85. Zul-Jalaali-wal-Ikram | Asma ul husna - 99 Names Of Allah

85. Zul-Jalaali-wal-Ikram - ज़ुल जलाली वल इकराम  - Asma ul husna - 99 Names Of Allah

 ज़ुल जलाली वल इकराम -  ذُو ٱلْجَلَالِ وَٱلْإِكْرَامُ

अल्लाह ﷻ नाम सर्वशक्तिमान, सारी क़ायनात बनाने वाले ख़ालिक का वो नाम है, जो कि सिर्फ उस ही के लिए है और इस नाम के अलावा भी कई और नाम अल्लाह के हैं जो हमे अल्लाह की खूबियों से वाकिफ़ करवाते हैं। अल्लाह ﷻ के ही लिए हैं खूबसूरत सिफाती नाम। इन को असमा-उल-हुस्ना कहा जाता है। ये नाम हमें अल्लाह की खूबियाँ बताते हैं। अल्लाह के खूबसूरत नामों में से एक नाम है ज़ुल जलाली वल इकराम।

ज़ुल जलाली वल इकराम के रुट है  (ج ل ل) और (ك ر م),   ج ل ل यानि आला शान होना, अज़मत ओ इज़्ज़त होना, बुलंद, बहुत ऊपर , गौरवशाली, सर्वोच्च और (ك ر م) यानि सख़ी म आला दिमाग , काबिल ए एहतराम, क़ाबिल ए क़द्र, बेशकीमती, फ़ज़ल वाला, महान, अत्यधिक सम्मानित, मूल्यवान।  
ज़ुल जलाली वल इकराम का मतलब है जलाल वाला रब जो बहुत ही अज़मत वाला और करीम है। बुज़ुर्गी वाला , इज़्ज़त वाला , ताज़ीम वाला, बहुत बड़ाई वाला, जमाल और जलाल का मालिक। वो तमाम शान ओ शौकत का मालिक और बुलंदी का मुस्तहिक़ है और उसकी शान का इंकार नहीं किया जा सकता।  संपूर्ण प्रताप और महिमा का मालिक और पूर्णतः सम्मानीय। इतना रौबदार और नूर वाला के जिसकी महिमा की वजह से उसके तरफ नज़र उठाने की भी हिम्मत न हो। 

इस नाम का बहुत मर्तबा है, इस नाम के साथ जो जायज़ दुआ मांगी जाये, अज़मतों और इकराम वाला अल्लाह जल्ला जलालहु क़ुबूल फरमाता है। 

रसूलुल्लाह ﷺ जब अपनी नमाज़ से फ़ारिग़ होते तो तीन दफ़ा इस्तग़फ़ार करते और इस के बाद कहते : "अल्लाहुम-म-अन्तस्सलाम व मिन्कस्सलाम, तबारक-त ज़ुल-जलालि-वल-इकराम" (ऐ अल्लाह! तू ही सलाम है। और सलामती तेरी ही तरफ़ से है, तू साहिबे-बुलन्दी और बरकत है, ऐ जलाल वाले और इज़्ज़त बख़्शने वाले!) 

सही मुस्लिम 592


वो रब साहिबे अज़मत और साहिबे इकराम भी है। इतना जलाल और इकराम होने के बावजूद हम जैसे अदना सी मखलूक को बेइंतेहा इज़्ज़त और नेमत देने वाला। 

अल्लाह ज़ुल जलाली वल इकराम वो बुलंद शान वाला है जिसके आगे हर बुलंद शान वाला पस्त है।  
इमाम ग़ज़ाली कहते है वो ज़ात पाक जिसकी  सिफ़ात बुज़ुर्गाना है मसलन बादशाहत, पाकीज़गी, इल्म और क़ुदरत वाला होना। अल्लाह सुब्हान व तआला का ये नाम क़ुरआन में 2 बार आया है दोनों बार सूरह रहमान में - 
وَيَبْقَىٰ وَجْهُ رَبِّكَ ذُو ٱلْجَلَـٰلِ وَٱلْإِكْرَامِ
और बाकि रहेगा आपके रब का चेहरा जो जलाल वाला और इज़्ज़त वाला है 
क़ुरआन 55 : 27 


