Ladka Aur Ladki Ki Dosti | Meri Beti Galat Kaise?


मेरी बेटी ऐसी नही से लेकर सिर्फ दोस्ती है तक का सफर

अमूमन आप ज़ब भी देखेंगे मुस्लिम बच्चियों के साथ नॉन मुस्लिम बॉय को तो उनका जवाब होगा ऐसा कुछ नही है। वो बस मेरा दोस्त ही तो है। और अगर घर वालो से कहोगे तो कहेंगे हमारी बेटी ऐसी नही है। तो आप अपनी जगह सही हो वाकई आपकी बेटी ऐसी नही है क्योंकी आपको तो मालूम ही नही की वो एक लड़की के तौर पर ककैसी है। 

माँ, बाप औलाद की नज़र से देखते है तो उनको अपनी औलाद में कोई कमी नही नज़र आती पर कभी आप एक  व्यक्ति के तौर पर देखे और सबसे ज़्यादा आप उसे एक मुस्लिम लड़की के तौर पर देखे तो आपको वो गलतियों का पुतला नज़र आएगी। क्योंकी ज़ब आप औलाद की नज़र से देखते हो तो आपके सामने अपनी परवरीश और आपकी अना दिखती है पर ज़ब आप एक मोमिन की नज़र से देखोगे तो पाओगे की वो कैसे एक गैर महरम के साथ गुनाह में मुबतला है। 

हमारे बच्चे ऐसा ना करेंगे ये सोचने से पहले सोचे किया आदम अलैहिस्सलाम ने अपनी मर्ज़ी से वो फल खाया था? जिस्से उनको मना फरमाया गया था?

जवाब पाओगे नही, उन्होंने अपनी मर्ज़ी से नही बल्कि शैतान के बहकाने की वजह से खा लिया था। 

ज़ब शैतान की चाल से हमारे बाप आदम अलैहिस्सलाम नही बच पाए तो आपको क्यू लगता है की आपका ईमान उनसे भी ज़्यादा मज़बूत है और आपके बच्चे कभी शैतान के बहकावे में नही आएँगे?

और एक अहम बात ये दौर दज्जाल के फितनो का दौर है और इस फितने से हर नबी ने अपनी उम्मत को डराया है। 

तो सोचिये किस कदर खतरा है इस फितने से?

बच्चियों से और बहनो से कहना चाहूंगी, आप मज़हबे इस्लाम की वो सहजादी हैं, जिसका ज़मीर इतना सस्ता नही है कि आपके रब और आपके नबी का इंकार करने वालो को आप अपना दोस्त बनाए। 

बाज़ लोग कहते है फला तो इतना अच्छा है उसका तो मेरे साथ इतना अच्छा व्यवहार है फिर मै उस्से दोस्ती क्यू नही रख सकती? 

Ladka Aur Ladki Ki Dosti | Meri Beti Galat Kaise?

तो मेरी बहनो ये याद रखे शैतान कभी आपके साथ बुरा बर्ताव करके नही बल्कि हमेशा मीठी मीठी बाते करके ही फसाता है। जिसे आम भाषा में मीठा ज़हर होना कहते है। 

मेरी बहनो और बेटियों आपका किरदार इतना ससता नही है की आप दुनियां के सबसे वाहिद हस्ती की उम्मत का हिस्सा होकर एक हराम काम में मुबतला हो जाए। 

अपने किरदार को इतना ससता ना बनाओ की हर ऐरा गेरा आपकी दोस्ती जैसे वाहिद रिश्ते में बंध जाए। 

क़ुरआन में साफ कहा गया है काफिर लाएतबार है।  

"हत्ता के वो कहेंगे की हम ईमान ले आए है पर तुम इनकी बातो में हरगिज़ नही आना।"

मेरी बहनो सोचो क्या दुनियां में क़ुरआन से ज़्यादा कोई सच है? 

नही है ना, तब आप अपने रब की इस वाहिद और अफ़ज़ल किताब की बातो को जानकर कैसे मुँह फेर सकती हैं?

मुस्लिम ख्वातिन का मुकाम किसी भी ऐरे गेरे से कही ज्यादा है। 

आप सोचे ज़ब कोई नई मॉडल की कार या कोई भी चीज़ आती है और आप उसके शोरूम में उसे देखने जाते है तो उसका मालिक आपको उन चीज़ो के आस पास भी नही जाने देता है। आप उसका दीदार भी कई फिट की दूरी से कर पाती है। 

तब आपको तो आपके रब ने इन मामूली चीज़ो से भी ज्यादा अफ़ज़ल बनाया है।  

तब आपका मालिक आपका रब कैसे आपको किसी नापाक जिस्म और नापाक इरादो वाले लोग के पास जाने देता? 

ये आप पर पाबंदी नही है बल्कि आपकी अहमियत दर्शाने के लिए आपको उनसे दूरी पर रहने का हुक्म दिया है। 

मेरी बहनो चंद रोज़ की इस फानी दुनियाँ के लिए अपनी आख़िरत हरगिज़ ना खराब करे। यक़ीनन हमारा रब ने हमे सबसे अफ़ज़ल बनाया है और उसी रब की राह पर चलने वालो के लिए बेहतरीन इंतज़ाम जन्नत के रूप में रखा है अल्लाह ने। 

उम्मीद है आप सब इस पर गौर करेंगे और अपनी नफ़्स की खातिर किसी गुनाह कोऔर उसके अज़ाब को अपना मुकद्दर हरगिज़ नही बनने दोगी। 

जज़ाक अल्लाहु खैर


आपकी दीनी बहन
आयशा सिद्दीक़ा

 

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