , अपने सामर्थ के हिसाब से वलीमा ज़रूर करे।
- शरीयत ए इस्लामिया में वलीमा एक खुशी के इज़हार का जरिया है साथ ही ये एक ऐसा अवसर है जब घर खानदान के लोग साथ आते हैं।
- अब आज के हालात पर नज़र डालें तो पता चलता है कि लोग शादी की सारी रस्में तो बहुत धूम धाम से करते हैं जो गैर ज़रूरी है जिसकी कोई मिसाल नबी और सहाबा के हवाले से नहीं मिलता, लेकिन वलीमे जैसे सुन्नत को तर्क कर देते हैं।
सामर्थ्य के मुताबिक वलीमा करें:
हमारे समाज में लोग दौलत और शोहरत की होड़ में एक दूसरे से आगे निकल जाना चाहते हैं, कुछ लोग अपने वलीमे में हद से ज्यादा फिजूलखर्ची करते है और अपनी इस्तेताअत(क्षमता) से बढ़कर वलीमा करते हैं और नतीज़ा ये होता है कि कर्ज़ के बोझ तले दब जाते हैं। हमें नबी ﷺ की पाक जिंदगी से इस तरह की तालीमात नहीं मिलती है। आइए कुछ अहादीस पर नज़र डालें:
1. नबी ﷺ ने अपनी किसी बीवी से निकाह पर इतना बड़ा वलीमा नहीं किया, जितना जैनब रजि. से निकाह पर किया। इस निकाह में आप ﷺ ने एक बकरी जिब्ह की और वलीमा किया। [सहीह बुखारी 5168, 5171; मुस्लिम 3503; अबू दाऊद 3743; इब्ने माजा 1908; मिश्कात 3211]
2. नबी ﷺ ने हज़रत सफिया रज़ि. से निकाह के वक़्त खुजूर और सत्तू के साथ वलीमा किया। (और ये खजूर और सत्तू भी सहाबा रज़ि अपने साथ लेकर आये थे। [सुनन नसाई 3382; तिर्मिज़ी 1095; अबू दाऊद 3744, इब्ने माजा 1909; मिश्कात उल मसाबीह 3220]
3. जब नबी ﷺ. ने हजरत सफिया रज़ि से निकाह किया तो इसमें न गोश्त था न रोटी थी। आप ﷺ ने (चमड़े का) दस्तरखान बिछाने का हुक्म दिया और उस पर खजूर, पनीर और घी रख दिया गया। और यही नबी ﷺ का वलीमा था। [बुखारी 5159; मिश्कात उल मसाबीह 3214]
4. नबी ﷺ ने अपनी एक बीवी का वलीमा दो मुद (लगभग पौने दो सेर) जौ के साथ किया। [बुखारी 5172; मिश्कात उल मसाबीह 3215]
उपर्युक्त अहादीस से हम ने जाना कि वलीमे में बड़ी दावत करना या गोश्त ही बनाना जरूरी नहीं बल्कि वलीमे में कोई भी खाना हो दावत दी जा सकती है, फिर चाहे वो खजूर और जौ ही क्यों न हो।
इस्लाम की वाजेह तालीमात इसी तरफ इशारा करती है कि आदमी अपनी माली हैसियत (financial position) के लिहाज से वलीमा करे, ऐसा नहीं कि हर आदमी अपने से अमीर आदमी के वलीमे की होड़ में लग कर और सिर्फ झूठी शान और समाजी दबाव के खातिर कर्ज़ और फिजूलखर्ची जैसी बीमारीयों में फंस जाये।
वलीमा की दावत कुबूल करना:
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया :
"जब तुम में से किसी को वलीमे की दावत दी जाये तो यह उसमें जरूर शरीक हो।" [बुखारी 5173, 5179; मुस्लिम 3509 से 3517; अबू दाऊद 3736; इब्ने माज़ा 1914]
हदीस में रिवायत है कि:
"वलीमा का वह खाना सब से बुरा है जिसमें मालदारों को तो दावत दी जाए लेकिन गरीबों को न बुलाया जाए और जिस ने दावत कुबूल नहीं की तो यकीनन उसने अल्लाह और उस के रसूलﷺ की नाफरमानी की।" [बुखारी 5177; मुस्लिम 3521 से 3525; अबू दाऊद 3742; इब्ने माज़ा 1913, 2110; मिश्कात 3218]
हजरत अबू हुरैरह रज़ि बयान करते है कि नबी ﷺ ने फरमाया:
"अगर मुझे बकरी के खुर की दावत दी जाये तो मैं उसे भी कबूल करूंगा और अगर मुझे वो खुर हदिये (तोहफे) में दिए जाये तो भी उसे कबूल करूंगा।" [सहीह बुखारी 5178, 2568]
हजरत अबू हुरैरह रज़ि से रिवायत है कि नबी ﷺ ने फरमाया:
"जब तुममें से किसी को खाने की दावत दी जाए तो वह उसे जरूर कबूल करे फिर अगर चाहे तो (खाना) खा ले और चाहे तो छोड़ दे।" [मुस्लिम - 3518; अबू दाऊद 3749; मिश्कात उल मसाबीह 3217]
"अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ि रोजे की हालत में भी वलीमे में शरीक होते थे।" [सहीह बुखारी 5179]
वजाहत
- उपर बयान की गई अहादीस से मालूम हुआ कि अगर कोई वलीमे की दावत दे, तो उसे कुबूल करें और सामिल भी ज़रूर हो।
- अब हमारे समाज में देखे तो हम छोटी छोटी बातों पे एक दूसरे से नाराज़ हो जाते हैं और बाज़ दफा आपसी मनमुटाव और जलन इस हद तक बढ़ जाती है कि खुशी की दावत तो दूर जनाज़े में भी शरीक नहीं होते।
- याद रखें शरीयत इस्लामिया इस बात की तालिमात कभी नहीं देती की आप अपने किसी मुसलमान भाई से नाराज़ रहें।
- बाज़ लोग पसन्द का खाना न होने की वजह से दावत में नहीं जाते, ऐसे लोगो को ऊपर की हदीस पर गौर करना चाहिए , जिसमें नबी ﷺ ने बकरी के खुरों की दावत को भी कबूल करने का जिक्र फरमाया है।
- हमारा एक अख्लाकी फ़र्ज़ ये भी है कि हम वलीमे की दावत में गरीब रिश्तेदारों और दोस्तों और जानकारों को भी बुलायें, जिससे ये दावत सिर्फ अमीरों की चहल पहल की गवाह बन कर न रह जाये। इसी की ताकीद उपर की हदीस में हजरत अबू हुरैरह रज़ि ने की है और ऐसे वलीमे को बहुत बुरा बताया है जिसमें केवल अमीर लोगों को दावत दी जाए।
किन दावतों में न जायें:
नबी करीम ﷺ ने फ़रमाया,
"पहले दिन (वलीमे) का खाना हक़ है दूसरे रोज़ दावत करना सुन्नत है जब की तीसरे रोज़ दावत करना शोहरत व रियाकारी है और जो कोई दिखावा करता है तो अल्लाह कयामत के दिन उसे रुसवा कर देगा।" [मिश्कात उल मसाबीह 3224]
हजरत अबू हुरैरह रज़ि रिवायत करते हैं कि नबी ﷺ ने फरमाया:
"दो बाहम फख्र करने वालो की दावत कबूल न की जाये और न उन दोनों का खाना खाया जाये।" (यानी ऐसे लोग जो अपनी बड़ाई और दिखावे के लिए दावत करते हैं।) [मिश्कात उल मसाबीह 3226]
"नबी ﷺ ने बाहम फख्र करने वालो का खाना खाने से मना फरमाया है।" [मिश्कात उल मसाबीह 3225; अबू दाऊद 3754]
हजरत जाबिर रज़ि का बयान है कि नबी ﷺ ने फरमाया:
"जो शख्स अल्लाह और आख़िरत के दिन पर ईमान रखता हो, वो ऐसे दस्तरख्वान पर न बैठे जिस पर शराब पेश की जाती हो।" [सुनन तिर्मिज़ी 2801]
- इन अहादीस से पता चलाता है कि ऐसे लोगो की दावत में नहीं जाना चाहिये जिनके बारे में हमें ये जानकारी हो कि उस शख्स ने ये दावत दिखावे और अपना नाम ऊंचा करने के लिए की है क्योंकि ऐसी दावत का मक़सद अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त को राजी करना नहीं है बल्कि रियाकारी(दिखावा )करना है।
- हमें ऐसी दावतों में भी नहीं जाना चाहिए जिनमें शराब या ऐसी ही दूसरी हराम चीजें पेश की जाती है।
- इसी तरह ऐसी दावत ( वलीमे) जिनमें नाच गाने की महफिलें लगी हो डीजे और बेहयाई वाले गाने बजाए जा रहे हो, और गैर मेहरम की भीड़ हो ऐसी दावतों में भी जाने से एक मोमिन को बचना चाहिये।
अल्लाह रब्बुल इज़्जत हम मुसलमानो को साबित कदम रखे और हर गुनाह से बचाए।
आमीन
आप की दीनी बहन
फ़िरोज़ा
3 टिप्पणियाँ
निकाह भी करवाने का काम इसी पर शुरू करें
जवाब देंहटाएंAlhamdulillah zajak Allah khairun
जवाब देंहटाएंAlhamduLILLAH nikah karaya ja raha hai. best match ke liye aap indianikah.com par register kar sakte hai.
जवाब देंहटाएंकृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।