تَبَـٰرَكَ ٱسْمُ رَبِّكَ ذِى ٱلْجَلَـٰلِ وَٱلْإِكْرَامِ
बहुत बाबरकत है नाम आपके रब का जो जलाल वाला और बुज़ुर्गी व शान वाला है 
क़ुरआन 55 : 78 


कोई रात ऐसी नहीं गुज़रती जिसमे रात की तारीकियां छा चुकी हो मगर ये के अल जलील जल्ला जलालहू पुकारता हैं के कौन अल्लाह से बड़ा सख़ी है?  मख़लूक़ात अल्लाह की नाफरमानी करती हैं और अल्लाह सुभान व तआला इनके बिस्तरों में इनकी हिफाज़त करता है गोया के उन्होंने कभी अल्लाह की नाफरमानी की ही नहीं। और अल्लाह सुब्हान व तआला ने इनकी हिफाज़त की ऐसी ज़िम्मेदारी ली है गोया के वो गुनाह करते ही नहीं। और वो अपने फज़ल की सखावत गुनाहगार पर और ख़ताकार पर भी करता है। कौन है जिसने अल्लाह को पुकारा हो और अल्लाह ने जवाब न दिया हो।  अल्लाह सख़ी है और यही सख़ावत अल्लाह सुब्हान व तआला ही की सिफ़त है, अल्लाह सुब्हान व तआला करीम है और वो बिना मांगे भी देने वाला है। 

अल्लाह अपने करम की वजह से बन्दे को उसके सवाल के मुताबिक अता करता है, और बिना मांगे भी अता करता है, और अल्लाह ही अपने करम की वजह से ऐसी बख्शीश करता है गोया उसने कभी गुनाह किया ही नहीं। फिर अल्लाह के दर को छोड़ के हम गुनहगार कहाँ भटक रहे हैं हैं ?

इंसान अल्लाह के साथ इन्साफ का मामला नहीं करता, अल्लाह की तरफ से खैर इंसान की तरफ उतरती रहती है और इंसान  शर अल्लाह कि तरफ भेजता जाता है। अल्लाह ने अपनी नेमतें इंसानो पर निछावर करके कितने ही असबाब ऐ मुहब्बत पैदा कर दिए हालाँकि अल्लाह सुब्हान व तआला अल ग़नी है और इंसान ने अपने शर से कितने ही असबाब ए नफरत पैदा कर दिए हालांकि इंसान  अल्लाह का मुहताज है। और फ़रिश्ता इंसान के बुरे आमाल मुसलसल अल्लाह के दरबार में पेश करता रहता है। 

जब किसी बहुत बड़ी हस्ती की तरफ  कुछ भी देना हो तो सबसे बेहतर भी दो तब भी ये खौफ होता है के कहीं उसे पसंद न आयी तो, उनके लेवल का न हुआ तो, कहीं उसे बुरा न लग जाये। और अल्लाह सुब्हान व तआला के दरबार में हमारे आमाल मुसलसल पेश होते रहते हैं। क्या हमारे आमाल इस क़ाबिल हैं के हम अल्लाह सुब्हान व तआला के सामने खड़े हो सकें ?

आज से एक बात हमेशा के लिए गाँठ बाँध लें हर आमाल करने से पहले कई कई दफा सोचें के क्या  ये अमल उस अज़ीम हस्ती के सामने पेश होने लायक है ? कसरत से माफ़ी मांगे, अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त बड़ी शान और इकराम वाला है, बेशक वो अपने करम से गुनाहो की माफ़ी भी दे देता है और  गुनाहो से बचने की हिदायत भी दे देता है। बस सच्चाई और कसरत से मांगे ज़ुल जलाली वल इकराम से। 




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